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Thursday, 02 June 2016 16:30

उप्र में चिकित्सकों की हड़ताल से 7 मरीजों की मौत

लखनऊ, 2 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में चिकित्सकों की हड़ताल की वजह से किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में सात मरीजों की जान चली गई। इमरजेंसी और ओपीडी सेवा देख रहे वरिष्ठ चिकित्सक बगैर रेजीडेंट के असहाय नजर आए। बेहद गंभीर मरीजों का ही वरिष्ठ चिकित्सकों ने इलाज किया।

मरीजों को हड़ताल का हवाला देकर लौटाया जाता रहा है। करीब दो हजार मरीज लौटा दिए गए हैं और 20 से ज्यादा ऑपरेशनों को टाल दिय गया है। भर्ती मरीजों का भी बुरा हाल है। उनका इलाज सिर्फ नर्सो के भरोसे चल रहा है।

केजीएमयू प्रशासन ने इलाज न मिलने के कारण मरनेवालों मरीजों की संख्या सात बताई है। हालांकि अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक, मृतकों का आंकड़ा 15 से अधिक है।

उधर, रेजीडेंट चिकित्सकों के समर्थन के बाद चिकित्सा छात्र-छात्राओं ने गुरुवार को अपना धरना-प्रदर्शन समाप्त कर दिया।

पीजीएमईई में प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के चिकित्सकों को 30 फीसदी अंकों की वरीयता देने को लेकर रेजीडेंट चिकित्सकों की हड़ताल के चलते केजीएमयू में इलाज की व्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर गई है।

केजीएमयू प्रशासन ने हालांकि स्नातकोत्तर (पीजी) में प्रवेश को लेकर चल रही दिक्कतों से निपटने के लिए कार्य परिषद और शैक्षिक परिषद की आपात बैठक बुलाई, जिसमें तय किया गया कि केजीएमयू अपने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों एमडी व एमएस का सत्र एक महीने बाद शुरू करेगा। हालांकि इसकी तिथि तय नहीं की गई।

कुलपति प्रो़ रविकांत ने इसका आदेश भी जारी कर दिया। माना जा रहा है कि केजीएमूय प्रशासन 1 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई का इंतजार कर रहा है। इस सुनवाई में उसे उम्मीद है कि फ्रेशर छात्र-छात्राओं को वापस उनकी सीटें मिल जाएंगी।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने भी चिकित्सकों से अपील की थी कि मरीजों की परेशानी को देखते हुए चिकित्सक हड़ताल वापस ले लें। इस संदर्भ में उन्होंने मुख्मंत्री अखिलेश यादव को भी पत्र लिखा था।

--आईएएनएस
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Thursday, 02 June 2016 14:40

अमेरिका में 2015 में मृत्यु दर बढ़ी

वाशिंगटन, 2 जून (आईएएनएस/सिन्हुआ)। अमेरिका में मृत्यु दर में पिछले एक दशक के दौरान साल 2015 में पहली बार वृद्धि देखी गई। मौत का कारण अल्जाइमर रोग, आत्महत्या और दवाओं का जरूरत से अधिक सेवन को माना जा रहा है। बुधवार को जारी हुए प्रारंभिक संघीय आंकड़ों ने यह जानकारी दी।

सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन से संबंधित नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिक्स ने कहा कि 2015 में औसतन प्रति 100,000 व्यक्तियों में 729.5 लोगों की मौत हुई। 2014 में यह संख्या 723.2 प्रतिशत से अधिक है।

2015 में हृदय रोग और कैंसर जैसे रोगों ने अधिकतर अमेरिकियों की जान ली। 2014 के मुकाबले 2015 में हृदय रोग से औसतन 167.1 लोगों की मौत हुई। 1993 के बाद हृदय रोग से होने वाली मौतों आंकड़ा पहली बार बढ़ा है।

आंकड़े बताते हैं कि 2015 की तीसरी तिमाही में आत्महत्या की दर में 13.1 इजाफा हुआ। इसी अवधि में 2014 की दर 12.7 थी।

अमेरिका के समाचार पत्र 'न्यूयार्क टाइम्स' ने नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिक्स के मुख्य रॉबर्ट एंडरसन के हवाले से लिखा, "मृत्यु दर में इजाफा हुआ है। आमतौर पर ऐसा नहीं होता है, इसलिए इस पर ध्यान देना आवश्यक है।"

--आईएएनएस
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Thursday, 02 June 2016 00:00

संभल कर लीजिए दवाइयाँ, ये अमृत और विष दोनों हो सकती हैं!

