भोपाल, 5 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में सूखा पर चर्चा और किसानों को राहत देने के लिए गुरुवार को बुलाए गए विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में विपक्ष (कांग्रेस) और सत्ता पक्ष (भाजपा) में हुई तीखी नोंक-झोंक के बीच 8400 करोड़ रुपये के अनुपूरक बजट को पारित कर दिया गया।
राज्य के किसान सूखे के चलते बेहाल हैं, बड़े पैमाने पर फसलों को नुकसान हुआ है और इसके कारण कई किसान आत्महत्या कर चुके हैं तो कई किसानों को तो सदमे ने निगल लिया है। बिगड़ते हालात को सुधारने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को हरसंभव मदद का एलान किया है। उसी के चलते गुरुवार को विशेष सत्र बुलाया गया।
सत्र की शुरुआत से ही कांग्रेस और भाजपा के तेवर तल्ख थे। यह बात दिवंगत लोगों को श्रद्घांजलि अर्पित करने से जाहिर हो गई थी। कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने किसानों को श्रद्घांजलि दी तो उस पर ही सत्ता पक्ष की ओर से सवाल उठाए गए। इसके बाद कांग्रेस विधायक ने सदन को बुलाने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाए तो हंगामा हो गया।
चर्चा की शुरुआत में कांग्रेस विधायक महेंद्र सिंह कालूखेड़ा ने जमीनी हकीकत बताते हुए कहा कि सरकार घोषणाएं बड़ी-बड़ी कर देती है, मगर किसानों को लाभ नहीं मिलता है। सरकार के निर्देश के बाद अफसर जमीन पर उन्हें अमल में नहीं आने दे रहे हैं। वहीं रामनिवास रावत ने किसानों को पिछले वर्षो में की गई घोषणाओं का अब तक लाभ नहीं मिलने की बात कही।
कांग्रेस के आरोपों के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उत्तेजना में आकर यहां तक कह दिया कि कांग्रेस घटिया स्तर की राजनीति कर रही है। उन्होंने आह्वान किया कि संकट के समय साथ मिलकर किसानों को राहत पहुंचाने और उन्हें संकट से निकालने का काम करें। किसानों के संकट पर किसी प्रकार की राजनीति नहीं करें और हम सब मिलकर किसानों की सेवा करें।
उन्होंने कहा कि किसानों को सूखे के अंधेरे से निकालेंगे। किसानों की आत्महत्या पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को जिंदगी नहीं हारने देंगे, उनको हर संभव राहत दी जाएगी।
कांग्रेस विधायक मुकेश नायक ने चर्चा के दौरान किसानों की समस्या का जिक्र किया। उन्होंने बिजली बिल वसूली के नाम पर किसानों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार कहती है कि बिजली के बिल माफ कर दिए गए हैं, कर्ज वसूली स्थगित कर दी गई है मगर किसानों के घर पहुंचकर बिजली बिल के नाम पर मोटर साइकिल, ट्रैक्टर, साइकिल, पंखा आदि तक को जब्त किया जा रहा है। साथ ही कांग्रेस के काल में केंद्र सरकार से राज्य को मिलने वाली सहायता और अब मिल रही सहायता का सवाल उठाया।
चौहान ने कहा कि किसानों के प्रति सरकार संवेदनशील है। इसलिए सूखे और राहत के मुद्दे पर एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया, ताकि संकट का समाधान निकले। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति द्वारा आत्महत्या अत्यंत दु:खद है, क्योंकि मानव जीवन महत्वपूर्ण है। आत्महत्या के प्रकरणों को राजनीति से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में 17 हजार 187 किसानों ने आत्महत्या की थी। आत्महत्या को राजनीति से जोड़ने से किसानों का भला नहीं होगा।
चौहान ने कहा कि सरकार ने फसल नुकसान की राहत राशि में कई गुना वृद्घि की है। कांग्रेस के 10 साल के शासन में फसल नुकसान होने पर किसानों को केवल 670 करोड़ रुपये की राहत दी गई थी, जबकि भाजपा शासन में 7,600 करोड़ रुपये राहत राशि दी गई है।
कांग्रेस की ओर से कहा गया कि बिजली बिल माफ करने की बात कही गई मगर ऐसा हो नहीं रहा। इस पर मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि विद्युत बिल संबंधी कठिनाइयों को भी समाप्त करने के लिए प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति से पीड़ित किसानों से विद्युत बिल की वसूली स्थगित की गई है। विद्युत नियामक आयोग द्वारा पांच हार्स-पवर के कनेक्शन पर 31 हजार रुपये की दर तय की गई है। सरकार द्वारा स्थायी कनेक्शनधारक किसान से मात्र 6000 रुपये का वार्षिक बिल लिया जाता है। इस प्रकार सरकार द्वारा प्रत्येक कनेक्शनधारी को 25 हजार रुपये की सब्सिडी दी जा रही है।
चौहान ने किसानों के लिए उठाए गए कदमों की चर्चा करते हुए कहा कि मनरेगा में ज्यादा से ज्यादा राहत कार्य खोले जाएंगे। इसमें 100 दिन की मजदूरी बढ़ाकर 150 दिन कर दी गई है। उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि रबी में खाद की कमी नहीं होने दी जाएगी।
मुख्यमंत्री चौहान के उद्बोधन के साथ ही वित्त मंत्री जयंत मलैया द्वारा प्रस्तुत 8,407 करोड़ 24 लाख 81 हजार 840 रुपये के द्वितीय अनुपूरक अनुमान को पारित कर दिया गया। तत्पश्चात मलैया द्वारा प्रस्तुत विनियोग विधेयक को भी सर्व-सम्मति से पारित किया गया।
सत्ता पक्ष की ओर से विधायक अर्चना चिटनीस ने सरकार की ओर से किसानों को राहत देने के लिए उठाए गए कदमों का ब्योरा दिया और कहा कि सरकार के प्रयासों से किसान उतना परेशान नहीं हुआ जितने बुरे हालात हैं। सरकार की कोशिशों ने किसान को काफी हद तक राहत दी है।
इसी तरह सत्ता पक्ष की ओर से केदारनाथ शुक्ला और यशपाल सिंह सिसौदिया ने सरकारी योजनाओं का हवाला दिया। शुक्ला ने सरकारी मशीनरी के कामकाज पर भी सवाल उठाए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।