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सेक्ट कॉलेज के सेमिनार में इम्पैक्ट आॅफ मार्डनाइजेशन आॅन एज्यूकेशन पर विशेषज्ञों ने रखे विचार

भोपाल: 8 अप्रैल/ आजकल एक फैशन हो गया है कि भारत की शिक्षा पद्धति की विदेशी शिक्षा पद्धति से तुलना की जाती है, जबकि हमारा एज्यूकेशन सिस्टम बिल्कुल यूनिक होना चाहिए, उसे किसी की कॉपी नहीं करनी चाहिए।

ये बात निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री अखिलेश पांडे ने कही। वे होशंगाबाद रोड स्थित सेक्ट कॉलेज आॅफ प्रोफेशनल एज्यूकेशन के शिक्षा संकाय द्वारा आयोजित नेशनल सेमिनार को शुभारंभ सत्र में संबोधित कर रहे थे। सेमिनार में इम्पैक्ट आॅफ मार्डनाइजेशन आॅन एज्यूकेशन पर विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए।

प्रारंभ में बी.एड. कॉलेज की प्राचार्या डॉ. गुंजन शुक्ला ने स्वागत उद््बोधन दिया। उन्होंने कॉलेज की गतिविधियों पर विस्तृत प्रकाश डाला। आईसेक्ट की निदेशक सूश्री पल्लवी राव चतुर्वेदी ने कहा कि वर्तमान में परिवार और बच्चों में दूरियां बढ़ रही है। बच्चों के साथ परिवार का भावनात्मक सपोर्ट जरूरी है। हमारी जवाबदारी बढ़ गई है। युवा सरपंच सूश्री भक्ति शर्मा ने कहा कि आज परिवार शिक्षा के प्रति अपनी जवाबदारी से बच रहा है वह बच्चों को सिर्फ इंस्टिट्यूशन की तरफ धकेल रहा है। बरकतुल्ला विश्वविद्यालय की शिक्षा संकाय की विभागाध्यक्ष प्रो. नीरजा शर्मा ने आधुनिकता का शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ा, तकनीकी से शिक्षा में क्या बदलाव आए इस पर ध्यान इंगित कराया।

नई दिल्ली से आए श्री डी.के. ओझा और अहमदाबाद से आए श्री अवधेश झा ने विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षा पर मार्डनाइजेश के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं को उदाहरणों सहित समझाया। इस मौके पर शिक्षा संकाय की न्यूज मैग्जिन ज्योर्तिमयी और आईएसबीएन द्वारा प्रमाणित इम्पैक्ट आॅफ मार्डनाइजेशन आॅन एज्यूकेशन पर केन्द्रित पुस्तक का विमोचन भी किया। अंत में आभार सूश्री नीलम सिंह ने माना। बाद के सत्रों में बाहर से आए प्रतिभागियों ने पेपर प्रेजेंट किए।

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  • स्कोप कॉलेज की छात्रा दीपा नायर को चांसलर स्कालरशिप

    भोपाल: 13 अप्रैल/ स्कोप कॉलेज आॅफ इंजीनियरिंग, भोपाल की छात्रा दीपा नायर को आर.जी.पी.वी की प्रतिष्ठित चांसलर स्कालरशिप प्राप्त हुई है। दीपा नायर इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्प्यूनिकेशन की सातवें सेमेस्टर की छात्रा है। दीपा नायर ने पाँचवे सेमेस्टर में 9.38 एस.जी.पी.ए हासिल किया था इस स्कालरशिप में सर्टिफिकेट व 20,000 रुपये की राशि प्राप्त हुई है।

    दीपा ने इसका श्रेय स्कोप कॉलेज के अनुशासन व फैकल्टी को दिया है। जिन्होने समय-समय पर मार्गदर्शन किया।

