JS NewsPlus - шаблон joomla Продвижение

आंध्र प्रदेश में महिला से दुर्व्यवहार के लिए मंत्री के बेटे को नोटिस

हैदराबाद, 5 मार्च (आईएएनएस)। हैदराबाद पुलिस ने शनिवार को प्रदेश के एक मंत्री के बेटे को महिला से कथित तौर पर दुर्व्यवहार को लेकर नोटिस जारी किया है।

आंध्र प्रदेश के समाजिक कल्याण मंत्री रावेला किशोर बाबू के बेटे रावेला सुशील को बंजारा हिल्स पुलिस थाने के पुलिस निरीक्षक ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी किया है।

सुशील से पुलिस अधिकारी के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है, क्योंकि एक महिला ने उनके खिलाफ दुर्व्यवहार का मामला दर्ज कराया है।

इस मामले में सुशील के ड्राइवर एम.अप्पा राव के खिलाफ भी शुक्रवार को मामला दर्ज कराया गया है।

यह घटना गुरुवार को बंजारा हिल्स के पड़ोस में उस वक्त घटी, जब गाड़ी में बैठे सुशील ने एक महिला का पीछा किया, उसका हाथ पकड़ा और उसे गाड़ी के अंदर खींचने का प्रयास किया।

महिला ने कहा कि ड्राइवर ने भद्दी-भद्दी टिप्पणियां कीं और दोनों ने उसे कार में बैठने के लिए कहा।

महिला द्वारा मदद मांगने पर स्थानीय लोगों ने दोनों को पकड़ लिया। बाद में दोनों को पुलिस थाने लाया गया।

शिकायत पर पुलिस ने केवल ड्राइवर अप्पा राव के खिलाफ एक मामला दर्ज किया और सुशील को जाने दिया।

इसके बाद कुछ टेलीविजन चैनलों ने शुक्रवार को यह खबर दिखाई और बताया कि मामले में मंत्री के बेटे का नाम दर्ज नहीं है।

वहीं, ड्राइवर अप्पा राव ने भी भीड़ के खिलाफ एक मामला दर्ज कराया और उसपर अपने मालिक पर हमला करने का आरोप लगाया।

इस बीच, महिला संगठनों ने सुशील की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। बंजारा हिल्स प्रमंडल की पार्षद विजयलक्ष्मी ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की और मंत्री के बेटे के खिलाफ मुकदमा कर उसे गिरफ्तार करने की मांग की।

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की नेता विजयलक्ष्मी ने कहा कि यदि तत्काल कोई कार्रवाई न की गई, तो महिलाएं व्यापक आंदोलन करेंगी।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

Related items

  • ईपीएफ से निकासी पर कर का प्रस्ताव वापस (लीड-1)
    नई दिल्ली, 8 मार्च (आईएएनएस)। भारी विरोध के बाद केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को ईपीएफ संबंधी बजट प्रस्ताव वापस ले लिया, जिसमें एक अप्रैल 2016 के बाद किए गए योगदान से बनने वाले कोष की निकासी के 60 फीसदी हिस्से पर किसी एन्युइटी कोष में निवेश न करने की स्थिति में कर लगाए जाने का प्रस्ताव रखा गया था।

    जेटली ने लोकसभा में दिए गए बयान में कर्मचारी द्वारा किसी मान्यताप्राप्त भविष्य निधि या सुपरएन्युएटिंग कोष में कर छूट के लिए अधिकतम 1,50,000 रुपये योगदान की सीमा तय करने का प्रस्ताव भी वापस ले लिया।

    वित्तमंत्री ने हालांकि कहा कि राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में 40 फीसदी कर छूट का प्रस्ताव हालांकि कायम है।

    इस कदम का लाभ कर्मचारी भविष्य निधि कोष (ईपीएफ) के करीब 45 लाख सदस्यों को मिलेगा, जिनकी मासिक आय 15,000 रुपये से अधिक है। ईपीएफ के शेष 3.26 करोड़ सदस्यों की आय 15,000 रुपये मासिक से कम है, जो जेटली के बजट प्रस्ताव के दायरे में नहीं आ रहे थे।

