तिरुवनंतपुरम, 19 मार्च (आईएएनएस)। केरल विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हुए पंद्रह दिन बीत गए हैं। इसके बावजूद परंपरागत प्रतिद्वंद्वी वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (वाम मोर्चा) और युनाइटेड डेमाक्रेटिक फ्रंट (संयुक्त मोर्चा) के उम्मीदवारों की सूची अंतिम रूप ले पाई है। इतना ही नहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्ववाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सूची भी फाइनल नहीं हो सकी है।
कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त मोर्चा सीटों के बंटवारे को लेकर सहयोगी दलों और पार्टी के अंदर की लड़ाई की वजह से हमेशा से सुस्त रहा है। वाम मोर्चा इस पर जल्दी काम करता है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और मोर्चे के अन्य घटक दलों के बीच तीन दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक वे उम्मीदवारों का फैसला नहीं कर सके हैं।
भाजपा को उम्मीद है कि इस बार वह केरल विधानसभा में अपना खाता जरूर खोल लेगी। पिछले रविवार को जब उसने 22 उम्मीदवारों की सूची जारी की तो बहुत लोगों को आश्चर्य हुआ, लेकिन उसके बाद भाजपा भी उलझ गई।
भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व पिछले शुक्रवार को राज्य के नेताओं से नाखुश था। राज्य के नेता राजग के अंदर सीटों की साझीदारी को अंतिम रूप देकर उसे जारी करने के लिए नई दिल्ली पहुंचा था।
उधर, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष वी.एम. सुधीरन ने 82 सीटों के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व के पास करीब 400 संभावित प्रत्याशियों की सूची भेजी है। अब अगले हफ्ते चुनाव कमेटी इन पर विचार करेगी।
इस कमेटी में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी, मुख्यमंत्री ओमन चांडी, राज्य के गृहमंत्री रमेश चेन्निथला और सुधीरन शामिल हैं।
सुधीरन ने कहा कि आने वाले हफ्ते में चीजें तय की जाएंगी।
वाम मोर्चा में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के अंदरूनी मुद्दे बाहर आ गए, जो थोड़ा आश्चर्यजनक है।
अब तक का स्वीकार्य मानदंड यही रहा है कि माकपा की चौदह जिला समितियां प्रत्याशियों की सूची राज्य समिति को भेजती हैं और वह जल्दी से स्वीकृति दे देती हैं।
इस बार ऐसा नहीं हुआ है। जिला समितियां अपनी सूची को ही अंतिम रूप देने के लिए मशक्कत कर रही हैं।
सीट बंटवारे को लेकर बहुत गरमा-गरमी भी देखी जा रही है। उदाहरण के तौर पर अलप्पुझा जिला कमेटी की बैठक में नेताओं के बीच कुछ सीटों को लेकर शुक्रवार को आम सहमति नहीं बन पाई।
वाम मोर्चे की बैठक जल्दी ही होने वाली है और उम्मीद की जा रही है कि अपने घटक दलों को सीटों का बंटवारा कर देगा।
मोर्चा के एक नेता ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा, "इस बार मोर्चे में चार नए दल शामिल हुए हैं। इसलिए सीटों के बंटवारे में थोड़ा अधिक समय लग रहा है। लेकिन सब कुछ बहुत जल्द हल हो जाएगा।"
भाजपा में भी उसके नए सहयोगी भारत धर्म जन सेना (बीडीजेएस) के साथ सीटों की साझीदारी को लेकर कुछ मुद्दे सामने आए हैं। इस पार्टी की स्थापना हाल में वेल्लापल्ली नातेसन ने की है। वह हिंदू ईझावा के नेता हैं और श्री नारायण धर्म परिपालन (एसएनडीपी) योगम के महासचिव हैं।
इंडो एशियन न्यूज सर्विस।
केरल चुनाव : उम्मीदवारों की सूची को लेकर ऊहापोह
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