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नींबू से पाएं मुहांसों से छुटकारा

नई दिल्ली, 29 फरवरी (आईएएनएस)। अगर आप मुहांसों की समस्या से परेशान हैं तो इससे छुटकारा पाने के लिए नींबू बेहद कारगर है। यह कहना है त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ आकृति मेहरा का।

डॉ मेहरा ने नींबू के रस के इस्तेमाल से मुहांसों को दूर करने के लिए कुछ टिप्स दिए हैं।

नींबू का रस : एक कटोरी में नींबू का रस लें। उसमें रूई का फोहा डुबोकर अतिरक्त रस निचोड़ लें और इसे मुहांसों से प्रभावित स्थान पर लगाएं। इसे त्वचा पर 10 मिनट लगा रहने दें। उसके बाद इसे पानी से धो लें और साफ तौलिए से थपथपा कर पोछें। इस प्रक्रिया को हर रोज दिन में दो बार दोहराएं।

नींबू का रस और शहद : एक कटोरी में नींबू का रस और शहद लें और अच्छी तरह मिलाएं। इस मिश्रण को मुहांसों से प्रभावित स्थान पर लगाएं और पांच मिनट के लिए छोड़ दें। उसके बाद पानी से साफ करके तौलिए से थपथपा कर पोंछें। इस उपचार को दिन में एक बार करें।

नींबू और अंडे का सफेद भाग : एक अंडा लें और उसका सफेद हिस्सा अलग कर लें। इसमें दो चम्मच नींबू का रस मिलाएं और अच्छी तरह फेंटें।

इस मिश्रण को तीन हिस्सों में बांटें। पहले भाग को त्वचा पर लगाएं और पांच से सात मिनट ऐसे ही रहने दें। उसके बाद दूसरा भाग उसके ऊपर लगाएं। पांच से सात मिनट के बाद त्वचा पर तीसरे हिस्से की परत लगाएं। पांच से सात मिनट के बाद इस हिस्से को गर्म पानी से धो लें और त्वचा को थपथपा कर पोंछें। इस उपचार को हर रोज करें।

नींबू और चना : एक कटोरी में चने का पाउडर लें और उसमें नींबू का रस मिलाएं। इन्हें अच्छी तरह मिला कर पेस्ट बना लें। इसे मुहांसों से प्रभावित स्थान पर लगा कर कुछ मिनट के लिए छोड़ दें। उसके बाद इस हिस्से को गुनगुने पानी से धो लें और त्वचा को साफ तौलिए से पोंछ लें। अगर इसके बाद त्वचा में रूखापन महसूस हो तो मॉयश्चराइजर लगाएं। इस उपचार को हर रोज एक बार करें।

नींबू और दही : एक कटोरी में नींबू का रस और दही लें और अच्छी तरह मिला लें। इस पेस्ट को प्रभावित स्थान पर लगाएं। कुछ मिनट ऐसे ही रहने दें और उसके बाद पानी से धो लें। इस प्रक्रिया को हर रोज दोहराएं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • महिलाओं को अधिक झेलना पड़ना है 'गर्दन का दर्द'
    न्यूयार्क, 9 मार्च (आईएएनएस)। महिलाओं और पुरुषों में दर्द के अलग-अलग अनुभवों पर प्रकाश डालते हुए अमेरिका के शोधार्थियों ने पता लगाया है कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में गर्दन दर्द का अधिक सामना करना पड़ता है। एक नए शोध में इसकी पुष्टि हुई है।

    यह दर्द सर्वाइकल डिजेनरेटिव डिस्क रोग के कारण होता है और पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह समस्या 1.38 फीसदी अधिक होने की संभावना होती है।

    सर्वाइकल डिजेनरेटिव डिस्क रोग गर्दन के दर्द का एक आम कारण है। इसमें गर्दन में कठोरता, खिंचाव, जलन, झुनझुनी और स्तब्धता का अनुभव होता है। सिर और गर्दन को हिलाने-डुलाने पर काफी तेज दर्द महसूस होता है।

    इस शोध में लोयोला यूनिवर्सिटी शिकागो स्ट्रिच स्कूल ऑफ मेडिसिन के भारतीय मूल के शोधार्थी राघवेंद्र और जोसेफ होल्टमैन ने 3,337 रोगियों का अध्ययन किया, जो दर्द का इलाज करा रहे थे।

    शोधार्थियों ने बताया कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में दर्द का फैलाव थोड़ा अधिक पाया गया, हालांकि यह अंतर सांख्यिकी रूप से महत्वपूर्ण नहीं था।

    यह शोध 'अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेन मेडिसिन इन पाल्म स्प्रिंग्स' की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया गया है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • चीन में महिलाओं के लिए स्वतंत्रता ही सफलता
    बीजिंग, 9 मार्च (आईएएनएस/सिन्हुआ)। चीन में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, महिलाओं के लिए अब जीवनसाथी ढूंढने से अधिक महत्वपूर्ण है स्वतंत्रता, सकारात्मकता और सम्मान।