    माना जा रहा है कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर लिया गया था।

    जेटली ने कहा, "प्रस्तावित सुधार का मकसद निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को इस बात के लिए प्रेरित करना था कि वे सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन सुरक्षा अपनाएं, न कि पूरी राशि भविष्य निधि खाते से निकाल लें।"

    उन्होंने कहा कि प्रस्ताव के तहत 40 फीसदी निकासी को करमुक्त रखा जाना था और उम्मीद की जा रही थी कि शेष 60 फीसदी को नियमित पेंशन के लिए अन्युइटी कोष में जमा किया जाएगा। लेकिन यदि उसे एन्युइटी कोष में जमा नहीं किया जाता तो निकासी के 60 फीसदी हिस्से पर पर कर लगता।

    जेटली ने लोकसभा में कहा, "सांसदों सहित समाज के विभिन्न वर्गो के प्रतिनिधियों ने सरकार को सुझाव दिया है कि इस प्रावधान के कारण आम आदमी न चाहते हुए भी एन्युइटी उत्पादों में निवेश करने के लिए बाध्य होंगे।"

    उन्होंने कहा, "सुझावों को देखते हुए सरकार इस प्रस्ताव की व्यापक समीक्षा करेगी। इसलिए मैं बजट भाषण के 138वें और 139वें अनुच्छेद में रखे गए प्रस्ताव को वापस लेता हूं।"

    बजट भाषण के 138वें अनुच्छेद में कहा गया है, "सुपरएन्युएशन कोषों और ईपीएफ सहित मान्यताप्राप्त भविष्य निधि कोषों के मामले में एक अप्रैल 2016 के बाद किए गए योगदान से निर्मित कोष के 40 फीसदी हिस्से को कर मुक्त रखे जाने का वही प्रावधान लागू होगा।"

    अनुच्छेद 139 में कहा गया है, "साथ ही, पेंशनभोगी की मृत्यु के बाद उसके कानूनी वारिश को मिलने वाले कोष पर सभी तीन मामलों में कर नहीं लगेगा। इसके साथ ही, हम मान्यताप्राप्त भविष्य निधि और सुपरएन्युएशन कोष में कर लाभ के लिए कर्मचारियों के योगदान की सालाना मौद्रिक सीमा 1.5 लाख रुपये रखने का भी प्रस्ताव रखते हैं।"

    ईपीएफ एक सामाजिक सुरक्षा योजना है और 20 से अधिक कर्मचारी वाली कंपनियों के लिए इस कोष से जुड़ना अनिवार्य है।

    उल्लेखनीय है कि भविष निधि कोष एक निश्चित दर से ब्याज मिलती है, लेकिन पेंशन कोश से मिलने वाला रिटर्न बदलता रहता है, क्योंकि पेंशन कोष में आपके कोष का 50 फीसदी तक हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जा सकता है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • पणजी निगम चुनाव में भाजपा समर्थित पैनल की हार
    पणजी, 8 मार्च (आईएएनएस)। पणजी नगर निगम चुनाव में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों की करारी हार हुई है। यहां से रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं। कांग्रेस समर्थित पैनल का तो यहां खाता भी नहीं खुला।

    पर्रिकर के धुआंधार प्रचार और पार्टी की ओर से पूरी ताकत झोंकने के बावजूद निगम चुनाव में भाजपा समर्थित सिर्फ 13 उम्मीदवार ही जीत सके। एक असंबद्ध विधायक अतानेसियो मोनसेर्रेट के पैनल से 17 उम्मीदवार जीतने में सफल रहे। इस चुनाव में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल सका।

    राज्य के इकलौते 30 सदस्यीय निगम चुनाव में अपने पैनल की जीत की घोषणा के बाद संवाददाता सम्मेलन में अतानेसियो ने कहा कि नए महापौर के नाम की घोषणा जल्द की जाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इस चुनाव में हम लोगों को हराने के लिए भाजपा की 'बी' टीम की भूमिका निभाई। "

