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गहरी नींद स्मृतियों को सजोने में इस तरह मददगार

न्यूयार्क, 15 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी अनुसंधानकर्ताओं के एक दल ने पहली बार गहरी नींद में स्मृतियों के संजोने की प्रक्रिया का पता लगाने में सफलता हासिल की है।

इससे पहले के शोधों ने काफी दृढ़ता से बताया है कि नींद, जो हमारे जीवन का एक-तिहाई हिस्सा है, सीखने और लंबे समय के लिए स्मृतियों को संजोने के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन यह प्रक्रिया किस तरह घटित होती है, इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।

कैलिफोर्निया रिवरसाइड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस प्रश्न का उत्तर ढूढ़ निकाला है।

नींद के दौरान मनुष्यों और जानवरों का दिमाग सेंसरी इनपुट से अलग हो जाता है। हालांकि इस दौरान दिमाग काफी ज्यादा सक्रिय होता है, क्योंकि दिमाग के हिप्पोकैंपस वाले हिस्से में तेज लहर के रूप में इलेक्ट्रिकल गतिविधियां दिखती है।

इसी प्रकार से स्मृतियों को संजोने की प्रक्रिया किस प्रकार घटित होती है और इसमें दिमाम के कौन-कौन से हिस्से काम करते हैं, शोधदल ने एक मॉडल बनाकर इसके बारे में बताया है।

प्रमुख शोधकर्ता यिना वेई का कहना है, "दिमाग के हिप्पोकैंपस हिस्से में गहरी नींद के दौरान यादें दर्ज होती हैं। इस शोध से हिप्पोकैंपस हिस्से के बारे में विस्तृत जानकारी मिली है।"

यह शोध जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में प्रकाशित हुआ है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी हैं सकारात्मक यादें

    लंदन, 21 अप्रैल (आईएएनएस)। सकारात्मक यादें मानव मस्तिष्क में सकारात्मक भावनाओं को उत्पन्न करने की संभावना बढ़ाती हैं, जो चिंता या अवसाद के उपचारों के लिए कारगर साबित हो सकती हैं। एक नए शोध ने इसकी जानकारी दी है।

    ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपुल के शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को मापने के लिए सोशल ब्रॉड माइंडेड इफेक्टिव कोपिंग (बीएमएसी) तकनीक का उपयोग किया। बीएमएसी एक तकनीकी हस्तक्षेप है, जो सकारात्मक स्मृति की मानसिक कल्पना के माध्यम से सकारात्मक प्रभाव या भावनाओं को प्रकाशित करता है।

    यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपुल से इस शोध के नेतृत्वकर्ता बताते हैं, "बीएमएसी के पास चिंता और अवसाद ग्रस्त प्रतिभागियों के मन को व्यावहारिक और प्रभावी ढंग से अच्छा करने की क्षमता है।"

    निष्कर्षों से पता चला है कि बीएमएसी के बाद प्रतिभागियों में सामाजिक सुरक्षा की भावनाएं, सकारात्मक प्रभाव और सुकून परक जैसे प्रभावों में वृद्धि हुई। वहीं नकारात्मकता और नकारात्मक व्यवहारों में कमी आई।

    इस शोध में 123 प्रतिभागियों का अध्ययन किया गया था।

    यह शोध 'साइकोलॉजी एंड साइकोथैरेपी : थ्योरी, रिसर्च एंड प्रैक्टिस' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • मीडिया की आजादी के मामले में भारत 133वें नंबर पर


    वाशिंगटन, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। भारत में मीडिया लगातार दबाव में है और प्रेस की आजादी से जुड़ी ताजा सूची में 180 देशों में 133वें नंबर पर है। एक अंतर्राष्ट्रीय निगरानी संस्था ने बुधवार को यह जानकारी दी। इसमें आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पत्रकारों पर खतरे को लेकर 'उदासीन' हैं।

    पेरिस स्थित संस्था 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉडर्स' ने दुनिया में मीडिया की आजादी के बारे में यह भी निराशाजनक रिपोर्ट दी है कि सरकारों, विचारधाराओं और निजी क्षेत्र के हितों के दबाव की वजह से स्थिति और खराब हुई है।

    वर्ष 2016 की रिपोर्ट में भारत की चर्चा करते हुए कहा गया है कि पत्रकारों और ब्लॉग लिखने वालों पर हमले किए गए हैं। रिपोर्ट में देश में बढ़ते दक्षिणपंथी चरमपंथ का हवाला दिया गया है।

    यह भी कहा गया है मोदी पत्रकारों पर इन खतरों के प्रति उदासीन हैं और पत्रकारों को इनसे बचाने के लिए कोई तंत्र विकसित नहीं किया गया है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • न्यूयॉर्क प्राइमरी में ट्रंप, हिलेरी की जीत

