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गर्भनाल को ऐसे संक्रमित करता है जीका वायरस

न्यूयॉर्क, 28 मई (आईएएनएस)। भारतीय मूल के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक दल ने पाया है कि घातक जीका वायरस गर्भनाल की प्रतिरक्षा कोशिकाओं को बगैर नष्ट किए उन्हें संक्रमित कर अपनी संख्या बढ़ाता है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, इस संबंध में बहुत कम पता चला है कि वायरस गर्भानाल में कैसे अपनी संख्या में इजाफा करता है और कौन-सी कोशिका को लक्षित करता है।

शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि वायरस हॉफबर कोशिका को संक्रमित करता है, जो गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के सृजन से बनती हैं।

शोधार्थियों के अनुसार, ये कोशिकाएं अन्य प्रतिरोधी कोशिकाओं की तुलना में अधिक सहलशील और कम भड़काऊ मानी जाती हैं। हालांकि शोध के दौरान इन कोशिकाओं ने एंटीवायरल और भड़काऊ प्रतिक्रिया दी थी। जिससे अंदाजा लगाया गया है कि जीका वायरस ने इन्हें संक्रमित किया होगा।

यह शोध 'सेल होस्ट एंड माइक्रोब' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

--आईएएनएस

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  • मुहांसों को ऐसे रखें दूर


    नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)। चेहरे पर मुहांसे केवल महिलाओं या किशोरियों को ही नहीं, बल्कि अपनी सुंदर छवि को बनाए रखने वाले पुरुषों को भी चिंतित करते हैं।

    विशेषज्ञ का कहना है कि अपने शरीर में पानी की कमी न होने दें और चेहरे से हटाने के लिए मुहांसों को न छुएं।

    हिमालया ड्रग कंपनी की 'स्किन केयर' विशेषज्ञ चंद्रिका महिंद्रा ने चेहरे की देखभाल से संबंधित कुछ सुझाव साझा किए हैं, जो इस प्रकार हैं :-

    * अपने चेहरे को तरोजाता रखने के लिए इसे दिन में तीन बार धोएं, जिससे धूल के गंदे कण बाहर निकल जाएंगे। हालांकि, ध्यान रहे इसे बार-बार न करें। अपने चेहरे को साफ करने के लिए फेस वॉश का इस्तेमाल करें। प्राकृतिक सामग्री से बने उत्पाद मुहांसों की समस्या को दूर करने में कारगार साबित होते हैं।

    * आपकी त्वचा को मुहांसों से दूर रखने का सबसे अच्छा तरीका है शरीर में पानी की कमी न होने देना। इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।

    * चेहरे पर उभर आए मुहांसों को हटाने के लिए इन्हें छूने की कोशिश न करें। इससे इनके दाग पड़ने का भी डर होता है।

    * पुरुष अगर रोजाना शेव करते हैं, तो अच्छे गुणवत्ता का इलेक्ट्रिक शेवर या रेजर का इस्तेमाल करें। शेविंग क्रीम लगाने से पहले हल्के हाथों से साबुन का इस्तेमाल कर अपनी दाढ़ी को मुलायम कर दें।

    --आईएएनएस

  • वैश्विक आर्थिक संकट से कैंसर से मरने वालों की संख्या बढ़ी
    लंदन, 29 मई (आईएएनएस)। वर्ष 2008-10 के वैश्विक आर्थिक संकट और इसके कारण बेरोजगारी बढ़ने से कैंसर से मरने वालों की संख्या में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। यह निष्कर्ष एक अध्ययन में सामने आया है।

    अध्ययन के मुताबिक, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के 35 सदस्य देशों में इस दौरान कैंसर से मरने वालों की संख्या में 2,60,000 से अधिक वृद्धि दर्ज की गई।

    शोधार्थियों ने अपने अध्ययन में 70 से अधिक देशों से 1990 से 2010 के बीच जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर बेरोजगारी, चिकित्सा पर सरकारी खर्च और कैंसर से मरने वालों की संख्या के बीच संबंध स्थापित किया।

    आंकड़ों के अभाव के कारण भारत, चीन और अन्य निम्न-आय वाले देशों को इस अध्ययन में शामिल नहीं किया जा सका।

    अध्ययन के मुतााबिक, इस दौरान जिन देशों में संपूर्ण स्वास्थ्य बीमा (यूएचसी) लागू था और जिन देशों ने चिकित्सा पर सरकारी खर्च बढ़ाए, वहां कैंसर से मरने वालों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई।

    यह अध्ययन शोध पत्रिका 'द लांसेट' में प्रकाशित हुआ है।

    वरिष्ठ अध्ययन लेखक और हार्वर्ड टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली के प्रोफेसर रिफत अतुन ने कहा, "आर्थिक संकट के कारण बढ़ी बेरोजगारी और सरकारी खर्च घटाए जाने का कैंसर से होने वाली मौत से संबंध है। संपूर्ण स्वास्थ्य बीमा कैंसर से होने वाली मौत से बचाता है।"

