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काव्य संग्रह ’बिखरने से बचाया जाए’ का लोकार्पण

दिल्ली: 9 मई/ दिल्ली के कन्सटीट्यूशन क्लब (डिप्टी चेयरमैन हॉल) में 7 मई शनिवार  शाम लेखिका श्रीमती अलका सिंह के काव्य संग्रह ’बिखरने से बचाया जाए’ का लोकार्पण प्रख्यात साहित्यकार एवं आलोचक डॊ. नामवर सिंह ने किया. इस मौक़े पर उन्होंने कहा कि हिंदी में ग़ज़ल लिखना मुश्किल काम है. बहुत कम लोग ही लिखते हैं, लेकिन अलका सिंह की किताब एक उम्मीद जगाती है कि कविता, ग़ज़लें और मुक्तक को आने वाली पीढ़ी ज़िंदा रखेंगी. यह अनूठा काव्य संग्रह है.

उन्होंने कहा कि लोकार्पण कार्यक्रम में इतने लोगों का जुटना अपने आप में मायने रखता है. राजनीति करने वालों ने दिल्ली को उजाड़ दिया है, यह केवल राजधानी बन कर न रहे, बिखरने से बचे. इसके लिए कविताएं ज़रूरी हैं. ’ज़रूरी तो नहीं खुशियां ही मिलें दामन में, कुछ ग़मो को भी तो सीने से लगाया जा’ बेहतरीन शेअर है.

समीक्षक अनंत विजय ने कहा कि यह संग्रह कॉकटेल है, जिसमे ग़ज़लें, कविताएं और मुक्तक हैं. हिंदी साहित्य में प्रेम का भाव है, लेकिन इस संग्रह ने नई उम्मीद जगाई है. रिश्तों को लेकर लेखिका की बेचैनी साफ़ झलकती है.

’दाग़ अच्छे है’ में अंग्रेज़ी के शब्दो का प्रयोग धूप में मोती की तरह है. आधुनिक युग की त्रासदी ’सुख बेच दिए, सुविधाओं की ख़ातिर’ में साफ़ झलकती है. शब्दों के साथ ठिठोली क़ाबिले-तारीफ़ है.

कवयित्री अनामिका ने कहा कि लेखिका की सोच व्यापक है, समावेशी है समेटने की कोशिश है. स्पष्ट और मुखर होकर बेबाकी से हर बात कही गई है. कई आयामों को छूती ये रचनाएं सीधे मन को छूती हैं.

अमरनाथ अमर ने कहा की कविता कई सवाल उठाती है और समाधान देती है. "अपना कफ़न ओढ़ कर सोने लगे हैं लोग" विश्व स्थिति को व्यक्त करती है. मंच संचालन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में सहायक प्राध्यापक डॊ. सौरभ मालवीय ने किया. सार्थक पहल का यह आयोजन प्रवक्ता डॉट कॉम तथा नया मीडिया मंच के संयुक्त तत्वावधान में हुआ. इस अवसर पर साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र की जानी मानी हस्तियां मौजूद थीं.

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  • माँ

    नैना शर्मा

    ख़ुद कर्म की रेत में तपकर,
    हमे कुंदन सा निखारती है माँ,
    ख़ुद भूखी रहकर,
    हमारा पेट भरती है माँ।

    ख़ुद काँटों पर चलकर,
    हमारी राहों में फ़ूल बिखेरती है माँ,
    कभी अंधियारों में रहकर,
    तमाम रंज सहकर,
    हमारे जीवन में,
    आशा,ज्ञान,की लौ,
    प्रज्वलित करती है माँ।

    ख़ुद वीराने में अकेले रहकर,
    दुनिया से लड़कर,
    हमे संस्कारों से पोषित करती है माँ,
    ख़ुद सब कुछ सह के,
    हमे हमारे लिए बोलना सिखाती है माँ।

    माँ के रूप में ईश का वरदान है माँ,
    तुलसी,सूर,कबीरा, की लेखनी से परे है माँ,
    मेरी माँ,तेरी माँ,
    हम सबकी माँ,
    माँ,प्यारी माँ।।

  • राग की कविताएं अब उत्कर्ष की कविताएं हैं : संतोष चौबे

    भोपाल: 29 अप्रैल/ राग तेलंग समकालीन हिंदी कविता के उन विरले कवियों में से हैं जो अछूते विषयों को छूने का जोखिम उठाते हुए बेहद सरलता से चीज़ों और उनके जटिल समुच्चयों को हल करने का हुनर पाठक में प्रवेश कराते हैं. ये विचार सुपरिचित कथाकार, कवि और आलोचक संतोष चौबे ने राग तेलंग के नए कविता संग्रह " मैं पानी बचाता हूं" के लोकार्पण अवसर पर कही.

