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विटामिन 'डी' की कमी से संतान में स्केलेरोसिस का खतरा

वाशिंगटन, 8 मार्च (आईएएनएस/सिन्हुआ)। गर्भावस्था के दौरान विटामिन 'डी' की कमी वाली महिलाओं की संतान में वयस्कता के दौरान मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस) रोग होने का अधिक खतरा होता है। एक नए अध्ययन ने सोमवार को इसकी जानकारी दी।

मल्टीपल स्क्लेरोसिस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की बीमारी है, जो मांसपेशी नियंत्रण और शक्ति, ²ष्टि, संतुलन, भावना, और सोच की समस्याएं पैदा करती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया में लगभग 25 लाख लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।

हावर्ड यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों का कहना है कि विटामिन 'डी' का ऊच्च स्तर वयस्कता में एमएस के कम जोखिम से संबंधित है। पहले हुए अध्ययनों से भी साबित हुआ है कि गर्भाशय में विटामिन 'डी' के आवरण की कमी व्यस्कता में एमएस के जोखिम को बढ़ाती है।

हावर्ड के टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ से इस अध्ययन के नेतृत्वकर्ता कासांद्रा मुंगर ने बताया, "हमारा शोध बताता है कि गर्भावस्था के दौरान विटामिन 'डी' की कमी संतान में एमएस के जोखिम को बढ़ाती है।"

यह अध्ययन हालांकि इस बात की जानकारी नहीं देता है कि गर्भावस्था की शुरुआत में विटामिन 'डी' की अनुपूरक खुराक एमएस को जोखिम को कम कर सकती है।

यह शोध 'जेएएमए न्यूरोलॉजी' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • नई यूरिया नीति 2015 के तहत हटाए गए पुराने मानदंड
    नई दिल्ली, 10 मार्च (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना के तहत सब्सिडी के लिए योग्य होने वाली सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) विनिर्माण इकाइयों के लिए न्यूनतम क्षमता उपयोग मानदंड को तत्काल प्रभाव से हटाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

    यह मंजूरी सरकार द्वारा हाल किए जाने वाले नीतिगत सुधारों के क्रम में है जिनमें नई यूरिया नीति, 2015 एवं यूरिया उत्पादन के लिए गैस पूलिंग शामिल है। ऊर्जा कुशलता को बढ़ावा देने एवं गैस मूल्य निर्धारण तंत्र को युक्तिसंगत बनाने पर जोर दिए जाने के कारण इस वर्ष की अभी तक की अवधि में अब तक का सर्वाधिक उत्पादन हुआ है।

    ऐसी उम्मीद है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 17 लाख एमटी अतिरिक्त यूरिया का उत्पादन होगा। इसके अतिरिक्त, उत्पादकता बढ़ाने तथा गैर कृषि उपयोग को रोकने के लिए शत-प्रतिशत यूरिया को अब नीमयुक्त कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त सीटी कंपोस्ट के संवर्धन पर नीति एक अहम पहल है जिसका उद्देश्य नगरों को स्वच्छ बनाना तथा नगर के कचरे को मृदा स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कंपोस्ट के रूप में उपयोग में लाना शामिल है। इस नीति के तहत पहली बार 1500 रुपये प्रति एमटी की बाजार विकास सहायता उत्पाद के उत्पादन एवं उपभोग को बढ़ाने के लिए प्रदान की जाएगी।

    एसएसपी एक फासफेटिक बहु-पोषक उर्वरक है जिसमें 16 प्रतिशत फासफेट, 11 प्रतिशत सल्फर, 16 प्रतिशत कैल्सियम तथा कुछ अन्य अनिवार्य सूक्ष्म पोषक तत्व सन्निहित हैं। अपनी सरल उत्पादन तकनीक के कारण यह उपलब्ध उर्वरकों में सबसे सस्ता रसायनिक उर्वरक है। यह तिलहनों, दालों, बागवानी, सब्जियों, ईंख आदि जैसी फसलों के लिए अधिक अनुकूल है।

    01-10-2009 से एसएसपी इकाइयों के लिए सब्सिडी पाने के योग्य बनने के लिए अपनी स्वीकृत उत्पादन क्षमता न्यूनतम 50 प्रतिशत का उपयोग करना या प्रतिवर्ष 40 हजार एमटी का उत्पादन करना, इनमें से जो भी कम हो, अनिवार्य बना दिया गया था। प्रारंभ में कुछ क्षमता संवर्धन किया गया था लेकिन पिछले 4 वर्षों के दौरान देश में एसएसपी के उत्पादन एवं उपभोग की स्थिति कमोबेस स्थिर ही रही है।

