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समलैंगिकों को चिंताएं सताती हैं ज्यादा

टोरंटो, 19 मार्च (आईएएनएस)। समलैंगिक पुरुष या महिला और उभयलिंगी व्यक्तियों को सामान्य व्यक्तियों की तुलना में अधिक चिंताओं और मनोदशा विकारों का सामना करना पड़ता है। साथ ही यह सामान्य लोगों की तुलना में अधिक शराब का सेवन करते हैं। एक नए शोध में यह पता चला है।

कनाडा के स्कूल ऑफ पापुलेशन एंड पब्लिक हेल्थ से इस अध्ययन की मुख्य लेखक बासिया पाकुला ने बताया, "समलैंगिक पुरुष या महिला और उभयलिंगी व्यक्तियों का जब एक ही अध्ययन में एक साथ आकलन किया गया, तो इनके स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण अंतर की जानकारी मिली।"

उन्होंने बताया, "हमारे लिए यह निष्कर्ष महत्वपूर्ण रूप से उपयोगी हैं, क्योंकि कनाडा में अब तक इन सूचनाओं की जानकारी नहीं थी।"

इस अध्ययन के लिए शोधार्थियों ने साल 2007 से 2012 तक कनाडा के दो लाख 20 हजार प्रतिभागियों का आकलन किया था।

अपनी तरह के पहले अध्ययन का दावा करने वाले इस शोध में पाया गया है कि सामान्य व्यक्तियों की तुलना में उभयलिंगी लोगों में मनोदशा और चिंताओं की अधिक शिकायत मिली। समलैंगिक पुरुष और समलैंगिक महिलाएं सामान्य व्यक्तियों की तुलना में चिंताएं और बिगड़ी हुई मनोदशा का दोगुना सामना करते हैं।

यह शोध 'अमेरिकन जर्नल ऑफ पब्लिक' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • लंबे समय तक जीना चाहते हैं तो छरहरा बनें
    न्यूयार्क, 7 मई (आईएएनएस)। अगर आप अपने शरीर को हमेशा छरहरा बनाए रखते हैं तो इस बात की काफी अधिक संभावना है कि उन लोगों की तुलना में आप ज्यादा समय तक जिंदा रहेंगे, जो बचपन से ही भारी शरीर वाले होते हैं और मध्य आयु में और ज्यादा भारी हो जाते हैं।

    एक नए शोध में इसका खुलासा हुआ है। इसमें बताया गया है कि जिनका शरीर बचपन से ही भारी होता है वे मध्य आयु में और ज्यादा वजनी हो जाते हैं। उनके 15 साल कम जीने का खतरा होता है और ऐसा पुरुषों में 24.1 फीसदी और महिलाओं में 19.7 फीसदी होता है।

    वहीं, जो लोग हमेशा छरहरे बने रहते हैं उनकी 15 साल पहले मरने की संभावना कम होती है। यह पुरुषों में 20.3 फीसदी और महिलाओं में 11.8 फीसदी देखी गई।

    अमेरिका की हार्वर्ड विश्वविद्यालय की डॉक्टोरल छात्र मिंगयांग सोंग बताते हैं, "हमारे निष्कर्षो से वजन को काबू में रखने की सलाह को वैज्ञानिक औचित्य मिलता है। खासकर मध्य आयु में वजन को काबू में रखना चाहिए ताकि आप लंबे समय तक स्वस्थ रह सकें।"

    इसके अलावा ज्यादा बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) भी मरने की संभावना को बढ़ा देता है।

    शोधकर्ताओं का कहना है कि मोटापा दुनियाभर में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। इन निष्कर्षो से पता चलता है कि जीवन भर अपने वजन को काबू में रखने का महत्व पता चलता है।

    यह शोध बीएमजे में प्रकाशित किया गया है। इस शोध में शामिल कोई भी प्रतिभागी धूम्रपान नहीं करता था।

    --आईएएनएस
  • सेक्स लाइफ को बेहतर बनाने के लिए कम खाएं
    न्यूयार्क, 7 मई (आईएएनएस)। अगर आप कैलोरी के प्रति सचेत हैं और अतिरिक्त वजन घटाने के लिए स्वास्थ्यवर्धक भोजन ग्रहण करते हैं तो आपके खुश होने का एक और बड़ा कारण मिल गया है।

    एक दिलचस्प शोध में यह पता चला है कि कम खाने से न सिर्फ लोगों को वजन कम करने में मदद मिलती है, बल्कि यह मूड को भी बेहतर बनाता है और तनाव को कम करता है, जिससे आपकी सेक्स लाइफ बेहतर होती है।

    इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए लुइसियाना के पेनिंगटन बॉयोमेडिकल रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने 218 स्वस्थ वयस्कों का दो साल तक अध्ययन किया।

    उन्होंने उन लोगों को दो समूहों में बांटा। एक समूह को 25 फीसदी कम कैलोरी ग्रहण करने को कहा गया। वहीं, दूसरे समूह को अपने सामान्य भोजन को लेने को कहा गया।

