अगरतला, 18 अप्रैल (आईएएनएस)। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बिमल सिन्हा की 18 साल पहले हुई हत्या के मुद्दे पर सोमवार को कांग्रेस के 24 घंटे त्रिपुरा बंद के आह्वान का राज्य में मिलाजुला असर रहा।
सिन्हा की हत्या की सीबीआई जांच कराने के लिए दबाव बनाने और मुख्यमंत्री माणिक सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर कांग्रेस ने बंद का आह्वान किया था।
राज्य में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीति वाम मोर्चा की सरकार ने इन दोनों मांगों को पहले ही खारिज कर दिया है।
राज्य में बंद का मिलाजुला असर दिखा। सरकारी दफ्तरों में उपस्थिति कम रही, जबकि विभिन्न बाजारों में बंद को लेकर कोई खास उत्साह नहीं दिखा।
पुलिस प्रवक्ता उत्तम भौमिक ने संवाददाताओं से कहा, "कुछ जगहों पर दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले रहे, जबकि राजधानी अगरतला समेत त्रिपुरा के अधिकांश भागों में दुकानें बंद रहीं। सरकारी, अर्धसरकारी कार्यालयों और बैंकों में कर्मचारियों की कम उपस्थिति देखी गई।"
उन्होंने कहा कि बंद के मद्देनजर अधिकांश शैक्षणिक संस्थान बंद रहे।
यात्री बसों समेत अधिकांश निजी और सरकारी वाहन सड़कों पर नहीं दिखे।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि महत्वपूर्ण जगहों पर धरना-प्रदर्शन आयोजित करने के लिए राज्य के विभिन्न जगहों से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बिराजित सिन्हा, विधायक गोपाल राय और कांग्रेस नेता पिजुस बिश्वास समेत करीब 500 कांग्रेसियों को गिरफ्तार किया गया।
बंद समर्थकों ने कुछ वाहनों और ऑटो रिक्शों को क्षति पहुंचाई।
पार्टी विधायक गोपाल राय के साथ पूर्व मंत्री सिन्हा ने कहा कि यूसुफ आयोग की रपट में बिमल सिन्हा की हत्या के लिए वाम मोर्चा सरकार, वाम दलों और मुख्यमंत्री को दोषी ठहराया गया है। इसलिए माणिक सरकार को राज्य का मुख्यमंत्री और गृहमंत्री बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति एम.ए. यूसुफ के नेतृत्व में गठित न्यायिक आयोग ने अपनी रपट वर्ष 2000 में सरकार को सौंप दी थी। लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश पर इस साल गत 23 मार्च को उक्त रपट को विधानसभा में पेश किया गया।
उल्लेखनीय है कि प्रतिबंधित त्रिपुरा नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने उत्तरी त्रिपुरा के कमालपुर में पूर्व मंत्री बिमल सिन्हा और उनके भाई की हत्या 31 मार्च, 1998 को की थी। हत्या की जांच के लिए उसी वर्ष न्यायिक आयोग का गठन किया गया था।
हाल में समाप्त हुए बजट सत्र के दौरान हत्या की जांच रपट पर सदन में भारी हंगामा हुआ था।
यूसुफ आयोग की रपट के अनुसार, बिमल सिन्हा की हत्या के लिए न तो राज्य सरकार और न ही पुलिस जिम्मेदार थी।
संवाददाताओं से बातचीत में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सिन्हा ने कहा कि बंद पूर्णत: सफल रहा।
सिन्हा ने कहा, "राज्य भर में लोगों ने स्वत: बंद का पालन किया और अपने नेता और मंत्री की रक्षा नहीं करने के लिए वामपंथी सरकार को दोषी ठहराया।"
कांग्रेस के आरोपों पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य बिजन धर ने कहा, "आरोप बिल्कुल झूठे हैं। अगर उन लोगों के पास कोई सबूत है तो जांच के दौरान मांगे जाने पर उस समय आयोग के समक्ष क्यों नहीं पेश किया?"
धर राज्य माकपा के सचिव भी हैं। उन्होंने कहा कि लोगों ने कांग्रेस प्रायोजित अतार्किक बंद को नकार दिया। अधिकांश दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान आम दिनों की तरह खुले रहे। सरकारी और अर्धसरकारी कार्यालयों में भी उपस्थिति पहले जैसी रही।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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