JS NewsPlus - шаблон joomla Продвижение
BREAKING NEWS
टी-20 विश्व कप : 1 रन की जीता भारत, अंतिम-4 की दौड़ में कायम (राउंडअप)
टी-20 विश्व कप : रोमांचक मुकाबले में भारत ने बांग्लादेश को 1 रन से हराया
सूखाग्रस्त टीकमगढ़ में कलेक्टर के आवास पर बेड़नियों का नाच
आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्रियों ने ब्रसेल्स हमले की निंदा की
राणा ने एलईटी से संबंध का विरोध किया था : हेडली
ट्रंप और हिलेरी ने एरिजोना की प्राइमरी जीती
एल एंड टी कन्स्ट्रक्शन को मिला 3,205 करोड़ रुपये का आर्डर
अमेरिकी नौसैनिक ने महिला से दुष्कर्म का जुर्म स्वीकारा
पीडीपी ने नहीं रखी है कोई विशेष मांग : भाजपा
स्मार्टफोन की बिक्री में होगी 60 फीसदी बढ़ोतरी : एसोचैम

LIVE News

टी-20 विश्व कप : 1 रन की जीता भारत, अंतिम-4 की दौड़ में कायम (राउंडअप)

टी-20 विश्व कप : रोमांचक मुकाबले में भारत ने बांग्लादेश को 1 रन से हराया

सूखाग्रस्त टीकमगढ़ में कलेक्टर के आवास पर बेड़नियों का नाच

आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्रियों ने ब्रसेल्स हमले की निंदा की

राणा ने एलईटी से संबंध का विरोध किया था : हेडली

महिला कैब ड्राइवर : घर ही नहीं, स्टीयरिंग संभालने का भी दम Featured

ममता अग्रवाल
नई दिल्ली, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली के दक्षिणपुरी की निवासी शन्नो बेगम यूं तो एक आम महिला हैं, लेकिन उनमें कुछ खास भी है। शन्नो पुरुषों के वर्चस्व माने जाने वाले एक क्षेत्र में बिना किसी हिचक या डर के पूरी कुशलता से जुड़ी हैं। हाथों में स्टीयरिंग संभाले शन्नो की गाड़ी जब रेड लाइट पर रुकती है या किसी महिला यात्री को उसकी मंजिल पर छोड़ कर आत्मविश्वास से लबरेज शन्नो जब गाड़ी रिवर्स करती हैं तो अगल-बगल में खड़े अन्य टैक्सी या ऑटो रिक्शा ड्राइवर्स उसे हैरानी से देखते हैं, लेकिन इन सब बातों से बेफिक्र शन्नो संजीदगी से अपना काम करती हैं।

शन्नो पिछले 4-5 साल से कैब चला रही हैं। उन्होंने पहले आजाद फाउंडेशन से ड्राइविंग सीखी और फिर तीन सालों तक उनके साथ काम किया और अब पिछले छह महीनों से वह दिल्ली एनसीआर में ओला के एसोसिएशन में कैब चला रही हैं।

अपने इस फैसले को लेकर शन्नो की खुशी उनके चेहरे पर साफ झलकती है। वर्तमान में 12वीं कक्षा की पढ़ाई कर रही शन्नो आज अपने परिवार के लिए पर्याप्त धन कमा लेती हैं और उनके तीनों बच्चे आज अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और वे खुद भी आगे अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं।

10 साल पहले पति की मृत्यु हो जाने के बाद से वह किसी न किसी तरह से काम करके अपना घर चला रही थीं।

लेकिन उनका मानना है कि इस पेशे ने उन्हें एक ऐसा मंच प्रदान किया है, जिससे वह न केवल अच्छी कमाई कर लेती हैं, बल्कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करके उनका भविष्य भी सुरक्षित कर रही हैं।

पुरुषों के काम और महिलाओं के काम को अलग करने की परिपाटी वाले हमारे समाज में टैक्सी या कैब चलाना केवल पुरुषों का काम माना जाता रहा है और ऐसे में किसी महिला को हाथों में स्टीयरिंग संभाले देखने पर भंवें तनना सहज सी बात है। या यूं कहें कि 21वीं सदी में प्रवेश करते समाज में भी व्यावसायिक महिला ड्राइवर के रूप में पुरुषों के बराबर महिलाओं को सड़कों पर ड्राइविंग सीट पर जिम्मेदारी और आजादी के साथ, गतिशील देखना आज भी एक आश्चर्य है।