क्षितिज कुमार

बहुधा देखा गया है की रोज की व्यस्त दिनचर्या में हम अनेकों प्रकार की मानसिक यथा काम के बोझ , आजीविका की चिंता आदि और शारीरिक कष्टों यथा वातावरणीय प्रभाव से गुजरते रहते हैं इन सभी प्रतिकूल परिस्थितियों  का असर कहीं न कहीं हमारे स्वस्थ्य पर जरूर पड़ता है !

अधिकतर व्यक्ति इनके द्वारा उत्पन्न विकारों जैसे डिप्रेशन, नींद न आना सिरर्दद, बवासीर, बुखार नजला खांसी पेट दर्द अपच इत्यादि से ग्रस्त रहते हैं ! अधिकतर समय इन विकारों से तुरंत  लाभ पाने के लिए किसी के द्वारा सुझाई गयी या टीवी में अख़बार में दिखाई गयी विभिन्न औषधियों का सेवन करने लगते हैं !

डॉक्टर या फार्मासिस्ट किसी की सलाह न लेकर खुद ही डॉक्टर  बन जाते हैं जो गलत ही नही खतरनाक भी है ! हर दवा का एक साइड इफ़ेक्ट होता है हर एक दवा की एक कार्यप्रणाली होती है जरुरी नहीं की जो दवा एक व्यक्ति को फायदा करे वह दुसरे को भी उतना ही फायदा करे, इस प्रकार बिना दवा के बारे में पूर्णरूपेण जाने बिना किसी जानकार व्यक्ति की सलाह लिए यदि दवा खाई जाती है तो हो सकता है की तात्कालिक रूप से तो लाभ प्रदान करें परन्तु बाद में कैंसर , मानसिक विक्षिप्तता , नपुंसकता आंत की खराबी इत्यादि जैसे गंभीर विकारों को शरीर में उतपन्न करतें हैं !

इन सब से बचने के लिए हमें उचित सलाह की जरुरत होती है जो दवाओं के बारें में जानकारी रखने वाला ही बता सकते हैं ! जैसे डॉक्टर या फार्मासिस्ट, फार्मासिस्ट हर मेडिकल स्टोर, फार्मेसी पर उपलब्ध होते हैं जो की आपको दवाओं के बारे में पूरी और सही जानकारी दे सकतें हैं !

यहाँ ध्यान देने योग्य ये बात है की कई मेडिकल स्टोर सरकार की आँखों में धूल झोंककर गैर फार्मासिस्ट मेडिकल चला रहे हैं अतः ये सही जानकारी नहीं दे सकतें हैं केवल फार्मासिस्ट वाले मेडिकल स्टोर या फार्मेसी से ही दवा लें क्यूंकि वहीँ सही सलाह व पूरी जानकारी मिल सकती है.

अपने व अपने परिवारवालों के स्वस्थ्यहित को देखते हुए दवा हमेशा सही सलाह व पूरी जानकारी के साथ ही खाएं याद रखें सही सलाह और सही इस्तेमाल पर वही दवा अमृत है तो गलत सलाह और अधूरी जानकारी के साथ लेने पर यह जहर भी हो सकती है I

(लेखक क्षितिज कुमार मास्टर ऑफ़ फार्मेसी प्रोफेशनल हैं और वर्तमान में प्रो इंडिया नामक फार्मासिस्ट संगठन से जुड़े है)

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Thursday, 02 June 2016 12:10

जर्मनी में मई में जीका के 12 मामले

बर्लिन, 2 जून (आईएएनएस/सिन्हुआ)। जर्मनी में मई में जीका से पीड़ित लोगों के 12 मामले दर्ज हुए हैं।

स्थानीय समाचार पत्र के मुताबिक, जर्मनी में आधिकारिक तौर पर जीका के मामले अक्टूबर के बाद से बढ़कर 56 हो गए हैं।

जीका के नियंत्रण एवं बचाव के लिए कार्यरत संगठन रॉबर्ट कोच संस्थान की प्रवक्ता ने कहा, "हमें लगता है कि जीका से पीड़ित ये मरीज यात्रा के दौरान ही इससे संक्रमित हुए।"