    आर्थिक संकट के कारण बढ़ी बेरोजगारी के कारण लोगों की स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच घट जाती है और रोग का देर से पता चलता है या चिकित्सा में देरी होती है।

    अध्ययन में यह भी पता चला है कि इस अवधि में कैंसर से होने वाली मौत उच्च आय वाले देशों की तुलना में मध्य आय वाले देशों में अधिक बढ़ी।

    --आईएएनएस
  • इस्कॉन मंदिर, हुमायूं के मकबरे में मच्छर प्रजनन, एसडीएमसी ने दिया नोटिस
    नई दिल्ली, 29 मई (आईएएनएस)। दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) ने रविवार को हुमायूं के मकबरे, इस्कॉन मंदिर, गांधी दर्शन और प्राणी उद्यान के अधिकारियों को अपने परिसर में मच्छर प्रजनन को रोकने में नाकाम रहने के लिए नोटिस जारी किया।

    एसडीएमसी ने एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, "हमने ऐसे नौ ऐतिहासिक, पर्यटक और धार्मिक स्थलों का निरीक्षण किया जहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं। इस दौरान हुमायूं के मकबरे, इस्कॉन मंदिर, प्राणी उद्यान और गांधी दर्शन में मच्छरों का प्रजनन देखा गया। इनके अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है।"

    यह निरीक्षण कुछ ही दिन पहले किया गया था।

    बयान के मुताबिक, "एसडीएमसी के अधिकारियों ने कुतुब मीनार, छतरपुर मंदिर, जहाज महल, महरौली और लोटस टेंपल का भी दौरा किया था। लेकिन, इन जगहों पर मच्छर प्रजनन देखने को नहीं मिला।"

    एसडीएमसी के आयुक्त पी. के. गोयल ने जन स्वास्थ्य विभाग से नियमित जांचों, विशेष रूप से पर्यटकों को आकर्षित करने वाले स्थानों पर मच्छर जनित रोगों को रोकने के लिए जांच करने का आग्रह किया है।

    --आईएएनएस
  • कोलकाता में मानसिक रोगियों की स्वचालित लौंड्री
    कोलकाता, 29 मई (आईएएनएस)। कोलकाता के एक मानसिक रोग अस्पताल में एक स्वचालित लौंड्री सेवा शुरू की गई, जिसका उद्देश्य अस्पताल में भर्ती रोगियों को दैनिक मजदूरी का अवसर प्रदान करना है।

    यह लौंड्री सरकारी कलकत्ता पैवलव अस्पताल में खोली गई है, जिसे 'धोबी घर' कहा जाता है। इसका उद्घाटन पश्चिम बंगाल की सामाजिक कल्याण मंत्री शशि पांजा ने शनिवार को किया।

    एक मानसिक रोगी अधिकार संगठन 'अंजलि' की संस्थापक रत्नाबोली रे ने कहा, "यह विचार उस धारणा को तोड़ने के लिए है कि मानसिक रोगी श्रमिक नहीं बन सकते हैं। जो काम वे लौंड्री में कर रहे हैं, उससे साबित होता है कि जीवन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है।"

    अंजलि ने राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सहयोग से लौंड्री परियोजना शुरू की थी। 'स्पर्श फउंडेशन' इसका तकनीकी सहयोगी है और 'द हंस फउंडेशन' ने इसे सक्षम बनाया है।

    मंत्री पांजा ने कहा, "यह सशक्तिकरण, आजीविका और स्वच्छता के लिए है। आप इसे भारत में कहीं भी नहीं पाएंगे।"

    --आईएएनएस
  • आनुवांशिक कोलेस्ट्रॉल के लिए जिम्मेदार जीन की खोज
    लंदन, 29 मई (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे जीन की पहचान की है, जिसकी वजह से एक ही परिवार की आने वाली पीढ़ियों में उच्च कोलेस्ट्रॉल का प्रसार होता है। जो हृदयाघात, स्ट्रोक, हृदय वाल्व, अकाल मृत्यु और संकुचन सहित दिल की कई बीमारियों का कारण है।

    फैमिलियल हाइपरकॉलेस्ट्रॉलस्टीरोलेमिया एक आनुवांशिक स्थिति है, जो कम घनत्व वाले लीपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल-सी) या बैड कोलेस्ट्रॉल से जुड़ा होता है।

    निष्कर्षो से पता चला है कि कोलेस्ट्रॉल में मौजूद लीपोप्रोटीन फैमिलियल हाइपरकॉलेस्ट्रॉलस्टीरोलेमिया के एक-चौथाई मामलों का कारण होता है।