    ज्ञातव्य हो कि इससे पूर्व भी स्कोप के विद्यार्थियों को यह प्रतिष्ठित स्कालरशिप मिली है। स्कोप कालेज के प्रबंधन, प्राचार्य डॉ. डी.एस. राघव, ई.सी. की विभागाघ्यक्ष प्रो. भारती चैरसिया व कालेज फैकल्टी ने अपनी शुभकामनाऐं दी है।

  • आईसेक्ट की एन्यूअल मीटिंग संपन्न, आवाज न्यूज एप लांच

     भोपाल: 12 अप्रैल/ देश के अग्रणी शिक्षण, कौशल विकास एवं सेवा प्रदाता संस्थान आईसेक्ट की वार्षिक रिन्यूवल मीटिंग कई महत्वपूर्ण निर्णयों और नए उपक्रमों की घोषणा के साथ संपन्न हुई। बैठक में निर्णय लिया गया की आईसेक्ट आगामी वर्षों में देश के कई अर्धशहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अपने नए कौशल विकास केन्द्र का विस्तार करेगा। इन कौशल विकास केन्द्रों पर ग्रामीण एवं अर्धशहरी युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे। साथ ही बैठक में आईसेक्ट के स्किल डेवलपमेंट प्रोजक्ट और स्किम, आईसेक्ट आॅनलाइन पोर्टल, फाइनेंशियल इन्क्लूजन एंड यूआईडी सर्विस, आईसेक्ट इन स्कूल्स आदि पर विस्तार से बताया गया।

    गत वर्ष की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए आईसेक्ट के निदेशक श्री सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने उल्लेखित किया कि 1.5 लाख युवाओं को शिक्षित एवं प्रशिक्षित करना, 35 लाख से ज्यादा ग्रामीण बैंक खाते खोलना, आधार को 2 करोड़ से ज्यादा नागरिकों तक पहंुचाना, ब्रेनी बियर प्री-स्कूल की 15 शाखाओं का खुलना आदि मुख्य उपलब्धियां रही। इस दौरान आईसेक्ट द्वारा अपने नए प्रकाशन, केलेंडर, और रोजगार मंत्रा न्यूज बुलेटिन का विमोचन भी किया गया। साथ ही आईसेक्ट आॅनलाइन आॅपरेशन मैन्यूअल और आईसेक्ट आवाज एप की लांचिग भी की गई। आईसेक्ट आवाज एप के माध्यम से आईसेक्ट के शाखा प्रबंधकों को अपडेटेड जानकारी एवं केन्द्र संचालन में सहुलियत होगी।

    समारोह में एमपी सीवेट के एडिशनल डायरेक्टर श्री जी.एन. अग्रवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि कौशल विकास के क्षेत्र में मप्र नंबर एक पर है और यह सिर्फ आईसेक्ट के कारण ही संभव हो सका है। कौशल विकास के क्षेत्र में मप्र में बहुत संभावना है। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में आईसेक्ट स्किल डेवलपमेंट के कार्य को बढ़ा रहा है। बहुत जल्दी ही स्किल डेवलपमेंट में हमारा देश पूरी दुनिया में लीड करेगा। आईसेक्ट की निदेशक सुश्री पल्लवी राव चतुर्वेदी ने आईसेक्ट द्वारा किए जा रहे नवाचार पर विस्तृत प्रकाश डाला। इस मौके पर एक मोटिवेशनल फिल्म भी प्रस्तुत की गई। आईसेक्ट के महानिदेशक श्री संतोष चौबे ने कहा कि हमारी क्रियेटिविटी ही हमारी अनस्टापेबल स्पिरिट है। पिछले कुछ वर्षों में जो तकनीकी बदलाव हुए है उसने कार्य प्रणाली को बहुत आसान और बेहतर बनाया है। उन्होंने आईसेक्ट द्वारा स्थापित किए जा रहे नए विश्वविद्यालय और नई योजनाओं के बारे में भी विस्तार से बताया।

