BREAKING NEWS
राज्यसभा के लिए राम जेठमलानी और शरद ने पर्चे दाखिल किए
अफगानिस्तान में जांच चौकी पर हमला, 11 पुलिसकर्मियों की जान गई
पोप फ्रांसिस युवा यूट्यूबर्स से मिले, माराडोना पर लगाया ठहाका
आस्ट्रेलिया में मगरमच्छ के हमले में महिला की मौत की आशंका
अमेरिका के शिकागो में मेमोरियल दिवस सप्ताहांत में 40 को लगी गोली
यूएन शांति अभियानों में सुधार की जरूरत : हेर्वे लदसौस
सीरिया में आस्ट्रेलिया के नागरिक की हत्या
चीन, बांग्लादेश ने सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई
लापता जापानी पत्रकार की तस्वीर इंटरनेट पर
बांग्लादेश : खालिदा जिया के खिलाफ 2 और मामलों में चार्जशीट

LIVE News

राज्यसभा के लिए राम जेठमलानी और शरद ने पर्चे दाखिल किए

अफगानिस्तान में जांच चौकी पर हमला, 11 पुलिसकर्मियों की जान गई

पोप फ्रांसिस युवा यूट्यूबर्स से मिले, माराडोना पर लगाया ठहाका

आस्ट्रेलिया में मगरमच्छ के हमले में महिला की मौत की आशंका

अमेरिका के शिकागो में मेमोरियल दिवस सप्ताहांत में 40 को लगी गोली

बुंदेलखंड : मनरेगा में मध्य प्रदेश का हाल उत्तर प्रदेश से बुरा

संदीप पौराणिक
छतरपुर (मप्र), 27 मई (आईएएनएस)। सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के लिए मनरेगा किसी वरदान से कम नहीं है, मगर मध्य प्रदेश सरकार इस योजना का लाभ भी यहां के जरूरतमंदों को देने में नाकाम रही है। अप्रैल माह में अनुमान के विपरीत सिर्फ 29 प्रतिशत लोगों को ही मनरेगा के जरिए रोजगार मुहैया कराया गया है, वहीं बुंदेलखंड के उत्तर प्रदेश वाले हिस्से की स्थिति एकदम जुदा है। यहां अनुमान से ज्यादा, 132 प्रतिशत लोगों को मनरेगा से काम मिला है।

स्वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश के छह जिलों में अप्रैल माह में 18 लाख 81 हजार 296 मानव दिवस रोजगार की संभावना जताई गई थी, मगर रोजगार सिर्फ पांच लाख 47 हजार 136 मानव दिवस का ही मिल सका। इस तरह कुल संभावना का सिर्फ 29 प्रतिशत मानव दिवस का काम ही मिला। ये आंकड़े मनरेगा वेबसाइट से लिए गए हैं।

बुंदेलखंड मध्य प्रदेश के छह जिलों छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, सागर, दमोह व दतिया और उत्तर प्रदेश के सात जिलों झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, महोबा, चित्रकूट को मिलाकर बनता है। इस तरह बुंदेलखंड में 13 जिले आते हैं।

यादव ने आईएएनएस से कहा, "वे हमेशा यह मानते रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के मुकाबले मध्य प्रदेश की सरकार न केवल बेहतर है, बल्कि काम भी अच्छा कर रही है, मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। मनरेगा के आंकड़े बहुत कुछ कह जाते हैं।"

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में संभावना के मुकाबले छतरपुर में 24 प्रतिशत, दमोह में 40 प्रतिशत, पन्ना में 16 प्रतिशत, सागर में 41 प्रतिशत और टीकमगढ़ में 20 प्रतिशत मानव दिवस काम उपलब्ध हो सका है। वहीं उत्तर प्रदेश में अनुमान से 132 प्रतिशत मानव दिवस सृजित किया गया।

