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पंचायत का फरमान, कफन के बदले पैसे दो

रायपुर, 17 अप्रैल (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में ग्राम पंचायत दर्रा ने एक अनोखी पहल की है। यहां के सभी समाजों के लोगों ने बैठक कर एक ऐसा निर्णय लिए है जो सभी गांवों के लिए अनुकरणीय हो सकता है। गांव में किसी की मौत होने पर गांव वाले अब शव पर कफन डालने के बजाय परिजन को नकद राशि देंगे।

पंचायत ने विवाह-भोज व मृत्यु-भोज में प्लास्टिक की प्लेट-गिलास के उपयोग पर भी पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। इसके पीछे ग्रामीणों की सोच गांव को स्वच्छ रखना है।

पंचायत के निर्णय में सभी ग्रामीणों की सहमति है। ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष भीष्म शांडिल्य, संरक्षक गजानंद साहू, सिन्हा समाज के प्रमुख झुमुकलाल सिन्हा, सरपंच प्रतिनिधि देवानंद साहू, आदिवासी समाज के जितेंद्र यादव आदि ने बताया कि पैसे की बर्बादी रोकने के लिए ये फैसले लिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि लोग किसी के अंतिम संस्कार में जाते हैं तो 20-30 रुपये का कफन ले जाते हैं और वहां उसे जला दिया जाता है। यानी कुछ ही देर में लगभग हजार रुपये स्वाहा हो जाते हैं। इसका कोई औचित्य नहीं है। इसलिए तय किया गया है कि लोग पैसे ही दे दें। एकत्र हुए पैसे का एक ही कफन खरीदा जाए और बाकी रकम पीड़ित परिजन को दे दी जाए, जो उनके काम आ सकें।

ग्राम दर्रा के निवासियों की पहल अन्य गांव के लोगों के लिए बेहद सार्थक साबित हो सकती है।

किसी की मृत्यु पर उसके शव के ऊपर कफन डालने के बाद उसे जला दिया जाता है। इससे सिवाय नुकसान के कुछ नहीं होता। इसे देखते हुए ग्रामीणों ने निर्णय लिया है कि यहां किसी के घर में मृत्यु होने पर उसके शव पर कफन न डालकर उसके घर वाले को दस या बीस रुपये नगद प्रत्येक घर से दिया जाएगा, ताकि मृतक व्यक्ति के घर वालों को आर्थिक मदद मिल सके।

दर्रा में इस संबंध में शनिवार को बैठक हुई। इसमें यह भी निर्णय लिया गया कि यदि किसी के घर शादी होती है तो विदाई में घरवालों से कोई कपड़ा नहीं लेंगे। इसी प्रकार शादी या मरनी के काम में यदि सामूहिक भोज कराया जाता है तो सभी आमंत्रित लोग अपने-अपने घर से पानी पीने के लिए गिलास ले जाएंगे। यहां प्लास्टिक की डिस्पोजल थाली, कप एवं गिलास के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है।

ग्रामीणों का कहना है कि डिस्पोजल, कटोरी आदि कार्यक्रम के बाद यहां वहां बिखरे पड़े रहते हैं, जिससे गंदगी फैलती है। ऐसा करने पर गंदगी से बचा जा सकेगा।

ग्रामीणों का मानना है कि दर्रा पंचायत के फैसले से कई गांवों के लोगों को नई सीख मिलेगी। साथ ही मृतक के परिवार को थोड़ी बहुत आर्थिक मदद मिल जाएगी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • उप्र : डीजीपी ऑफिस ने अमिताभ को 9 किलो अभिलेख सौंपे
    लखनऊ, 20 अप्रैल (आईएएनएस/आईपीएन)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के आदेश के क्रम में डीजीपी ऑफिस ने बुधवार को आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को उनके विभागीय कार्यवाही से जुड़े नौ किलो अभिलेख प्रदान किए।

    उच्च न्यायालय ने 13 जनवरी 2016 को प्रदेश सरकार को चार सप्ताह में अभिलेख देने को कहा था पर उसने इसका पालन करने की जगह सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर किया जो 14 मार्च को पहली सुनवाई के दिन ही खारिज हो गया। इसके बाद अमिताभ ने अवमानना याचिका दायर किया जिसमें न्यायालय ने प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पांडा को नोटिस जारी किया।

    इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने अमिताभ को अभिलेख देने का निर्णय किया और आज डीजीपी ऑफिस ने उनके निवास पर ये अभिलेख पहुंचाये हैं, यद्यपि गृह विभाग के अभिलेख अभी उन्हें नहीं दिए गए हैं। अमिताभ के खिलाफ उच्च न्यायालय के आदेश से 13 जनवरी से जांच रुकी हुई है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • जीका से जूझ रहे वेनेजुएला को चिकित्सा आपूर्ति भेजेगा चीन
    बीजिंग, 20 अप्रैल (आईएएनएस/सिन्हुआ)। चीन जीका संक्रमण से जूझ रहे वेनेजुएला को मानवीय मदद के रूप में चिकित्सा संबंधी मदद करेगा। वाणिज्य मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी।

    वेनेजुएला में जीका का प्रकोप साल की शुरुआत से लेकर अब तक बद्तर हुआ है और दक्षिण अमेरिकी देश में चिकित्सा संबंधी आपूर्ति की कमी से हालात और खराब हुए हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • आतंकवाद ने पर्यटकों को ट्यूलिप महोत्सव से दूर किया
    इस्तांबुल, 20 अप्रैल (आईएएनएस/सिन्हुआ)। तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में इन दिनों ट्यूलिप महोत्सव चल रहा है। मध्य इस्तांबुल में स्थित ऐतिहासिक सुल्तानअहमत चौक के बगीचों में खिले 5,63000 ट्यूलिप मुस्करा कर पर्यटकों का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन शहर में हालिया आतंकवादी घटनाओं की वजह से इन्हें पर्यटकों की बेरुखी का सामना करना पड़ रहा है।

    सामान्यत: हर साल अप्रैल में आयोजित होने वाला ट्यूलिप महोत्सव तुर्की और इस्तांबुल के नागरिकों के लिए कमाई का मुख्य जरिया होता है, लेकिन हालिया आतंकवादी घटनाओं ने इनकी कमाई को भी प्रभावित किया है।

    स्थानीय लोग इस महोत्सव के दौरान पर्यटन से अच्छा मुनाफा कमाते हैं, लेकिन इन दिनों यहां बहुत कम पर्यटक आ रहे हैं।

    एक स्थानीय निवासी ने अपना दुख प्रकट करते हुए कहा, "पुराने दिन अच्छे थे। यहां पर्यटकों की भारी भीड़ जुटती थी, लेकिन अब यहां कुछ ही पर्यटक नजर आ रहे हैं।

    ट्यूलिप महोत्सव के दौरान बगीचों में हर रंग के फूल खिलते हैं। इन्हें देखने के लिए हर साल दुनिया भर के पर्यटक आते हैं।

    70 वर्षीय कुपेली ने पिछले 50 सालों तक केवल पर्यटन से होने वाली कमाई से पांच लोगों के परिवार को पाला था, लेकिन हालिया आतंकवादी घटनाओं ने उनकी कमाई को 80 से 90 प्रतिशत तक कम कर दिया है।

    इस साल जनवरी में इस्लामिक स्टेट (अईएस) के एक आत्मघाती हमलावर ने सुल्तानअहमत चौक पर खुद को उड़ा लिया था, जिसमें 12 जर्मन पर्यटकों की मौत हो गई थी।

    इसके बाद मार्च में इस्तिकलाल स्ट्रीट पर हुए एक और बम विस्फोट ने चार विदेशी पर्यटकों की जान ले ली थी।

    इस साल के ट्यूलिप महोत्सव को लेकर हालांकि सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, लेकिन हाल ही में हुई इन आतंकवादी घटनाओं की वजह से ट्यूलिप महोत्सव को पर्यटकों की बेरुखी झेलनी पड़ रही है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • पेरिस समझौते पर हुए हस्ताक्षर को मंजूरी
    नई दिल्ली, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर को मंजूरी दे दी। जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता वैश्विक जलवायु सहयोग में एक मील का पत्थर है।

    पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री प्रकाश जावड़ेकर 22 अप्रैल, 2016 को संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून द्वारा बुलाए गए एक उच्चस्तरीय हस्ताक्षर समारोह में भारत की तरफ से इस समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे।

    पेरिस समझौता विकासशील देशों की विकास की अनिवार्यताओं को स्वीकार करता है। यह समझौता विकास के लिए विकासशील देशों के विकास के अधिकारों तथा पर्यावरण संरक्षण के साथ विकास को मान्यता देता है।

    यह समझौता सम्मेलन के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करता है लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और क्षमता के सिद्धांतों को दशार्ता है।