    एक पोर्टल 'झाओपिन डॉट कॉम' द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, महिला उत्तरदाताओं ने एक स्वतंत्र जीवन को पांच में से 4.53 अंक दिए हैं।

    सर्वेक्षण के दौरान 15,876 उत्तरदाताओं की प्रतिक्रियाओं के अनुसार, परिवार और स्वयं की देखभाल की जिम्मेदारी तथा सम्मान को भी उतने ही अंक मिले हैं, जबकि एक बेहतर व्यक्ति से शादी करने के विचार को सबसे कम 3.69 अंक मिले।

    बीजिंग में सार्वजनिक क्षेत्र की एक कंपनी में कार्यरत 28 वर्षीया वांग तियान ने कहा, "मेरा अपना करियर होना और वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर होना मेरे लिए जरूरी है।"

    अधिकांश महिलाओं का कहना है कि लिंग आधारित भेदभाव और पक्षपात को वे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगी।

    वांग ने कहा कि लिंग भेदभाव का खत्म होना जरूरी है। कंपनियों को अपनी महिला कर्मचारियों को उनकी योग्यता के अनुरूप पदोन्नति देनी चाहिए।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • 'कानन' में जल्द दिखेंगे राजस्थानी चिंकारे
    एकान्त प्रिय चौहान
    रायपुर, 9 मार्च (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित कानन पेंडारी (जूलॉजिकल गार्डन) में जल्द की राजस्थानी चिंकारे नजर आएंगे। इसके लिए सहमति बन चुकी है, इसके बदले में राजस्थान को कानन पेंडारी से एक जोड़ी भालू और एक नर लकड़बग्घा देने होंगे।

    वहीं कानन में पिछले दिनों एक हॉग डियर (शूकर हिरण) ने एक नर शावक को जन्म दिया है। इसके जन्म के साथ ही अब हॉग डियर की संख्या भी आठ हो गई है।

    कानन पेंडारी जू के रेंज ऑफिसर टी.आर. जायसवाल ने बताया कि अब कानन पेंडारी में पर्यटकों के लिए जल्द ही राजस्थानी चिंकारे आकर्षण का केंद्र होंगे। इसके बदले उन्हें एक जोड़ी भालू व एक नर लकड़बग्धा दिए जाएंगे।

    जायसवाल ने बताया कि पिछले गुरुवार को जोधपुर के माचिया बॉयोलॉजिकल पार्क प्रबंधन ने 2 नर व 4 मादा चिंकारा देने की सहमति दी है। जायसवाल ने बताया कि दोनों जूं के बीच आपसी सहमति से वन्यप्राणियों की अदली-बदली नहीं की जा सकती है, इसके लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की स्वीकृति जरूरी है। इसके लिए पत्र भेज दिया गया है।

    जायसवाल ने बताया कि पिछले गुरुवार को ही हॉग डियर (शूकर हिरण) ने एक नर शावक को जन्म दिया है। इसकी इनकी संख्या अब बढ़कर आठ हो गई है।

    गौरतलब है कि फरवरी माह में ही कानन पेंडारी जू में दुर्लभ प्रजाति के 4 मूषक हिरण (माउस डियर) हैदराबाद से लाए गए थे। मूषक हिरण बहुत कम वन क्षेत्रों में पाए जाते हैं। छग में ये गिनती के ही हैं।

    भारत में पाए जाने वाले संकटग्रस्त 10 प्रजातियों में यह एक है। मूषक हिरण के बदले एक नर व दो मादा बार्किं ग डियर और एक नर घड़ियाल की मांग की गई थी। इसके बाद दोनों प्राधिकरण के बीच वन्य प्राणियों की अदला-बदली को लेकर एक समझौता हुआ था।

    माउस डियर को मिलाकर अब कानन में हिरणों की 13 प्रजातियां हो गई हैं, जिसमें चीतल, कोटरी, काला हिरण, सफेद हिरण, चिंकारा, गोराल, शूकर हिरण, नीलगाय, सांभर, बारहसिंघा, मणिपुरी और माउस डियर शामिल हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • 'महिलाओं में भी होती है सेक्स की तीव्र इच्छा'

    मांट्रियल, 9 मार्च (आईएएनएस)। सेक्स की तीव्र इच्छा और कामुक यौन कल्पनाओं को हम असामान्य यौन व्यवहार या आवेग समझते हैं, लेकिन वास्तव में लोगों के बीच यह काफी आम है, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं। एक नए शोध से यह जानकारी मिली है।

    सामान्य तौर पर यह सच है कि पुरुष सेक्स में सारी हदें तोड़ देने के प्रति ज्यादा इच्छुक होते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है महिलाएं अत्यधिक कामुक व्यवहार या यौन परिकल्पनाओं में रुचि नहीं लेती।

