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भारत को नेपाल के मधेशी समस्या में न खींचे : नीतीश कुमार


अनिल गिरी
काठमांडू, 3 मार्च (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को यहां नेपाल के मधेशी मामले को उसकी आंतरिक समस्या बताते हुए कहा कि भारत को इस मामले में दखल के लिए नहीं खींचा जाना चाहिए।

उन्होंने मधेशी नेताओं से मुलाकात के बाद कहा, "मधेशी समस्या नेपाल की आंतरिक समस्या है और देश के नेता इसे सुलझाने में पूरी तरह सक्षम हैं। नेपाल की समस्या को सिर्फ नेपाली ही सुलझा सकते हैं। भारत को नेपाल के आंतरिक मामलों में नहीं घसीटा जाना चाहिए।"

नीतीश काठमांडू में नेपाली कांग्रेस के 13वें विशेष सम्मेलन में भाग लेने आए हैं, जिसकी शुरुआत गुरुवार से हुई।

नीतीश ने कहा, "आन्दोलनकारी मधेशी नेताओं ने उन्हें मधेशियों के अधिकारों की हनन की बात कही। लेकिन मैंने उनसे कहा कि यह नेपाल का आंतरिक मामला है और इसे देश के भीतर ही सुलझाया जाना चाहिए।"

कुमार ने कहा कि भारत को यहां के राजनीतिक मामलों में दखल देने की जरूरत नहीं है और हम हमेशा नेपाल में विकास और शांति के लिए सहयोग करेंगे।

नेपाल में मधेशी दल पिछले छह महीनों से संविधान में संशोधन के लिए आन्दोलन कर रहे हैं।

जनता दल-यू के नेता ने कहा कि भारत को नए संविधान से कोई आपत्ति नहीं है और वह नेपाल को एक समृद्ध, शांतिपूर्ण और स्थिर देश के रूप में देखना चाहता है।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने यहां कहा कि भारत और नेपाल के बीच संबंध काफी मजबूत है और दोनों देशों में किसी विषय पर विवाद नहीं है।

उन्होंने नेपाली कांग्रेस सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "अगर नेपाल के राजनीतिक दलों के बीच कोई मतभेद है तो उसे सुधारा जा सकता है।"

हालांकि कोश्यारी ने एकीकृत कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी) के नेता पुष्प कमल दहल के उस प्रश्न का जबाव नहीं दिया, जिसमें उन्होंने कथित रूप से भारत द्वारा सामान और ईधन की आवाजाही बंद करने की बात कही थी।

भारत के मार्क्‍सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता जोगेंद्र शर्मा ने भारत सरकार की नाकेबंदी के मुद्दे पर आलोचना की।

शर्मा ने कहा, "हम भारत में नाकेबंदी के खिलाफ लड़ रहे हैं, चाहे वह संसद में हो या सड़क पर हो। कुछ तत्व हैं जो भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं और यही नेपाल को भी वापस हिन्दू राष्ट्र बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव अप्रैल-मई में (राउंडअप)
    नई दिल्ली, 4 मार्च (आईएएनएस)। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने शुक्रवार को असम, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केंद्र शासित राज्य पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि मतदान अप्रैल और मई के बीच होंगे। इसके साथ ही इन राज्यों में आदर्श आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गई। यह वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद राजनीतिक दलों की लोकप्रियता की सबसे बड़ी परीक्षा होगी।

    इस चुनाव में करीब 17 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। इसमें असम में मतदान दो चरणों में और पश्चिम बंगाल में छह चरणों में होंगे। तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में सिर्फ एक ही दिन में मतदान संपन्न हो जाएगा।

    मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि 126 विधानसभा सीटों वाले असम में 4 और 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। पश्चिम बंगाल (294 सीटें) में सात चरणों में 4, 11, 17, 30 अप्रैल और 5 मई को 16 मई को मतदान होगा।
    केरल (140 सीटें), तमिलनाडु (234 सीटें) और पुडुचेरी (30 सीटें) में एक ही चरण में 16 मई को मतदान होगा।

