बार-बार शब्द दोहराने से भाषा जल्द सीखते हैं बच्चे
इस अध्ययन से पता चला है कि बच्चे उस चीज का नाम आसानी से याद रख सकते हैं जिसे लगातार दोहरा कर बोला गया है। उदाहरण के लिए रात-रात, दिन-दिन आदि।
प्रमुख शोधार्थी ब्रिटेन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के मिटसुहिको ओटा का कहना है, "हमारे अध्ययन के दौरान पहली बार इस तरह के साक्ष्य मिले हैं कि बच्चे दोहराव के साथ जल्दी शब्द सीखते हैं।"
ओटा कहते हैं, "यही कारण है कि दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों में बच्चों को सीखाने के लिए दोहराव वाले शब्दों का प्रयोग किया जाता है। जैसे पा पा, दा दा, मा मा, का का, चा चा आदि"
यह अध्ययन लैंग्वेज लर्निग एंड डेवलपमेंट जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन के दौरान शोध दल 18 महीने के बच्चों पर अध्ययन किया। इसमें शोधकर्ताओं ने विभिन्न तस्वीरों और कंप्यूटर स्क्रीन के माध्यम से बच्चों पर अध्ययन किया।
उनकी आंखों की पुतलियों की रिकार्डिग से यह पता चला कि दोहराव वाले चीजों पर वे ज्यादा ध्यान देते हैं और तेजी से सीखते हैं।
--आईएएनएस
पुराने दर्द को बढ़ा सकती हैं दर्द निवारक दवाएं
न्यूयॉर्क, 31 मई (आईएएनएस)। अल्पकालिक दर्द को दूर करने में दर्द निवारक का सेवन स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक दुष्प्रभाव डाल सकता है। नए शोध में चेतावनी दी गई है कि दर्द निवारक खाने से कई पुराने दर्द की अवधि बढ़ जाती है।
इन निष्कर्षों ने पिछले कुछ दशकों में दर्द निवारक दवा की लत के दुष्परिणामों की जानकारी दी है।
अमेरिका की युनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बाउल्डर से इस अध्ययन के मुख्य लेखक पीटर ग्रेस ने कहा, "हमने अपने शोध के जरिए बताया है कि मादक दवाओं का संक्षिप्त सेवन दर्द पर लंबी अवधि के नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।"
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि नशीले पदार्थ जैसे अफीम ने चूहों के पुराने दर्द में वृद्धि कर दी।
ग्रेस के अनुसार, परिणाम बताते हैं मानवों में दर्द निवारकों की वृद्धि पुराने दर्द को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकती है। हमने पाया है कि यह उपचार समस्या को हल करने के बजाए उसे बढ़ा सकता है।
यह शोध 'प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
--आईएएनएस
पोर्नोग्राफी से बढ़ता है धर्म के प्रति झुकाव : अध्ययन
न्यूयॉर्क, 30 मई (आईएएनएस)। आप इसे विचित्र कह सकते हैं, लेकिन ओक्लाहोमा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि जो लोग हफ्ते में एक बार से अधिक अश्लील फिल्म (पोर्नोग्राफी) देखते हैं उनमें धार्मिक होने का अधिक रुझान रहता है। यह उनके साथ जुड़े अपराध भाव की वजह से हो सकता है।
समाजशास्त्र एवं धार्मिक अध्ययन मामलों के सहायक प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता सैमुएल र्पेी के अनुसार, "अश्लील चित्र देखना दोषी महसूस करने के लिए प्रेरित कर सकता है खासकर जब कोई व्यक्ति अपने धर्म के नियम का उल्लंघन कर रहा हो।"
'सेक्स रिसर्च' नामक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन रिपोर्ट में उन्होंने कहा है, ' पोर्नोग्राफी देखने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है, हो सकता है कि लोग अपने व्यवहार को तर्कसंगत बनाने या जिनसे लगता है कि वे कसूरवार हैं उससे बाहर आने के लिए यह उन्हें धर्म की ओर मोड़ती है।"
इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों पर छह साल तक नजर रखी और इस अवधि में उन्होंने पोर्नोग्राफी कितनी देखी और धार्मिक कितने रहे, इसका आकलन किया।
इस नमूने में देश भर का प्रतिनिधित्व करने वाले 1314 लोगों के एक समूह को शामिल किया गया। इस समूह ने पोर्नोग्राफी इस्तेमाल और धार्मिक आदतों से जुड़े सवालों का जवाब दिया।
अध्ययन में कहा गया है कि उम्र और लिंग जैसे नियंत्रक कारकों के बाद पोर्नोग्राफी को कम धार्मिकता से जुड़ा देखा जा रहा था। यह स्थिति तब रही जब तक पोर्नोग्राफी हफ्ते में एक बार से अधिक नहीं हो गई। ऐसी स्थिति में धार्मिकता बढ़ गई।
इस शोध के लेखकों ने कहा लिखा है कि विद्वान जहां यह मानते हैं कि अधिक धार्मिक होने से पोर्नोग्राफी का इस्तेमाल कम होगा किसी ने भी अनुभव के आधार पर इसकी जांच नहीं की कि क्या इसका उल्टा भी सच हो सकता है।
इस अध्ययन निष्कर्ष से पता चलता है कि पोर्नोग्राफी देखने से हो सकता है कि कुछ पैमाने पर धार्मिकता में कमी आए लेकिन इसका चरम स्तर वास्तव में धर्म के प्रति झुकाव को बढ़ा सकता है या कम से कम धर्म की ओर ले जाने में अधिक सहायक हो सकता है।
--आईएएनएस
मौत के नजदीक लाता है सिगरेट का हर कश
नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)। तंबाकू उत्पादों के डिब्बों पर इसके सेवन से होने वाले नुकसान के संदेश चाहे कितने ही डरावने क्यों न हों, इसके बावजूद महिलाओं में धूम्रपान की लत बढ़ती ही जा रही है। 21वीं सदी में सार्वजनिक स्वास्थ्य की एक सबसे बड़ी जिम्मेदारी महिलाओं को धूम्रपान की लत से बचाना होगा।
खतरे वाली बात तो यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, तंबाकू के सेवन से वर्तमान में दुनिया भर में प्रत्येक साल 50 लाख लोगों की मौत होती है और अनुमान के मुताबिक, धूम्रपान से साल 2016 से 2030 के बीच की अवधि में 80 लाख लोग तथा 21वीं सदी में कुल एक अरब लोगों की मौत होगी।
दुनिया भर में साल 2010 में महिलाओं को सिगरेट के विपणन के साथ लिंग तथा तंबाकू के बीच संबंध स्थापित करने के इरादे से वर्ल्ड नो टोबैको डे शुरू किया गया। यह विषय तंबाकू से महिलाओं व लड़कियों को होने वाले नुकसान से लोगों को जागरूक करने के लिए शुरू किया गया और इसे हर साल मनाया जा रहा है।
महिलाएं/लड़कियां धूम्रपान को अभिव्यक्ति की आजादी समझने लगी हैं। यह आवश्यक है कि महिलाओं का सशक्तीकरण जारी रखना चाहिए, महिलाओं के बीच धूम्रपान की बढ़ती लत के संभावित खतरों तथा जिस प्रकार सिगरेट उद्योग कथित सामाजिक परिवर्तन के लिए महिलाओं को लक्षित कर रहा है, उस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
किशोरावस्था में लड़कियां धूम्रपान की शुरुआत करती हैं और साल दर साल इनकी संख्या बढ़ती ही जाती है। इस बात के हालांकि सबूत हैं कि लड़कियों द्वारा धूम्रपान शुरू करने के कारण लड़कों द्वारा धूम्रपान करने के वजहों से अलग है।
बच्चों का मात-पिता से संबंध भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किशोरों की चाहत माता-पिता, स्कूल व समुदाय से अधिक से अधिक जुड़ाव की होती है। दुर्भाग्यवश, आज के दौर में माता-पिता अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते, जिसके कारण उनके बच्चे की उनकी गलत संगति में पड़ने की संभावना अधिक हो जाती है।
