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बुद्धिमान पुरुष मित्र वाली महिलाओं को गणित से नफरत : सर्वे

न्यूयॉर्क, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। जो महिलाएं गणित या विज्ञान से नफरत करती हैं, उन्हें यह देखना चाहिए कि कहीं उनका पुरुष मित्र बहुत बुद्धिमान तो नहीं है? क्योंकि इन दोनों के बीच एक संबंध हो सकता है। इस मजेदार अध्ययन में यही निष्कर्ष सामने आया है।

अध्ययन में शामिल महिलाओं ने गणित की परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और उन्होंने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) विषय में कम रुचि दिखाई।

अमेरिका की 'युनिवर्सिटी एट बफलो' के शोधकर्ता लोरा पार्क के मुताबिक, "हमें ज्ञात हुआ कि डेटिंग करने को लेकर सभी महिलाओं की प्राथमिकता एक जैसी नहीं थी। जिन महिलाओं ने ज्यादा बुद्धिमान पाटनर्स के साथ डेट करने की इच्छा जताई, वे ऐसी महिलाएं थीं, जो एसटीईएम क्षेत्रों से सर्वाधिक दूर रही थीं।"

यह अध्ययन शोध पत्रिका 'अप्लाइड सोशल साइकॉलजी' में प्रकाशित हुआ है।

शोध में 900 प्रतिभागियों को शामिल किया गया।

प्रतिभागियों ने सामाजिक कार्य और प्राथमिक शिक्षा जैसे नारी सुलभ माने जाने वाले क्षेत्रों के प्रति भी कम रुचि नहीं दिखाई।

शोध के परिणामों के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने स्मार्ट साथी के साथ डेटिंग करने को ज्यादा प्राथमिकता दिखाई।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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    तिरुवनंतपुरम, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। केरल में हिंदू लोगों ने गुरुवार तड़के पारंपरिक नववर्ष विषु का स्वागत किया और मंदिरों में पूजा-अर्चना की।

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    केरल की 3.34 करोड़ की आबादी में 1.82 करोड़ लोग हिंदू हैं।

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    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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    अध्ययन से ज्ञात हुआ है महिलाएं अधिक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले पुरुषों और महिलाओं को कम आकर्षक मानती हैं। इतना ही नहीं वे अन्य महिलाओं को सौंदर्य के पैमाने पर वजन को लेकर कठोरता से मापती हैं।

    इसके विपरीत पुरुष अन्य पुरुषों को ज्यादा वजन के आधार पर नकारात्मक रूप से नहीं आंकते। लेकिन साथ ही पुरुष ज्यादा वजन वाली महिलाओं को कम आकर्षक मानते हैं।

    ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ र्से की प्रोफेसर सोनिया ओरेफाइस के मुताबिक, "यह पहला अध्ययन है जिसमें महिलाओं और पुरुषों दोनों के दृष्टिकोण से बीएमआई के साथ सौंदर्य के संबंध को परखा गया है।"

    अध्ययन में शरीर के आकार और सौंदर्य और उसके साथ जुड़ी वेतन असमानता पर भी रोशनी डाली गई है।

    यह अध्ययन पत्रिका 'इकोनोमिक्स एंड ह्यूमन बायोलोजी' में प्रकाशित हुआ है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • गर्भनिरोधक गोलियों की जगह करें नपुंसकता एप का प्रयोग!

    लंदन, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। एक नपुंसकता एप उन दिनों के बारे में बता सकता है जिस दिन किसी महिला के गर्भवती होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है और जल्द ही यह गर्भनिरोधक गोलियों की जरूरत खत्म कर देगा। एक नए अध्ययन से यह जानकारी मिली है।

    एसबीएसडॉटकॉमडॉयएयू समाचर वेबसाइट ने बताया कि 'नेचुरल साइकल्स' नाम का यह एप महिला के शरीर का हर सुबह लिए गए तापमान के अलगोरिथम के आधार पर बता सकता है कि वह किन दिनों मां बन सकती है।

    यह एप उन उर्वर दिनों के बारे में चेतावनी देते हुए सावधानी बरतने की सलाह देता है ताकि गर्भधारण से बचा जा सके।

    इस एप के बनाने वालों में से एक इलीना बर्गुलंड ने बताया, "हाल के सालों में मोबाइल तकनीक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे परिवर्तनकारी चलन बन गया है।"