    इन सभी पांच राज्यों में मतों की गिनती 19 मई को होगी।

    चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने के कुछ घंटे के अंदर ही तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल के सभी 294 विधानसभा क्षेत्रों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी।

    इन पांच राज्यों में जो महत्वपूर्ण राजनीतिक दल मैदान में उतरेंगे उनमें कांग्रेस, भाजपा, वामदल, तृणमूल कांग्रेस, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक), असम गण परिषद और ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के साथ-साथ एनआर कांग्रेस है जो पुडुचेरी में सत्ता में है।

    हालांकि, भाजपा केवल असम में ही सत्ता की लड़ाई में है, लेकिन इस सभी पांच राज्यों के चुनाव परिणाम उसके लिए महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि पिछले साल फरवरी में दिल्ली और नवंबर में बिहार चुनाव में उसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा था।

    कांग्रेस असम और केरल में सत्ता में है लेकिन दोनों राज्यों में इसे कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

    असम में कांग्रेस को सत्ता से हटाने के लिए भाजपा ने क्षेत्रीय गुटों से गठबंधन किया है। वामदल केरल में सत्ता में वापसी के लिए विश्वास से भरे हुए हैं। भाजपा भी इस राज्य में अपना खाता खोलने के लिए प्रतिबद्ध है।

    तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस और वामदलों को अपनी एक दशक पुरानी दुश्मनी भूल कर करीब आने के लिए मजबूर कर दिया है। राज्य में भाजपा का चुनावी वजूद बहुत नहीं है।

    तमिलनाडु में सत्तारूढ़ एआईडीएमके के खिलाफ कांग्रेस और डीएमके के बीच गठबंधन है। भाजपा भी डीएमडीके के साथ गठबंधन की तैयारी में है।

    कई अन्य दल मिलकर राज्य में तीसरा मोर्चा भी बना सकते हैं। पुडुचेरी में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है।

    असम में 1.9 करोड़, केरल में 2.56 करोड़, तमिलनाडु में 5.79 करोड़, पश्चिम बंगाल में 6.55 करोड़ और पुडुचेरी में 92 लाख 7 हजार 34 मतदाता हैं।

    इस विधानसभा चुनावों में पहली बार नोटा यानी इनमें से कोई नहीं का भी विकल्प चिन्ह के रूप में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर होगा। चुनाव आयोग ने पहली बार नोटा के लिए नए चिन्ह की व्यवस्था की है, जिसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी) ने खास तौर पर डिजाइन किया है। इस नए चिन्ह से मतदाताओं को वोट डालने में सहूलियत होगी।

    उल्लेखनीय है कि मतदाता आसानी से उम्मीदवारों को पहचान सकें इसके लिए ईवीएम और पोस्टल मत पत्रों पर उम्मीदवारों की तस्वीरें भी छापी जाएंगी।

    जैदी ने कहा, "जब एक ही नाम के दो उम्मीदवार एक ही चुनाव क्षेत्र से चुनाव लड़ते थे तो मतदाता उलझन में पड़ जाते जाते थे। उनकी इसी उलझन को ध्यान में रख कर यह व्यवस्था की गई है। इस उद्देश्य के लिए अब आयोग द्वारा निर्देशित स्टाम्प आकार की हाल की तस्वीर उम्मीदवार को निर्वाचन अधिकारी के पास जमा करनी होगी।"

    इन सबके अलावा आयोग ने और भी कई कदम उठाए हैं, ताकि ऐसे वातावरण निर्मित हों जिसमें प्रत्येक मतदाता निर्भीक होकर मतदान केंद्रों तक पहुंचें। उन्होंने कहा कि वस्तु स्थिति के आकलन के आधार पर इन चुनावों के दौरान केंद्रीय रिजर्व पुलिस और अन्य राज्यों से मंगाए गए सशस्त्र पुलिस बल तैनात किए जाएंगे।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • महबूबा मुफ्ती ने की राज्यपाल से मुलाकात (लीड-1)