    उधर, पार्टी की हार को नजरअंदाज करते हुए पणजी से भाजपा विधायक सिद्धार्थ कुंकोलिएंकर ने कहा कि हालांकि उनकी पार्टी हार गई है, लेकिन पिछले निगम चुनाव की तुलना में इस बार एक सीट अधिक मिली है।

    छह मार्च को निगम चुनाव में अपना मत डालने के बाद पर्रिकर ने कहा था कि देश के रक्षा मंत्री होने के बावजूद उन्होंने पार्टी समर्थित उम्मीदवारों के लिए निगम चुनाव में भी प्रचार किया।

    उन्होंने कहा था, "चुनाव प्रचार सिर्फ शारीरिक रूप से उपस्थित होकर ही नहीं होता है। मैंने अपना प्रचार अपने समर्थकों, स्थानीय विधायक और फोन के जरिए किया है।"

    2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में पणजी नगर निगम चुनाव अंतिम बड़ा चुनाव था।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • मप्र के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में 10 साल से प्राचार्य नहीं
    भोपाल, 8 मार्च (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में तकनीकी शिक्षा का हाल यही बात बयां कर देती है कि यहां के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में बीते 10 वर्षो से पूर्णकालिक प्राचार्य ही नहीं है, यही कारण है कि राज्य के तकनीकी शिक्षा के संचालनालय को संचालक नहीं मिल पाया है।

    विधानसभा में मंगलवार को उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कांग्रेस विधायक तरुण भनोट के सवाल के जवाब में माना है कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में पूर्णकालिक प्राचार्य नहीं है।

    कांग्रेस विधायक भनोट ने बीते 10 वर्षो से तकनीकी शिक्षा विभाग को पूर्णकालिक संचालक न मिलने का मामला उठाया। इस पर तकनीकी शिक्षा मंत्री गुप्ता ने बताया कि राज्य के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में एक भी पूर्णकालिक प्राचार्य नहीं है और संचालक के पद पर प्राचार्य की ही नियुक्ति का प्रावधान है, इस वजह से पूर्णकालिक संचालक की पदस्थापना नहीं हो पाई है।

    कांग्रेस विधायक भनोट ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य की तकनीकी शिक्षा की यह स्थिति चिंताजनक है कि सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज को 10 वर्षो से पूर्णकालिक प्राचार्य नहीं मिल सका है। संचालक के पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को बैठा दिया जाता है।

    इस दौरान कांग्रेस विधायक मुकेश नायक ने तकनीकी शिक्षा विभाग के शैक्षणिक कैलेंडर को लेकर भी सवाल उठाया। इस पर तकनीकी शिक्षा मंत्री गुप्ता का कहना था कि विभाग में नियम सम्मत कार्य होते हैं। गड़बड़ी तो कांग्रेस के काल में होती है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • महिलाओं के विकास के लिए केंद्र के प्रयास अटल : मोदी
    नई दिल्ली, 8 मार्च (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि महिलाओं के विकास के लिए उनकी सरकार के प्रयास दृढ़ हैं।

    मोदी ने इस बारे में कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सभी महिलाओं की योग्यता को सलाम करता हूं और उनके द्वारा हमारे समाज में अपरिहार्य योगदान के लिए आभार जताता हूं। 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' से लेकर बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधा तक, हमारी सरकार के महिलाओं के नेतृत्व में विकास के प्रयास अटल हैं।"

    प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत के विकास में नारी शक्ति को योगदान देने में हमारे वित्तीय समावेशन के प्रयास, कौशल विकास के लिए की गई पहल और मुद्रा बैंक योगदान करेंगे। "

    पूरी दुनिया में आठ मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • उप्र : बड़े भाई ने की छोटे की हत्या
    बांदा, 8 मार्च (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में बांदा जिले की देहात कोतवाली क्षेत्र के मवई गांव में सोमवार की देर शाम बेची गई जमीन के रुपये बंटवारे को लेकर हुए मामूली विवाद में नशेड़ी बड़े भाई ने अपने ही छोटे भाई की गोली मारकर हत्या कर दी। यह जानकारी मंगलवार को बांदा के अपर पुलिस अधीक्षक ने दी।