यादव ने कहा कि मनरेगा के यह आंकड़े बहुत कुछ बयां कर जाते हैं। मनरेगा में एक दिन की मजदूरी 167 रुपये है। सूखा प्रभावित लोगों को अगर माह में सिर्फ 10 दिन ही काम मिल जाए तो उनका जीवन चल सकता है, लेकिन मध्य प्रदेश में तो यह भी लोगों को नहीं मिल पा रहा है।

उन्होंने कहा कि एक तरफ पीने का पानी आसानी से नहीं मिल रहा, पशुओं के लिए चारा नहीं है, दूसरी तरफ रोजगार के इंतजाम नहीं हैं। यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोगों को पलायन का रास्ता चुनना पड़ा है।

मनरेगा के तहत काम कराने के अनुमान के आधार पर केंद्र से बजट की मांग की जाती है। मध्य प्रदेश सरकार ने रोजगार देने के लिए जो अनुमान लगाया था उसके मुताबिक ग्रामीणों को रोजगार नहीं मिला है। उत्तर प्रदेश ने 6,63,584 कार्य दिवस रोजगार की मांग थी। इसके मुकाबले 8,74,665 कार्य दिवस काम दिए गए। यह मांग की तुलना में 32 प्रतिशत अधिक है, यानी कुल मिलाकर 132 प्रतिशत कार्य हुए।

--आईएएनएस

Related items

  • पोप फ्रांसिस युवा यूट्यूबर्स से मिले, माराडोना पर लगाया ठहाका
    रोम, 30 मई (आईएएनएस)। पोप फ्रांसिस ने छह महाद्वीपों के युवा यूट्यूबर्स के एक समूह से मुलाकात की और उन्हें अपने वीडियो के जरिये दुनिया को बेहतर जगह बनाने को प्रेरित किया। इस दौरान उन्होंने महान फुटबॉल खिलाड़ी डिएगो माराडोना से संबंधित एक सवाल पर ठहाका भी लगाया।

    समाचार एजेंसी 'एफे' की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को रोम में पोप फ्रांसिस के शैक्षणिक संस्थान स्कॉलस ऑकरेंट्ेस के सिक्थ वर्ल्ड कांग्रेस के समापन पर पोप ने वीडियो शेयरिग प्लेटफॉर्म के दो सितारों संग लोगों से बातचीत की। सिक्थ वर्ल्ड कांग्रेस में 190 देशों के युवा लोगों ने भाग लिया।

    यूट्यूब के उन सभी सितारों को बैठक में आमंत्रित किया गया था, जिनके हजारों व लाखों फॉलोअर्स हैं।

    पोप फ्रांसिस ने इन युवा यूट्यूब स्टार से अकेले में मुलाकात की। यह मुलाकात भावनाओं से ओतप्रोत थी, लेकिन इसमें गुदगुदाने वाले पल भी आए।

    पोप ने फुटबॉल के बारे में भी बात की। इस दौरान एक यूट्यूब सितारे ने उनसे पूछा कि 1986 के फुटबॉल वर्ल्ड कप के दौरान दिग्गज खिलाड़ी डिएगो माराडोना के चर्चित गोल 'हैंड ऑफ गॉड' में वास्तव में दैवीय शक्ति का हाथ था? इस पर पोप फ्रांसिस ने ठहाका लगाया, हालांकि उन्होंने सवाल का जवाब नहीं दिया।

    पोप फ्रांसिस के साथ एक निजी मुलाकात के बाद युवा यूट्यूब स्टार स्कॉलस ऑकरेंटेस वर्ल्ड एजुकेशन कांफ्रेंस के समापन समारोह में शरीक हुए। इस समापन समारोह में हॉलीवुड अभिनेत्री सलमा हयाक, अभिनेता रिचर्ड गेरे व जॉर्ज क्लूनी भी शरीक हुए।

    पोप फ्रांसिस ने युवाओं व शिक्षा द्वारा दुनिया में बदलाव लाने की मंशा से 2013 में स्कॉलस ऑकरेंटेस नामक संस्थान की स्थापना की थी।

