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गर्भावस्था में तैलीय मछली खाना संतान के लिए फायदेमंद

लंदन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। गर्भावस्था के दौरान तैलीय मछली जैसे साल्मन, ट्राउट, ट्यूना खाना संतान में सांस की बीमारियों तथा अस्थमा के जोखिम को कम कर सकता है। यह एक नए शोध में पता चला है।

मछली के ऊतकों और पेट के आसपास गुहा में तेल मौजूद होता है। मछली की फिलेट्स (पट्टिका) में 30 प्रतिशत तक तेल होता है। हालांकि यह आंकड़ा प्रजातियों पर निर्भर करता है।

शोध के प्रारंभिक नतीजों में सामने आया कि साल्मन मछली खाने वाली महिलाओं और न खाने वाली महिलाओं की संतान में छह माह तक एलर्जी स्तर में कोई अंतर नहीं पाया गया। साल्मन खाने वाली गर्भवती की संतान में दो या ढाई साल की उम्र तक अस्थमा की कम आशंका देखी गई।

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ साउथहैंप्टन के प्रोफेसर फिलिप काल्डर ने बताया, "हमारे निष्कर्ष संकेतिक करते हैं कि पोषण में शीघ्र हस्तक्षेप, यहां तक कि गर्भावस्था के दौरान, बच्चों के स्वास्थ्य पर लंबे समय तक प्रभाव डालता है।"

शोध के अनुसार, फैटी एसिड्स की कमी आम बीमारियों के व्यापक विस्तार में शामिल है, जिससे विविध एलर्जी, एस्थेरोस्केलरोसिस और कॉन्स रोग की संभावना बढ़ती है।

इस शोध के लिए गर्भवती महिलाओं को उनके गर्भधारण के 19वें सप्ताह से हर सप्ताह दो बार साल्मन मछली खिलाई गई।

इन महिलाओं की संतान की छह महीने और फिर दो वर्ष की आयु में एलर्जी की जांच की गई।

शोध की रिपोर्ट अमेरिका स्थित सैन डियेगो में हाल ही में 'एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी' पर हुए सेमिनार में पेश की गई।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • सिग्ना टीटीके हेल्थ इंश्योरेंस ने 'प्रोहेल्थ एक्युमुलेट' बीमा लांच किया
    मुंबई, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कंपनी सिग्ना कॉपोर्रेशन (एनवाईएसईसीआई) और भारतीय टीटीके समूह की संयुक्त उपक्रम सिग्ना टीटीके हेल्थ इंश्योरेंस ने बुधवार को स्वास्थ्य रक्षा उत्पाद प्रोहेल्थ एक्युमुलेट का लांच करने की घोषणा की, जो भविष्य की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के लिए एक स्वास्थ्य आरक्षित निधि बनाता है।

    प्रोहेल्थ एक्युमुलेट अपने किस्म का पहला स्वास्थ्य प्लान है जो ग्राहकों को स्वास्थ्य सुरक्षा, कल्याण तथा स्वास्थ्य आरक्षित निधि के संयोजन का विशिष्ट लाभ प्रदान करता है। यह प्लान आरक्षित निधि बनाने की विशिष्ट विशेषता प्रदान करता है जो एक पर्सनल स्वास्थ्य वालेट की तरह काम करता है।

    इस प्लान के तहत गारंटीयुक्त वर्ष दर वर्ष पांच फीसदी के संचयी बोनस के साथ बढ़ती हुई स्वास्थ्य देखभाल की लागतों के लिए जुड़े हुए सुरक्षा के लाभ के साथ आता है। ग्राहक आउट-पेशेंट खर्च जैसे डॉक्टर का परामर्श, दवाइयों का खर्च, रोग की पहचान के लिए परीक्षण, दवाइयों के वैकल्पिक रूप (आयुष) तथा और भी बहुत से कवर ले सकते हैं। साथ ही इसमें ओपीडी दांतों के उपचार, चश्मे, लैंस तथा श्रवण उपकरणों की लागत भी शामिल है।

    सिग्ना टीटीके हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संदीप पटेल ने कहा, "प्रोहेल्थ एक्युमुलेट हमने भारतीय ग्राहकों को ध्यान में रखकर बनाया है। यहां स्वास्थ्य बीमा को कभी-कभी धन की बर्बादी माना जाता है विशेषकर बिना दावे के वर्ष में। इसके अलावा ग्राहक गैर-अस्पताल में भर्ती के खर्चो समेत बीमा में समग्र रूप से कवरेज चाहते हैं। इसलिए हमने व्यापक रूप से अस्पताल में भर्ती होने के खर्च के साथ ही गैर-अस्पताल में भर्ती का भी कवरेज प्रदान करके चिकित्सीय खर्चो के लिए ग्राहकों की बचत करने में मदद करने के लिए इस बीमा को डिजाइन किया है।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • नॉर्वे में 12 लोगों के जीका विषाणु से संक्रमित होने की पुष्टि
    ओस्लो, 13 अप्रैल (आईएएनएस/सिन्हुआ)। नॉर्वे इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ (एनआईपीएच) ने बुधवार को कहा कि फरवरी में जांच शुरू होने के बाद से लेकर अब तक पांच गर्भवती महिलाओं सहित 12 लोगों के जीका के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है।