आधी सदी पहले फेफड़े के कैंसर से महिलाओं की तुलना में पांच गुना ज्यादा पुरुष मरते थे। लेकिन इस सदी के पहले दशक में यह खतरा पुरुष व महिला दोनों के लिए ही बराबर हो गया। धूम्रपान करने वाले पुरुषों व महिलाओं के फेफड़े के कैंसर से मरने का खतरा धूम्रपान न करने वालों की तुलना में 25 गुना अधिक होता है।
धूम्रपान करने वाली महिलाओं के बांझपन से जूझने की भी संभावना होती है। सिगरेट का एक कश लगाने पर सात हजार से अधिक रसायन संपूर्ण शरीर व अंगों में फैल जाते हैं। इससे अंडोत्सर्ग की समस्या, जनन अंगों का क्षतिग्रस्त होना, अंडों को क्षति पहुंचना, समय से पहले रजोनिवृत्ति व गर्भपात की समस्या पैदा होती है।
अब भी वक्त है, धूम्रपान छोड़ दीजिए। धूम्रपान छोड़ने से लंबे समय तक स्वस्थ रहने व जीने का संभावना बढ़ जाती है।
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मुहांसों को ऐसे रखें दूर
नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)। चेहरे पर मुहांसे केवल महिलाओं या किशोरियों को ही नहीं, बल्कि अपनी सुंदर छवि को बनाए रखने वाले पुरुषों को भी चिंतित करते हैं।
विशेषज्ञ का कहना है कि अपने शरीर में पानी की कमी न होने दें और चेहरे से हटाने के लिए मुहांसों को न छुएं।
हिमालया ड्रग कंपनी की 'स्किन केयर' विशेषज्ञ चंद्रिका महिंद्रा ने चेहरे की देखभाल से संबंधित कुछ सुझाव साझा किए हैं, जो इस प्रकार हैं :-
* अपने चेहरे को तरोजाता रखने के लिए इसे दिन में तीन बार धोएं, जिससे धूल के गंदे कण बाहर निकल जाएंगे। हालांकि, ध्यान रहे इसे बार-बार न करें। अपने चेहरे को साफ करने के लिए फेस वॉश का इस्तेमाल करें। प्राकृतिक सामग्री से बने उत्पाद मुहांसों की समस्या को दूर करने में कारगार साबित होते हैं।
* आपकी त्वचा को मुहांसों से दूर रखने का सबसे अच्छा तरीका है शरीर में पानी की कमी न होने देना। इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
* चेहरे पर उभर आए मुहांसों को हटाने के लिए इन्हें छूने की कोशिश न करें। इससे इनके दाग पड़ने का भी डर होता है।
* पुरुष अगर रोजाना शेव करते हैं, तो अच्छे गुणवत्ता का इलेक्ट्रिक शेवर या रेजर का इस्तेमाल करें। शेविंग क्रीम लगाने से पहले हल्के हाथों से साबुन का इस्तेमाल कर अपनी दाढ़ी को मुलायम कर दें।
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महिलाएं भी ट्विटर पर करती हैं अश्लील टिप्पणियां
न्यूयॉर्क, 28 मई (आईएएनएस)। अगर आपको लगता है कि विभिन्न सोशल मीडिया वेबसाइटों पर महिलाओं को अश्लील टिप्पणियां केवल पुरुष ही करते हैं, तो आपको गलतफहमी है। नए शोध के मुताबिक, माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर जिन महिलाओं को अश्लील टिप्पणियों का सामना करना पड़ता है, उनमें से आधी टिप्पणियां महिलाओं द्वारा की गई होती हैं।
तीन सप्ताह तक ब्रिटेन में ट्विटर उपयोगकर्ताओं का विश्लेषण करने के बाद ब्रिटिश थिंकटैंक 'डेमोस' ने पाया कि ट्विटर पर अश्लील टिप्पणियों के जिम्मेदार पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी हैं।
एक्सप्रेस डॉट को डॉट यूके की एक रपट के मुताबिक, शोध दल ने ट्विटर पर 'स्लट' तथा 'व्होअर' जैसे शब्दों को अश्लीलता की श्रेणी में रखकर उपयोगकर्ताओं के अकाउंट को खंगाला।
शोधकर्ताओं को ट्वीट में ऐसे दो लाख से अधिक शब्द मिले, जिसे 80 हजार लोगों को भेजा गया था।