    --आईएएनएस
  • यूएन शांति अभियानों में सुधार की जरूरत : हेर्वे लदसौस
    संयुक्त राष्ट्र, 30 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। संयुक्त राष्ट्र के अंडर-सेकेट्ररी-जनरल फॉर पीसकीपिंग ऑपरेशन्स हेर्वे लदसौस ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र(यूएन) शांति मिशन कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और उनमें सुधार की जरूरत है।

    लदसौस ने समाचार एजेंसी को एक साक्षात्कार में बताया कि चुनौतियों में से एक मुख्य चुनौती संयुक्त राष्ट्र शांतिदूतों विशेषकर यौन उत्पीड़न व शोषण मामले में संलिप्त शांतिदूतों में अनुशासनहीनता की समस्या का होना है।

    उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे अपराधों को अंजाम देने वाले शांतिदूतों को कानून के कठघरे में लाना होगा। उन्होंने कहा, "हमें इन सब मामलों को रोशनी में लाना होगा।"

    पिछले साल नागरिकों की हिफाजत के लिए भेजे गए कुछ शांतिदूतों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे। आरोप है कि उन शांतिदूतों ने नागरिकों की हिफाजत करने की बजाय किशोर-किशोरियों से पैसे के लिए धंधा कराया और उनका यौन उत्पीड़न किया।

    इस संबंध में यूएन के ताजा अपडेट के अनुसार, इस साल अब तक शांतिदूतों व विशेष राजनीति मिशनों के खिलाफ ऐसे 44 मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें से 39 मामले वे हैं, जिनमें कथित तौर पर वर्दीधारी अधिकारी संलिप्त हैं।

    --आईएएनएस
  • लापता जापानी पत्रकार की तस्वीर इंटरनेट पर
    टोक्यो, 30 मई (आईएएनएस)। जापान के एक लापता फ्रीलांस पत्रकार की तस्वीर इंटरनेट पर नजर आई है, जो सीरिया में लापता हो गए थे।

    जापान के राष्ट्रीय प्रसारक 'एनएचके' की रिपोर्ट के अनुसार, सीरिया के एक सरकार विरोधी कार्यकर्ता ने रविवार को तस्वीर अपलोड की है, जो जापान के लापता पत्रकार जुम्पी यासुदा की प्रतीत होती है। उनके हाथों में एक कागज का टुकड़ा है, जिस पर जापानी में लिख है, "मेरी मदद कीजिये। यह आखिरी मौका मौका है। जुम्पी यासुदा।"

    यासुदा जापान में टोक्यो के करीब सैतमा प्रांत से ताल्लुक रखते हैं। वह एक समाचार-पत्र में बतौर रिपोर्टर काम करने के बाद फ्रीलांस पत्रकार के तौर पर काम कर रहे थे। वह सीरिया और जापान सहित संघर्ष के अन्य क्षेत्रों को कवर कर रहे थे।

    यासुदा एक गाइड के साथ जून 2015 में दक्षिण तुर्की से सीरिया में दाखिल हुए थे।

    सूत्रों के अनुसार, यासुदा को अल-कायदा से संबद्ध नुसरा फ्रंट ने बंधक बना रखा है।

    नुसरा फ्रंट ने कथित तौर पर इस माह की शुरुआत में स्पेन के तीन पत्रकारों को मुक्त कर दिया।

    --आईएएनएस
  • बेटी को बचाने के लिए मां कुएं में कूदी, दोनों की मौत
    भदोही, 29 मई (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के गोपीगंज थाना क्षेत्र में किशुनदेवपुर गांव में खेलते समय कुएं में गिरी बेटी को बचाने के लिए मां ने भी कुएं में छलांग लगा दी जिससे दोनों की मौत हो गई। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने शवों को बाहर निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