    साइंसएलर्ट डॉट कॉम के मुताबिक शोधकर्ताओं में से एक कोर्बी मार्टिन ने पाया कि जिस समूह ने कम कैलोरी ली थी, उनकी सेक्स लाइफ बेहतर हो गई।

    कम कैलोरी ग्रहण करने वाले समूह के लोगों की नींद बेहतर हुई और उनका वजन भी घट गया। मोटापे के शिकार लोग अगर कम कैलोरी लें तो उनकी नींद और उनकी यौन प्रणाली बेहतर होती है।

    यह अध्ययन जामा इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

    शोधकर्ताओं का कहना है, "हमारे शोध से पता चला है कि अगर स्वस्थ लोग दो साल तक कम कैलोंरी लें तो इससे उनके लिए उल्टे नतीजे आते हैं अत: यह केवल मोटापे से ग्रस्त लोगों पर ही लागू होता है।"

    हाल के एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग बेहद कम भोजन करन ेवाले/वाली जीवनसाथी के साथ रहते हैं, उनके मोटापा कम करने की संभावना ज्यादा होती है।

    न्यूसाउथवेल्स स्कूल ऑफ साइकोलॉजी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक आपके साथ भोजन करने वाला कितना खाना खाता है, यह आप पर गहरा असर डालता है। इसलिए कम खाने वालों के साथ रहने पर आप अपना वजन घटा सकते हैं और जीवनसाथी के साथ संबंधों को बेहतर कर सकते हैं।

    यह प्रभाव पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा देखने को मिला है।

    सोशल इंफ्लूएंस जर्नल में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक, "इसका कारण यह है कि महिलाओं को इस बात की ज्यादा परवाह होती है कि भोजन के दौरान दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं।"

    --आईएएनएस
  • मशहूर अमेरिकी तस्वीर में दिख रही महिला की बीमारी का पता चला
    न्यूयॉर्क, 7 मई (आईएएनएस)। अमेरिका में एक न्यूरोलॉजिस्ट ने उस महिला की रहस्यमय बीमारी की गुत्थी सुलझा ली है, जो दुनिया की सबसे मशहूर तस्वीरों में से एक में दिखाई गई है।

    न्यूयॉर्क में म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट में टंगी तस्वीर 'क्रिस्टियानास वर्ल्ड' में एक खेत में एक युवती दिखाई गई है, जो भीषण गर्मी में एक फॉर्महाउस की तरफ एकटक देख रही है।

    तस्वीर का विषय क्रिस्टियाना ओल्सन है, जो वेथ की अच्छी मित्र और पड़ोसी हैं।

    जीवन भर वह युवती एक रहस्यमय बीमारी से पीड़ित रही, जिसने उसकी चलने-फिरने की क्षमता तो छीन ही ली, साथ ही बाद में वह हाथों के इस्तेमाल से भी महरूम हो गई।

    मुश्किल भरे जीवन के बाद 74 वर्ष की आयु में उसकी मौत हो गई, लेकिन उसकी बीमारी के बारे में कभी पता नहीं चल पाया।

    अब, उनकी हालत से संबंधित सबूतों के आधार पर मायो क्लिनिक के चाइल्ड न्यूरोलॉजिस्ट मार्क पैटरसन ने उनकी बीमारी का पता लगा लिया है।

    उनके मुताबिक, उन्हें संभावित तौर पर चारकोट-मैरी-टूथ नामक बीमारी थी, जो परिधीय तंत्रिकाओं को प्रभावित करती है, जिसके कारण चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है।

    डॉ.पैटरसन ने कहा, "यह एक अनोखा मामला था। यह तस्वीर मेरी पसंदीदा थी और क्रिस्टियाना की बीमारी एक चिकित्सकीय रहस्य था।"

    --आईएएनएस
  • क्या वास्तविक दोस्त तय करने में हम हैं फिसड्डी?
    लंदन, 7 मई (आईएएनएस)। बहुत सारे लोग यह महसूस करते हैं कि दोस्ती दोतरफा रास्ता है, लेकिन आपके केवल आधे जिगरी दोस्त ही आपको अपना दोस्त समझेंगे। इसका पता एक अध्ययन से चला है।

    इसमें यह भी कहा गया है कि यह उनके प्रभावित करने की क्षमता को सीमित कर देता है और इसका मानव व्यवहार पर भी आगे असर पड़ता है।

    यह जानकार कंपनियां और सामाजिक समूह जो सामूहिक कार्य, सूचना विस्तार और उत्पादों के प्रचार के लिए सामाजिक प्रभाव पर निर्भर करते हैं, वे अपनी रणनीतियों और बीच-बचाव करने में सुधार कर सकते हैं।