    डेनमार्क स्थित युनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन के अंतर्गत हेरलेव हॉस्पिटल की चिकित्सक और इस अध्ययन की मुख्य शोधार्थी ऐनी लैंग्स्टेड ने बताया, "इस शोध में अन्य व्यक्तियों की तुलना में फैमिलियल हाइपरकॉलेस्ट्रॉलस्टीरोलेमिया से ग्रसित व्यक्यिों के रक्त में लीपोप्रोटीन (ए) की उच्च मात्रा पाई गई।"

    इसके साथ ही फैमिलियल हाइपरकॉलेस्ट्रॉलस्टीरोलेमिया और लीपोप्रोटीन की उच्च मात्रा से ग्रसित व्यक्तियों को हृदयघात होने की संभावना पांच गुना अधिक होती है।

    यह शोध 'द लैंसेट डाइबिटीज एंड इंडोक्राइनोलॉजी' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

    --आईएएनएस
  • छत्तीसगढ़ : खुले में शौच के खिलाफ मुहिम में बच्चों की अहम भूमिका
    आशीष मिश्रा
    रायपुर, 29 मई (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद प्रभावित जिले राजानंदगांव के ढोबनी गांव की 11 वर्षीय जनजातीय किशोरी आरती रावते सुबह चार बजे उठती है। पढ़ने के लिए नहीं बल्कि यह देखने के लिए गांव का कौन व्यक्ति खुले में शौच करने जा रहा है। वह तड़के उठकर ऐसे लोगों पर नजर रखती है और उन्हें खुले में शौच करने से रोकती है।

    आरती का गांव खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है। इसका श्रेय आरती जैसे बच्चों के प्रयासों को जाता है।

    आरती यूनिसेफ के अभियान 'टीम स्वच्छ' और एक गैर सरकारी संगठन जन कल्याण संस्थान का हिस्सा है।

    आरती ने आईएएनएस को बताया, "मैं कुछ अन्य बच्चों के साथ खुले में शौच करने के लिए जाने वालों पर नजर रखती हूं। जब हम किसी को ऐसा करने के लिए जाते देखते हैं तो सीटी बजाकर उसे ऐसा करने से रोकते हैं। खुले में शौच करने वालों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।"

    आरती के गांव के प्रत्येक घर में दो साल पहले ही शौचालय बन चुके हैं, लेकिन इससे खुले में शौच करने की समस्या खत्म नहीं हुई है।

    ग्रामीणों को खुले में शौच करने की आदत को बदलने के लिए तैयार करना बहुत मुश्किल है।

    हलबा जनजातीय समुदाय की आरती का कहना है कि घरों में शौचालय होने के बावजूद लोग खुले में शौच करते हैं। जिले के प्रत्येक गांव में एक निगरानी समिति बनाई गई है, जिसमें बच्चे, गांव के प्रधान सहित समुदाय के अन्य सदस्य हैं। ये सभी लोगों को खुले में शौच करने से रोकते हैं।

    आरती को अंग्रेजी अच्छी लगती है और वह चिकित्सक बनना चाहती हैं। वह कहती है, "मैं इस अविकसित क्षेत्र में लोगों की सेवा करना चाहती हूं और स्वच्छता एवं स्वच्छ जीवन के बारे में लोगों को शिक्षित करना चाहती हूं।"

    आरती कहती है, "मैं स्वच्छता और निजी सफाई के महत्व को समझती हूं। मेरी बड़ी बहन की शादी पास के गांव कुरुभाट में हुई है। उसके ससुराल में शौचालय नहीं है। मैंने उसके सास-ससुर को शौचालय के निर्माण और खुले में शौच नहीं करने को कहा है। अब वे मेरी और मेरी बहन की इच्छा मानकर शौचालय के निर्माण के लिए तैयार हो गए हैं।"

    राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) द्वारा जारी की गई स्वच्छता स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक, देश में आधे से अधिक ग्रामीण आबादी अभी भी खुले में शौच करती है। सर्वेक्षण के मुताबिक, अनुमानित रूप से ग्रामीण भारत में 52.1 प्रतिशत लोग खुले में शौच करते हैं, जबकि शहरी भारत में यह संख्या 7.5 प्रतिशत है।

    यूनिसेफ ने दिल्ली के एक एनजीओ की मदद से 2013 में छत्तीसगढ़ के राजानंदगांव में लोगों को खुले में शौच करने से रोकने का अभियान शुरू किया था। इसके बाद स्थानीय एनजीओ भी इस अभियान से जुड़ गए।

    अब खुले में शौच करने के खिलाफ अभियान सुरगुजा, धमतरी और दांतेवाड़ा सहित छत्तीसगढ़ के कई जिलों में फैल रहा है।

    जन कल्याण संस्थान के प्रमुख योगेंद्र प्रताप सिंह ने आईएएनएस को बताया कि राजानंदगांव जिले के 300 गांव खुले में शौच की समस्या से मुक्त घोषित हो चुके हैं।

    --आईएएनएस

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