    किशुनदेवपुर निवासी जितेन्द्र कुमार दूबे की डेढ़ वर्षीय पुत्री घर के बाहर खेल रही थी। खेलते-खेलते वह घर के समीप ही बने कुएं में गिर गई। बच्ची की मां अराधना दूबे (20) बेटी को बचाने के लिए कुएं में छलांग लगा दी। जिससे मां और बेटी की मौत हो गई। घटना की खबर फैलते ही गांव में कोहराम मच गया।

    अराधना का पति सूरत में नौकरी करता है।

    अराधना के मायके वालों ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शवों को बाहर निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

    अराधना का मायका भदोही कोतवाली क्षेत्र के मोढ़ के सरांय क्षत्रशाह गांव में है। अराधना के पिता ने गोपीगंज थाने में तहरीर देकर बताया कि उसकी नतनी लक्ष्मी खेलते समय कुएं में गिर गयी। उसी को बचाने के चक्कर में बेटी अराधना दूबे ने भी कुएं में छलांग लगा दी। अराधना की तीन वर्ष पूर्व शादी हुई थी।

    --आईएएनएस
  • सहारा प्रमुख सुब्रत राय सोमवार को रायपुर में

    रायपुर, 29 मई (आईएएनएस/वीएनएस)। सहारा समूह के मुखिया उद्योगपति सुब्रत राय सोमवार को रायपुर आ रहे है। वे वीआईपी रोड स्थित एक निजी होटल में सहारा अभिकर्ताओं को संबोधित करेंगे।

    जानकारी के अनुसार सहारा प्रमुख सुब्रत राय सोमवार को सुबह 10 बजे विशेष विमान से रायपुर पहुंचेंगे। इसके बाद वे होटल ताज गेटवे में कुछ देर विश्राम करने के बाद एक अन्य होटल में प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों से आए सहारा अभिकर्ताओं से रु-ब-रु होंगे। बताया जा रहा है कि हजारों की संख्या में सहारा अभिकर्ता रायपुर पहुंच रहे हैं। सहारा प्रमुख अपने अभिकर्ताओं को संबोधित करने के बाद होटल में रात्रि विश्राम करेंगे और वे दूसरे दिन मंगलवार को लखनऊ प्रस्थान करेंगे।

    गौरतलब है कि निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये नहीं लौटाने के मामले में सुब्रत राय एक साल से जेल में थे। सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें निवेशकों के करीब दस हजार करोड़ रुपये लौटाने के आदेश दिए हैं। राय अभी पैरोल पर बाहर आए हैं। इसके बाद वे देशभर का दौरा कर रहे हैं।

    --आईएएनएस
  • दिल, दल और दर्द
    डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
    राजनीति में अक्सर दिलचस्प रिश्ते बनते हैं। इसमें दुहाई दिल की दी जाती है लेकिन दल, दर्द और पद लिप्सा के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता। एक समय था तब बेनी प्रसाद वर्मा सपा में अमर सिंह के बढ़ते प्रभाव से बहुत नाराज हुए थे। अंतत: इसी मसले पर उन्होंने सपा छोड़ दी थी। दूसरी तरफ अमर सिंह को लग रहा था कि सपा में उनकी उपेक्षा हो रही है। रामगोपाल यादव और आजम खां जैसे दिग्गज उन्हें बर्दाश्त करने को तैयार नहीं थे।

    उस समय अमर सिंह को सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के सहारे की बड़ी जरूरत थी, लेकिन ऐसा लगा कि मुलायम सिंह रामगोपाल और आजम पर रोक नहीं लगाना चाहते। दोनों नेताओं ने अमर के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। उस दौरान अमर भावुक हुआ करते थे। वह बीमार थे। विदेश में उनका आपरेशन हुआ। उन्होंने अपने को बीमार बना लिया। अमर के इस भावुक कथन के बावजूद मुलायम सिंह कठोर बने रहे। रामगोपाल और आजम लगातार मुखर रहे। मुलायम की खामोशी जब अमर को हद से ज्यादा अखरने लगी तो वह भी सपा से दूर हो गए।

