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आपके हील बताते हैं आपकी महत्वाकांक्षा!

न्यूयार्क, 24 मई (आईएएनएस)। अगर आप अपनी महिला मित्र के बारे में जानना चाहते हैं कि वो कितनी महत्वाकांक्षी है तो उनके एड़ियों की तरफ देखें। शोधकर्ताओं के मुताबिक, एक महिला अगर ऊंची हील के जूते-सैंडल पहनती है तो यह समाज में रुतबा हासिल करने की गहरी मानवीय तीव्र इच्छा का ही प्रतीक है।

इस शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि महिलाएं स्थानीय प्रवृत्ति को अपनाती है यानी जब वो शहर के अमीर हिस्से में जाती हैं तो ऊंची हील पहनती हैं, लेकिन वो सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े इलाकों में जाती है तो इसे नजरअंदाज कर देती है।

अमेरिका के नार्थ केरोलीना विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर कुर्ट ग्रे का कहना है, "दूसरे शब्दों में कहें तो ज्यादातर महिलाएं अमीर दिखना चाहती हैं और वे गरीब लड़कियों से अलग दिखना चाहती हैं।"

जब महिला समृद्ध इलाकों में जाती है तो वह उन इलाकों की महिलाओं के हील के साइज से अपने हील के साइज का मेल करना चाहती हैं, जो उनकी समरूपता की तीव्र इच्छा को जाहिर करता है।

हालांकि इसके विपरीत जब वे गरीब इलाकों की तरफ जाती हैं तो वे केवल अपने पिछली बार खरीदी गई सैंडल या जूते के साइज के साथ ही मेल करती है।

शोधकर्ताओं ने इस असर को 'नीचे की तरफ जाती समरूपता' का नाम दिया है, क्योंकि फैशन की वरीयता ऊपर से नीचे जाती है और शायद ही कभी नीचे से ऊपर जाती दिखती हो।

यह शोध प्लोस वन नाम के जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

ग्रे इस बारे में आगे बताते हैं, "मानव सभ्यता की शुरुआत से ही लोगों में इज्जत और रुतबे की प्यास रही है। इसलिए वे शक्तिशाली के साथ खड़े होते हैं और शक्तिहीन से अपने को अलग करते हैं। तो हील के साइज के साथ भी ऐसा करना समझ में आता है।"

लोगों की फैशन की यह आकांक्षा उन्हें अमीर और अधिक प्रभुत्व संपन्न दिखने के लिए प्रेरित करती है, और यह समाज में अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई के साथ ही और बढ़ रही है।

ग्रे कहते हैं, "पुरुषों में भी यही चलन है, खासतौर से जब वे कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स या कारें खरीदते हैं।"

--आईएएनएस

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  • मुहांसों को ऐसे रखें दूर


    नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)। चेहरे पर मुहांसे केवल महिलाओं या किशोरियों को ही नहीं, बल्कि अपनी सुंदर छवि को बनाए रखने वाले पुरुषों को भी चिंतित करते हैं।

    विशेषज्ञ का कहना है कि अपने शरीर में पानी की कमी न होने दें और चेहरे से हटाने के लिए मुहांसों को न छुएं।

    हिमालया ड्रग कंपनी की 'स्किन केयर' विशेषज्ञ चंद्रिका महिंद्रा ने चेहरे की देखभाल से संबंधित कुछ सुझाव साझा किए हैं, जो इस प्रकार हैं :-

    * अपने चेहरे को तरोजाता रखने के लिए इसे दिन में तीन बार धोएं, जिससे धूल के गंदे कण बाहर निकल जाएंगे। हालांकि, ध्यान रहे इसे बार-बार न करें। अपने चेहरे को साफ करने के लिए फेस वॉश का इस्तेमाल करें। प्राकृतिक सामग्री से बने उत्पाद मुहांसों की समस्या को दूर करने में कारगार साबित होते हैं।

    * आपकी त्वचा को मुहांसों से दूर रखने का सबसे अच्छा तरीका है शरीर में पानी की कमी न होने देना। इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।

    * चेहरे पर उभर आए मुहांसों को हटाने के लिए इन्हें छूने की कोशिश न करें। इससे इनके दाग पड़ने का भी डर होता है।

    * पुरुष अगर रोजाना शेव करते हैं, तो अच्छे गुणवत्ता का इलेक्ट्रिक शेवर या रेजर का इस्तेमाल करें। शेविंग क्रीम लगाने से पहले हल्के हाथों से साबुन का इस्तेमाल कर अपनी दाढ़ी को मुलायम कर दें।