वेबसाइट के मुताबिक, शोधकर्ता एलेक्स क्रासोदोम्स्की-जोन्स ने कहा, "निष्कर्ष इस बात को दर्शाता है कि अपने अकाउंट पर इस तरह के शब्दों को देखकर महिलाओं को कितनी पीड़ा पहुंचती होगी।"
क्रासोदोम्स्की ने कहा, "ऐसे अश्लील शब्द केवल ट्विटर तक ही सीमित नहीं हैं। अन्य सोशल मीडिया वेबसाइटों पर भी इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जाता है।"
निष्कर्ष में यह बात सामने आई कि ट्विटर के 6,500 उपयोगकर्ताओं को इस तरह के 10 हजार शब्दों को झेलना पड़ा।
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स्वस्थ जीवनशैली से स्तन कैंसर का खतरा होता है कम
न्यूयार्क, 27 मई (आईएएनएस)। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से महिलाओं में स्तन कैंसर के विकसित होने का खतरा काफी कम हो जाता है। भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक के शोध में यह जानकारी मिली है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, विकासशील देशों की महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा सबसे अधिक होता है।
इस शोध के निष्कर्ष से पता चला है कि अमेरिका की 30 साल की गोरे रंग की त्वचा वाली महिला को औसतन 80 साल की उम्र तक स्तन कैंसर होने की संभावना 11.3 फीसदी होती है।
हालांकि अल्कोहल के कम इस्तेमाल, वजन पर काबू और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से बचने से स्तन कैंसर के मामले को 30 फीसदी तक टाला जा सकता है।
अमेरिका के जॉन होपकिंग्स विश्वविद्यालय के प्रोफेसर निलंजन चटर्जी का कहना है, "आप अपनी जीन को तो बदल नहीं सकते। लेकिन हमारे निष्कर्षो से पता चला है कि जिन लोगों को उच्च अनुवांशिक खतरा होता है। वे अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर जैसे सही खानपान, कसरत और तंबाकू के परहेज जैसी चीजों से उसे रोक सकते हैं।"
यह शोध जामा ओंकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किया गया है। एक बार अगर महिलाएं इस बात को समझ जाएं कि उनके जीन उन्हें कैंसर होने की पूरी तरह भविष्यवाणी नहीं कर सकते। उन्हें अपने जीवनशैली में बदलाव लाना होगा, जिससे वे इस घातक बीमारी से बच सकती हैं।
चटर्जी कहते हैं, "इस शोध के निष्कर्षो से लोगों को स्वस्थ जीवनशैली के लाभ को व्यक्तिगत स्तर पर समझने में मदद मिलती है।"
शोधकर्ताओं का कहना है कि हालांकि यह शोध फिलहाल गोरी महिलाओं पर ही लागू होते हैं। विभिन्न जातीय समूहों के जीन के प्रभाव को समझने के लिए आगे अन्य शोध करने की जरूरत है।
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स्मार्ट बच्चा चाहिए तो गर्भावस्था के दौरान खाएं फल
इस अध्ययन के निष्कर्षो में बताया गया है कि अगर गर्भवती महिलाएं औसतन छह या सात बार फल या फलों का जूस रोजाना लेती हैं तो उनके बच्चे का एक साल की उम्र में आईक्यू उसे नापने वाले स्केल में 6 या 7 अंक अधिक होता है।
कनाडा के अलबर्टा यूनिवर्सिटी के मुख्य शोधकर्ता पीयूष मंधाने ने बताया, "हमने पाया है कि संज्ञानात्मक विकास के बारे में इससे सबसे अधिक पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान बच्चे की मां ने कितना फल खाया है। जितना ज्यादा फल मां खाती हैं उतना ही उनके बच्चे का संज्ञानात्मक विकास अधिक होता है।"
शोधदल ने 688 बच्चों के आंकड़ों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है। इसमें पाया गया कि जो मांएं गर्भावस्था के दौरान ज्यादा फल खाती हैं उनके बच्चे एक साल की उम्र में विकासात्मक परीक्षण पर बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
