नई दिल्ली, 21 मार्च (आईएएनएस)। आइकेईए फाउंडेशन ने भारत और इंडोनेशिया में दस लाख लोगों के लिए साफ पानी और स्वच्छता के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए, विश्व जल दिवस के अवसर पर वाटरडॉटओरजी को एक नया अनुदान देने की घोषणा की।
वाटरडॉटओरजी अपने वाटर क्रेडिट मॉडल के माध्यम से लोगों को और सस्ते छोटे ऋण दिलाकर साफ पानी और स्वच्छता सुलभ बनाने का प्रयास कर रहा है। इसे विस्तार देने के उद्देश्य से आइकेईए फांडेशन ने 1.24 करोड़ यूरो देने का फैसला किया है।
वाटरडॉटओरजी के सह-संस्थापक, मैट डैमन ने कहा, "वाटरडॉटओरजी के काम को इतना सम्मान पहले कभी नहीं मिला। हम इस अनुदान और आइकेईए फाउंडेशन के आभारी हैं। हम हजारों बच्चों को साफ पानी और सफाई व्यवस्था तक पहुंच तथा उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बेहतर बनाने में मदद करने जा रहे हैं।"
वाटरडॉटओरजी के सह-संस्थापक एवं सीईओ गैरी व्हाइट ने कहा कि, "वाटर क्रेडिट जैसे परिवर्तनकारी दृष्टिकोण के विकास में सहयोग करके आइकेईए फाउंडेशन जल और स्वच्छता का संकट समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण नवोन्मेषी पहल में सहयोग कर रहा है।"
विश्व बैंक का अनुमान है कि भारत में 21 प्रतिशत संचारी रोग असुरक्षित पानी और सफाई में कमी के कारण होते हंै। अभी भी 50 प्रतिशत भारतीय आबादी खुले में शौच करती है। वहीं इंडोनेशिया में 3.3 करोड़ लोगों को साफ पानी और 10 करोड़ लोगों को स्वच्छता की उन्नत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। यह अनुदान इन दोनों देश में जल और स्वच्छता का संकट समाप्त करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
आइकेईए फाउंडेशन के सीईओ, पेर हेगेंस ने कहा, "हमारा मानना है कि जीवन की स्वस्थ शुरुआत हर बच्चे का अधिकार है। यही कारण है कि हम वाटरडॉटओरजी के नवोन्मेषी कार्यक्रमों में सहयोग कर रहे हैं ताकि भारत और इंडोनेशिया में लोगों को साफ पानी और बेहतर स्वच्छता सुविधाएं मिल सके जिससे उनके स्वास्थ्य और सम्मानपूर्ण जीवन में वृद्धि होगी।"
इस संबंध में पेर हेगंेस, सीईओ, आइकेईए फाउंडेशन ने बताया, "हमने 2015 में अपने 49 साझीदारों को 12 करोड़ यूरो का अनुदान मुहैया कराया है जोकि 2020 तक 1 अरब यूरो का अनुदान देने की हमारी प्रतिबद्धता का हिस्सा है। हम बच्चों की बुनियादी जरूरतें, जैसे कि आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और स्थायी पारिवारिक आमदनी को पूरा करके उनका भविष्य बेहतर बनाने में सहयोग कर रहे हैं। इससे उनके समाज को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने में भी मदद मिल रही है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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