    वरिष्ठ आलोचक रामप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि राग तेलंग की रचनाएं दृश्य के पीछे के तमाम अदृश्य प्रतिबिंबों और अदृश्य के स्पष्ट दृश्यों का प्रभावी और विश्वसनीय खाका तैयार करती हैं,वे हमारे समय के ऐसे कवि हैं जिनके सरोकार सीधे तौर पर समाजोन्मुख हैं.

    राज्य संसाधन केन्द्र के सभागार में वनमाली सृजन पीठ और मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मलेन के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में इस अवसर पर राग की कविताओं की दो ई बुक्स का भी लोकार्पण किया गया.आमंत्रित अतिथियों में बीएसएनएल के महाप्रबंधक संदीप सावरकर, पलाश सुरजन, स्मिता नागदेव, अनघा राग, कला समीक्षक विनय उपाध्याय सहित अनेक वरिष्ठ साहित्यकार उपस्थित थे. इस कार्यक्रम का सफल संचालन युवा आलोचक आनंद कृष्ण ने किया.

    कार्यक्रम में राज्य संसाधन केन्द्र के निदेशक संजय सिंह राठौर,संदीप श्रीवास्तव,अनुराग सीठा,इम्तियाज़ खान,अशोक सिंह,रितु वर्गीस,राजू वानखेड़े सहित कई साहित्य प्रेमी उपस्थित थे.

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    साहित्य और संस्कृति की मानक संस्था वनमाली सृजन पीठ का दो दिवसीय प्रतिष्ठा आयोजन विविध  रचनात्मक गतिविधियों के बीच आयोजित किया जा रहा है. पांच अप्रेल की शाम 6.30 बजे  भारत भवन में हिंदी के वरिष्ठ आलोचक डा.धनञ्जय वर्मा और भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई की विशिष्ट उपस्थिति में प्रसिद्ध कथाकार चित्रा मुदगल(नई दिल्ली), प्रभु जोशी (इंदौर), मोहम्मद आरिफ(पटना) और विनोद तिवारी(दिल्ली) के साथ ही सहित्यिक पत्रिका "रचना समय"(संपादक-हरि  भटनागर) को सम्मान अलंकरण भेेंट किया जाएगा। कथाकार संतोष चौबे और मुकेश वर्मा सम्मानित लेखकों के साहित्यिक योगदान पर वक्तव्य देंगे।समारोह का संचालन कला समीक्षक विनय उपाध्याय करेंगे। इस अवसर पर प्रख्यात नाट्यकर्मी डॉ.देवेन्द्र राज अंकुर के निर्देशन में रंग समूह "संभव" के कलाकार वनमाली जी की बहुचर्चित कहानियों - जिल्दसाज,शहर और माझी का मंचन करेंगे।

    समारोह के दूसरे दिन सुबह 10.30 बजे आईसेक्ट विश्वविद्यालय में "परंपरा, आधुनिकता और समकालीन हिंदी कहानी" विषय पर विचार सत्र होगा।अध्यक्षता संतोष चौबे करेंगे, आधार वक्तव्य आलोचक विनोद तिवारी का होगा। प्रभु जोशी, शशांक, शम्भू गुप्त, जयप्रकाश, पल्लव, अवधेश मिश्र, राजीव कुमार, राहुल सिंह विषय पर अपने विचार व्यक्त करेंगे। शाम 6.30 बजे स्वराज भवन में सम्मानित लेखकों का  रचना पाठ होगा । अध्यक्षता डा.ज्ञान चतुर्वेदी करेंगे। चर्चा में शशि भूषन,मुकेश वर्मा, वन्दना राग और बलराम गुमास्ता हिस्सा लेंगे।

  • संतोष चौबे की कहानी घटनाओं का पूर्वाभास जगाती मौजूदा दौर की हक़ीक़त बयां करती है- डॉ नंदकिशोर

    संतोष चौबे के कहानी संग्रह "नौ बिन्दुओं का खेल" का लोकार्पण

    भोपाल: 18 मार्च/ यह दौर अपने समय और सरोकारों को लेकर नई रचनात्मक चुनौतियों का है. लेखक को चाहिए की वे विषय और भाषा के तयशुदा दायरे से बाहर निकालकर वैचारिक उद्वेलन के लिए समाज को प्रेरित करें। संतोष चौबे इस अर्थ में अपनी कहानी को नया विस्तार देते हैं. उनकी कहानी घटनाओं का पूर्वाभास जगाती मौजूदा दौर की हक़ीक़त बयां करती है. उक्त वक्तव्य साहित्य और संस्कृति के मूर्धन्य विद्वान- आलोचक डॉ नंदकिशोर आचार्य ने भारत भवन में हिंदी के सुप्रसिद्ध कथाकार संतोष चौबे के नए कथा संग्रह "नौ बिन्दुओं का खेल" के लोकार्पण अवसर पर दिया।

