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सिर्फ एक टीके से साल भर के लिए कंडोम से छुटकारा!

न्यूयार्क, 30 मार्च (आईएएनएस)। लंबे समय से एक टिकाऊ पुरुष गर्भनिरोधक का इंतजार था जो जल्द ही खत्म होने वाला है। क्योंकि शोधकर्ताओं ने एक ऐसा टीका विकसित किया है जिसे एक बार लगाने पर एक साल तक बिना कंडोम के सेक्स किया जा सकेगा।

फिलहाल पुरुषों के गर्भनिरोधक का काफी कम विकल्प उपलब्ध है जिसमें कंडोम और नसबंदी प्रमुख हैं। जहां कंडोम बड़ी आसानी से सर्वत्र उपलब्ध है और सही तरीके से प्रयोग करने पर कई बीमारियों से भी बचाता है वहीं इसके प्रयोग के बावजूद सालाना 18 फीसदी गर्भवस्था दर देखी गई है।

वहीं, पुरुष नसबंदी काफी प्रभावी है, लेकिन यह एक स्थायी समाधान है। अभी तक पुरुषों के लिए ऐसा कोई गर्भनिरोधक उपलब्ध नहीं है जो लंबे समय तक चले, लेकिन स्थायी न हो।

खरगोशों पर किए गए अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि इसका असर एक साल तक रहता है।

शोध प्रमुख व अमेरिका के शिकागो स्थित इलीनोइस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डोनाल्ड वाल्लर का कहना है, "खरगोश पर किए गए प्रयोग के दौरान मिले नतीजे उम्मीद से बेहतर थे। वेसल जेल बहुत ही तेज गर्भनिरोधक नतीजे देता है जो काफी लंबे समय तक बना रहता है। इस टीके के जो गुण हैं वो मनुष्यों के लिए बनाए जाने वाले गर्भनिरोधक के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।"

यह शोध बेसिक एंड क्लिनिकल एंड्रोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।

वेसलजेल नाम के इस टीके को अमेरिका की एक गैरसरकारी संस्था पारसेमस फाउंडेशन ने विकसित किया है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस टीके का मनुष्यों पर परीक्षण जल्द ही शुरू होगा।

पारसेमस फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक इलेन लिसनेर का कहना है, "गर्भनिरोधक विकसित करना एक बेहद महंगी परियोजना है। लेकिन अब यह परियोजना शुरुआती अवस्था में नहीं है। बल्कि हम उस काम को पूरा करने जा रहे हैं जिसे हमने शुरू किया था।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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    प्रोहेल्थ एक्युमुलेट अपने किस्म का पहला स्वास्थ्य प्लान है जो ग्राहकों को स्वास्थ्य सुरक्षा, कल्याण तथा स्वास्थ्य आरक्षित निधि के संयोजन का विशिष्ट लाभ प्रदान करता है। यह प्लान आरक्षित निधि बनाने की विशिष्ट विशेषता प्रदान करता है जो एक पर्सनल स्वास्थ्य वालेट की तरह काम करता है।

    इस प्लान के तहत गारंटीयुक्त वर्ष दर वर्ष पांच फीसदी के संचयी बोनस के साथ बढ़ती हुई स्वास्थ्य देखभाल की लागतों के लिए जुड़े हुए सुरक्षा के लाभ के साथ आता है। ग्राहक आउट-पेशेंट खर्च जैसे डॉक्टर का परामर्श, दवाइयों का खर्च, रोग की पहचान के लिए परीक्षण, दवाइयों के वैकल्पिक रूप (आयुष) तथा और भी बहुत से कवर ले सकते हैं। साथ ही इसमें ओपीडी दांतों के उपचार, चश्मे, लैंस तथा श्रवण उपकरणों की लागत भी शामिल है।

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    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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    कुल 222 लोगों में से दो के जीका से गंभीर रूप से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है।

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    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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    इन विशिष्ट मच्छरों का निर्माण प्रयोगशाला में हुआ है।

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    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • 5-6 कप कॉफी रोजाना पीने से फैटी लीवर रोग से बचाव
    लंदन, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। अगर आप 5-6 कप कॉफी रोजाना पीते हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ज्यादा कॉफी पीने से नान अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग (एनएएफएलडी) से सुरक्षा मिलती है।

    रोजाना कॉफी पीने से लीवर में सुधार होता है। यह प्रयोग चूहों पर किया गया जो मनुष्यों को रोजाना 6 कप एक्सप्रेसो कॉफी के बराबर है।

    इटली के नापोली विश्वविद्यालय के विनसेंजो लेंबो ने बताया, "पिछले शोधों से भी एनएएफएलडी से हुए नुकसान की कॉफी से भरपाई की पुष्टि की है। लेकिन यह पहली बार पता चला है कि यह आंत की पारगम्यता को प्रभावित कर सकता है।"

    इस शोध से पता चला है कि कॉफी एनएएफएलडी संबंधी समस्याओं जैसे लीवर कोशिका के खराब होने को ठीक कर सकता है।

