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'2015 में दिल्ली की 40 प्रतिशत महिलाएं यौन हिंसा की शिकार हुईं' Featured

नई दिल्ली, 29 मार्च (आईएएनएस)। तीन साल पहले निर्भया कांड के बाद कड़े कानूनों को लागू करने के बावजूद पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी की 40 प्रतिशत महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार हुईं।

पत्रिका 'इंटरनेशनल क्रिमिनल जस्टिस रिव्यू' में ऑनलाइन प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, सर्वेक्षण में शामिल दिल्ली की महिलाओं में से 40 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि पिछले साल वे बसों या पार्क जैसे सार्वजनिक स्थानों में यौन उत्पीड़न का शिकार हुईं। इनमें से अधिकांश अपराध दिन के समय हुए।

दिल्ली में एक चलती बस में 16 दिसम्बर, 2012 को एक महिला के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या के बाद नए कानून बनाए गए। इनमें दुष्कर्म के लिए कैद की सजा को दोगुना कर दिया गया है और किसी महिला को घूरने या उसका पीछा करने को अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है।

राष्ट्रीय राजधानी में कुल 1,400 पुरुषों और महिलाओं पर हुए सर्वेक्षण के परिणामों से यह खुलासा भी हुआ है कि 33 प्रतिशत महिलाओं ने उत्पीड़न या इससे भी बदतर की आशंका की वजह से सार्वजनिक स्थानों पर जाना छोड़ दिया है और 17 प्रतिशत ने अपनी नौकरी छोड़ दी है।

अमेरिका की मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में आपराधिक न्याय के प्रोफेसर और इस शोध में शामिल महेश नल्ला ने कहा, "इसका अर्थ यह है कि निर्भया (16 दिसंबर 2012 की पीड़ित को दिया गया नाम) के बाद भी महिलाएं डरी हुई हैं। भारत में महिलाएं सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षित महसूस नहीं करतीं। यह साफ तौर पर मानवाधिकार का मुद्दा है।"

नल्ला ने कहा कि हालांकि दुनियाभर में महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं, लेकिन भारत और दक्षिणी एशिया के कई अन्य उभरते हुए लोकतंत्रों में यह समस्या और बढ़ रही है, जहां ज्यादा महिलाएं कार्यबल में शामिल हो रही हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा कि लचर और अक्षम परिवहन प्रणाली, शहरी क्षेत्रों की ओर युवाओं के पलायन और भारत के पितृसत्तात्मक समाज के कारण यह समस्या गंभीर हो रही है, जहां आज भी कई लोगों का मानना है कि महिलाओं की जगह घर में ही है।

नल्ला और उनके सह शोधकर्ता स्वीडन की स्टॉकटन यूनिवर्सिटी के सह-प्राध्यापक मनीष मदन ने यौन उत्पीड़न का इतिहास और धारणाएं, सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल, सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा और इन मामलों से निपटने में पुलिस की योग्यता जैसे कई पैमानों पर यह सर्वेक्षण किया।

अध्ययन के परिणाम में ज्ञात हुआ कि पिछले साल 40 प्रतिशत महिला प्रतिभागी यौन उत्पीड़न का शिकार हुईं और 58 प्रतिशत अपने पूरे जीवनकाल में कम से कम एक बार इसका शिकार हुईं।

नल्ला ने कहा कि इस अध्ययन के परिणाम बता रहे हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा और महिलाओं के मानवाधिकारों पर तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

Read 55 times Last modified on Wednesday, 30 March 2016 08:34
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