    इस अवसर पर संतोष चौबे ने कथा संग्रह की कहानी "नौ बिन्दुओं का खेल" का बहुत ही रोचक और प्रभावी पाठ किया। हर क्षेत्र ने नवाचार के लिए जाने पहचाने जाने वाले संतोष चौबे ने कहानी पाठ में भी कुछ नए प्रयोग किये। कहानी से सम्बंधित कुछ चित्रों को कहानी पाठ के साथ प्रोजेक्टर के जरिये परदे पर दिखाया गया. इसके साथ ही कहानी पाठ के आरम्भ और समापन पर कहानी के भाव से जुड़े संगीत का अद्भुत प्रयोग भी किया गया.

    नौ बिन्दुओं का खेल कहानी आज के कार्पोरेट, बाज़ार, राजनीति और समाज के विरोधाभासों की परतें खोलते हुए एक नए तरह का विश्लेषण प्रस्तुत करती है.

    रचना पाठ से पूर्व खरीन्यूज़ से बात करते हुए संतोष चौबे ने कहा की वे हमेशा अपने वक्ती दौर के कुछ नए प्रश्नों और द्वंदों के साथ अपनी रचनाओं में दाखिल होते रहे हैं. लम्बी कहानियों के इस नए संग्रह में भी यही आग्रह रहा है.

    समारोह के मुक्य वक्ता हैदराबाद से आये नंदकिशोर आचार्य ने चौबे को हिंदी कहानी में नवाचार के साथ प्रस्तुत होने और अपने समय की जटिलताओं का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करने वाला समर्थ कथाकार बताया। आचार्य ने कहा की संतोष चौबे की कहानी के पात्र कथानक की रोचकता को कायम रखते हुए नई बहस को शक्ल देते हैं.

    दिल्ली से आये युवा आलोचक वैभव सिंह ने संग्रह को एक लेखक का सही हस्तक्षेप बताया।

    समारोह के आरम्भ में कला समीक्षक विनय उपाध्याय ने संतोष चौबे को बहुआयामी सर्जक बताते हुए उनके कथा व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। वनमाली सृजन पीठ और पहले पहल प्रकाशन द्वारा आयोजित इस समारोह में साहित्य, कला और शैक्षणिक जगत के गणमान्य हस्ताक्षर मौजूद थे. अंत में पहले पहल प्रकाशन के संचालक महेंद्र गगन ने आभार व्यक्त किया।

  • संतोष चौबे का कहानी पाठ आज, कहानी संग्रह "नौ बिंदुओं का खेल" का भी होगा विमोचन

    भोपाल: 17 मार्च/ हिन्दी के बहुचर्चित कथाकार और उपन्यासकार लेखक संतोष चौबे 18 मार्च की शाम 6.30 बजे अपनी नई लंबी कहानी नौ बिंदुओं का खेल का पाठ भारत भवन में करेंगे। वनमाली सृजनपीठ और पहले पहल प्रकाशन द्वारा संयोजित इस रचना प्रसंग में उनके नवप्रकाशित कहानी संग्रह का विमोचन भी होगा।

    इस अवसर पर बतौर अध्यक्ष मूर्धन्य आलोचक-चिंतक नंदकिशोर आचार्य अपने मुख्य वक्तव्य में चैबे के कृति-व्यक्तित्व को रेखांकित करेंगे, जबकि युवा आलोचक वैभव सिंह लोकार्पित संग्रह पर अपना वक्तव्य देंगे। इस अवसर पर संतोष चौबे अपने संग्रह की शीर्षक कहानी नौ बिंदुओं का खेल का प्रयोगधर्मी पाठ करेंगे। कार्यक्रम के सूत्रधार कला समीक्षक विनय उपाध्याय होंगे।

    साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश शासन के दुष्यंत कुमार पुरस्कार सहित अनेक प्रादेशिक और राष्ट्रीय सम्मानों से विभूषित श्री चौबे के इससे पूर्व तीन कहानी संग्रह, दो उपन्यास, तीन कविता संग्रह और अनुवाद के अलावा समग्र साहित्य ग्रन्थ का प्रकाशन हो चुका है। वे आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलाधिपति है।

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