उन्होंने कहा कि इससे संक्रमित होने लोगों के चिकित्सक के पास नहीं जाने की वजह से जीका के मामले दर्ज नहीं होने की संख्या बढ़ी है।

अभी तक जीका लगभग 60 देशों में पैर पसार चुका है। इसका विशेष रूप से मध्य एवं दक्षिण अमेरिकी देशों में अधिक प्रकोप देखने को मिल रहा है। जीका मच्छर के काटने से होता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएच) ने हालांकि यह भी संकेत दिया है कि जीका यौन संबंधों से भी फैलता है।

--आईएएनएस
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Wednesday, 01 June 2016 22:40

अमेरिका में जीका वायरस से संक्रमित बच्चे का जन्म


वाशिंगटन, 1 जून (आईएएनएस)। अमेरिका के न्यूजर्सी राज्य में जीका वायरस से संक्रमित एक बच्चे का जन्म हुआ है जो इस वायरस के कारण माइक्रोसेफेली रोग से पीड़ित है। अस्पताल के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

हैकेनसेक यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के मैटरनल और फोइटल मेडिसिन के निदेशक अब्दुल्ला अल कहान ने मंगलवार को बताया कि सिजेरियन डिलीवरी से इस बच्चे का जन्म हुआ है और जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं और उनकी हालत स्थिर है।

सीएनएन की रिपोर्ट से जानकारी मिली है कि बच्चे की मांग इलाज के लिए होंडोरास से अमेरिका आई थी और डॉक्टरों ने पहली बार उसकी जांच 27 मई को की थी।

अल कहान के मुताबिक अल्ट्रासाउंड स्क्रीनिंग से बच्चे के माइक्रोसेफेलिस से पीड़ित होने का पता चला। इस बीमारी के कारण हड्डियां कड़ी हो जाती हैं और मस्तिष्क की नसों को नुकसान पहुंचता है।

डॉक्टरों का मानना है कि महिला की गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान वह जीका वायरस से संक्रमित हुई होगी। उन्हें बुखार हुआ था और त्वचा पर दाने निकले थे, जो कि मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है।

अल कहान ने बताया कि जब महिला में जीका के संक्रमण के लक्षणों का पता चला तो पाया गया कि बच्चे का विकास भी प्रभावित हो रहा है।

अल कहान ने बताया कि अमेरिका में जीका संक्रमित बच्चे के पैदा होने का यह तीसरा मामला है।

--आईएएनएस
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Wednesday, 01 June 2016 19:40

'केयर कनेक्ट प्रोग्राम' दिल्ली पहुंचा, नर्सो को मिला प्रशिक्षण

नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। नर्सो, नर्सिग सुपरिटेंडेंट्स तथा नर्सिग प्रमुखों को तकनीकी जानकारी एवं प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से शुरू की गई 'केयर कनेक्ट प्रोग्राम' पंजाब के बाद दिल्ली पहुंचा। यहां प्रशिक्षण के बाद जून 2016 में इस कार्यक्रम को देश के अन्य हिस्सों में भी लेकर जाने की योजना है जिनमें जयपुर, बेंगलुरु और मुंबई शामिल हैं।

बर्मन परिवार (डाबर के प्रमोटर्स) और ब्रिटेन की हेल्थकेयर ऐट होम के संस्थापकों का संयुक्त उपक्रम हेल्थ केयर ऐट होम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एचसीएएच) की पहल 'केयर कनेक्ट प्रोग्राम' के तहत राजधानी में नर्सो को तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया।

'केयर कनेक्ट प्रोग्राम' प्रोग्राम नर्सिग समुदाय को हैल्थ केयर के विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षित करने के मकसद से पंजाब से शुरू किया गया था। इसके तहत राजधानी के बीएलके अस्पताल में 'क्लीनिकल गुणवत्ता सुधार पर नियमित ध्यान केन्द्रित बनाए रखें' विषय पर वर्कशॉप आयोजित की गई जिसमें अस्पताल के विभिन्न विभागों में मेडिकल सेवाएं प्रदान करने वाली 75 से अधिक नर्सो ने हिस्सा लिया।