यह शोध इबियोमेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ है। मंधाने कहते हैं, "हमें यह जानकारी पहले से है कि गर्भाशय में बच्चा जितना ज्यादा समय तक रहता है उसका विकास उतना ही ज्यादा होता है और इसके साथ अगर मां रोजाना लिए जाने फलों की मात्रा को बढ़ा दे तो बच्चों को वही लाभ मिलता है जो उसे गर्भाशय में एक हफ्ते अधिक रहने को मिलता।"
इस शोध के दौरान अपने निष्कर्षो को और विकसित करने के लिए मंधाने ने सहशोधार्थी फ्रेंकोइस बोल्डुक के साथ मिलकर काम किया जो मनुष्यों और फलों पर मंडराने वाली मक्खियों की अनुभूति के आनुवांशिक आधार पर शोध करते हैं।
बोल्डुक बताते हैं, "मक्खियां मनुष्यों से काफी अलग होती हैं। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उनके 85 फीसदी जीन वही होते हैं जो मनुष्यों के मष्तिष्क की कार्यप्रणाली के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसके कारण स्मृति की अनुवांशिकी को समझने के लिए ये मक्खियां काफी काम की साबित होती हैं।"
इस शोध के दौरान यह पाया गया कि जिन मक्खियों को गर्भावस्था के दौरान अधिक फलों का जूस मिला उनके पैदा होने के बाद उनमें याद्दाश्त की क्षमता अधिक देखी गई, जबकि मंधाने द्वारा एक साल के बच्चों पर किए गए शोध में भी यही नतीजे देखने को मिले थे।
--आईएएनएस
गर्मियों में त्वचा, बालों को बचाएं धूप से
मेकअप विशेषज्ञ श्रेया चड्ढा ने इसके लिए कुछ उपाय बताए हैं -
गर्मियों के महीनों में अपनी त्वचा में नमी बनाए रखने के लिए उसे नमी और पोषण देना जरूरी है। इसके लिए अपने पास एक स्प्रे रखें, खासतौर पर जब आप बाहर निकलें। एसेंस स्प्रे आपकी त्वचा के पीएच को संतुलित रखने में मदद करेगा और साथ ही यह त्वचा में नमी के स्तर को बनाए रखकर त्वचा को नर्म और मुलायम बनाएगा।
गर्मियों में मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन बढ़ा दें। संतरा, तरबूज, ,खरबूजा, अनानास, टमाटर, ब्रोकली, सलाद के पत्ते और पालक बीटा कैरोटीन के अच्छा स्रोत हैं। ये आपकी त्वचा की जरूरत को पूरा करते हैं।
गर्मियों के दौरान क्लींजिंग मिल्क का इस्तेमाल करने की जगह अपनी त्वचा के अनुरूप सौम्य फेसवॉश का प्रयोग करें। दिन में दो से चार बार एल्फा हाइड्रोक्सी एसिड युक्त फेसवॉश का प्रयोग बेहद लाभदायक है।
सोने से पहले त्वचा पर तेल रहित मॉयश्चराइजर लगाएं। इससे त्वचा की खोई चमक लौट आएगी।
बाजार में कई प्रकार के सनस्क्रीन उपलब्ध हैं। एसपीएफ 25 या इससे अधिक वाले सनस्क्रीन का चुनाव करें। घर से बाहर निकलने से 30 मिनट पहले सनस्क्रीन लगाएं।
चेहरे से अतिरिक्त तेल और मुहांसों के निशान दूर करने के लिए मुल्तानी मिट्टी और सैलिसाइक्लिक एसिड युक्त फेसवॉश लगाएं। इनसे आपको मुहांसों से छुटकारा मिलेगा और त्वचा को प्राकृतिक निखार मिलेगा।
अत्यधिक पसीने से बाल चिपचिपे और बेजान हो जाते हैं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए गर्मियों में अपने बालों को सौम्य शैंपू से धोएं, लेकिन सिर की त्वचा को रगड़ें नहीं क्योंकि ऐसा करने से सिर की त्वचा से तेल निकलता है।
बालों को रेशमी, मुलायम बनाए रखने के लिए शैंपू के बाद कंडीशनर का इस्तेमाल करें, लेकिन गर्मियों में बालों पर गाढ़े तेल न लगाएं।
