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रोजाना कुछ कदम चलिए, लंबी होगी उम्र

न्यूयार्क, 26 फरवरी (आईएएनएस)। अगर आपकी मंशा चुस्त-दुरुस्त रहने की है, लेकिन जिम में घंटों पसीना बहाना आपके बस की बात नहीं, तो फिर कुछ देर के लिए चहलकदमी कीजिए। यकीनन इससे आप न केवल स्वस्थ रहेंगे, बल्कि आपकी उम्र भी लंबी रहेगी।

अमेरिका की पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में किए गए शोध के मुख्य लेखक एजरा फिशमैन के अनुसार, "लंबी उम्र के लिए अधिक समय तक पसीना बहाना जरूरी नहीं है।"

फिशमैन ने कहा, "केवल धारदार गतिविधियां ही फायदेमंद नहीं होतीं। यह एक सार्वजनिक संदेश है जो हम देना चाहते हैं।"

वैज्ञानिकों ने 50-70 वर्ष की उम्र के तीन हजार लोगों पर अध्ययन करने के बाद पता लगा कि सबसे अधिक सक्रिय और मध्यम रूप से सक्रिय रहने वाले व्यक्यिों की तुलना में गतिहीन रहने वाले व्यक्तियों की अध्ययन के दौरान पांच प्रतिशत अधिक मरने की आशंका रही।

इस शोध के लिए प्रतिभागियों को अल्ट्रा-सेंसिटिव ट्रैकर्स पहनाया गया था, जिन्हें एक्सीलेरेमीटर्स कहते हैं। यूएस सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने सात दिनों तक उत्पादित डेटा को संकलित किया। मृत्युदर को जानने के लिए एंजेसी ने इन लोगों पर अगले आठ सालों तक नजर रखी।

फिशमैन ने कहा, "अगर कोई व्यक्ति जितनी देर व्यायाम करता है उतनी ही समय में अगर कोई व्यक्ति चलता-फिरता है तो वह अधिक समय तक जीवित रहता है।"

इसका अर्थ है एक ही मात्रा मेंव्यायाम और चहलकदमी समान लाभ देते हैं।

फिशमैन के अनुसार, "चहलकदमी, कपड़े-बरतने धोना और सफाई जैसे काम करने वाले व्यक्ति की आलसी जीवन जीने वाले व्यक्तियों की तुलना में लंबे उम्र होने की अधिक संभावना होती है।"

दिन में केवल 30 मिनट की शारीरिक गतिविधियां काफी बेहतर निष्कर्ष दे सकती हैं।

यह शोध पत्रिका "मेडिसीन एंड साइंस इन स्पोर्ट्स एंड एक्सरसाइज" में प्रकाशित किया गया है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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    बीजिंग, 19 मार्च (आईएएनएस)। चीन में वर्ष 2010 से बेचे गए टीकों का उचित प्रबंधन नहीं किए जाने का मामला सामने आया है, जिसके कारण मरीजों के जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने इस मामले की जांच कराने का अनुरोध किया है।

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    'ग्बोबल टाइम्स' की शनिवार की रिपोर्ट के अनुसार, संदिग्धों में एक महिला पेंग (47) और उसकी बेटी सुन शामिल है, जिसने मेडिकल स्कूल से स्नातक किया है। आरोप है कि दोनों ने साल 2010 से गैरकानूनी तरीके से वयस्कों और बच्चों से संबंधित 25 तरह के टीकों की बिक्री की, जिसका प्रबंधन उन्होंने उचित तरीके से नहीं किया था।

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    इधर, पेंग के बैंक खाते में पिछले पांच सालों में 31 करोड़ युआन जमा होने की जानकारी मिली है।

    संदिग्धों पर गैरकानूनी तरीके से व्यापार करने का आरोप लगाया गया है और अब कानूनी कार्रवाई शुरू होने का इंतजार है। इस मामले में 20 शहरों को जांच में सहयोग करने और टीका खरीदने वालों की पहचान करने का आग्रह किया गया है।

    संदिग्ध मां-बेटी के अतिरिक्त इस मामले में इनर मंगोलिया, हेबेई और शानडोंग क्षेत्रों से भी छह संदिग्धों को गैरकानूनी तरीके से व्यापार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जबकि 10 अन्य को हिरासत में लिया गया है।

