संदीप पौराणिक
मध्यप्रदेश सूखे की त्रासदी ने दो-चार हो रहा है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं। उनका अर्थिक संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। उन्हें संकट से उबारने के लिए केंद्र सरकार ने 2033 करोड़ रुपये की मदद का वादा किया था, मगर तीन माह से ज्यादा वक्त गुजर जाने के बाद भी राज्य सरकार को एक रुपया हासिल नहीं हुआ है।
राज्य के 51 जिलों में से 23 जिलों की 141 तहसीलों को सूखाग्रस्त किया जा चुका है, इन इलाकों में हुए नुकसान के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से 4821 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त राहत की मांग की थी। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से एक मेमोरंडम भी केंद्र सरकार को भेजा गया था।
राज्य के राजस्व मंत्री रामपाल ने विधानसभा में माना कि प्राकृतिक आपदा के चलते किसानों को हुए नुकसान के एवज में जिलाधिकारियों ने राज्य सरकार से 4611 करोड़ की राहत राशि के आवंटन की मांग की थी, इस पर जिलों को कुल 3822 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की जा चुकी है। राज्य के चार जिले- ग्वालियर, इंदौर, मंदसौर व धार ऐसे हैं, जहां से राहत राशि की मांग नहीं की गई।
सिंह ने केंद्र सरकार से राहत राशि हासिल करने के लिए राज्य सरकार की ओर से किए गए प्रयासों का ब्यौरा देते हुए बताया कि राहत राशि के लिए 23 अक्टूबर को नुकसान और राहत के लिए मेमोरंडम दिया गया और केंद्रीय अध्ययन दल भेजने की मांग की गई। इस पर आठ और 11 नवंबर को केंद्रीय अध्ययन दल आया और उसने सूखे से हुई फसल क्षति का आंकलन किया।
इस दल की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार ने 2023. 68 करोड़ रुपये देने की अनुशंसा की, राशि अभी अपेक्षित है।
यहां बताना लाजिमी होगा कि केंद्र सरकार द्वारा राहत पैकेज पर हामी भरने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह सहित कई अन्य बड़े नेताओं के प्रति आभार जताने में तनिक भी देरी नहीं की और कहा कि इस केंद्रीय सहायता से प्रदेश के सूखा प्रभावित क्षेत्र के किसानों को बड़ी मदद मिलेगी।
केंद्र सरकार की ओर से दी गई राशि को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से देना बताया गया था, परंतु राजस्व मंत्री सिंह ने कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत के सवाल पर लिखित में जो उत्तर दिया है, वह तो यही बताता है कि राज्य के साथ केंद्र सरकार ने दिसंबर में जो वादा किया था, वह अब तक पूरा नहीं किया गया है।
कांग्रेस विधायक रावत ने आईएएनएस से कहा कि राज्य व केंद्र सरकार किसानों की हिमायती होने का दावा करती रही है, मगर हकीकत इससे जुदा है।
उन्होंने कहा कि किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है, भ्रष्टाचार का बोलबाला है, किसानों पर कर्ज बढ़ता जा रहा है, उन्हें अपनी फसल के दाम कम मिल रहे हैं। केंद्र सरकार ने घोषणा के बाद राहत राशि नहीं दी है। जहां तक राज्य सरकार राहत बांटने की बात कर रही है, वास्तविकता किसी से छुपी नहीं है।