    एनएएफएलडी से पीड़ित लोगों में लीवर पर घाव हो जाता है जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है। इससे मरीज की जान भी जा सकती है। लेकिन ज्यादा कॉफी पीने से इससे भी बचा जा सकता है।

    यूरोपियन एसोसिएशन फॉर स्टडी ऑफ लीवर (ईएएसएल) के महासचिव प्रोफेसर लैरेंट केसटेरा का कहना है, "इस शोध से आंतों की आंतरिक कार्यप्रणाली पर कॉफी के असर को समझने में मदद मिलती है। इससे भविष्य में भी एनएएफएलडी से मुकाबला करने में कॉफी की भूमिका पर भविष्य के अनुसंधानों में मदद मिलेगी।"

    यह शोध बार्सिलोना, स्पेन में हुए अंतर्राष्ट्रीय लीवर कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • बुजुर्गो का भी दोस्त है फेसबुक
    न्यूयार्क, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। न सिर्फ युवा बल्कि बुजुर्ग भी फेसबुक के सबसे तेजी से बढ़ रहे समुदाय का हिस्सा बन रहे हैं। शोधकर्ताओं के दल ने यह जानकारी दी।

    इस दल में एक भारतीय मूल के शोधार्थी व पेन्सिलवेनियास्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एस. श्याम सुंदर भी हैं। उनका कहना है कि बुजुर्ग भी फेसबुक से उन्हीं कारणों से जुड़ते हैं जिसके कारण युवक-युवतियां पिछले एक दशक से फेसबुक से जुड़ रहे हैं।

    सुंदर के मुताबिक बुजुर्ग सामाजिक संबंध और जिज्ञासा से प्रेरित होकर फेसबुक से जुड़ते हैं, लेकिन वे फेसबुक का प्रयोग सामजिक पहरेदार के रूप में अधिक करते हैं।

    सुंदर ने बताया, "बुजुर्ग देखते हैं कि उनके बच्चे या पोता-पोती फेसबुक पर क्या कर रहे हैं।"

    इससे पहले ऐसा ही अध्ययन फेसबुक से कॉलेज छात्रों के जुड़ने को लेकर किया गया था। इसमें सामाजिक संबंध बनाने और फेसबुक के प्रयोग के बीच सकारात्मक संबंध देखा गया था।

    पेन्सिलवेनियास्टेट यूनिवर्सिटी के मास कम्युनिकेशन शोधार्थी इयुन हवा जुंग कहते हैं, "हमारे शोध से यही बात बुजुर्गो के संबंध में पता चली है।"

    शोधकर्ताओं ने पाया कि अपने परिवार से जुड़ने की इच्छा या फिर अपने पुराने दोस्तों से जुड़ने की इच्छा के कारण लोग फेसबुक से जुड़ते हैं।

    जंग कहते हैं कि बुजुर्ग जिज्ञासा के कारण भी फेसबुक से जुड़ते हैं।

    यह शोध जर्नल कम्प्यूटर इन ह्यूमन बिहेवियर में प्रकाशित किया गया है।

    शोध के अनुसार बुजुर्ग रोजाना 2.46 बार फेसबुक पर जाते हैं और औसतन 35 मिनट रोज बिताते हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • अवसाद से बढ़ता है टाइप 2 मधुमेह का जोखिम
    टोरंटो, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। अगर आप मोटापे से ग्रस्त हैं और अधिक अवसाद में हैं तो संभल जाइए। क्योंकि यह रोग आपको कई रोगों का शिकार बना सकता है। एक हालिया अध्ययन में पता चला है कि अवसाद, मोटापा, उच्च रक्तचाप और अस्वस्थ कोलेस्ट्रॉल के स्तर एक साथ मिलकर टाइप 2 मधुमेह के जोखिम बढ़ा सकते हैं।

    निष्कर्ष बताते हैं कि जो लोग अवसाद और चयापचय जोखिम कारकों जैसे मोटापा, उच्च रक्तचाप और अस्वस्थ कोलेस्ट्रॉल के स्तर से ग्रसित होते हैं, ऐसे लोगों को टाइप 2 मधुमेह होने का खतरा छह गुना अधिक होता है।

    केवल अवसाद की अवस्था टाइप 2 मधुमेह का महत्वपूर्ण जोखिम कारक नहीं है। लेकिन अवसाद रहित मोटापे, उच्च रक्तचाप और अस्वस्थ कोलेस्ट्रॉल के स्तर से ग्रसित लोगों में मधुमेह होने की चार गुना अधिक संभावना होती है।

    कनाडा की मैकगिल युनिवर्सिटी से इस अध्ययन के मुख्य लेखक नोबर्ट स्किमिट्ज ने बताया, "ये निष्कर्ष बताते हैं कि केवल अवसाद तो नहीं, लेकिन अवसाद के साथ जुड़े हुए अन्य चयापचय विकार टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग के जोखिमों को बढ़ाने में जिम्मेदार हो सकते हैं।"

    इस शोध के लिए 40 से 69 साल के 2,525 प्रतिभागियों पर अध्ययन किया गया था।

    यह शोध 'जर्नल मॉलीकुलर साइकियाट्री' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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