    तेल अवीव विश्वविद्यालय की ईरेज शमुएली ने कहा, इससे यह पाया गया कि हमारे दोस्त कौन हैं, इसका आकलन करने में हम फिसड्डी हैं। इतना ही नहीं, दोस्ती की पारस्परिकता को तय करने में परेशानी हमारी सहयोगात्मक व्यवस्था में शामिल होने की हमारी क्षमता को बहुत अधिक कम कर देती है।

    जर्नल 'पीएलओएस वन' नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्यय रिपोर्ट में शमुएली ने कहा है, "हमने सीखा है कि हम अपने सहज ज्ञान या अनुभव पर भरोसा नहीं कर सकते। इन रिश्तों को मापने और उनके प्रभाव की मात्रा निर्धारित करने के लिए निश्चित रूप से एक निष्पक्ष तरीका होना चाहिए।"

    इस दल ने विस्तार से सामाजिक प्रयोग किए और दोस्ती के छह सर्वेक्षणों का अध्ययन किया। इनमें दोस्ती के स्तरों और पारस्परिक अपेक्षाओं के आकलन के लिए इजरायल, यूरोप और अमेरिका के करीब 600 छात्रों को शामिल किया गया।

    इसके बाद उन लोगों ने एक एल्गोरिज्म विकसित किया और दोस्ती की समझ से जुड़े कई वस्तुगत गुणों की जांच की। आम दोस्तों की संख्या या कुल दोस्तों की संख्या और उसके बाद उनमें एकतरफा दोस्ती और परस्पर दोस्ती में फर्क किया गया।

    अध्ययन के परिणाम से पता चला कि 95 फीसदी प्रतिभागी सोचते थे कि उनका संबंध पारस्परिक है।

    इसमें कहा गया है, यदि आप सोचते हैं कि कोई आपका दोस्त है तो आप उससे अपेक्षा रखते हैं कि वह भी उसी रूप में महसूस करे, लेकिन वास्तव में यह मामला होता नहीं है। केवल 50 फीसदी दोस्ती ही परस्पर दोस्ती वाली श्रेणी से मेल खाई।

    शमुएली का कहना है कि परस्पर रिश्ता महत्वपूर्ण है, क्योंकि सामाजिक प्रभाव ही इस खेल का नाम है।

    --आईएएनएस
  • 'मदर्स डे' पर फेसबुक पर मां को भेजें फूल
    नई दिल्ली, 7 मई (आईएएनएस)। सोशल नेटवर्किं ग साइट फेसबुक इस बार 'मदर्स डे' के मौके पर अपने उपभोक्ताओं को मैसेंजर के जरिए मां को फूलों से सजी शुभकामनाएं भेजने का मौका देगा। फेसबुक ने हाल में इसकी घोषणा की है।

    सोशल नेटवर्किं ग साइट के बयान के मुताबिक, "थोड़े समय (सात-नौ मई) के लिए आपको मैसेंजर में बैंगनी रंग के फूल का एक नया आइकन दिखाई देगा। अपने टेक्स्ट, फोटो, जीआईएफ समेत किसी भी संदेश को खिले हुए रंगीन फूलों से सजाने के लिए इस फूल पर टैप करें। आप जिसे यह संदेश भेजेंगे, उन्हें आपका फूलों से सजा संदेश मिलेगा।"

    मदर्स डे आठ मई को मनाया जाता है।

    फेसबुक ने इसके अलावा खासतौर पर मदर्स डे के लिए नए स्टिकर्स 'मदर्स लव' भी पेश किए हैं।

    यह फीचर भारत सहित 82 देशों के फेसबुक उपभोक्ताओं के लिए नौ मई तक उपलब्ध रहेगा।

    --आईएएनएस
  • बड़े चिकित्सा उपकरणों का उपयोग नियंत्रित करेगा चीन
    बीजिंग, 7 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। चीन में एक नए मसौदा कानून के तहत चिकित्सा संस्थान बगैर आधिकारिक मंजूरी के बड़े और भारी चिकित्सा उपकरण न तो स्थापित कर पाएंगे और न उसका उपयोग कर पाएंगे।

    राज्य परिषद के विधायी मामलों के कार्यालय द्वारा प्रकाशित इस मसौदा के अनुसार, चिकित्सा उपकरणों की निगरानी संबंधित कानून में इस संधोधन का उद्देश्य चिकिस्ता संस्थानों द्वारा अपनी आय बढ़ाने के लिए चिकित्सा उपकरण के दुरुपयोग को रोकना है। फिलहाल यह मसौदा अभी पारित नहीं हुआ है।

    मसौदे के अनुसार, चिकित्सा संस्थानों को बड़े चिकित्सा उपकरण स्थापित करने से पहले प्रांतीय स्तर पर या उससे ऊपर के स्वास्थ्य अधिकारियों से मंजूरी प्राप्त करनी होगी और प्रशासन उनके उपकरणों के उपयोग का मूल्यांकन और नियमन करेगा।

    इस संशोधित मसौदे पर चार जून तक राय जताई जा सकती है।

    --आईएएनएस

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