भोपाल: 14 अप्रैल/ गुरुवार को गांधी भवन में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में आरबी श्रीकुमार की किताब ‘गुजरात बिहाइंड कर्टन’ का विमोचन किया गया। लेखक गुजरात में 2002 के नरसंहार के दौरान वहां अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे। लेखक आर बी श्रीकुमार ने बताया कि वर्ष 2002 का गुजरात नरसंहार प्रायोजित था और इसके लिए पहले से योजनाएं बनाई जा रही थी। 27 फरवरी 2002 को गुजरात की फिजा बिगड़ना शुरू हुई और अगले दिन 80 कुल मारे गए लोगों में से 80 फिसदी लोग मारे गए।
उन्होंने बताया कि 9 अप्रैल से 18 सितंबर 2002 तक एडिशनल डीजीपी इंटेलिजेंस के पद पर नियुक्त रहा, जहां मैंने जांच के दौरान पाया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोगों ने विभिन्न तरीकों से गुजरात नरसंहार को अंजाम दिया और यह उन्हें मोदी सरकार का संरक्षण हासिल था, मोदी सरकार ने कहा था कि हिंदुओं को उनके गुस्से को व्यक्त करने का अवसर दिया जाए। इसके बाद गुजरात में नरसंहार का दौर और बढ़ गया।
उन्होंने बताया पहले सिर्फ गैरकानूनी कामों में सिर्फ मुसलिम समुदाय के सदस्यों को फसाया जाता था लेकिन वास्तविकता में इसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और उस से जुड़े दूसरे संगठनों के लोग शामिल होते है। इस अवसर पर बोलते हुए सेक्युलर मंच के संयोजक लज्जाशंकर हरदेनिया ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय गुजरात नरसंहार के दौर से ही मोदी के टारगेट पर था लेकिन अब वह वहां का माहौल खराब कर के उसे बंद करवाना चाहते है, क्योंकि वहां धर्मनिरपेक्ष और बराबरी के मुल्यों पर आधारित समाज के बारे में लोग सोचते है।
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