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पुरानी घटनाओं को ऐसे याद कर लेता है मस्तिष्क

लंदन, 20 मार्च (आईएएनएस)। हमारा मस्तिष्क कैसे इतनी पुरानी यादों को त्वरित याद कर लेता है, यह हमेशा ही कौतूहल का विषय रहा है, लेकिन जर्मनी के वैज्ञानिकों के एक दल ने इस रहस्य की खोज कर ली है।

इस नवीन अध्ययन से पता चला है कि बहुत पुरानी घटनाओं को याद करने में शामिल तंत्रिका तंत्र हालिया घटनाओं को याद करने वाले तंत्रिका तंत्र से अलग होता है।

जर्मनी की रुर यूनिवर्सिटी बोखम के प्रोफेसर मैगडालेना सौवेज के अनुसार, "पहली बार हम यह बताने में सक्षम हो पाएं हैं कि पुरानी और ताजा स्मृतियों को याद करने के लिए उपयोग होने वाला तंत्रिका तंत्र भिन्नता रखता है।"

इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने 1 दिन से लेकर 1 साल की उम्र तक के चूहों में घटनाओं को याद करने के दौरान मस्तिष्क गतिविधियों का निरीक्षण किया।

शोधार्थी बताते हैं, जब हम हालिया घटनाओं को याद करते हैं तो मस्तिष्क का हिप्पोकैंपस भाग सक्रिय हो जाता है। इसमें मौजूद सीए1 और सीए3 क्षेत्र हालिया घटनाओं को याद करने के लिए मस्तिष्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

यह शोध पत्रिका 'ईलाइफ' में प्रकाशित हुआ है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • तनाव से संबंधित जीनों की पहचान

    न्यूयॉर्क, 29 मई (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों ने सांख्यिकीय रूप से ऐसे दो महत्वपूर्ण जीनों की पहचान की है, जो पोस्ट-ट्रॉमैटिकस्ट्रेस डिसार्डर (पीटीएसडी) का जोखिम बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है।

    पोस्ट-ट्रॉमैटिकस्ट्रेस डिसार्डर एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें व्यक्ति किसी भयानक घटना को देखना और उसका अनुभव करना शुरू कर देता है।

    अमेरिका स्थित युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर मुरे बी.स्टीन ने बताया, "हमने दो उल्लेखनीय आनुवांशिक प्रकारों की खोज की है।"

    इनमें पहला जीन क्रोमोसोम के पांचवे जोड़े में स्थित एनकेआरडी55 है और दूसरा जीन क्रोमोसोम 19 में स्थित है।

    पिछले अनुसंधान में इस जीन का विभिन्न आटोइम्यून और इंफ्लेमेटरी विकारों के साथ संबंध मिला है, जिसमें टाइप 2 मधुमेह सीलिएक और रुमेटी गठिया शामिल है।

    इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने 13,000 से अधिक अमेरिकी सैनिकों के डीएनए नमूनों का व्यापक रूप से परीक्षण किया था।

    यह शोध 'जेएएमए साइकियाट्री' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

    --आईएएनएस

  • मस्तिष्क की अलग-अलग कोशिकाएं कराती हैं सकारात्मक, नकारात्मक घटनाओं का अनुभव

    सैन फ्रांसिस्को, 29 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। क्या आपको पता है कि हमारा मस्तिष्क सकारात्मक और नकारात्मक घटनाओं का कैसे अनुभव करता है। दरअसल, हमारे मस्तिष्क की अलग-अलग कोशिकाएं इसके लिए जिम्मेदार होती हैं, जो हमें सकारात्मकता तथा नकारात्मकता का अनुभव कराती हैं। यह दावा एक नए शोध में किया गया है, जिसे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया है।

    वैज्ञानिकों ने दो शोध तकनीकों को संयोजित कर बताया है कि प्रीफंटल मस्तिष्क कोशिकाएं किस प्रकार मूलत: अलग होती हैं, जो सकारात्मक एवं नकारात्मक अनुभवों के लिए होती हैं।

    यह शोध प्रोफेसर कार्ल डिसेरोथ के नेतृत्व में जैव प्रौद्योगिकी, मनोविज्ञान और व्यवहार विज्ञान के शोधार्थियों ने किया, जिसके नतीजे ऑनलाइन 'सेल' में प्रकाशित हुए हैं।