दिल्ली, मुंबई जैसे भीड़-भाड़ वाले शहरों में भी किसी महिला सवारी को ले जाती महिला कैब ड्राइवर को देखकर साथी टैक्सी ड्राइवर या अन्य पुरुष भले ही उन्हें हैरानगी से देखते हों, लेकिन ओला, वीरा, सखा, प्रियदर्शनी टैक्सी जैसी कंपनियों की यह पहल ऐसी महिला कैब ड्राइवरों से लेकर उनकी सेवा का प्रयोग करने वाली महिलाओं दोनों के लिए एक बड़ी राहत है।

इस प्रकार की सेवाएं एक ओर समाज के कमजोर तबकों या कम पढ़ी लिखी महिलाओं को भी अपने परिवार की आय में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम बना रही हैं और उन्हें इतना सशक्त बना रही हैं कि वे अपने फैसले लेने के काबिल हों तो साथ ही अकेले यात्रा कर रही महिलाओं को भी ये कुछ हद तक चिंतामुक्त कर रही हैं।

महिलाओं के प्रति अपराधों के तेजी से बढ़ते ग्राफ के बीच इस प्रकार की सेवाएं और भी ज्यादा जरूरी हो गई हैं। यहां तक कि आज स्थिति यह है कि देश की राजधानी दिल्ली तक 'रेप कैपिटल' के नाम से मशहूर हो चुकी है। तीन वर्ष पूर्व दिसंबर में राजधानी की ही एक बस में एक युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी दर्दनाक मौत के बाद महिलाओं के लिए सुरक्षित परिवहन का सवाल और बड़ा सवाल बनकर खड़ा हो गया था।

देर सवेर रात को घर लौटने की मजबूरी में सुरक्षा से जुड़ा सवाल और अधिक गंभीर हो जाता है। खासतौर पर पिछले कुछ सालों में पुरुष कैब ड्राइवरों द्वारा महिलाओं के साथ हिंसा और दुष्कर्म की कई घटनाएं हुईं। इसे देखते हुए किसी भी महिला को देर रात मजबूरी में भले ही पुरुष चालित कैब में यात्रा करनी पड़े, लेकिन पूरी यात्रा के दौरान उसके माथे पर चिंता की लकीरें होना स्वाभाविक है।

पेशे से इवेंट मैनेजर शैली राठी कहती हैं, "काम से लौटने में देर होने पर पुरुष कैब ड्राइवर के साथ यात्रा करने में सचमुच डर जुड़ा होता है, लेकिन अगर कैब कोई महिला ड्राइवर चला रही हो तो रास्ता निश्चिंत होकर कट जाता है। लेकिन समस्या यह है कि यह पुरुषों के वर्चस्व वाला पेशा है, इसलिए हर बार महिला ड्राइवर मिलना आसान नहीं होता।"

आंकड़े साबित करते हैं कि महिला ड्राइवर जानलेवा दुर्घटनाओं के लिए बेहद कम जिम्मेदार होती हैं, लेकिन फिर भी मान्यता है कि महिलाएं कुशलता से वाहन नहीं चला सकतीं। ऐसे में कुशलता से अपने काम को अंजाम देने वाली ये महिला कैब ड्राइवर लोगों की मानसिकता को बदलने में भी अपनी हिस्सेदारी निभा रही हैं।

कई पेशों में इतनी ज्यादा लैंगिक असमानता है, जिसे कम करना आसान नहीं है। खासतौर पर अगर उन पर पारंपरिक तौर पर पुरुषों के काम का टैग लगा हो।

ऐसे में इन क्षेत्रों में कदम रखने वाली महिलाओं को भी शुरुआती मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन सामाजिक मानसिकता भले ही जो भी हो, कैब ड्राइविंग के पेशे में कुशलता से अपना काम कर रही महिलाओं को देखते हुए देर-सवेर सभी को यह स्वीकार करना ही पड़ेगा कि महिलाएं भी इस काम के लिए उतनी ही सक्षम हैं जितने कि पुरुष।