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    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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    न्यूयार्क, 19 मार्च (आईएएनएस)। जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं, उनके एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होता है और बरकरार रहता है। इससे उनके गंभीर किस्म के घुटने की चोट से पीड़ित होने की संभावना कम हो जाती है। एक नए शोध से यह जानकारी सामने आई है।

    15 से 19 साल की 23,428 युवतियों पर किए गए अध्ययन में यह पाया गया कि जिन महिलाओं को एंटीरियर क्रूसिएट लिंगामेंट (एसीएल यानी घुटने के जोड़) में चोट की समस्या थी अगर वे गर्भनिरोधक गोलियां ले रही थीं, तो उन्हें नैदानिक सर्जरी करवाने की जरूरत कम पड़ी।

    प्रमुख शोधकर्ता एवं अमेरिका के गेलवेस्टन में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास की मेडिकल शाखा के ऐरॉन ग्रे ने कहा, "गर्भनिरोधक गोलियां एस्ट्रोजन का स्तर सतत कम रखती हैं जिससे समय-समय पर होने वाली एसीएल कमजोरी से बचाव होता है।"

    एसीएल एक जोड़ है जो घुटने के ऊपरी और निचले हिस्से को जोड़ता है। इस जोड़ में चोट लगने से किसी एथलीट का कैरियर तबाह हो सकता है। साथ ही इससे जीवनभर के लिए घुटने में परेशानी आ सकती है और इलाज के लिए जटिल सर्जरी करानी पड़ सकती है।

    यह शोध मेडिसिन एंड साइंस इन स्पोर्ट्स एंड एक्सरसाइज पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • समलैंगिकों को चिंताएं सताती हैं ज्यादा
    टोरंटो, 19 मार्च (आईएएनएस)। समलैंगिक पुरुष या महिला और उभयलिंगी व्यक्तियों को सामान्य व्यक्तियों की तुलना में अधिक चिंताओं और मनोदशा विकारों का सामना करना पड़ता है। साथ ही यह सामान्य लोगों की तुलना में अधिक शराब का सेवन करते हैं। एक नए शोध में यह पता चला है।

    कनाडा के स्कूल ऑफ पापुलेशन एंड पब्लिक हेल्थ से इस अध्ययन की मुख्य लेखक बासिया पाकुला ने बताया, "समलैंगिक पुरुष या महिला और उभयलिंगी व्यक्तियों का जब एक ही अध्ययन में एक साथ आकलन किया गया, तो इनके स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण अंतर की जानकारी मिली।"

    उन्होंने बताया, "हमारे लिए यह निष्कर्ष महत्वपूर्ण रूप से उपयोगी हैं, क्योंकि कनाडा में अब तक इन सूचनाओं की जानकारी नहीं थी।"

    इस अध्ययन के लिए शोधार्थियों ने साल 2007 से 2012 तक कनाडा के दो लाख 20 हजार प्रतिभागियों का आकलन किया था।

    अपनी तरह के पहले अध्ययन का दावा करने वाले इस शोध में पाया गया है कि सामान्य व्यक्तियों की तुलना में उभयलिंगी लोगों में मनोदशा और चिंताओं की अधिक शिकायत मिली। समलैंगिक पुरुष और समलैंगिक महिलाएं सामान्य व्यक्तियों की तुलना में चिंताएं और बिगड़ी हुई मनोदशा का दोगुना सामना करते हैं।

    यह शोध 'अमेरिकन जर्नल ऑफ पब्लिक' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • केटामीन का इस्तेमाल मूत्राशय के लिए घातक
    लंदन, 19 मार्च (आईएएनएस)। शोधार्थियों ने एक नए अध्ययन में पाया है कि केटामीन दवा मूत्राशय को स्थायी तौर पर क्षतिग्रस्त करने की क्षमता रखती है। साथ ही अत्यधिक खराब परिस्थितियों में मूत्राशय को हटाना भी पड़ सकता है।

    'स्पेशल के' नाम से मशहूर केटामीन का प्रयोग शक्तिशाली एनेस्थिेटिक दवा के रूप में किया जाता है।

    ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क के वरिष्ठ शोधार्थी सिमोन बेकर बताते हैं, "अब हमारे पास यह समझने के अधिक प्रमाण मौजूद हैं कि केटामीन का अधिक प्रयोग मूत्राशय के लिए क्यों घातक है और इसका सिस्टाइटिस से क्या संबंध है।"