    अपर पुलिस अधीक्षक आशुतोष शुक्ल ने बताया कि मवई तालाब के पास सोमवार की देर शाम सुरेश (22) की उसके ही बड़े भाई दिनेश ने तमंचे से गोली मारकर हत्या कर दी और फरार हो गया। इस मामले में दिनेश के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

    अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि प्रथम ²ष्टया पिता द्वारा बेची गई जमीन की रकम बंटवारे में विवाद की वजह हत्या किया जाना सामने आया है। पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया गया है और आरोपी की गिरफ्तारी के लिए दविश दी जा रही है।

    मृतक की मां कल्ली ने बताया कि घटना से पहले छोटा बेटा सुरेश रुपये के बंटवारे को लेकर विवाद कर रहा था, तभी बड़ा बेटा दिनेश शराब के नशे में घर आ गया और विवाद बढ़ने पर दौड़ा कर उसे तमंचे से गोली मार दी।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • महिला अपनी जिम्मेदारी समझती हैं, समाज भी समझे: डॉ. अमृता पटेल (महिला दिवस पर विशेष)
    रीतू तोमर
    नई दिल्ली, 8 मार्च (आईएएनएस)। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कुछ दिन पहले राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की पूर्व अध्यक्ष और फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी (एफईएस) की अध्यक्ष डॉ. अमृता पटेल की तारीफ में कहा था कि वह महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल हैं लेकिन खुद पटेल मानती हैं कि देश में अभी महिलाओं को आगे लाने के लिए जमीनी स्तर पर काफी कुछ किया जाना बाकी है।

    डेयरी उद्योग क्षेत्र में अपने अनुकरणीय योगदान के लिए देश के तीसरे सबसे बड़ा नागरिक अलंकरण-पद्म भूषण से सम्मानित पटेल कहती हैं कि आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मात्र एक औपचारिकता बनकर रह गया है। साल में सिर्फ एक दिन महिलाओं और उनके योगदान को याद किया जाता है। पटेल यह भी मानती हैं कि महिलाओं को सिर्फ विशेष दर्जा या आरक्षण देकर सशक्तिकरण की बातें नहीं हो सकती। जब तक कि उन्हें समाज में ही नहीं बल्कि परिवार में भी स्वयं से जुड़े फैसले लेने का अधिकार नहीं दिया जाएगा, इस तरह की बातें बेमानी रहेंगी।

    डॉ. पटेल ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा कि इन दिनों महिलाओं को खूब काफी प्रोत्साहित किया जा रहा है लेकिन उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए जमीनी स्तर पर कुछ ठोस नहीं हुआ है।

    पटेल ने कहा, "महिलाओं के विकास की कुछ बातें कागजी ही रह गई हैं। अभी भी गावों में महिलाएं एनीमिया की समस्या से ग्रसित हैं। कन्या भ्रूण हत्या, लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखना, बाल विवाह, किशोरावस्था में गर्भावस्था, प्रसव के दौरान मृत्यु, यौन शोषण, घरेलू हिंसा, लैंगिक असमानता में कितनी कमी आई है। इन सब बातों को लेकर कोई भी आंकड़ें उठाकर देख लें, सच्चाई सामने आ जाएगी।"

    पटेल कहती हैं कि महिलाओं के स्वास्थ्य और शिक्षा को प्राथमिकता देनी पड़ेगी। यदि एक महिला ही अस्वस्थ और असहज है, तो उसका प्रभाव पूरे परिवार पर पड़ेगा। और अगर एक महिला स्वस्थ और शिक्षित है तो उसका सकारात्मक असर परिवार पर दिखेगा।

    उन्होंने कहा, "एक बात समझने की जरूरत है कि महिलाएं और पुरुष समान नहीं है और समान हो भी नहीं सकते। महिला होना ही अपने आप में एक जिम्मेदारी है। महिलाओं में एक साथ एक ही समय पर तमाम तरह की चीजों को प्रबंधित करने की क्षमता है जो पुरुषों के बस के बाहर है।"