    --आईएएनएस

  • तनाव से संबंधित जीनों की पहचान

    न्यूयॉर्क, 29 मई (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों ने सांख्यिकीय रूप से ऐसे दो महत्वपूर्ण जीनों की पहचान की है, जो पोस्ट-ट्रॉमैटिकस्ट्रेस डिसार्डर (पीटीएसडी) का जोखिम बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है।

    पोस्ट-ट्रॉमैटिकस्ट्रेस डिसार्डर एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें व्यक्ति किसी भयानक घटना को देखना और उसका अनुभव करना शुरू कर देता है।

    अमेरिका स्थित युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर मुरे बी.स्टीन ने बताया, "हमने दो उल्लेखनीय आनुवांशिक प्रकारों की खोज की है।"

    इनमें पहला जीन क्रोमोसोम के पांचवे जोड़े में स्थित एनकेआरडी55 है और दूसरा जीन क्रोमोसोम 19 में स्थित है।

    पिछले अनुसंधान में इस जीन का विभिन्न आटोइम्यून और इंफ्लेमेटरी विकारों के साथ संबंध मिला है, जिसमें टाइप 2 मधुमेह सीलिएक और रुमेटी गठिया शामिल है।

    इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने 13,000 से अधिक अमेरिकी सैनिकों के डीएनए नमूनों का व्यापक रूप से परीक्षण किया था।

    यह शोध 'जेएएमए साइकियाट्री' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

    --आईएएनएस

  • मस्तिष्क की अलग-अलग कोशिकाएं कराती हैं सकारात्मक, नकारात्मक घटनाओं का अनुभव

    सैन फ्रांसिस्को, 29 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। क्या आपको पता है कि हमारा मस्तिष्क सकारात्मक और नकारात्मक घटनाओं का कैसे अनुभव करता है। दरअसल, हमारे मस्तिष्क की अलग-अलग कोशिकाएं इसके लिए जिम्मेदार होती हैं, जो हमें सकारात्मकता तथा नकारात्मकता का अनुभव कराती हैं। यह दावा एक नए शोध में किया गया है, जिसे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया है।

    वैज्ञानिकों ने दो शोध तकनीकों को संयोजित कर बताया है कि प्रीफंटल मस्तिष्क कोशिकाएं किस प्रकार मूलत: अलग होती हैं, जो सकारात्मक एवं नकारात्मक अनुभवों के लिए होती हैं।

    यह शोध प्रोफेसर कार्ल डिसेरोथ के नेतृत्व में जैव प्रौद्योगिकी, मनोविज्ञान और व्यवहार विज्ञान के शोधार्थियों ने किया, जिसके नतीजे ऑनलाइन 'सेल' में प्रकाशित हुए हैं।

    प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स स्तनधारी जीव के मस्तिष्क में एक रहस्यमय, पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका सीधा संबंध लोगों के मूड में बदलाव से होता है और प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स की विभिन्न कोशिकाएं सकारात्मक और नकारात्मक अनुभवों की प्रतिक्रिया देती हैं। हालांकि यह किस प्रकार परस्पर विरोधी क्रियाओं को नियंत्रित करता है, इसकी जानकारी अभी नहीं मिल पाई है।

    इस नए शोध में शोधार्थियों ने पहली बार दो अत्याधुनिक अनुसंधान तकनीकों ओप्टोजेनेटिक्स और क्लैरिटी का इस्तेमाल किया था, जिसे डिसेरोथ ने विकसित किया।

    डिसेरोथ ने बताया, "ये कोशिकाएं अलग ढंग से निर्मित होती हैं और सकारात्मक तथा नकारात्मक घटनाओं के बारे में बताती हैं।"

    --आईएएनएस

  • गर्भनाल को ऐसे संक्रमित करता है जीका वायरस

    न्यूयॉर्क, 28 मई (आईएएनएस)। भारतीय मूल के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक दल ने पाया है कि घातक जीका वायरस गर्भनाल की प्रतिरक्षा कोशिकाओं को बगैर नष्ट किए उन्हें संक्रमित कर अपनी संख्या बढ़ाता है।

    शोधकर्ताओं के अनुसार, इस संबंध में बहुत कम पता चला है कि वायरस गर्भानाल में कैसे अपनी संख्या में इजाफा करता है और कौन-सी कोशिका को लक्षित करता है।

    शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि वायरस हॉफबर कोशिका को संक्रमित करता है, जो गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के सृजन से बनती हैं।