डैंड्रफ भी बालों के लिए एक बड़ी समस्या है। इससे बाल टूटते हैं। इस समस्या से बचने के लिए अपने बालों को सप्ताह में एक बार जिंक पायरिथोन और केटोकोनजोल युक्त मेडिकेटिड शैंपू से धोएं। डैंड्रफ दूर करने के लिए नींबू और मेथी जैसे घरेलू उपाय भी बेहद कारगर हैं।
अपनी त्वचा और बालों को पोषण देने के लिए पानी, फलों का रस, ठंडा दूध और नारियल पानी भरपूर मात्रा में पीएं। तरल पदार्थ शरीर की मृत कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने में मदद करते हैं और निर्जलीकरण और हीट स्ट्रोक से बचाते हैं। इसलिए खुद को ताजे पेय पदार्थो से तरोताजा रखें, लेकिन अत्यधिक चाय, कॉफी या अन्य गर्म पेय पदार्थो से बचें।
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धन रोमांटिक रिश्तों पर डाल सकता है असर
हांगकांग, 25 मई (आईएएनएस)। हमारी रोमांटिक पसंद न सिर्फ भावनाओं के आधार पर निर्धारित होती है, बल्कि यह इस पर भी निर्भर करता है कि दूसरों की तुलना में हम कितना अमीर महसूस करते हैं। एक दिलचस्प अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक इस शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि जो लोग 'सशर्त समागम रणनीति' में संलग्न होते हैं, वे रोमांटिक विकल्प के अलावा धन के आधार पर चयन करते हैं।
हांगकांग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डारियस चान का कहना है, "हम रोमांटिक संबंधों के विकास के धन के मनोवैज्ञानिक महत्व को समझना चाहते थे, क्योंकि इस विषय पर काफी कम जानकारी उपलब्ध है। इस तरीके से लोग अपने संबंधों जिसमें वे हैं उसके बेहतर परिप्रेक्ष्य को समझ सकते हैं।"
इस शोध के तहत कॉलेज जाने वाले चीनी छात्रों के दो समूह पर प्रयोग किया गया जो पहले से ही विषमलैंगिक दीर्घकालिक संबंधों में शामिल थे। उन जोड़ों को कहा गया कि अपने संसर्ग के व्यवहार की जांच के लिए अपने आप को अमीर या गरीब होने की कल्पना करें।
पहले अध्ययन में पाया गया कि जिन पुरुषों ने अपने अमीर होने की कल्पना की थी, वे अपने को गरीब होने की कल्पना करने वालों के मुकाबले अपने साथी के शारीरिक आर्कषण से कम संतुष्ट थे और अल्पकालिक संबंधों के प्रति उत्सुक थे।
हालांकि जिन महिलाओं ने अपने आप को अमीर सोचा, उन्हें अपने पुरुष साथी के शारीरिक दिखावट को लेकर अधिक रुचि नहीं थी।
वहीं, दूसरे अध्ययन में सभी अमीर प्रतिभागियों ने पाया कि उनके लिए वित्तीय रूप से कमजोर वर्ग के पुरुषों के मुकाबले विपरित लिंग के आर्कषक सदस्य के साथ बातचीत करना ज्यादा आसान है।
हालांकि महिला और पुरुष चाहे अमीर हो या गरीब हमेशा आर्कषक साथी के चयन को ही उत्सुक होते हैं।
चान विस्तार से बताते हैं, "अमीर पुरुष अपनी साथी के शारीरिक आर्कषण को अधिक महत्व देते हैं और कम पैसे वाले पुरुषों की तुलना में वे अल्पकालिक संबंधों के प्रति अधिक उत्सुक होते हैं। हालांकि किसी रिश्ते में पड़ी महिला के लिए अमीर होने से उनके दीर्घकालिक संबंधों पर प्रभाव नहीं पड़ता।"
हालांकि यह अध्ययन किसी खास संस्कृति तक ही सीमित है, लेकिन इससे मानव संसर्ग के बारे में नई जानकारी मिली है। यह अध्ययन फ्रंटियर इन साइकोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।
चान कहते हैं, "हम उम्मीद करते हैं कि हमारे अध्ययन दूसरी संस्कृतियों पर भी सच साबित होंगे। क्योंकि संसर्ग के लिए साथी ढूंढने का आधारभूत तरीका सभी संस्कृतियों में लगभग समान ही है।"
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