    तो क्या महिलाओं को सशक्त करने के लिए उन्हें आरक्षण या विशेष दर्जे की जरूरत है? इस पर पटेल ने कहा, "इसकी कोई जरूरत नहीं है। महिलाओं को पुरुषों की तरह फैसला लेने का अधिकार देना होगा। उन्हें खुद से जुड़े फैसलों पर राय रखने और फैसला लेने की स्वतंत्रता देनी होगी। आरक्षण से सिर्फ आप समाज में महिलाओं की स्थिति को बढ़ावा दे सकते हैं लेकिन यदि परिवार में ही महिलाओं को फैसले लेने का अधिकार नहीं है तो महिला सशक्तिकरण और महिला दिवस की बातें बेमानी है।"

    पटेल मानती हैं कि महिलाओं को आरक्षण के लॉलीपॉप की जरूरत नहीं बल्कि उन्हें काबिल बनाने की जरूरत है। बकौल पटेल, "हमें उन्हे किसी तरह का लॉलीपॉप नहीं देना है बल्कि उन्हें इस लायक बनाना है कि इसकी जरूरत ही नहीं पड़े। गांवों के पंचायती चुनावों में महिलाओं को आरक्षण दिया गया है लेकिन जो महिलाएं चुनाव में जीतती हैं, वे किसी न किसी क्षेत्रीय नेता की पत्नी या उसके परिवार की सदस्या होती हैं जो एक रबर स्टैम्प बनकर रह जाती हैं। सभी फैसले पुरुष करता है तो इस आरक्षण या सशक्तिरण का क्या लाभ? "

    डॉ. पटेल ने कहा कि विकास की सही दिशा के लिए शहरी और ग्रामीण महिलाओं के बीच की खाई को भी पाटने की जरूरत है। वह कहती हैं, "शहर और गांवों में ही महिलाओं की स्थिति एक-दूसरे से काफी भिन्न है। शहर की एक शिक्षित महिला स्वतंत्र और आत्मनिर्भर है। घर के साथ-साथ कामकाजी भी है और स्वयं से जुड़े फैसले बड़ी आसानी से लेती है। शहर की शिक्षित महिला ग्रामीण इलाकों में जाना पसंद नहीं करती है। मेरा मानना है कि शहर की हर शिक्षित महिला को अपने जीवन में एक बार ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर ग्रामीण महिलाओं की स्थिति में सुधार करने की जरूरत है।"

    खुद एक सशक्त महिला होकर भी पटेल महिला दिवस को महज एक औपचारिकता मानती हैं। वह कहती हैं कि यह साल के 365 दिनों में से एक दिन ही है, जिसे मात्र महिलाओं की 'तुष्टिकरण' के लिए मनाया जा रहा है। पटेल ने कहा, " ऐसा करने से आजतक कोई लाभ नहीं हुआ और तब तक नहीं होगा जब तक महिलाओं को हम एक घरेलू औरत की तरह देखते रहेंगे क्योंकि महिला होना ही अपने आप में एक जिम्मेदारी है, जिसे समाज नहीं समझ पा रहा है।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

खरी बात

आधी दुनिया

हां, मैं नारी हूं! कौन कहता है अबला हूं..

प्रभुनाथ शुक्ल आधुनिक भारतीय समाज में स्त्रियों की सुरक्षा अधिक चिंता और बहस का केंद्रबिंदु बन गया है। यह सवाल संसद से लेकर सड़क तक तैर रहा है। नारी मर्यादा...

जीवनशैली

कम उम्र में सेक्स के लिए उकसा सकता है रैप म्यूजिक!

न्यूयार्क, 1 मार्च (आईएएनएस)। शोधकर्ताओं ने चेताया है कि बार-बार रैप म्यूजिक सुनने वाले किशोर-किशोरियां जल्दी सेक्स की शुरुआत कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि दूसरी तरह के संगीत की...