    शोधार्थियों के अनुसार, ये कोशिकाएं अन्य प्रतिरोधी कोशिकाओं की तुलना में अधिक सहलशील और कम भड़काऊ मानी जाती हैं। हालांकि शोध के दौरान इन कोशिकाओं ने एंटीवायरल और भड़काऊ प्रतिक्रिया दी थी। जिससे अंदाजा लगाया गया है कि जीका वायरस ने इन्हें संक्रमित किया होगा।

    यह शोध 'सेल होस्ट एंड माइक्रोब' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

    --आईएएनएस

  • अफ्रीकी लोगों पर हमला गंभीर मुद्दा : येचुरी

    नई दिल्ली, 28 मई (आईएएनएस)। भारत में अफ्रीकी नागरिकों पर हमले की आलोचना करते हुए मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने शनिवार को कहा कि संभावित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं को देखते हुए ऐसा हमला एक गंभीर मुद्दा है।

    येचुरी ने एक ट्वीट में कहा, "अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं को देखते हुए दिल्ली में अफ्रीकियों पर हमला एक गंभीर मुद्दा है। भारत सरकार उन्हें दूर रखना नहीं चाह सकती।"

    येचुरी की यह प्रतिक्रिया हैदराबाद में पार्किं ग स्थल के विवाद को लेकर एक नाइजीरियाई छात्र की कथित रूप से पिटाई करने के बाद आई है।

    यह घटना दक्षिण दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में एक छोटे विवाद को लेकर कांगो के एक 23 वर्षीय नागरिक को पीट कर हत्या कर देने के कुछ ही दिनों बाद की है।

    इस तरह के हमलों की घटनाओं ने दिल्ली में अफ्रीकी राजदूतों को नाराज कर दिया है। उन राजदूतों ने भारत सरकार से विरोध दर्ज कराया है। सरकार ने भारत में पढ़ रहे हजारों विद्यार्थियों को सुरक्षा मुहैया कराने का आश्वासन दिया है।

    कांगों के नागरिक पर हमले की डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की राजधानी किनशास में प्रतिक्रिया दिखी, जहां दिल्ली की घटना के बदले की कार्रवाई में भारतीय दुकानों को निशाना बनाया गया एवं कुछ भारतीय घायल हो गए।

    --आईएएनएस

  • महिलाएं भी ट्विटर पर करती हैं अश्लील टिप्पणियां

    न्यूयॉर्क, 28 मई (आईएएनएस)। अगर आपको लगता है कि विभिन्न सोशल मीडिया वेबसाइटों पर महिलाओं को अश्लील टिप्पणियां केवल पुरुष ही करते हैं, तो आपको गलतफहमी है। नए शोध के मुताबिक, माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर जिन महिलाओं को अश्लील टिप्पणियों का सामना करना पड़ता है, उनमें से आधी टिप्पणियां महिलाओं द्वारा की गई होती हैं।

    तीन सप्ताह तक ब्रिटेन में ट्विटर उपयोगकर्ताओं का विश्लेषण करने के बाद ब्रिटिश थिंकटैंक 'डेमोस' ने पाया कि ट्विटर पर अश्लील टिप्पणियों के जिम्मेदार पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी हैं।

    एक्सप्रेस डॉट को डॉट यूके की एक रपट के मुताबिक, शोध दल ने ट्विटर पर 'स्लट' तथा 'व्होअर' जैसे शब्दों को अश्लीलता की श्रेणी में रखकर उपयोगकर्ताओं के अकाउंट को खंगाला।

    शोधकर्ताओं को ट्वीट में ऐसे दो लाख से अधिक शब्द मिले, जिसे 80 हजार लोगों को भेजा गया था।

    वेबसाइट के मुताबिक, शोधकर्ता एलेक्स क्रासोदोम्स्की-जोन्स ने कहा, "निष्कर्ष इस बात को दर्शाता है कि अपने अकाउंट पर इस तरह के शब्दों को देखकर महिलाओं को कितनी पीड़ा पहुंचती होगी।"

    क्रासोदोम्स्की ने कहा, "ऐसे अश्लील शब्द केवल ट्विटर तक ही सीमित नहीं हैं। अन्य सोशल मीडिया वेबसाइटों पर भी इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जाता है।"

    निष्कर्ष में यह बात सामने आई कि ट्विटर के 6,500 उपयोगकर्ताओं को इस तरह के 10 हजार शब्दों को झेलना पड़ा।

    --आईएएनएस

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