    इस मौके पर आईसेक्ट के निदेशक श्री अभिषेक पंडित, जोनल आफिस के श्री अरविन्द्र चतुर्वेदी, आईसेक्ट की रजिस्ट्रार सुश्री पुष्पा असिवाल, आईसेक्ट की निदेशक शिल्पी वाष्र्णेय और आईसेक्ट के रीजनल आॅफिस के मैनेजर और ब्रांच मैनेजर उपस्थित थे।

  • वनमाली कथा सम्मान समारोह के दूसरे दिन कथाकारों एवं आलोचकों ने की समकालीन कहानी की पड़ताल

    भोपाल: 6 अप्रैल/ साहित्य और समाज दोनों के लिए यह परंपरा और आधुनिकता के बीच संघर्ष का समय है। आज की कहानी भी किसी वैचारिक टकराहट के बीच अपनी नई राहें तलाश रही है। दरअसल परंपरा और आधुनिकता को ठीक अर्थों में पहचान कर उसे कहानियों के नए विषयों में ढ़ालने की दरकार है। इस आशय के विचार वनमाली कथा सम्मान समारोह में शिरकत करने आए देश के अग्रणी कथाकारों और आलोचकों ने व्यक्त किए।

    आईसेक्ट विश्वविद्यालय के शारदा सभागार में बुधवार सुबह आयोजित विचार सत्र की अध्यक्षता कथाकार-उपन्यासकार संतोष चौबे ने की। आधार वक्तव्य दिल्ली से आए आलोचक डॉ. विनोद तिवारी ने दिया।

    परंपरा, आधुनिकता और समकालीन हिन्दी कहानी पर केन्द्रित इस महत्वपूर्ण संगोष्ठि में सुप्रसिद्ध कथाकार प्रभु जोशी, शशांक, तरूण भटनागर, अवधेश मिश्र, पल्लव, और राजीव कुमार ने अपने वैचारिक तर्कों से नई और पुरानी कहानी के बीच अपना सम्यक विश्लेषण किया। संगोष्ठि से पूर्व दिवंगत कथाकार जे.पी. चौबे वनमाली के कर्मयोगी जीवन पर केन्द्रित लघुफिल्म का प्रदर्शन किया गया। इस सत्र का संचालन विनय उपाध्याय और अरूणेश शुक्ल ने किया।

    अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संतोष चौबे ने हिन्दी कथाकारों के सामने आई चुनौतियां साझा करते हुए विशेष रूप से टेक्नोलॉजी के दबाव और प्रभाव को ठीक से समझने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि आभासी तकनीकी दुनिया ने हमें वास्तविक समाज के गहरें सरोकारों से काट दिया है। लेकिन इसी बीच पारंपरिक मूल्य और आदर्श भी समाज के लिए गैर जरूरी नहीं हुए है। इस नई टकराहट को ठीक से जांचने और इससे जन्में नए विमर्श को कहानी के केन्द्र में लाए जाने की दरकार है।

    अपने आधार वक्तव्य में आलोचक विनोद तिवारी ने आधुनिकता की टोह लेते हुए कहा कि बीसवीं शताब्दी कई नई बहसों से मुठभेड़ करती हुई गुजरी है इसकी लंबी सूची है। दलित विमर्श, स्त्री विमर्श और आदिवासी विमर्श आदि हमारी इसी आधुनिक समय की देन है। उन्होंने बाजार और मनुष्य के नए संबंधों और उसके बीच परंपरा टुटती जुड़ती कड़ियों को भी विश्लेषित किया है।

    वनमाली कथा सम्मान से विभूषित कथाकार प्रभु जोशी ने भारत के साथ जुड़े आधुनिक संबंधों की चर्चा करते हुए तकनीक, बाजार और पुंजी का खासतौर पर जिक्र किया। कहानी भी इन प्रभावों से अछुती नहीं रही है। उन्होंने कहा कि लेखक को इन सब के बीच अपनी रचनात्मक सचाई पर कायम रहने की जरूरत है, जो सचाई के साथ छल करेगा वह अपने सृजन के साथ भी छल करेगा।