    प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स स्तनधारी जीव के मस्तिष्क में एक रहस्यमय, पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका सीधा संबंध लोगों के मूड में बदलाव से होता है और प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स की विभिन्न कोशिकाएं सकारात्मक और नकारात्मक अनुभवों की प्रतिक्रिया देती हैं। हालांकि यह किस प्रकार परस्पर विरोधी क्रियाओं को नियंत्रित करता है, इसकी जानकारी अभी नहीं मिल पाई है।

    इस नए शोध में शोधार्थियों ने पहली बार दो अत्याधुनिक अनुसंधान तकनीकों ओप्टोजेनेटिक्स और क्लैरिटी का इस्तेमाल किया था, जिसे डिसेरोथ ने विकसित किया।

    डिसेरोथ ने बताया, "ये कोशिकाएं अलग ढंग से निर्मित होती हैं और सकारात्मक तथा नकारात्मक घटनाओं के बारे में बताती हैं।"

    --आईएएनएस

  • गर्भनाल को ऐसे संक्रमित करता है जीका वायरस

    न्यूयॉर्क, 28 मई (आईएएनएस)। भारतीय मूल के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक दल ने पाया है कि घातक जीका वायरस गर्भनाल की प्रतिरक्षा कोशिकाओं को बगैर नष्ट किए उन्हें संक्रमित कर अपनी संख्या बढ़ाता है।

    शोधकर्ताओं के अनुसार, इस संबंध में बहुत कम पता चला है कि वायरस गर्भानाल में कैसे अपनी संख्या में इजाफा करता है और कौन-सी कोशिका को लक्षित करता है।

    शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि वायरस हॉफबर कोशिका को संक्रमित करता है, जो गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के सृजन से बनती हैं।

    शोधार्थियों के अनुसार, ये कोशिकाएं अन्य प्रतिरोधी कोशिकाओं की तुलना में अधिक सहलशील और कम भड़काऊ मानी जाती हैं। हालांकि शोध के दौरान इन कोशिकाओं ने एंटीवायरल और भड़काऊ प्रतिक्रिया दी थी। जिससे अंदाजा लगाया गया है कि जीका वायरस ने इन्हें संक्रमित किया होगा।

    यह शोध 'सेल होस्ट एंड माइक्रोब' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

    --आईएएनएस

  • अफ्रीकी लोगों पर हमला गंभीर मुद्दा : येचुरी

    नई दिल्ली, 28 मई (आईएएनएस)। भारत में अफ्रीकी नागरिकों पर हमले की आलोचना करते हुए मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने शनिवार को कहा कि संभावित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं को देखते हुए ऐसा हमला एक गंभीर मुद्दा है।

    येचुरी ने एक ट्वीट में कहा, "अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं को देखते हुए दिल्ली में अफ्रीकियों पर हमला एक गंभीर मुद्दा है। भारत सरकार उन्हें दूर रखना नहीं चाह सकती।"

    येचुरी की यह प्रतिक्रिया हैदराबाद में पार्किं ग स्थल के विवाद को लेकर एक नाइजीरियाई छात्र की कथित रूप से पिटाई करने के बाद आई है।

    यह घटना दक्षिण दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में एक छोटे विवाद को लेकर कांगो के एक 23 वर्षीय नागरिक को पीट कर हत्या कर देने के कुछ ही दिनों बाद की है।

    इस तरह के हमलों की घटनाओं ने दिल्ली में अफ्रीकी राजदूतों को नाराज कर दिया है। उन राजदूतों ने भारत सरकार से विरोध दर्ज कराया है। सरकार ने भारत में पढ़ रहे हजारों विद्यार्थियों को सुरक्षा मुहैया कराने का आश्वासन दिया है।

    कांगों के नागरिक पर हमले की डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की राजधानी किनशास में प्रतिक्रिया दिखी, जहां दिल्ली की घटना के बदले की कार्रवाई में भारतीय दुकानों को निशाना बनाया गया एवं कुछ भारतीय घायल हो गए।