    'नेचरल साइकल्स' रसायनों की जगह आंकड़ों के प्रयोग से गर्भधारण को रोकता है जिससे महिलाओं को अपने आपको शिक्षित और सशक्त बनाने में मदद मिलती है और वे गर्भधारण पर नियंत्रण हासिल करती हैं।

    उन्होंने बताया, "गर्भ निरोध का भविष्य हार्मोनल गक्र्षनिरोधकों की बजाए अपने शरीर को जानने में है। हम इस रास्ते पर नेतृत्व करने को लेकर उत्साहित हैं और एक ऐसा भविष्य बना रहे हैं जहां हरेक गर्भधारण इच्छानुसार होगा।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • आंतों में 'अच्छे बैक्टीरिया' करते हैं कैंसर से बचाव

    न्यूयार्क, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। आंतों में रहने वाले बैक्टीरिया के सूजन दूर करने वाले गुण के कारण कुछ विशेष प्रकार के कैंसर के विकास को रोका जा सकता है। चूहों पर किए गए एक नए शोध से यह जानकारी मिली है।

    जिन चूहों में लाभदायी बैक्टीरिया की ज्यादा मात्रा थी, उन्हें रक्त कोशिकाओं के ट्यूमर को पनपने में काफी वक्त लग रहा था। जिन चूहों की आंतों में अच्छे बैक्टीरिया की मात्रा चार गुणा ज्यादा थी उनके डीएनए के नुकसान और सूजन की संभावना कम थी। इसके अलावा ये बैक्टीरिया कैंसर से भी बचाव करते हैं।

    उन चूहों की उपापचय क्षमता बेहतर थी तथा उनमें अच्छे वसा में भी वृद्धि देखी गई। शोधकर्ताओं का मानना है कि इससे भी कैंसर का खतरा कम होता है।

    यह शोध ऑनलाइन जर्नल प्लस वन में प्रकाशित किया गया है।

    अमेरिका के कैलीफरेनिया विश्वविद्यालय के प्रो. राबर्ट सेस्टल ने बताया, "अब डॉक्टर किसी व्यक्ति के आंतों में स्थित बैक्टीरिया के प्रकार और स्तर का अध्ययन कर यह बता सकते हैं कि उसे कैंसर होने की कितनी संभावना है। साथ ही उसे अच्छी बैक्टीरिया बढ़ाने वाले प्रोबॉयोटिक्स लेने का नुस्खा भी लिख सकेंगे।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • देश में 7.5 फीसदी से अधिक विकास दर की क्षमता : जेटली

    वाशिंगटन, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। बेहतर मानसूनी बारिश होने पर देश की विकास दर 7.5 फीसदी से बेहतर रह सकती है। यह बात केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कही।

    जेटली ने यहां बुधवार को अमेरिकी थिंक टैंक कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। जेटली अमेरिका के सात दिवसीय दौरे पर हैं।

    जेटली ने कहा, "वैश्विक मानक के मुताबिक 7.5 फीसदी विकास दर की संभावना पर यह सवाल उठता है कि क्या हम सही प्रदर्शन कर रहे हैं। जवाब है हां। लेकिन हमारी अपनी जरूरत के मुताबिक अगर यह पूछा जाए कि क्या हम सही प्रदर्शन कर रहे हैं। मुझे लगता है कि हम बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।"

    उन्होंने कहा, "सहायक माहौल में देश में बेहतर विकास दर दर्ज करने की क्षमता है।"

    मंत्री ने कहा कि वैश्विक निर्यात घटने और लगातार दो साल मानसून के औसत से कम रहने के बावजूद 2015-16 में विकास दर 7.6 फीसदी रहने का अनुमान है।

    उन्होंने कहा, "दुनियाभर में कमजोर परिदृश्य के बीच बेहतर विकास दर, सुविधाजनक कीमतें, कम चालू खाता घाटा और सरकार के वित्तीय घाटा कम करने की राह पर टिके रहने के कारण वैश्विक निवेशकों के लिए भारत को अवसरों की भूमि के रूप में देखा जा रहा है।"

    मंत्री ने घटते निर्यात पर चिंता व्यक्त की और कहा कि देश की सरकार ने वैश्विक सुस्ती के प्रभाव से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं।