    कथाकार शशांक का मानना था कि बाजार और विज्ञापन की भाषा ने शब्दों की मर्यादा को काफी हद तक प्रभावित किया है। शब्दों की गरिमा और उसके अपव्यय पर भी गंभीरता से सोचने की जरूरत है। शशांक ने ज्ञान रंजन, संतोष चैबे और मो. आरिफ की कहानियों का उदाहरण लेते हुए कुछ जीवंत सूत्रों का उल्लेख किया।

    कहानियों का जीवंत रचनापाठ

    जीवन के अनुभव संसार से बावस्ता अपनी दिलचस्प कहानियों का ताना-बाना लिए जाने-माने कथाकारों डॉ. चित्रा मुद्गल, प्रभु जोशी, मो. आरिफ और हरि भटनागर ने स्वराज संस्थान सभागार में दस्तक दी। वनमाली कथा सम्मान से सम्मानित इन कथाकारों ने अपनी कहानियों का पाठ किया। ये कहानियां विषय, भाषा और संप्रेषण को लेकर पाठकों के बीच न केवल प्रभावी ढ़ंग से संप्रेषित हुई बल्कि वैचारिक रूप से हमारे समय की कहानी का सार्थक हस्तक्षेप भी साबित करती रही। रचनापाठ की अध्यक्षता के लिए विशेष रूप से उपस्थित व्यंगकार डॉ ज्ञान चतुर्वेदी ने इन कथाकारों को समकालीन कहानी का महत्वपूर्ण हस्ताक्षर बताया। संचालन पंकज सुबीर ने किया। आभार माना डॉ. उर्मिला शिरीष ने।

    पांच शब्दशिल्पियों को वनमाली सम्मान

    पांच अप्रैल को भारत भवन में आयोजित गरिमामय समारोह में हिंदी कहानी और आलोचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए पांच शब्दशिल्पियों को वनमाली सम्मान से विभूषित किया गया । प्रख्यात कथाकार चित्रा मुदगल, प्रभु जोशी, मोहम्मद आरिफ और विनोद तिवारी के साथ ही साहित्यिक पत्रिका "रचना समय"(संपादक-हरि भटनागर) को सम्मान निधि ,प्रशस्ति,शाल-श्रीफल और प्रतीक चिन्ह भेट कर अलंकृत किया गया।

    वनमाली सृजन पीठ के इस प्रतिष्ठा प्रसंग की अध्यक्षता मूर्धन्य आलोचक डा.धनंजय वर्मा जी ने किया एवं मुख्य अतिथि भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक और कवि लीलाधर मंडलोई जी थे। इस अवसर पर कलाओं के अंतरविधायी विमर्श की बहुचर्चित पत्रिका "रंग संवाद" के नए अंक के साथ ही कहानी-उपन्यास पर केंद्रित विचार पुस्तिकाओं का भी लोकार्पण किया गया। संतोष चौबे और मुकेश वर्मा ने सम्मानित लेखकों के सृजनात्मक व्यक्तित्व पर वक्तव्य दिया। संचालन कला समीक्षक विनय उपाध्याय ने किया।
                       

  • वनमाली सम्मान समारोह में सम्मानित होंगे वरिष्ठ साहित्यकार

    भोपाल: 4 अप्रैल/ भारत भवन में पांच अप्रैल को शाम 6.30 बजे आयोजित गरिमामय समारोह में  हिंदी कहानी और आलोचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए पांच शब्दशिल्पियों को वनमाली सम्मान से विभूषित किया जाएगा।