    न्यूयॉर्क, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। रिपब्लिकन पार्टी में राष्ट्रपति पद के दावेदार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी में दावेदार हिलेरी क्लिंटन ने मंगलवार रात न्यूयॉर्क प्राइमरी में जीत दर्ज की।

    इससे दोनों ने यह संदेश दिया कि वे उम्मीदवारी की दौड़ में मजबूती से डटे हुए हैं।

    ट्रंप की यह अब तक की सबसे बड़ी जीत है। उन्होंने मंगलवार रात अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, "हमें अधिक देर तक प्रतिस्पर्धा नहीं करनी पड़ेगी।"

    'सीएनएन' के मुताबिक, बर्नी सैंडर्स की अप्रत्याशित लोकप्रियता से हिलेरी को खासी दिक्कत हुई थी, लेकिन अब इस सफलता से उन्हें आगे बहुत लाभ मिलेगा।

    'फॉक्स न्यूज' के मुताबिक ट्रंप ने कहा, "टेक्सस के सीनेटर टेड क्रूज इस दौड़ से लगभग बाहर हो गए हैं। हम वास्तव में अच्छा कर रहे हैं।"

    टेड क्रूज के खराब प्रदर्शन की वजह से जुलाई में रिपब्लिकन पार्टी के सम्मेलन से पहले उन्हें दावेदारी के संदर्भ में खासी मुसीबत झेलनी पड़ सकती है।

    ट्रंप ने न्यूयॉर्क में 60 प्रतिशत मत प्राप्त किए, जो किसी भी राज्य में उनकी जीत का सर्वाधिक प्रतिशत है। उन्होंने न्यूयॉर्क के 95 रिपब्लिकन प्रतिनिधियों में से 89 को जीतने का दावा किया है।

    ओहियो के गवर्नर जॉन कासिच 25 प्रतिशत मत के साथ दूसरे स्थान पर रहे, जबकि क्रूज 15 प्रतिशत मत के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

    मंगलवार रात तक ट्रंप को 845 प्रतिनिधियों, क्रूज को 559 और कासिच को 147 प्रतिनिधियों का समर्थन प्राप्त था। रिपब्लिकन प्रत्याशी बनने के लिए 1237 प्रतिनिधियों का समर्थन चाहिए।

    'सीएनएन' के एग्जिट पोल के मुताबिक, ट्रंप रिपब्लिकन मतदाताओं के बीच लोकप्रिय हैं। इन मतदाताओं का मानना है कि अगला राष्ट्रपति मौजूदा सत्ता प्रतिष्ठान से बाहर का होना चाहिए।

    दस रिपब्लिकन मतदाताओं में से नौ से अधिक का कहना है कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की शीर्ष खासियत यह होनी चाहिए कि बात को वह जैसे समझता है, वैसे ही कह दे और यह खासियत ट्रंप में है।

    एग्जिट पोल से पता चलता है कि डेमोक्रेटिक पार्टी में हिलेरी क्लिंटन को जनसांख्यिकीय समूहों का समर्थन मिला है, जिन्होंने बीते चुनावों में भी उनकी मदद की थी।

    हिलेरी 45 और उससे अधिक आयु के 66 प्रतिशत मतदाताओं में लोकप्रिय हैं। सैंडर्स युवा मतदाताओं में अधिक लोकप्रिय हैं। वह 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों में लोकप्रिय हैं।

    हिलेरी अल्पसंख्यकों में एक बार फिर छाप छोड़ने में कामयाब रही हैं। उन्हें अफ्रीकी-अमेरिकी मतदाताओं के 75 प्रतिशत और लैटिन अमेरिकी नागरिकों के 64 प्रतिशत मत मिले हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • पाकिस्तान : पोलियो टीम की सुरक्षा में लगे 7 पुलिसकर्मी मारे गए

    इस्लामाबाद, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। पाकिस्तान के दक्षिणी बंदरगाह शहर कराची में अज्ञात बंदूकधारियोंद्वारा किए गए हमले में पोलियो उन्मूलन टीम की सुरक्षा में तैनात कम से कम सात पुलिसकर्मियों की मौत हो गई।

    समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, उप महानिरीक्षक पुलिस फिरोज शाह ने बताया कि ओरंगी कस्बे में बच्चों का पोलियो टीकाकरण कर रही टीम की सुरक्षा कर रहे पुलिसकर्मी इस हमले की चपेट में आ गए।

    उन्होंने बताया कि हमलावरों ने पहले तीन पुलिसकर्मियों को गोलियों से भूना और उसके बाद उन्होंने पुलिकर्मियों पर अंधाधुन गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें चार अतिरिक्त पुलिसकर्मी मारे गए और तीन अन्य घायल हो गए।