    जम्मू, 4 मार्च (आईएएनएस)। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल एन.एन.वोहरा से मुलाकात की।

    पीडीपी सूत्रों ने आईएएनएस से कहा, "पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने राजभवन में वोहरा से मुलाकात की और राज्यपाल से राजनीतिक एवं विकासात्मक परिदृश्य पर बात की।"

    सूत्रों ने बताया कि मुफ्ती को राज्यपाल की ओर से एक अनौपचारिक बातचीत के लिए बुलाया गया था। उसी के बाद वह मुलाकात के लिए राजभवन गई थीं।

    दोनों के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई।

    राज्य में सरकार बनाने को लेकर भाजपा और पीडीपी में करीब दो माह से बातचीत चल रही है। लेकिन सरकार बनाने में गतिरोध दूर नहीं हो रहा है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • प्रधानमंत्री ने 'सेतु भारतम' योजना का शुभारंभ किया
    नई दिल्ली, 4 मार्च (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पचास हजार करोड़ रुपये के निवेश से राष्ट्रीय राजमार्गो पर सुरक्षित और सुचारू यात्रा सुनिश्चित करने के लिए पुल निर्माण की महत्वाकांक्षी योजना 'सेतु भारतम' का शुभारंभ किया।

    योजना के अंतर्गत सभी राष्ट्रीय राजमार्गो को वर्ष 2019 तक रेलवे क्रांसिग रहित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

    'सेतु भारतम' योजना में 208 नए पुलों के ऊपर सड़क और पुलों के नीचे सड़कों का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही 1500 पुलों को चौड़ा, पुन: स्थापित और बदला जाएगा।

    इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार इस दिशा में बहुत बड़ा परिवर्तन करने की आशा रखती है। देश के विकास के लिए अच्छे आधारभूत ढांचे की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि देश को सड़कों की आवश्यकता वैसे ही है जैसे मानव शरीर में धमनियों और नसों की आवश्यकता होती है।

    प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर केंद्र सरकार द्वारा आधारभूत ढांचे के विकास के लिए रेलवे, सिचांई और डिजिटल कनेक्टीविटी आदि क्षेत्रों में केंद्र सरकार के कार्यक्रमों के संबंध में जानकारी भी दी।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • उप्र सरकार सुन्नियों की जमीन लेकर दिखाए : मौलाना जव्वाद
    लखनऊ, 4 मार्च (आईएएनएस/आईपीएन)। हुसैनाबाद ट्रस्ट की संपत्ति पर जारी निर्माण के प्रति नाराजगी जताते हुए शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी ने प्रदेश सरकार और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा है कि सरकार और प्रशासन की हिम्मत नहीं है कि वह हिंदू या किसी सुन्नी ट्रस्ट की एक इंच जमीन भी ले सके।

    उन्होंने कहा कि ट्रस्ट की जमीन पर हो रहे अवैध निर्माण के बारे में लखनऊ के डीएम को पत्र लिखे जाने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। कभी कोई कमी बताई जा रही है, तो कभी पूरे कागजात मुहैया नहीं कराए जा रहे हैं। शासन और प्रशासन के इस निराशाजनक रवैये से आहत मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिन्द के महासचिव मौलाना जव्वाद ने कहा कि ये अत्याचार और नाइंसाफियां सिर्फ शियों के साथ होती हैं। सरकार और प्रशासन की हिम्मत नहीं है कि वह हिंदू या किसी सुन्नी ट्रस्ट की एक इंच जमीन भी ले सके।