    --आईएएनएस

  • महिलाएं भी ट्विटर पर करती हैं अश्लील टिप्पणियां

    न्यूयॉर्क, 28 मई (आईएएनएस)। अगर आपको लगता है कि विभिन्न सोशल मीडिया वेबसाइटों पर महिलाओं को अश्लील टिप्पणियां केवल पुरुष ही करते हैं, तो आपको गलतफहमी है। नए शोध के मुताबिक, माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर जिन महिलाओं को अश्लील टिप्पणियों का सामना करना पड़ता है, उनमें से आधी टिप्पणियां महिलाओं द्वारा की गई होती हैं।

    तीन सप्ताह तक ब्रिटेन में ट्विटर उपयोगकर्ताओं का विश्लेषण करने के बाद ब्रिटिश थिंकटैंक 'डेमोस' ने पाया कि ट्विटर पर अश्लील टिप्पणियों के जिम्मेदार पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी हैं।

    एक्सप्रेस डॉट को डॉट यूके की एक रपट के मुताबिक, शोध दल ने ट्विटर पर 'स्लट' तथा 'व्होअर' जैसे शब्दों को अश्लीलता की श्रेणी में रखकर उपयोगकर्ताओं के अकाउंट को खंगाला।

    शोधकर्ताओं को ट्वीट में ऐसे दो लाख से अधिक शब्द मिले, जिसे 80 हजार लोगों को भेजा गया था।

    वेबसाइट के मुताबिक, शोधकर्ता एलेक्स क्रासोदोम्स्की-जोन्स ने कहा, "निष्कर्ष इस बात को दर्शाता है कि अपने अकाउंट पर इस तरह के शब्दों को देखकर महिलाओं को कितनी पीड़ा पहुंचती होगी।"

    क्रासोदोम्स्की ने कहा, "ऐसे अश्लील शब्द केवल ट्विटर तक ही सीमित नहीं हैं। अन्य सोशल मीडिया वेबसाइटों पर भी इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जाता है।"

    निष्कर्ष में यह बात सामने आई कि ट्विटर के 6,500 उपयोगकर्ताओं को इस तरह के 10 हजार शब्दों को झेलना पड़ा।

    --आईएएनएस

  • स्वस्थ जीवनशैली से स्तन कैंसर का खतरा होता है कम

    न्यूयार्क, 27 मई (आईएएनएस)। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से महिलाओं में स्तन कैंसर के विकसित होने का खतरा काफी कम हो जाता है। भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक के शोध में यह जानकारी मिली है।

    शोधकर्ताओं के अनुसार, विकासशील देशों की महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा सबसे अधिक होता है।

    इस शोध के निष्कर्ष से पता चला है कि अमेरिका की 30 साल की गोरे रंग की त्वचा वाली महिला को औसतन 80 साल की उम्र तक स्तन कैंसर होने की संभावना 11.3 फीसदी होती है।

    हालांकि अल्कोहल के कम इस्तेमाल, वजन पर काबू और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से बचने से स्तन कैंसर के मामले को 30 फीसदी तक टाला जा सकता है।

    अमेरिका के जॉन होपकिंग्स विश्वविद्यालय के प्रोफेसर निलंजन चटर्जी का कहना है, "आप अपनी जीन को तो बदल नहीं सकते। लेकिन हमारे निष्कर्षो से पता चला है कि जिन लोगों को उच्च अनुवांशिक खतरा होता है। वे अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर जैसे सही खानपान, कसरत और तंबाकू के परहेज जैसी चीजों से उसे रोक सकते हैं।"

    यह शोध जामा ओंकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किया गया है। एक बार अगर महिलाएं इस बात को समझ जाएं कि उनके जीन उन्हें कैंसर होने की पूरी तरह भविष्यवाणी नहीं कर सकते। उन्हें अपने जीवनशैली में बदलाव लाना होगा, जिससे वे इस घातक बीमारी से बच सकती हैं।

    चटर्जी कहते हैं, "इस शोध के निष्कर्षो से लोगों को स्वस्थ जीवनशैली के लाभ को व्यक्तिगत स्तर पर समझने में मदद मिलती है।"

    शोधकर्ताओं का कहना है कि हालांकि यह शोध फिलहाल गोरी महिलाओं पर ही लागू होते हैं। विभिन्न जातीय समूहों के जीन के प्रभाव को समझने के लिए आगे अन्य शोध करने की जरूरत है।

    --आईएएनएस

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