     प्रख्यात कथाकार चित्रा मुदगल, प्रभु जोशी,मोहम्मद आरिफ और विनोद तिवारी के साथ ही साहित्यिक पत्रिका "रचना समय"(संपादक-हरि भटनागर) को सम्मान निधि ,प्रशस्ति,शाल-श्रीफल और प्रतीक चिन्ह भेेंट कर अलंकृत किया जायेगा।वनमाली सृजन पीठ के इस प्रतिष्ठा प्रसंग की अध्यक्षता मूर्धन्य आलोचक डा.धनंजय वर्मा करेंगे। मुख्य अतिथि भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक और कवी लीलाधर मंडलोई होंगे। इस अवसर पर कलाओं के अंतरविधायी विमर्श की बहुचर्चित पत्रिका "रंग संवाद" के नए अंक के साथ ही कहानी-उपन्यास पर केंद्रित विचार पुस्तिकाओं का लोकार्पण किया जाएगा। कथाकार संतोष चौबे और मुकेश वर्मा सममनित लेखकों के सृजनात्मक व्यक्तित्व पर वक्तव्य देंगे।

    संचालन कला समीक्षक विनय उपाध्याय करेंगे। सम्मान के उपरांत सुप्रसिद्ध रंगकर्मी देवेन्द्र राज अंकुर के निर्देशन में वनमाली जी की कहानियों पर केंद्रित नाट्य प्रस्तुति "जिल्दसाज के बाद..." का मंचन दिल्ली के नाट्य समूह "संभव" के कलाकार करेंगे।

    छः अप्रेल की सुबह आईसेक्ट विश्वविद्यालय के सभागार में आधुनिक कथा साहित्य  पर केंद्रित संगोष्ठी में आमंत्रित कथाकार,आलोचक अपने विचार रखेंगे। शाम को स्वराज भवन में वनमाली कथा सम्मान से विभूषित लेखक रचनापाठ करेंगे। इस मौके पर आईसेक्ट स्टूडियो द्वारा वनमाली के जीवन और शख्सियत पर निर्मित फिल्म का प्रदर्शन किया जाएगा।

  • आईसेक्ट विश्वविद्यालय के लॉ स्टूडेंट्स ने विधानसभा की कार्यवाही का अवलोकन किया

    भोपाल: 31 मार्च/ आईसेक्ट विश्वविद्यालय इंस्टिट्यूट आॅफ लॉ के एलएलबी, बीए एलएलबी में अध्ययनरत विद्यार्थियों में से 40 विद्यार्थियों के एक दल ने पं. कुंजीलाल दुबे संसदीय शोध विद्यापीठ में संसदीय प्रशिक्षण प्राप्त किया। विद्यापीठ द्वारा विद्यार्थियों को विधानसभा का गठन, बजट, विधि निर्माण, सदन की कार्यवाही, मौलिक अधिकार, सूचना का अधिकार विषयों पर विषय विशेषज्ञ विधानसभा के अधिकारी द्वारा जानकारी दी गई एवं छात्रों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। विद्यापीठ के उपसंचालक बृजराजेश्वर शर्मा के द्वारा विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र भी प्रदान किए गए। विद्यार्थियों ने पूर्व अनुमति प्राप्त कर इंदिरा गांधी विधानसभा की प्रतिष्ठित दीर्घा से विधानसभा की कार्यवाही का अवलोकन भी किया।

    विद्यार्थियों के दल के साथ विधि विभागाध्यक्ष डॉ. कुसुम दीक्षित चैहान विशेषरुप से उपस्थित रहकर छात्रों की जिज्ञासाओं को शांत किया। उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट आॅफ लॉ में क्लासरुम अध्ययन के साथ-साथ विधि के विद्यार्थियों को विधि के व्यायहारिक ज्ञान की दृष्टि से, शैक्षिको गतिविधि आयोजित की जाती है जिसमें विभिन्न विधिक संस्थानों की कार्यप्रणाली व प्रशिक्षण शामिल होता है। इसी उद्देश्य को लेकर विद्यार्थियों को राष्ट्रीय संसदीय विद्यापीठ प्रशिक्षण व विधानसभा की कार्यवाही का अवलोकन कराया गया। जिससे भविष्य में विद्यार्थी संविधान विशेषज्ञ अधिवक्ता के रुप में देश में अपनी सेवाएं दे सकें। विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर अमिताभ सक्सेना और रजिस्ट्रार डॉ. विजय सिंह के द्वारा विद्यापीठ का आभार व धन्यवाद दिया गया साथ ही उन्होंने बताया कि भविष्य में भी विद्यार्थियों के हित में ऐसी गतिविधियां आयोजित की जाएगी।