    डू क्यूबेक ए ट्रोइस-रिविरिस विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर क्रिस्टीन जोयाल का कहना है, "सच यह है कि महिलाओं ने शोध के दौरान हमें बताया कि उनकी विविध यौन रुचियां हैं और वे अपने यौन जीवन से बेइंतहा संतुष्ट हैं। इसलिए सेक्स में सारी हदें तोड़ना कोई असामान्य व्यवहार नहीं है।"

    लोगों की यौन रुचियों को दो श्रेणियों में बांटा जाता है एक सामान्य जिसे नॉर्मोफिलिक कहते हैं और दूसरा विलक्षण जिसे पैराफिलिक कहा जाता है।

    जोयल कहती है, "इस सर्वेक्षण से हमें पता चला है कि वास्तविकता में पैराफिलिक व्यवहार काफी सामान्य है। अत: हमें सामान्य यौन व्यवहार का वर्गीकरण और उसके लिए कानून बनाने से पहले समझना होगा कि कई पैराफिलिक रूझान लोगों में काफी आम है और यह न सिर्फ उनकी यौन परिकल्पनाओं में लक्षित होती है बल्कि उनकी इच्छा और व्यवहार में भी यह शामिल है।"

    यह शोध इंस्टीट्यूट फिलिप्पे-पिनल जे मांट्रियल और इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटायरे एन सांते मेंटाले डे मांट्रियल की जोयल और जूली कारपेंटियर ने मिलकर किया, जो मांट्रियल विश्वविद्यालय से संबंद्ध है। इसमें क्यूबेक के 1,040 निवासियों ने भाग लिया।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • कॉक्स एंड किंग का गेटअवेगोड्डेस ट्विटर पर बना ट्रेंड
    मुंबई, 8 मार्च (आईएएनएस)। प्रमुख यात्रा कंपनी कॉक्स एंड किंग्स लिमिटेड ने मंगलवार को महिला दिवस के मौके पर सोशल नेटवर्किं ग साइट ट्विटर पर 'गेटअवेगोड्डेस' अभियान शुरू कर महिलाओं से पूछा कि वे कौन-सी बातें हैं, जो उन्हें विश्व भ्रमण से रोकती हैं।

    कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा कि 'गेटअवेगोड्डेस' हैशटैग के ऑनलाइन होते ही यह 30 लाख लोगों तक पहुंच गया। चार घंटे में इस पर तीन करोड़ प्रतिक्रियाएं भी मिल गईं और यह टॉप ट्रेंड बना हुआ है।

    इस अभियान के तहत सिर्फ महिलाओं के लिए कई गंतव्यों की पर्यटन योजनाएं भी पेश की गई हैं।

    इन योजनाओं में सुरक्षा और सुविधा, समान विचार वाली महिलाओं के साथ यात्रा करने का मौका, महिला गाइड और खास तौर से तनावमुक्त अनुभव पर विशेष ध्यान दिया गया है।

    कॉक्स एंड किंग्स लिमिटेड एक अग्रणी अवकाश और शिक्षा यात्रा सेवा कंपनी है। इसका कारोबार चार महादेशों के 22 देशों में फैला हुआ है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • सोशल मीडिया छीन रहा स्वीडन के युवाओं की नींद
    स्टॉकहोल्म, 8 मार्च (आईएएनएस/सिन्हुआ)। स्वीडन के ज्यादातर युवा रात में सोने से पहले डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं। इस कारण प्रत्येक तीन में एक युवा को समुचित विश्राम नहीं मिल पाता है।

    सार्वजनिक प्रसारक स्वीडिश टेलीविजन के सर्वेक्षण के अनुसार,15-29 वर्ष की आयु वाले प्रत्येक तीसरे युवा का कहना है कि वह अनिद्रा से जुड़ी समस्या से ग्रसित है। वहीं इनमें से 82 प्रतिशत का कहना है कि वह रात में सोने से पहले डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं।

    कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट इन स्टॉकहोल्म में प्रोफेसर टॉर्बजॉम एकरस्डेट ने समाचार चैनल से कहा, "सोशल मीडिया का अधिक उपयोग किसी को भी उस समय के लिए बहुत सक्रिय बना देता है। वहीं सोने के लिए मस्तिष्क को शांत करने की जरूरत होती है। इसलिए रात को सोने से पहले सोशल मीडिया नींद में बाधा उत्पन्न करती है।"

    सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल युवा लोगों में एक चौथाई का कहना है कि वह विशेष घंटों के दौरान सोशल मीडिया का उपयोग बंद करने के लिए सक्षम होना चाहते हैं।

    इस सर्वेक्षण में लगभग आधे युवा उत्तरदाताओं ने बताया कि वह पिछले पांच सालों की तुलना में बहुत कम सो रहे हैं, जबकि 31 प्रतिशत ने कहा कि वह मानते हैं कि सोशल मीडिया उनकी नींद खराब कर रहा है।

    वहीं सर्वेक्षण में लगभग दो तिहाई उत्तरदाताओं ने बताया कि नींद की कमी की वजह से उनके दैनिक कार्य प्रभावित होते हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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