    उन्होंने कहा, "प्रतिकूल वैश्विक माहौल में देश की कुछ नीतियों में सुधार कर और निवेश तथा आधिक्य का सही उपयोग कर हम कुछ विकास दर्ज करने में सफल रहे हैं। घटता निर्यात चिंता के बड़े कारणों में से एक है।"

    जेटली ने सरकार द्वारा उठाए गए बड़े कदमों में कर सुधारों, मेक इन इंडिया कार्यक्रम, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा में वृद्धि, नई परियोजनाओं को मेजूरी देने की प्रक्रिया में तेजी और व्यापार की सुविधा के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र किया।

    मंत्री ने कहा कि मानसूनी बारिश बेहतर होने पर भारत की विकास दर 7.5 फीसदी से बेहतर रह सकती है।

    उन्होंने कहा, "पिछले दो-तीन दिनों में इस साल का पूर्वानुमान बेहतर बताया गया है और यदि वह सही रहता है, तो हम विकास दर को ऊपर उठा सकते हैं।"

    भारत मौसम विज्ञान विभाग ने पिछले दिनों जारी जून-सितंबर मानसून के पूर्वानुमान में औसत से अधिक बारिश होने की 94 फीसदी संभावना जताई है।

    जेटली बुधवार को वाशिंगटन पहुंचे। इस दौरे में वह विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की बसंत बैठक में शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा वह ड्रग की समस्या पर संयुक्त राष्ट्र के एक सत्र में भी शामिल हो सकते हैं और अमेरिकी निवेशकों से भी मुलाकात कर सकते हैं।

    इसके अलावा वह नेशनल डेवलपमेंट बैंक के बोर्ड ऑफ गवर्नर और ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) देशों के वित्त मंत्रियों तथा केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों से भी मुलाकात कर सकते हैं।

    15 अप्रैल को वह वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के एक जी20 सत्र में भी शिरकत करेंगे। साथ ही वह विश्वबैंक तथा संयुक्त राष्ट्र की साझेदारी का विकास करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून के एक सम्मान समारोह में भी हिस्सा लेंगे।

    20 अप्रैल को भारत वापसी के लिए रवाना होने से पहले वह न्यूयार्क में संस्थागत निवेशक सम्मेलन भी हिस्सा लेंगे।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • 'बड़ों के दल में शामिल होने वाले बच्चों में अवसाद का खतरा'


    न्यूयार्क, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। जो बच्चे बड़ों के दल में शामिल होते हैं उनमें अवसाद और आत्महत्या के विचार आने का खतरा काफी बढ़ जाता है। एक नए शोध से यह जानकारी सामने आई है।

    इस शोध में कहा गया है कि अगर वे बच्चे जो बड़ों के दल से बाहर नहीं निकलते तो उनमें मानसिक समस्याएं पैदा हो जाती हैं। दल में शामिल होने से उनमें आत्महत्या का विचार पनपने की संभावना 67 फीसदी और आत्महत्या की कोशिश करने की संभावना 104 फीसदी बढ़ जाती है।

    मिशिगन स्टेट विश्वविद्यालय के क्रिस मेल्डे का कहना है, "जो बड़ों के दल में शामिल होते हैं, उनमें पहले से ही मानसिक समस्याएं होती हैं और दल में आने के बाद स्थितियां बेहद खराब हो जाती हैं। बच्चे बड़ों के दल में कई कारणों से शामिल होते हैं चाहे वह सुरक्षा की भावना हो या कुछ और। हमारे शोध से पता चलता है कि इससे उनके जीवन में समस्याएं और बढ़ जाती है।"

    यह शोध क्रिमिनल जस्टिस एंड बिहेवियर जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

    कई सारे नौजवान जिनमें से ज्यादातर गरीब परिवारों के होते हैं। वे पैसा, संरक्षण, रूतबा, या फिर वह अपनापन पाने के लिए जो उन्हें घर, स्कूल या अन्य जगहों पर नहीं मिलता, बड़ों के दल में शामिल हो जाते हैं। हालांकि उनको कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं मिलता है। बल्कि उनके साथ गालीगलौज, हिंसा, शोषण जैसी चीजें बढ़ जाती हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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