    समझौते का उद्देश्य यह सुनिश्चित करता है कि यह समन केन्द्रित नहीं है और इसमें अन्य महत्वपूर्ण तत्व जैसे अनुकूलनता, नुकसान और क्षति, वित्त, प्रौद्योगिकी, क्षमता निर्माण और पारदर्शिता तथा सहयोग शामिल है।

    भारत ने सम्मेलन के दौरान सिद्धांतों और प्रावधानों के आधार पर एक मजबूत और टिकाऊ जलवायु समझौते की वकालत की थी। पेरिस समझौता भारत की सभी महत्वपूर्ण चिंताओं और उम्मीदों का समाधान करता है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • आईआईटी दिल्ली में ओपन हाउस का 12वां संस्करण 23 अप्रैल को
    नई दिल्ली, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने घोषणा की है कि परिसर में ओपन हाउस के 12वें संस्करण का आयोजन किया जाएगा।

    इस संस्करण का आयोजन 23 अप्रैल को होगा।

    आईआईटी दिल्ली ने मंगलवार को घोषणा की कि इस समारोह में 4,000 से अधिक स्कूली बच्चे हिस्सा ले सकते हैं, और 500 से अधिक शोध परियोजनाएं और 80 डेमो परियोजनाएं पेश की जाएंगी।

    'हिप प्रोटेक्टिव डिवाइस', 'लिक्वीफाइड पेट्रोलियम गैस सिलेंडर कैप रिमूवर', 'एनवायरमेंट फ्रेंडली बायो फर्टिलाइजर', 'डायग्राम बुक्स फॉर ब्लाइंड स्टूडेंट' सहित करीब 20 नवीन परियोजनाओं को दिल्ली में आयोजित होने वाले ओपन हाउस में दिखाया जाएगा।

    संस्थान के निदेशक पद पर चार दिन पहले नियुक्त हुए वी. रामगोपाल राव ने कहा, "आईआईटी ओपन हाउस में उच्च सामाजिक प्रभाव वाले उत्पादों या प्रौद्योगिकी वाली परियोजनाओं की पहचान की जाएगी।"

    राव ने आगे कहा, "हम समाज से और भी बेहतर तरीके से जुड़ने की कोश्शि करेंगे और हमें इसके लिए सामाजिक प्रासंगिकता और प्रौद्योगिकियों पर काम करने की आवश्यकता है। हम कृषि और स्वास्थ्य संस्थानों के साथ जुड़ने जा रहे हैं और सामाजिक लाभ की पेशकश करने वाले बहु अनुशासनिक परियोजनाओं पर काम करना चाहेंगे।"

    इस ओपन हाउस में प्रोफेसर जॉबी जोसेफ द्वारा थ्रीडी विजन और होलोग्राम के सत्र भी शामिल होंगे।

    आईआईटी में आयोजित 12वें ओपन हाउस में विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली परियोजनाओं की प्रदर्शनी सुबह 10 बजे से दो बजे तक जनता के लिए नि:शुल्क खुली हैं, जबकि प्रयोगशालाएं शाम चार बजे तक खुली रहेंगी।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • वनरोपण विधेयक में संशोधन को मंजूरी
    नई दिल्ली, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंडिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में प्रतिपूरक वनरोपण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण विधेयक, 2015 (सीएएमपीए) में आधिकारिक संशोधन को मंजूरी दे दी गई।

    सीएएमपीए विधेयक देश में वनरोपण गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है। इसके तहत वन भूमि के उपयोग बदलने से पिछले कई सालों में मुआवजे के तौर पर इकट्ठा किए गए 350 अरब रुपये का विनिमय और प्रबंधन किया जाएगा।

    सरकार ने एक बयान में कहा कि यह कानून खर्च नहीं किए गए इन रुपयों का कुशल और पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित करेगा। यह धन फिलहाल बैंकों में जमा है, जिससे सालाना 6,000 करोड़ रुपये का ब्याज आता है।

    सरकार ने कहा, "इस रकम से वनीकरण करवाया जाएगा, जिससे ग्रामीण इलाकों में काफी रोजगार पैदा होंगे, खासतौर से पिछड़े आदिवासी इलाकों को इसका फायदा होगा।"

    नरेंद्र मोदी सरकार ने अप्रैल, 2015 में इस विधेयक को लोकसभा में पारित किया था, लेकिन राज्यसभा ने इसे खारिज कर दिया, क्योंकि वहां सत्ताधारी दल को बहुमत नहीं है।

    इस विधेयक में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेड़कर की एक रपट भी संलग्न है, जिसमें उन्होंने पेरिस जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के बाद इसे भारत द्वारा की गई पहल बताया है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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