    सियासी रिश्तों का संयोग देखिए बेनी प्रसाद वर्मा और अमर सिंह की सपा में वापसी एक साथ हुई, इतना ही नहीं राज्यसभा की सदस्यता से उनका स्वागत किया गया। कभी सपा में अमर के बढ़ते कद से बेनी खफा थे, अब बराबरी पर हुई वापसी से संतुष्ट हैं। वैसे इसके अलावा इनके सामने कोई विकल्प नहीं था। सियासत में पद ही संतुष्टि देते हैं।

    जाहिर तौर पर सपा की सियासत का यह दिलचस्प अध्याय है। सभी संबंधित किरदार वही हैं, केवल भूमिका बदल गई है। बेनी प्रसाद वर्मा को अब अमर सिंह के साथ चलने में कोई कठिनाई नहीं है। एक समय था जब उन्होंने अमर सिंह को समाजवादी मानने से इंकार कर दिया था। रामगोपाल यादव और आजम खां भी अपनी जगह पर हैं। फर्क यह हुआ कि पहले खूब डॉयलॉग बोलते थे, अब मूक भूमिका में हैं। जिस बैठक में अमर सिंह को राज्यसभा भेजने का फैसला हो रहा था उसमें आजम देर से पहुंचे और जल्दी निकल गए। मतलब छोटा सा रोल था जितना विरोध कर सकते थे किया। जब महसूस हुआ कि अब पहले जैसी बात नहीं रही, तो बैठक छोड़कर बाहर आ गए।

    चार वर्षो में पहली बार आजम को अनुभव हुआ कि उनकी हनक कमजोर पड़ गई है। पहले वह मुद्दा उछालते थे और मुलायम सिंह यादव ही नहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी उसका समर्थन करना पड़ता था। यह स्थिति राज्यसभा के पिछले चुनाव तक कायम थी। बताया जाता है कि दो वर्ष पहले मुलायम सिंह ने अमर सिंह को राज्यसभा में भेजने का मन बना लिया था लेकिन आजम खां अड़ गए थे। मुलायम को फैसला बदलना पड़ा। वह चाह कर भी तब अमर सिंह को राज्यसभा नहीं भेज सके थे। आजम के तेवर आज भी कमजोर नहीं हैं लेकिन मुलायम सिंह पहले जैसी भूमिका में नहीं थे। इस बार वह आजम खान की बात को अहमियत देने को तैयार नहीं थे। आजम ने हालात समझ लिए।

    बताया जाता है कि आजम ने इसीलिए अमर सिंह के मामले को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाया। वह जानते हैं कि अमर सिंह के साथ जयप्रदा की भी वापसी होगी। जयप्रदा के संबंध में आजम ने जो कहा था उसके बाद शायद दोनों का एक-दूसरे से आंख मिलाना भी मुनासिब न हो लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है। मुलायम सिंह इस बार अमर सिंह के मामले में कठोर हो चुके थे। वैसे भी लुका-छिपी का खेल बहुत हो चुका था। पिछले कई वर्षो से वह सपा के मंच पर आ रहे थे।

    अमर से इस विषय में सवाल होते थे। उनका जवाब होता था कि वह समाजवादी नहीं वरन मुलायमवादी हैं। इस कथन से वह अपने अंदाज में बेनी प्रसाद वर्मा, आजम खां, रामगोपाल यादव आदि विरोधियों पर भी तंज कसते थे। ये लोग अमर पर समाजवादी न होने का आरोप लगाते थे। इसीलिए अमर ने कहा कि वह मुलायमवादी हैं। अर्थात जहां मुलायम होंगे, घूमफिर कर वह भी वहीं पहुंच जाएंगे। ये बात अलग है कि यह मुलायम वाद भी सियासी ही था। अन्यथा अमर सिंह विधानसभा चुनाव में मुलायम की पार्टी को नुकसान पहुंचाने में जयप्रदा के साथ अपनी पूरी ताकत न लगा देते। इतना ही नहीं अमर ने यह भी कहा था कि वह जीते जी कभी न तो सपा में जाएंगे न मुलायम से टिकट मांगेंगे। लेकिन वक्त बलवान होता है। कभी मुलायम की जड़ खोदने में ताकत लगा दी थी आज मुलायमवादी हैं। इसी प्रकार बेनी प्रसाद वर्मा ने भी मुलायम के विरोध में कसर नहीं छोड़ी थी, अब साथ हैं।