    निष्कर्ष बताते हैं कि केटामीन का मूत्राशय से सीधा संपर्क मूत्राशय को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर सकता है। केटामीन मूत्राशय की स्वस्थ कोशिकाओं की मत्यु का कारण होता है।

    इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने दो शोधों का आकलन किया था।

    शोधार्थियों ने निष्कर्षो में पाया कि केटामीन कोशिकाओं की आंतरिक शक्ति केंद्रों पर आधिपत्य कर लेता है, जिसकी वजह से विषाक्त पदार्थो का निस्तारण होने लगता है। इस निस्तारण की वजह से मूत्राशय की स्वस्थ्य कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं।

    यह शोध 'अमेरिकन जर्नल ऑफ पैथोलॉजी' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • ब्रिटेन के युवाओं के लिए दिन की रोशनी से ज्यादा महत्वपूर्ण इंटरनेट
    बीजिंग, 19 मार्च (आईएएनएस/सिन्हुआ)। ब्रिटेन के युवा जीवन की गुणवत्ता के लिए दिन की रोशनी से अधिक इंटरनेट को महत्व देते हैं। इसका खुलासा एक नए अध्ययन से हुआ, जिसमें उनसे पूछा गया था कि अपने जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए वे किसे सर्वाधिक तरजीह देते हैं।

    यह सर्वेक्षण ब्रिटेन के विंडो ब्लिाइंड्स मैन्यूफैक्चरर हिलेरीज संस्था ने किया, जिसमें 2,465 युवाओं को शामिल किया गया। इनमें से करीब 70 फीसदी ने कहा कि बेहतर इंटरनेट कनेक्शन उनके जीवन की गुणवत्ता का महत्वपूर्ण अंग है।

    अध्ययन में जिन युवाओं ने इंटरनेट को पहले स्थान पर रखा, उन्होंने कहा कि वे दिन में औसतन 78 बार इंटरनेट सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं।

    दिन की रोशनी को 64 प्रतिशत और गर्म पानी को 57 प्रतिशत युवाओं ने जीवन की गुणवत्ता के लिए महत्वपूर्ण बताया।

    वहीं, 37 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि जीवन की गुणवत्ता के लिए कल्याण प्रणाली को महत्वपूर्ण बताया, जबकि रात की नींद को केवल 11 प्रतिशत प्रतिभागियों ने जरूरी बताया।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • जोड़ों के दर्द में असरदार नहीं पैरासीटामोल
    लंदन, 19 मार्च (आईएएनएस)। दर्द, बुखार और सर्दी में प्रयोग होने वाली पैरासीटामोल दवा ऑस्टयोआर्थराइटिस में दर्द को कम करने वाले चिकित्सीय प्रभावकारिता के न्यूनतम मानकों को पूरा नहीं करती है। एक नए शोध में यह पता चला है।

    यह निष्कर्ष ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए दर्द निवारक दवा के बड़े पैमाने पर हुए विश्लेषण पर आधारित हैं, जो गठिया का एक सामान्य प्रकार है। इस रोग में अक्सर जोड़ों का दर्द और अकड़न की शिकायत रहती है।

    निष्कर्षो के अनुसार, सामने आया है कि ऑस्टियोआर्थराइटिस की चिकित्सा में पैरासीटमोल की कोई भूमिका नहीं होती है।

    शोधार्थियों ने पाया है कि नॉन स्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग (एएसएआईडी) डिक्लोफेनेक सबसे शीघ्र प्रभाव देने वाली दर्दनिवारक है। हालांकि इस दवा के सेवन से लंबे समय के दुष्प्रभाव भी देखने को मिलते हैं।

    इस शोध के लिए ऑस्टियोआर्थराइटिस पीड़ित 58 हजार 556 लोगों का डेटा संकलित किया गया था। शोधार्थियों ने 22 अलग-अलग चिकित्सीय उपचारों और प्लेसबो का दर्द की तीव्रता और शारीरिक गतिविधियों पर हुए प्रभावों का तुलनात्मक अध्ययन किया।

    स्विट्जरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ बर्न से इस अध्ययन की शोधार्थी स्वेन ट्रेली ने बताया, "पैरासीटामोल की कोई भी खुराक ऑस्टियोआर्थराइटिस में असरदार नहीं होती है, लेकिन बिना पैरासीटामोल के कुछ एएसएआईडी दवाएं रुक-रुक कर सेवन करने से प्रभावी परिणाम देती हैं।"

    यह शोध 'द लैंसेट' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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