    नॉर्वे के समाचार पत्र वीजी ने कहा कि इस साल 25 फरवरी से लेकर 11 अप्रैल तक कुल 222 लोगों को जीका से संक्रमित पाया गया है, जिनमें 142 महिलाएं व 80 पुरुष हैं।

    कुल 222 लोगों में से दो के जीका से गंभीर रूप से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है।

    एनआईपीएच के मुताबिक, पांच गर्भवती महिलाओं सहित 10 अन्य लोगों के रक्त में जीका के एंटीबॉडी मिले हैं।

    एनआईपीच ने गर्भवती महिलाओं को जीका विषाणु से प्रभावित इलाकों की यात्रा न करने की सलाह दी है।

    मध्य व दक्षिणी अमेरिका में जीका के प्रकोप को लेकर फरवरी के शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वैश्विक आपातकाल घोषित कर दिया है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • जीका वायरस को रोकेंगे प्रयोगशाला में बनें मच्छर

    रियो डी जेनेरियो, 13 अप्रैल (आईएएनएस/सिन्हुआ)। ब्राजील ने अनुवांशिक रूप से संशोधित मच्छरों को जीका वायरस के लिए जिम्मेदार एडीस एजिप्टी की जनसंख्या को कम करने लिए वातावरण में छोड़ने की अनुमति दे दी है। ब्राजील के स्वास्थ्य अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

    इन विशिष्ट मच्छरों का निर्माण प्रयोगशाला में हुआ है।

    नेशनल हेल्थ सर्विलांस एजेंसी (एनविसा) ने मंगलवार को घोषणा कर कहा है कि उन्होंने ब्रिटिश जैव प्रौद्योगिकी कंपनी 'ऑक्सीटेक' को ट्रांसजेनिक मच्छरों को मुक्त करने की विशेष अनुमति दे दी है।

    इस कंपनी ने एडीस एजिप्टी मच्छरों की जनसंख्या के नियंत्रण के लिए कुछ विशिष्ट ट्रांसजेनिक मच्छरों को बाहरी वातावरण में छोड़ा है। वैज्ञानिकों ने इन ट्रांसजेनिक मच्छरों का समागम डेंगू, चिकनगुनिया और जीका वायरस के लिए जिम्मेदार मादा एडीस एजिप्टी से होने की उम्मीद जताई है, क्योंकि शोधार्थियों के अनुसार इनके समागम से पैदा होने वाला मच्छर वयस्क होने के पहले ही मर जाएगा। इस प्रक्रिया से जीका संक्रमण के खिलाफ एडीस के प्रसार पर रोक लगाई जा सकती है।

    इस परीक्षण ने जीका के खिलाफ कुछ इलाकों में संतोषजनक परिणाम दिए हैं।

    अनविसा ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि वह एक ऐसा नियामक ढांचा बनाएंगे, जो इस प्रकार के विकासशील और विकसित उत्पादों का मूल्यांकन करने में सक्षम हो।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • 5-6 कप कॉफी रोजाना पीने से फैटी लीवर रोग से बचाव
    लंदन, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। अगर आप 5-6 कप कॉफी रोजाना पीते हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ज्यादा कॉफी पीने से नान अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग (एनएएफएलडी) से सुरक्षा मिलती है।

    रोजाना कॉफी पीने से लीवर में सुधार होता है। यह प्रयोग चूहों पर किया गया जो मनुष्यों को रोजाना 6 कप एक्सप्रेसो कॉफी के बराबर है।

    इटली के नापोली विश्वविद्यालय के विनसेंजो लेंबो ने बताया, "पिछले शोधों से भी एनएएफएलडी से हुए नुकसान की कॉफी से भरपाई की पुष्टि की है। लेकिन यह पहली बार पता चला है कि यह आंत की पारगम्यता को प्रभावित कर सकता है।"

    इस शोध से पता चला है कि कॉफी एनएएफएलडी संबंधी समस्याओं जैसे लीवर कोशिका के खराब होने को ठीक कर सकता है।

    एनएएफएलडी से पीड़ित लोगों में लीवर पर घाव हो जाता है जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है। इससे मरीज की जान भी जा सकती है। लेकिन ज्यादा कॉफी पीने से इससे भी बचा जा सकता है।