इस वर्कशॉप का संचालन ब्रिजेट हैरीसन, हैड ऑफ क्लीनिकल एक्सीलेंस, हेल्थकेयर ऐट होम इंडिया की क्लीनिकल एक्सीलेंस प्रमुख ब्रिटे हैरीसन और हेल्थ केयर एट होम इंडिया की वरिष्ठ प्रमुख, नर्सिग सेवाएं ऊषा प्रभाकर ने किया।

वर्कशॉप में ब्रिजेट हैरीसन ने कहा, "स्वास्थ्य देखभाल और इलाज में नर्सें सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी हिस्सा होती हैं। भारत में नर्सो को सही तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ हम प्रयास कर रहे हैं ताकि उन्हें पूरे विश्व में लागू क्लीनिकल और केयर मानकों के समान सक्षम बनाया जाए।"

इस कार्यक्रम के बारे में हेल्थ केयर ऐट होम इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और व्यापार इकाई प्रमुख डॉ. गौरव ठुकराल ने कहा, "इस कार्यक्रम के तहत हमारा लक्ष्य है कि हम अधिक से अधिक नर्सो को प्रशिक्षित कर ये सुनिश्चित करें कि वे अपने आप को आत्मविश्वास से भरपूर, सुविधाजनक और सभी जानकारियों सहित अपने आप को ऐसा सशक्त बना सकें जो कि किसी भी परिस्थिति में मरीज की अच्छी तरह से देखभाल कर सकें।"

हेल्थकेयर एट होम इंडिया पंजाब में फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली, अमृतसर एवं लुधियाना और एसपीएस हॉस्पिटल्स में इस प्रकार की वर्कशॉप का आयोजन कर चुकी है।

हेल्थ केयर ऐट होम इंडिया विभिन्न तरह की बीमारियों के लिए मेडिकल और क्लिनिकल सेवाओं की व्यापक श्रृंखला मुहैया कराती है। एचसीएएच की कुछ विशिष्ट सेवाओं में घर पर आईसीयू स्थापित करना, घर पर कार्डियक देखभाल, होम ऑन्कोलॉजी सेवाएं, सर्जरी के बाद देखभाल, होम पल्मोनॉजी सेवाएं आदि शामिल हैं।

--आईएएनएस
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Wednesday, 01 June 2016 15:00

तंबाकू उत्पादों की पैकिंग सादी हो : बान

संयुक्त राष्ट्र, 1 जून (आईएएनएस/सिन्हुआ)। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने मंगलवार को तंबाकू उत्पादों की सादी पैकिंग करने का आग्रह किया है और कहा है कि यह उत्पादों की मांग को कम करने का आसान और प्रभावशाली उपाय है।

वर्ल्ड नो टोबैको डे के मौके पर अपने संदेश में बान ने कहा, "सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद हर साल लगभग 60 लाख लोगों की जान लेते हैं।"

उन्होंने कहा, "वल्र्ड नो टोबैको डे 2016 पर संयुक्त राष्ट्र तंबाकू उत्पादों की मांग घटाने के लिए प्रभावी रूप से एक सरल उपाय अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है।"

तंबाकू से संबंधित रोग विश्व के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक हैं। प्रत्येक छह सेकंड में एक व्यक्ति की तंबाकू संबंधित रोग के कारण मौत होती है। पूरे विश्व में यह संख्या 60 लाख है।

बान ने कहा, "सादी पैकिंग तंबाकू उत्पादों का आकर्षण, तंबाकू के विज्ञापनों और प्रचारों को घटाएगी। साथ ही गुमराह करती पैकिंग को नियमित और स्वास्थ्य चेतावनियों की प्रभावकता बढ़ाएगी। इस दिन मैं पूरे विश्व की सरकारों से सादी पैकिंग की शुरुआत करने का आग्रह करता हूं।"

--आईएएनएस
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Wednesday, 01 June 2016 14:40

स्पेन : एक साल में धूम्रपान से 60,000 लोगों की मौत

मैड्रिड, 1 जून (आईएएनएस/सिन्हुआ)। स्पेन में एक साल के भीतर धूम्रपान का सेवन करने वाले 60,000 लोगों को मौत हुई है। इनमें 1,500 से 3,000 ऐसे व्यक्ति शामिल थे, जो पैसिव स्मोकर्स (धूम्रपान का सेवन करने वालों के प्रभाव में आने वाले व्यक्ति) थे।