इस मामले में केवल भारत ही अपवाद नहीं है। दुनिया के सभी देशों की इस मामले में स्थिति लगभग ऐसी ही है। महिला टैक्सी ड्राइवर दुनिया के हर कोने में बेहद कम ही देखने को मिलेंगी। आप लंदन, बीजिंग, भारत या न्यूयॉर्क कहीं भी कैब बुक कराएं, संभावना यही है कि ड्राइवर पुरुष ही होगा। यहां तक कि अमेरिका जैसे विकसित देश में भी महिला टैक्सी ड्राइवर्स का आंकड़ा केवल 2 प्रतिशत है। न्यूयॉर्क शहर में 50,000 टैक्सी ड्राइवरों में से महिला ड्राइवरों का अनुपात केवल 1 प्रतिशत है।

ऑल इंडिया वूमेन्स प्रोग्रेसिव एसोसिएशन की सचिव कविता कृष्णन महिलाओं को इस पेशे में लाने को एक अच्छा कदम बताते हुए कहती हैं, "ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को इस पेशे में कैब या बस ड्राइवर या बस कंडक्टर्स के रूप में लाना यकीनन एक अच्छा बदलाव होगा। इससे परिवहन क्षेत्र में महिला यात्रियों के लिए सुगमता बढ़ेगी और परिवहन क्षेत्र में लैंगिक परिदृश्य में भी बड़ा बदलाव आएगा और सड़कें महिलाओं के लिए ज्यादा सुरक्षित होंगी।"

लेकिन कविता साथ ही जोर देकर कहती हैं, "महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर केवल इसे ही एकमात्र उपाय मानना या यह कहना कि महिला यात्री अपनी सुरक्षा के लिहाज से केवल महिला कैब ड्राइवरों के साथ ही यात्रा करें, यह सही नहीं है। जरूरी है कि पुरुष ड्राइवरों को भी इसके लिए ज्यादा से ज्यादा जवाबदेह बनाया जाया और किसी भी गलती पर उनके खिलाफ कड़े से कड़े कदम उठाए जाएं।"

सीडब्ल्यूसी सदस्य रीतू मेहरा के मुताबिक, "महिलाओं को इस पेशे में लाने के लिए उनकी सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए जाने जरूरी हैं। उन्हें केवल ड्राइविंग कौशल ही नहीं, साथ ही आत्मरक्षा के गुर भी सिखाने जरूरी हैं और साथ ही उन्हें अपने अधिकारों के बारे में भी शिक्षित करना जरूरी है, ताकि जरूरत पड़ने पर वे हर स्थिति से निपट सकें।"

इसी के साथ किसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कैब्स जीपीएस सिस्टम, पैनिक बटन जैसी तकनीकों से भी लैस होनी जरूरी है।

दुनिया भर में आज भी महिला टैक्सी ड्राइवरों की संख्या भले ही पुरुष ड्राइवरों से बेहद कम हो, लेकिन इस पुरुष प्रधान क्षेत्र में लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ती शन्नो बेगम जैसी महिलाएं स्थिति को एक दिन बदल देंगी, इस उम्मीद के साथ हम उनकी दृढ़ता, हिम्मत और जज्बे को सलाम करते हुए उनके समर्थन में तो खड़े हो ही सकते हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

Read 327 times Last modified on Sunday, 27 December 2015 20:25
Rate this item
(0 votes)

Related items

खरी बात

भगत सिंह का सपना और आजादी

विवेक दत्त मथुरिया 23 मार्च को पूरा देश भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को आजादी के लिए उनकी शहादत के लिए याद करता है। बड़ा सवाल यह है कि क्या...

आधी दुनिया

18 मार्च, विश्व निद्रा दिवस: बैरन नींद न आए..महिलाओं में अनिद्रा की समस्या

नई दिल्ली, 17 मार्च (आईएएनएस)। अनिद्रा और कम नींद उन समस्याआंे में से है जिनसे महिलाएं अक्सर ग्रस्त रहती हैं। एक अनुमान के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाओं में...

जीवनशैली

तनावाग्रस्त व्यक्ति को महिला साथी के प्रति संवेदनशील बनाता है 'लव हार्मोन'

लंदन, 21 मार्च (आईएएनएस)। 'लव हार्मोन' कहे जाने वाले ऑक्सीटोसिन को गंभीर आघात या ऑपरेशन के बाद तनाव से ग्रस्त (पीटीएसडी) मरीजों को दिए जाने पर उनमें महिलाओं के प्रति...