  • उत्सव के अलहदा रंग समेटे होगा वनमाली कथा सम्मान समारोह

    कहानियों का मंचन, रंग संगीत, रचना पाठ  और कथा विमर्श के अनूठे सत्र

    भोपाल: 1 अप्रैल/ आगामी 5 और 6 अप्रैल को  भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय वनमाली कथा सम्मान समारोह साहित्य, संस्कृति और कलाओं के उत्सवी रंगों से सराबोर होगा। चित्रा मुदगल, प्रभु जोशी, मोहम्मद आरिफ, विनोद तिवारी और हरि भटनागर ( सम्पादक -रचना समय) जैसे ख्यातनाम हस्ताक्षर  अपने उल्लेखनीय रचनात्मक योगदान के लिए सम्मान अलंकरण ग्रहण करेंगे। प्रसिद्ध रंगकर्मी देवेन्द्र राज अंकुर के निर्देशन में वनमाली जी की कहानियों का मंचन और विहान कला समूह का रंग संगीत समारोह को नयी गमक प्रदान करेगा। "बिम्ब-प्रतिबिम्ब" फोटो प्रदर्शनी और विभिन्न साहित्यिक पुस्तिकाओं का लोकार्पण आयोजन को दस्तावेज़ी स्वरुप प्रदान करेगा। इस अवसर पर अनेक प्रबुद्ध लेखक, आलोचक और संस्कृतिकर्मी आमंत्रित किये जा रहे हैं.
       
    साहित्य और संस्कृति की मानक संस्था वनमाली सृजन पीठ का दो दिवसीय प्रतिष्ठा आयोजन विविध  रचनात्मक गतिविधियों के बीच आयोजित किया जा रहा है. पांच अप्रेल की शाम 6.30 बजे  भारत भवन में हिंदी के वरिष्ठ आलोचक डा.धनञ्जय वर्मा और भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई की विशिष्ट उपस्थिति में प्रसिद्ध कथाकार चित्रा मुदगल(नई दिल्ली), प्रभु जोशी (इंदौर), मोहम्मद आरिफ(पटना) और विनोद तिवारी(दिल्ली) के साथ ही सहित्यिक पत्रिका "रचना समय"(संपादक-हरि  भटनागर) को सम्मान अलंकरण भेेंट किया जाएगा। कथाकार संतोष चौबे और मुकेश वर्मा सम्मानित लेखकों के साहित्यिक योगदान पर वक्तव्य देंगे।समारोह का संचालन कला समीक्षक विनय उपाध्याय करेंगे। इस अवसर पर प्रख्यात नाट्यकर्मी डॉ.देवेन्द्र राज अंकुर के निर्देशन में रंग समूह "संभव" के कलाकार वनमाली जी की बहुचर्चित कहानियों - जिल्दसाज,शहर और माझी का मंचन करेंगे।

    समारोह के दूसरे दिन सुबह 10.30 बजे आईसेक्ट विश्वविद्यालय में "परंपरा, आधुनिकता और समकालीन हिंदी कहानी" विषय पर विचार सत्र होगा।अध्यक्षता संतोष चौबे करेंगे, आधार वक्तव्य आलोचक विनोद तिवारी का होगा। प्रभु जोशी, शशांक, शम्भू गुप्त, जयप्रकाश, पल्लव, अवधेश मिश्र, राजीव कुमार, राहुल सिंह विषय पर अपने विचार व्यक्त करेंगे। शाम 6.30 बजे स्वराज भवन में सम्मानित लेखकों का  रचना पाठ होगा । अध्यक्षता डा.ज्ञान चतुर्वेदी करेंगे। चर्चा में शशि भूषन,मुकेश वर्मा, वन्दना राग और बलराम गुमास्ता हिस्सा लेंगे।

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