स्पैनिश साइंटिफिक सोसाइटी फॉर स्टडीस ऑन एल्कोहल, एल्कोहलिज्म एंड अदर एडिक्शन (सोसीड्रोगाल्कोहल) द्वारा किया गया यह अध्ययन 31 मई को वर्ल्ड नो टोबैको डे के मौके पर प्रकाशित किया गया।

अध्ययन बताता है कि स्पेन की 23.9 प्रतिशत जनसंख्या धूम्रपान करती है। यूरोप में सबसे अधिक धूम्रपान करने वाले देशों में स्पेन का स्थान नौवां है। स्पेन यूरोपीय संघ के उन देशों में शामिल है, जहां धूम्रपान करने वालों में कम आयुवर्ग के लोग सबसे कम हैं।

सोसीड्रोगाल्कोहल निदेशक एनरिक ओचोआ ने स्पेन के टेलीविजन चैनल 'आरटीवीई' को बताया कि न्यूट्रल पैकेजिंग, कीमतों में वृद्धि और सार्वजनिक स्थलों पर पाबंदी लगाकर देश में धूम्रपान करने वालों की संख्या को सीमित किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, "हम 2011 में धूम्रपान निषेध पर बने कानून के साथ काफी आगे बढ़े हैं। इससे स्पष्ट है कि हम यह (धूम्रपान पर रोकथाम) कर सकते हैं और हमें और अधिक काम करना चाहिए।"

इस बीच स्पैनिश एसोसिएशन ऑफ डॉक्टर्स इन प्राइमरी हेल्थ केयर ने सुझाव दिया है कि तंबाकू कंपनियों के विज्ञापनों और इनके द्वारा कार्यक्रमों के प्रायोजन को कम कर तंबाकू के उपयोग में 7 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है।

--आईएएनएस
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Tuesday, 31 May 2016 22:00

मोदी ने चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष करने को मंजूरी दी

नई दिल्ली, 31 मई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को केंद्रीय सेवाओं के चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की उम्र 65 साल करने को मंजूरी दे दी। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि इसका मकसद देश के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मजबूती देना है।

बयान में कहा गया है, "प्रधानमंत्री ने आज (मंगलवार को) केंद्रीय स्वास्थ्य सेवाओं के सभी चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की उम्र 65 साल करने की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी। यह 31 मई 2016 से प्रभावी होगा।"

यह कदम सरकार को अनुभवी चिकित्सकों को अधिक समय तक अपने साथ बनाए रखने और बेहतर जन स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने में समर्थ बनाएगा। खासकर उन सबसे गरीब लोगों को इससे लाभ होगा जो पूरी तरह से सरकारी सुविधाओं पर ही निर्भर हैं।

--आईएएनएस
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Tuesday, 31 May 2016 21:30

डॉ. एस. डी. गुप्ता आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय के नए चेयरमैन

जयपुर, 31 मई (आईएएनएस)। देश के अग्रणी स्वास्थ्य देखभाल प्रबंधन अनुसंधान संस्थान आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एस. डी. गुप्ता को विश्वविद्यालय का चेयरमैन नियुक्त किया गया है। वह बुधवार को कार्यभार ग्रहण करेंगे। इसके अलावा वह आईआईएचएमआर के ट्रस्टी सेक्रेटरी का पद भी संभालेंगे।

विश्वविद्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि डॉ. गुप्ता ने स्वास्थ्य प्रबंधन के नए अनुशासन की स्थापना की, साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य नीति और स्वास्थ्य प्रणाली कार्यक्रमों में अनुसंधान को बढ़ावा देने का अग्रणी काम किया है।

बयान में कहा गया है कि गुप्ता ने अपने कार्यकाल के पिछले तीन दशकों में विभिन्न संगठनों/ एजेंसियों के सहयोग से 100 से अधिक शोध अध्ययन और प्रोजेक्ट्स पर काम कर उन्हें प्रकाशित किया है। उनके अनुसंधान के क्षेत्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य और महामारी विज्ञान, जनसंख्या, प्रजनन स्वास्थ्य और पोषण, स्वास्थ्य प्रणालियों और प्रबंधन स्वास्थ्य क्षेत्र शामिल हैं।

-- आईएएनएस
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