    दो मोटरसाइकिलों पर सवार होकर आए चार आतंकवादियों द्वारा की गई इस गोलीबारी में कोई पोलियोकर्मी हताहत नहीं हुआ है।

    हमलावर हमले के बाद मौके से फरार हो गए, जिसके बाद पुलिस ने इलाके में तलाशी अभियान शुरू किया।

    घायलों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने बताया कि घायलों की हालत गंभीर है।

    तीन दिवसीय पोलियो उन्मूलन अभियान सोमवार से शुरू हुआ, जिसे इस घटना के बाद निलंबित कर दिया गया।

    फिलहाल किसी समूह ने अभी तक इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।

    प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस हमले की निंदा की है और अस्पताल के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा प्रदान की जाए।

    पाकिस्तान और अफगानिस्तान दुनिया के ऐसे दो देश हैं, जहां पोलियो विषाणु अभी तक खत्म नहीं हो सका है।

    पाकिस्तान में आतंवादियों ने पोलियो रोधी अभियान को बुरी तरह प्रभावित किया है। उन्होंने पोलियो टीमों पर हमले किए और इसके खिलाफ धमकी भी दी है।

    एक अनुमान के अनुसार, दिसंबर 2012 के बाद से आतंकवादियों ने 80 पोलियो कर्मियों को मौत के घाट उतार दिया है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • सावधान! अकेलेपन से हो सकता है स्ट्रोक

    न्यूयार्क, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। हम में से कई लोग कई बार अकेलापन महसूस करते हैं। लेकिन लंबे समय तक अकेलापन और सामाजिक रूप से अलग-थलग रहने से दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

    शोधकर्ताओं के एक दल ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि अकेलापन और सामाजिक रूप से अलग-थलग रहने से दिल की बीमारी का खतरा 29 फीसदी और स्ट्रोक का खतरा 32 फीसदी बढ़ जाता है।

    योर्क, लिवरपूल और न्यूकैसल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया, "उच्च आय वाले देशों में स्ट्रोक और दिल की बीमारी को रोकने के लिए अकेलापन और सामाजिक अलगाव पर ध्यान देना चाहिए।"

    शोधकर्ताओं ने ऑनलाइन जर्नल हर्ट में प्रकाशित पत्र में कहा है, "लेकिन सबसे चुनौती यह है कि लोगों में सामाजिकता को किस प्रकार बढ़ावा दिया जाए।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • सम, विषम लिंगी अभिभावकों के साथ पले बच्चों में अंतर नहीं

    न्यूयार्क, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। मीडिया में आई एक रपट से यह जानकारी मिली है कि भिन्न लिंग वाले अभिभावकों के साथ पलने वाले बच्चों की भांति ही समान लिंग वाले अभिभावकों के साथ पलने वाले बच्चों के स्वास्थ्य और पारिवारिक संबंधों में कोई अंतर नहीं होता।

    वेबसाइट 'मिक डॉट कॉम' की रपट के अनुसार, शोधकर्ताओं ने पाया है कि पति या पत्नी या साथी के संबंधों, माता-पिता और बच्चे के रिश्ते, बच्चों के सामान्य स्वास्थ्य, भावनात्मक कठिनाइयों, व्यवहार के संदर्भ में भिन्न लिंग वाले अभिभावकों के घरों और समान लिंग वाले अभिभावकों के घरों में कोई अंतर नहीं होता।

    अमेरिका के विलियम्स इंस्टीट्यूट के लेखक हैनी बॉस ने कहा, "यह पहला ऐसा शोध है, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर किए गए सर्वेक्षण का उपयोग किया गया है। इसमें उन दो प्रकार के घरों की तुलना की गई, जिनमें सतत संबंध रखने वाले अभिभावक रहते हैं।"

    इस अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने शिक्षा, स्थान के तर्ज पर 95 भिन्न लिंग वाले और 95 समान लिंग वाले अभिभावकों के परिवारों का विश्लेषण किया है।

    इस शोध के परिणामों से इन दोनों घरों में पलने वाले बच्चों में किसी भी प्रकार का कोई अंतर नजर नहीं आया है।

    सह-लेखिका नानेथे गाट्रेल ने कहा, "हालांकि, इस शोध में यह भी पाया गया है कि भिन्न लिंग वाले अभिभावकों की तुलना में समान लिंग वाले अभिभावक अधिक तनावग्रस्त होते हैं, लेकिन यह समान लिंग वाले अभिभावकों के घरों में पलने वाले बच्चों के प्रति सांस्कृतिक नजरिए का परिणाम भी हो सकता है।"

    गाट्रेल ने कहा, "हमारे पूर्व के शोधों में यह सामने आया है कि लेस्बियन माताओं को उनके यौन अभिविन्यास की वजह से बच्चों के लालन-पालन की उनकी गुणवत्ता को साबित करने में काफी अधिक दबाव महसूस होता है।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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