    इस प्रकरण में दो बातें विचारणीय है। एक यह कि बेनी प्रसाद वर्मा, अमर सिंह, आजम खां, रामगोपाल यादव सभी बयानवीर हैं। ऐसे में अब कौन बाजी मारेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। दूसरा यह कि अब मुलायम सिंह की मेहरबानी किस पर अधिक होगी। रामगोपाल यादव पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं लेकिन प्रदेश से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ तक ऐसा कोई विषय नहीं जिस पर आजम खां बयान जारी न करें। वह अपनी बात सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्रारंभ करते हैं। फिर जरूरत पड़ी तो संयुक्त राष्ट्र संघ तक चले जाते हैं। कई बार लगता है कि सपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रवक्ता के लिए कुछ करने को बचा ही नहीं है। आजम अकेले ही कसर पूरी कर देते हैं अब इस मामले में उनका सीधा मुकाबला बेनी प्रसाद वर्मा और अमर सिंह से होगा। क्योंकि ये नेता भी किसी विषय पर बिना बोले रह नहीं सकते लेकिन इस बार मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह को ही सर्वाधिक तरजीह दी है।

    पार्टी के कोर ग्रुप को इसका बखूबी एहसास भी हो गया है। बेनी प्रसाद वर्मा की वापसी और उन्हें राज्यसभा में भेजने का कोई विरोध नहीं था। इसके विपरीत अमर सिंह को रोकने के लिए बेनी प्रसाद वर्मा, आजम और रामगोपाल ने जोर लगाया था, लेकिन मुलायम ने इनके विरोध को सिरे से खारिज किया है। इसका मतलब है कि वह इन तीनों नेताओं की सीमा निर्धारित करना चाहते हैं। यह बताना चाहते हैं कि विधायकों की जीत में इनका योगदान बहुत सीमित रहा है। इन विधायकों के बल पर किसे राज्यसभा भेजना है, इसका फैसला मुलायम ही लेंगे। इस फैसले ने सपा में अमर सिंह के विरोधियों को निराश किया है। समाजवादी पार्टी में इस मुलायमवादी नेता का महत्व बढ़ेगा।

    (ये लेखक के निजी विचार हैं।)

    --आईएएनएस

खरी बात

मोदी के सरकार दो साल- क्या किसी के पास दूसरा तथ्य है या एक ही सत्य है

रवीश कुमार मई का महीना समीक्षा का होता है। भारतीय लोकतंत्र के इस रूटीन उत्सव में यही एक महीना होता है जिसमें सरकार हमेशा अच्छा करती है। दबी ज़ुबान आलोचना...

आधी दुनिया

14 फीसदी भारतीय कारोबार की लगाम महिलाओं के हाथ

ऋचा दूबे एक ऑनलाइन खुदरा कारोबार चलाती हैं, जो कारीगरों को उपभोक्ताओं से जोड़ता है। यह आधुनिक भारतीय महिला के लिए कोई अनोखी बात नहीं है। लेकिन हाल के आंकड़ों...

जीवनशैली

मस्तिष्क की अलग-अलग कोशिकाएं कराती हैं सकारात्मक, नकारात्मक घटनाओं का अनुभव

सैन फ्रांसिस्को, 29 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। क्या आपको पता है कि हमारा मस्तिष्क सकारात्मक और नकारात्मक घटनाओं का कैसे अनुभव करता है। दरअसल, हमारे मस्तिष्क की अलग-अलग कोशिकाएं इसके लिए जिम्मेदार...