JS NewsPlus - шаблон joomla Продвижение
BREAKING NEWS
कापेलो नहीं जाना चाहते इटली
चीन के 'मीडिया ग्रुप' ने तोशिबा का घरेलू उपकरण कारोबार खरीदा
अफ्रीका में बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं पर चीन, अफ्रीका मिलकर काम करेंगे
एनआईए ने सलविंदर सिंह से दोबारा पूछताछ की
चीन निजी सांस्कृतिक अवशेषों के लिए गैर लाभकारी कोष बनाएगा
बिहार : सड़क पर बम विस्फोट, 3 घायल
चीन या अमेरिका में खेल सकते हैं रोनाल्डिन्हो : एजेंट
स्वीडन के राष्ट्रपति का चीन दौरा अप्रैल में
समाजवादियों की सरकार जितना काम किसी ने नहीं किया : अखेिलश
मोदी परमाणु शिखर सम्मेलन के लिए अमेरिका पहुंचे

LIVE News

कापेलो नहीं जाना चाहते इटली

चीन के 'मीडिया ग्रुप' ने तोशिबा का घरेलू उपकरण कारोबार खरीदा

अफ्रीका में बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं पर चीन, अफ्रीका मिलकर काम करेंगे

एनआईए ने सलविंदर सिंह से दोबारा पूछताछ की

चीन निजी सांस्कृतिक अवशेषों के लिए गैर लाभकारी कोष बनाएगा

बिहार में 63 फीसदी बच्चों और 60 फीसदी महिलाओं में खून कम Featured

मनोज पाठक

बिहार और केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के जरिए भले ही बच्चों और महिलाओं को सेहतमंद बनाने की बात की जा रही हो, लेकिन राज्य के 63 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे और 60 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं एनीमिया (खून की कमी) की शिकार हैं।

पिछले 10 वर्षो के दौरान स्थिति में हालांकि सुधार देखा जा रहा है। यह खुलासा भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-चार (एनएफएचएस-चार) द्वारा हुआ है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए यह सर्वेक्षण एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (एएमएस) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैनेजमेंट रिसर्च (आईआईएचएमआर) ने 16 मार्च से दो अगस्त, 2015 के बीच किया था। इसके लिए कुल 36,772 घर की 45 हजार 812 महिलाओं और 5,431 पुरुषों से संपर्क किया गया।

एनएएफएचएस-चार की रिपोर्ट बताती है कि राज्य में छह माह से 59 माह तक के 63़ 5 प्रतिशत बच्चे एनीमिक हैं। इनमें शहरी इलाके के 58़ 8 प्रतिशत और 64 प्रतिशत बच्चे ग्रामीण इलाकों से आते हैं। वैसे, रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि गुजरे 10 वर्षो में बच्चों की एनीमिया की स्थिति में सुधार हुआ है।

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2005-06 की एनएफएचएस-तीन की रिपोर्ट में यह आंकड़ा 78 प्रतिशत था।

इस मामले में बिहार की महिलाओं की स्थिति भी बेहतर नहीं है। जो महिलाएं 15 से 49 वर्ष उम्र की हैं और गर्भवती नहीं हुई हैं, उनमें से 60़ 4 प्रतिशत एनीमिया पीड़ित हैं, जबकि गर्भवती महिलाओं की संख्या 58़ 3 प्रतिशत है।

अगर कुल महिलाओं की स्थिति पर गौर करें तो पता चलता है कि 60़ 3 प्रतिशत महिलाएं एनीमिक हैं। बीते 10 वर्षो में दोनों ही वर्ग की महिलाओं में लगभग दो प्रतिशत सुधार आया है।

राज्य में एनीमिक पुरुषों की संख्या भी कम नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, 32़ 2 प्रतिशत पुरुष एनीमिक हैं। इनमें शहरी क्षेत्रों के 24़ 2 प्रतिशत और 34़ 1 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं। हालांकि रिपोर्ट में पुरुषों की स्थिति में भी सुधार की बात कही गई है। वर्ष 2005-06 की एनएएफएचएस-तीन में यह आंकड़ा 34़ 3 प्रतिशत था।

पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) के चिकित्सक व फीजिशियन डॉ़ सतीश कुमार कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी क्षेत्र हो लोगों को शरीर के लिए विटामिन और पोषक तत्वों की जानकारी नहीं है।

उन्होंने कहा कि आज भी कई क्षेत्रों में गर्भवती महिलाएं अस्पताल नहीं पहुंच पातीं। बच्चों और महिलाओं में खून की कमी का सबसे बड़ा कारण अव्यवस्थित दिनचर्या और असंतुलित भोजन है।

पटना के जाने-माने चिकित्सक डॉ़ एच़ सी़ मिश्रा कहते हैं कि बच्चों के एनीमिक होने की मूल वजह साफ सफाई पर ध्यान न देना है। गंदगी के कारण बच्चों के पेट में वर्म (कीड़े) हो जाते हैं, जिससे उनके अंदर खून की कमी हो जाती है। समाज में जागरूकता लाई जाए और संतुलित भोजन के बारे में बताया जाए तो खून की कमी दूर की जा सकता है।

पटना विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र की प्रोफेसर एस़ भारती कुमार कहती हैं कि एनीमिया की मूल वजह जागरूकता का अभाव तथा निर्धनता है। लोगों को पता ही नहीं होता कि उनके शरीर के लिए किन विटामिनों की जरूरत है, लिहाजा वे संतुलित भोजन नहीं लेते और एनीमिक हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि यह कोई बीमारी नहीं है, इसे संतुलित भोजन से सुधार जा सकता है। कई गरीब परिवार ऐसे भी हैं जो चाहकर भी संतुलित भोजन नहीं ले पाते।

Read 45 times Last modified on Saturday, 26 March 2016 17:22
Rate this item
(0 votes)

Related items

  • बिहार में धूप भरी सुबह
  • महंगाई के असर को ध्यान में रखा जाए तो 2022 में किसानों की आय 2016 जितनी ही होगी
  • सेहतमंद खानपान स्वस्थ जीवन की कुंजी
  • पाकिस्तानी मरीज को मिला कृत्रिम हाथ
  • इबोला से घबराने की जरूरत नहीं : डब्ल्यूएचओ

खरी बात

महंगाई के असर को ध्यान में रखा जाए तो 2022 में किसानों की आय 2016 जितनी ही होगी

महंगाई को समायोजित करने के बाद देश के किसानों की आय 2003 से 2013 के बीच एक दशक में सालाना पांच फीसदी की दर से बढ़ी। इसे देखते हुए केंद्रीय...

आधी दुनिया

पुरुषवादी मानसिकता का बर्बर रूप

आरिफा एविस पिछले दिनों महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शनि मंदिर में प्रवेश को लेकर आन्दोलनकारियों और मंदिर समिति की तमाम कार्यवाहियाँ हमारे सामने आ चुकी हैं. इन सबके बावजूद...

जीवनशैली

आत्मकेंद्रित पुरुषों में यौन अपराध की प्रवृत्ति अधिक

न्यूयार्क, 30 मार्च (आईएएनएस)। जो पुरुष आत्मकेंद्रित मानसिकता से ग्रस्त होते हैं, उनमें जघन्य यौन अपराध को अंजाम देने की प्रवृत्ति अधिक होती है। यह जानकारी एक नए शोध में...