    उन्होंने कहा, "हमारी कौम पर यह अत्याचार इसलिए होता है कि मौलवी चुप हैं और राजनीतिक नेता अपनी लालच के लिए चुप हैं। ये कल भी गुलाम थे, आज भी गुलाम हैं। कल अंग्रेजों के गुलाम थे आज अपनी लालच और हवस के गुलाम हैं।"

    मौलाना ने कहा कि उन्होंने अवैध निर्माण के संबंध में डीएम को पत्र लिखा था। डीएम ने आश्वासन दिया था कि उन्होंने एडीएम को इस संबंध में कार्रवाई करने को कहा है।

    मौलान ने बताया कि जब उन्होंने इस बारे में एडीएम से संपर्क किया तो उन्होंने अवैध निर्माण की फोटोग्राफी कराकर भेजने को कहा। जब तस्वीरें भेजी गईं तो कहा गया कि वक्फ बोर्ड ने उन्हें अभी तक वे कागजात नहीं भेजे हैं जिससे पता चल सके कि वह संपत्ति वक्फ की है या नहीं। उन्होंने कहा कि इससे साफ जाहिर होता है कि प्रशासन हुसैनाबाद ट्रस्ट को बर्बाद कर देना चाहता है।

    उन्होंने सवाल किया कि क्या डीएम और प्रशासन को नहीं पता है कि गोल दरवाजे के ऊपर कोई होटल है, जिसकी तीसरी मंजिल तैयार हो रही है और इसकी वजह से पीछे की बुरजियां छिप चुकी हैं। क्या लखनऊ के मौलवी हजरात हुसैनाबाद में अवैध निर्माण और गोल दरवाजे पर बन रही तीन मंजिला इमारत से वाकिफ नहीं हैं?

    जव्वाद ने कहा कि इन बड़े-बड़े शोरूम और दुकानें वक्फ की जमीन पर बनवाई गई हैं, जिससे वक्फ को एक रुपये का फायदा नहीं है। उसके बाद भी आखिर क्यों मौलवी और मौलानाओं द्वारा इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई जा रही है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • राज्यसभा सीटों के लिए पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में 'लॉबिंग' शुरू
    अगरतला/कोहिमा/ गुवाहाटी, 4 मार्च (आईएएनएस)। राज्यसभा सीटों के लिए 21 मार्च को चुनाव होने की अधिसूचना शुक्रवार को जारी हो गई। इसके बाद पूर्वोत्तर के तीन राज्यों असम, त्रिपुरा और नागालैंड में सीटें हासिल करने की कवायद शुरू हो गई है। इन राज्यों में राज्यसभा की चार सीटें खाली हो रहीं हैं जहां अलग-अलग राजनीतिक दलों का शासन है।

    राज्यसभा की कुल 13 सीटों के लिए छह राज्यों पंजाब, हिमाचल प्रदेश, केरल, असम, नागालैंड और त्रिपुरा में 21 मार्च को चुनाव होंगे। अधिकारियों के अनुसार इन चुनावों के लिए राष्ट्रपति और चुनाव आयोग ने अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी की हैं।

    त्रिपुरा में राज्यसभा की केवल एक सीट खाली हो रही है, जिस पर अभी तक प्रदेश की सत्ताधारी मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य झारन दास काबिज हैं। इनका कार्यकाल दो अप्रैल को समाप्त हो रहा है। पार्टी के प्रदेश सचिव बिजान धर ने आईएएनएस से कहा कि रविवार को अगरतला में माकपा की राज्य समिति की बैठक होगी जिसमें राज्यसभा सीट के लिए उम्मीदवार का नाम तय किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक इस सीट के लिए कई दावेदार हैं,लेकिन दास को दोबारा मौका दिए जाने की उम्मीद है।

    असम से राज्यसभा की दो सीटें कांग्रेस के पंकज बोरा और नाजनीन फारूक के पास हैं। ये दोनों दोबारा मौका पाने की चाहत रखते हैं। लेकिन, पार्टी सूत्रों का कहना है कि राज्य के कुछ मंत्री एक सेवारत नौकरशाह के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाए हुए हैं।

    एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के अनुसार इन दो सीटों के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन सिंह घाटोवार, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अंजन दत्ता, रानी नाराह, द्विजेन सरमाह, किरिप चालिहा, विष्णु प्रसाद और अब्दुल मुहिब मजूमदार शामिल हैं। इसके अलावा एक मीडिया दिग्गज भी राज्यसभा जाने के लिए कांग्रेस और अखिल भारतीय लोकतांत्रिक मोर्चा के नेता बदरुद्दीन अजमल के संपर्क में हैं।

    नागालैंड से इकलौती राज्यसभा सीट के लिए नागा लोकतांत्रिक गठबंधन में शामिल सत्ताधारी नागा पीपुल्स फ्रंट ने के.जी. केन्ये को चुना है। यह सीट खेकीहो झिमोनी के निधन से खाली हुई है।

    लेकिन, इस सीट के लिए नागा पीपुल्स फ्रंट की सहयोगी भाजपा भी उम्मीदवार उतारना चाहती है। भाजपा के प्रदेश महासचिव एडुजु थेलुओ ने कहा कि उनकी पार्टी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एम.चुबा एओ, अवकाश प्राप्त आईएएस एच.के. खुलु और पूर्व मंत्री टी.ए. नगुल्ली में से किसी एक के नाम पर मुहर लगा सकती है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • मणिपुर में म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाना रोकें : इबोबी सिंह

    इम्फाल, 4 मार्च (आईएएनएस)। मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने शुक्रवार को भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का काम स्थगित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य लोगों से मिलना चाहिए।

    मुख्यमंत्री ने विधानसभा में बजट सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को यह बात कही। वह तृणमूल कांग्रेस के आई. इबोहानबी और भारतीय जनता पार्टी के खुमुकछाम जयकिशन के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे।

    इन दोनों विधायकों ने कहा कि हम लोग ऐसी खबरों से चिंतित हैं कि सीमा पर बाड़ लगाने से मणिपुर की कम से कम एक हजार वर्ग किलोमीटर भूमि का नुकसान होगा। इस पूर्वोत्तर राज्य का कुल क्षेत्रफल महज 22 हजार 327 किलोमीटर है, इस तथ्य को देखते हुए यह बहुत अधिक है।

    इबोबी ने कहा कि सीमांकन के 19 खंभों के जरिये जिन इलाके को घेरा जाना है उनमें कोई समस्या नहीं है। समस्या नौ खंभों से घेरे जाने वाले इलाके से है। उन्होंने कहा कि मणिपुर अपने सीमा क्षेत्र से कभी समझौता नहीं करेगा।

    उन्होंने कहा कि भारतीय महासर्वेक्षक और अन्य अधिकारियों ने पिछले साल जनवरी और जुलाई में सर्वेक्षण किया था।

    मणिपुर में बहुत सारे लोग अभी इस बात से दुखी हैं कि वन उत्पादों और मणिपुर से कहीं बहुत अधिक बड़े इलाके वाले कावो घाटी को स्वतंत्रता के तत्काल बाद कभी बर्मा के नाम से चर्चित म्यांमार को तोहफे में दे दिया गया था।

    सीमा से लगे गांवों में रहने वाली जनजातियों ने और मणिपुर पहाड़ी क्षेत्र सूचना केंद्र (आईसीएचएएम) के प्रतिनिधियों ने हाल में संवाददाताओं को बताया कि प्रस्तावित बाड़ उनके घरों के बीच से होकर जाएगी।

    दूसरी ओर, म्यांमार से लगी भारतीय सीमा पर तैनात असम राइफल्स ने मादक द्रव्य के तस्करों और विद्रोहियों की गतिविधियां रोकने के लिए सीमा पर बाड़ लगाने की मांग की है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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