    न्यूनतम क्षमता उपयोग मानदंड को हटाने की यह नई नीति एसएसपी इकाइयों को भी अन्य उर्वरकों के समान ही बना देगी और वे कृषि उदेश्यों के लिए उत्पादित एवं विक्रय की मात्रा के बावजूद सब्सिडी पाने के योग्य बन जाएंगे।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • मेक्सिको में कम उम्र में गर्भधारण की प्रवृत्ति बढ़ी
    मेक्सिको शहर, 10 मार्च (आईएएनएस/सिन्हुआ)। मेक्सिको में किशोरावस्था में गर्भधारण की समस्या महामारी की तरह फैल रही है। एक विशेषज्ञ के मुताबिक, देश में किशोर उम्र में गर्भधारण का आंकड़ा प्रति वर्ष लगभग चार लाख है, जो कि देशभर में होने वाले कुल गर्भधारण का 20 फीसदी है।

    समाचार पत्र 'एल यूनिवर्सल' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, किशोर गर्भधारण पारंपरिक गरीब ग्रामीण समुदायों से सम्पन्न शहरी क्षेत्रों में और मेक्सिको के गरीब राज्यों से सम्पन्न राज्यों में फैल रहा है।

    मेक्सिको की नेशनल ऑटोनोमस यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल रिसर्च के विशेषज्ञ कार्लोस वेल्टियन के मुताबिक, "यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मेक्सिको में किशोर उम्र में गर्भधारण महामारी की तरह फैल रही है।"

    उन्होंने कहा, "मेक्सिको की संस्कृति गर्भधारण को दोषमुक्त मानती है और इसे एक सामाजिक ओहदा देती है।"

    एल यूनिवर्सल ने 13 वर्षीय गर्भवती किशोरी जोआना के कथन पर रोशनी डाली है। जोआना ने कहा, "मैं यह जानकर बेहद उत्साहित थी कि मैं मां बनने वाली हूं, क्योंकि हर महिला मां नहीं बन सकती।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • उमर ने गिलानी के जल्द स्वस्थ होने की कामना की
    श्रीनगर, 10 मार्च (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के जल्द स्वस्थ होने की दुआ की। गिलानी को छाती में दर्द होने के बाद दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

    उमर ने एक ट्वीट में कहा है, "अभी-अभी एस.ए.एस. गिलानी के बीमार पड़ने और उन्हें दिल्ली के एक अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आई.सी.यू.) में भर्ती होने के बारे में सुना। उनके जल्द स्वस्थ होने की दुआ करता हूं।"

    गिलानी के बेटे सैयद नसीम ने लिखा है, "गिलानी साहब को गुरुवार की सुबह छाती में दर्द होने के बाद नई दिल्ली स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनका इलाज चल रहा है। उनकी हालत स्थिर है और उन्हें दुआओं की जरूरत है।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • ऑनलाइन स्टार्टअप से विदेशी मरीजों का भारत में सस्ता इलाज
    विवेक सिह चौहान
    नई दिल्ली, 10 मार्च (आईएएनएस)। भारत में सस्ते व बेहतर इलाज के लिए विदेशी मरीज बड़ी संख्या में आते हैं। इसे देखते हुए उन्हें सस्ता और अच्छा इलाज मुहैया कराने में मदद के लिए कई सारे ऑनलाइन स्टार्टअप शुरू हुए हैं।

    ऐसे ही एक मेडिकल टूरिज्म स्टार्टअप 'प्लानमाईमेडिकलट्रिपडॉटकॉम' विदेशी मेडिकल पर्यटकों को एक ही स्थान पर सभी किस्म के समाधान मुहैया कराता है। इस स्टार्टअप की शुरुआत 9 साल पहले हुई थी।

    प्लानमाईमेडिकलट्रिपडॉटकॉम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनुरव राने ने बताया, "हमारे यहां दुनियाभर से मरीज आते हैं, लेकिन अफ्रीका, खाड़ी देशों और कॉमनवेल्थ देशों से आनेवाले मरीजों की संख्या करीब 30 फीसदी है।"

    उन्होंने आईएएनएस को बताया, "भारत में मेडिकल पर्यटकों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में कई विकल्प उपलब्ध हैं। प्राथमिक रूप से ज्यादातर पर्यटक कॉस्मेटिक सर्जरी, कूल्हे व टखना बदलवाने, दांतों से जुड़ी सर्जरी और बांझपन के उपचार के लिए आते हैं।"

    भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और ग्रांट थोर्नटन द्वारा जारी श्वेतपत्र के मुताबिक, साल 2020 तक भारत में मेडिकल पर्यटन का बाजार 8 अरब डॉलर का होगा जो वर्तमान में 3 अरब डॉलर का है।

    सईद साबेर हाल में घुटनों की सर्जनी कराने मि से भारत आए हैं। उन्होंने बताया, "मेरे देश में इस उपचार का खर्च काफी अधिक है और विकल्प काफी कम है। इसलिए मैंने भारत में इलाज के लिए इंटरनेट पर छानबीन की प्लानमाईमेडिकलट्रिपडॉटकॉम की मदद से मुझे भारत में कई अस्पतालों के बारे में पता चला व इस एप की मदद से ही कई जरूरी प्रक्रियाएं कम से कम समय में निपट गईं।"

    हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडियाहेल्थकेयरटूरिज्मडॉटकॉम का उद्घाटन किया था। यह सरकार द्वारा मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के कदम के तौर पर शुरू किया गया है। इसके तहत वेबसाइट पर 93 शीर्ष अस्पताल, 30 आयुर्वेदिक व प्राकृतिक उपचार केंद्र और एक विशेष श्रेणी का केंद्र उपलब्ध है।