    यूरोपियन एसोसिएशन फॉर स्टडी ऑफ लीवर (ईएएसएल) के महासचिव प्रोफेसर लैरेंट केसटेरा का कहना है, "इस शोध से आंतों की आंतरिक कार्यप्रणाली पर कॉफी के असर को समझने में मदद मिलती है। इससे भविष्य में भी एनएएफएलडी से मुकाबला करने में कॉफी की भूमिका पर भविष्य के अनुसंधानों में मदद मिलेगी।"

    यह शोध बार्सिलोना, स्पेन में हुए अंतर्राष्ट्रीय लीवर कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • बुजुर्गो का भी दोस्त है फेसबुक
    न्यूयार्क, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। न सिर्फ युवा बल्कि बुजुर्ग भी फेसबुक के सबसे तेजी से बढ़ रहे समुदाय का हिस्सा बन रहे हैं। शोधकर्ताओं के दल ने यह जानकारी दी।

    इस दल में एक भारतीय मूल के शोधार्थी व पेन्सिलवेनियास्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एस. श्याम सुंदर भी हैं। उनका कहना है कि बुजुर्ग भी फेसबुक से उन्हीं कारणों से जुड़ते हैं जिसके कारण युवक-युवतियां पिछले एक दशक से फेसबुक से जुड़ रहे हैं।

    सुंदर के मुताबिक बुजुर्ग सामाजिक संबंध और जिज्ञासा से प्रेरित होकर फेसबुक से जुड़ते हैं, लेकिन वे फेसबुक का प्रयोग सामजिक पहरेदार के रूप में अधिक करते हैं।

    सुंदर ने बताया, "बुजुर्ग देखते हैं कि उनके बच्चे या पोता-पोती फेसबुक पर क्या कर रहे हैं।"

    इससे पहले ऐसा ही अध्ययन फेसबुक से कॉलेज छात्रों के जुड़ने को लेकर किया गया था। इसमें सामाजिक संबंध बनाने और फेसबुक के प्रयोग के बीच सकारात्मक संबंध देखा गया था।

    पेन्सिलवेनियास्टेट यूनिवर्सिटी के मास कम्युनिकेशन शोधार्थी इयुन हवा जुंग कहते हैं, "हमारे शोध से यही बात बुजुर्गो के संबंध में पता चली है।"

    शोधकर्ताओं ने पाया कि अपने परिवार से जुड़ने की इच्छा या फिर अपने पुराने दोस्तों से जुड़ने की इच्छा के कारण लोग फेसबुक से जुड़ते हैं।

    जंग कहते हैं कि बुजुर्ग जिज्ञासा के कारण भी फेसबुक से जुड़ते हैं।

    यह शोध जर्नल कम्प्यूटर इन ह्यूमन बिहेवियर में प्रकाशित किया गया है।

    शोध के अनुसार बुजुर्ग रोजाना 2.46 बार फेसबुक पर जाते हैं और औसतन 35 मिनट रोज बिताते हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • अवसाद से बढ़ता है टाइप 2 मधुमेह का जोखिम
    टोरंटो, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। अगर आप मोटापे से ग्रस्त हैं और अधिक अवसाद में हैं तो संभल जाइए। क्योंकि यह रोग आपको कई रोगों का शिकार बना सकता है। एक हालिया अध्ययन में पता चला है कि अवसाद, मोटापा, उच्च रक्तचाप और अस्वस्थ कोलेस्ट्रॉल के स्तर एक साथ मिलकर टाइप 2 मधुमेह के जोखिम बढ़ा सकते हैं।

    निष्कर्ष बताते हैं कि जो लोग अवसाद और चयापचय जोखिम कारकों जैसे मोटापा, उच्च रक्तचाप और अस्वस्थ कोलेस्ट्रॉल के स्तर से ग्रसित होते हैं, ऐसे लोगों को टाइप 2 मधुमेह होने का खतरा छह गुना अधिक होता है।

    केवल अवसाद की अवस्था टाइप 2 मधुमेह का महत्वपूर्ण जोखिम कारक नहीं है। लेकिन अवसाद रहित मोटापे, उच्च रक्तचाप और अस्वस्थ कोलेस्ट्रॉल के स्तर से ग्रसित लोगों में मधुमेह होने की चार गुना अधिक संभावना होती है।

    कनाडा की मैकगिल युनिवर्सिटी से इस अध्ययन के मुख्य लेखक नोबर्ट स्किमिट्ज ने बताया, "ये निष्कर्ष बताते हैं कि केवल अवसाद तो नहीं, लेकिन अवसाद के साथ जुड़े हुए अन्य चयापचय विकार टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग के जोखिमों को बढ़ाने में जिम्मेदार हो सकते हैं।"

    इस शोध के लिए 40 से 69 साल के 2,525 प्रतिभागियों पर अध्ययन किया गया था।

    यह शोध 'जर्नल मॉलीकुलर साइकियाट्री' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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