    एक दूसरे ऑनलाइन वेबसाइट मेडीकनेक्टइंडिया पर आईवीएफ, रोबोटिक सर्जरी, स्टेम सेल थेरेपी संबंधी डील उपलब्ध है।

    मेडीकनेक्टइंडिया के उप दलप्रमुख शालिनी ने आईएएनएस को बताया, "भारत में इलाज सस्ता होने के कारण ज्यादातर विदेशी यहां आते हैं। मेट्रो शहरों में सबसे अच्छे डॉक्टरों के साथ विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध है।"

    मेडीकनेक्टइंडिया को मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए लगातार दो सालों तक राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • सीढ़ियों के इस्तेमाल से दिमाग रहेगा जवां
    टोंरटो, 10 मार्च (आईएएनएस)। लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों के इस्तेमाल से शरीर चुस्त तो रहता ही है, दिमाग भी दुरुस्त रहता है। साथ ही यह मस्तिष्क को ज्यादा समय तक बुढ़ापे के लक्षणों से भी बचाकर रखता है। एक नए शोध में यह पता चला।

    शोध के निष्कर्षो से सामने आया है कि वृद्ध लोग अगर सीढ़ियों का प्रयोग करते हैं तो उनका मस्तिष्क सक्रिय रहता है, जिससे मस्तिष्क की आयु बढ़ने वाली प्रक्रिया धीमी हो जाती है।

    कनाडा की कोनकोर्डिया यूनिवर्सिटी से इस अध्ययन के मुख्य लेखक जैसन स्टेफनर ने बताया, "विभिन्न विभागों और सार्वजनिक परिवहन केंद्रों में 'टेक द चेयर्स' सीढ़ियों के प्रयोग अभियान का समर्थन देखने को मिलता है।"

    स्टेफनर कहते हैं, "यह अध्ययन बताता है कि इन अभियानों में वृद्धों लोगों को भी शामिल करना चाहिए, ताकि वह अपने मस्तिष्क को जवां रख सकें।"

    इस शोध में अध्येताओं ने 19-79 आयु वर्ग के 331 स्वस्थ्य लोगों को शामिल किया था। इसके तहत स्टेफनर और इनके सहयोगियों ने प्रतिभागियों के मस्तिष्क की जांच के लिए मैग्नेटिक रेसोनेंस इमैजिंग का उपयोग किया।

    स्टेफनर के अनुसार, "यह निष्कर्ष वाकई प्रोत्साहित करने वाले रहे, जब हमें पता चला कि एक सामान्य गतिविधि जैसे सीढ़ियों की चढ़ाई मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में एक असरदार उपकरण के रूप में हस्तक्षेप कर सकती है।"

    यह शोध 'न्यूरोबायोलॉजी' पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • अवसादरोधी दवाओं के कारण दांतों के इंप्लांट होते हैं असफल
    न्यूयॉर्क, 10 मार्च (आईएएनएस)। अवसादरोधी दवाएं चिंता, दर्द व अन्य विकारों के उपचार के लिए धड़ल्ले से प्रयोग की जाती है, लेकिन इससे हड्डियों के विकास को खतरा हो सकता है और दांतों का इंप्लांट भी विफल हो सकता है। एक शोध से यह जानकारी सामने आई है।

    अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पाया कि अवसादरोधी दवाओं के प्रयोग से दांतों के इंप्लांट के असफल होने की संभावना चार गुणा बढ़ जाती है। हर साल अवसाधरोधी दवाओं के कारण दांतों के इंप्लांट की विफलता की दर दोगुनी हो जाती है।

    एक तरफ जहां ये दवाएं मूड और भावनाओं के प्रबंधन में उपयोगी हैं, वहीं दूसरी तरफ इससे हड्डियों का मेटाबालिज्म बिगड़ जाता है जो टूट-फूट को भरने की प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है।

    प्रमुख शोधकर्ता बफैलो विश्वविद्यालय की सुलोचना गुरुं ग का कहना है, "सही ढंग से घाव भरने के लिए प्रभावित जगह के इर्द-गिर्द नई हड्डियों का निर्माण होने बेहद जरूरी है। लेकिन अवसादरोधी दवा इस प्रक्रिया को प्रभावित करता है।"

    यूबी दंत चिकित्सालय के मरीजों को 2014 में अध्ययन करने के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन थोड़े बहुत मरीजों का दंत इंप्लांट असफल रहा था, उनमें से 33 फीसदी ने अवसादरोधी दवाओं का प्रयोग किया था।

    जिन मरीजों का दंत इंप्लांट सफल रहा था, उनमें से केवल 11 फीसदी ने अवसादरोधी दवाएं ली थी।

    यह शोध लास एंजिलिस में 19 मार्च को होने वाले 45वें सालाना अमेरिकन एसोसिएशन फॉर डेंटल रिसर्च में प्रस्तुत किया जाएगा।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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