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जबलपुर हुआ शर्मसार, कलेक्टर साहब आपसे ये उम्मीद नहीं थी ? Featured

स्नेहा चौहान

मध्यप्रदेश की सरकार और यहाँ के प्रशासन के ऊपर तरस आता है, विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस के मोके पर दोनों ने साथ मिलके ये साबित कर दिया की किस बुरी तरह से ये लोग मानसिक रोगी है। परसो रात दोस्त से पता चला की एक बच्ची जबलपुर लायी गयी है, उसके सौतेले पिता ने १३ साल की बिटिया से बलात्कार किया, आज वो जेल में है और अब बच्ची अपने ७ माह के गर्भ साथ इस सीमा से उस सीमा और दुनिया भर के नियम कानूनो के दायरे में अकेले संघर्ष कर रही है।

जबलपुर में जब बाल कल्याण समिति के सदस्य नीतू गुप्ता  से बात हुयी तो पहले तो मुझे मिलने को हाँ कह दिया, उसके पहले वो खुद मिलके पेपर बाज़ी कर चुकी थी। जब मैंने उनको कहा की आप मीडिया से उसको दूर रखे तब ये आदेश हॉस्पिटल वालो को दे दिया। दूसरे दिन बच्ची से मिलने की बात की, जब मैंने कहा की चलिए तब टालमटोल कर गयी। हम कहाँ रुकने वाले थे, गए। तब पता चला मैडम खुद अभी मिलके गयी है और कहा है किसी को न मिलने दिया जाए ? मैंने अपने तरीके से उस बच्ची से  मुलाकात की, उसको समझाया, वहां जाके अन्य महिलाओ को उसका साथ देने को कहा ? उसको उस दिन कड़ी चावल खाने का मन था, उसका इंतज़ाम किया, इस वादे  के साथ  की कल दोबारा आउंगी। वो बिटिया खुश थी। दूसरे दिन जब हम उससे मिलने निकल ही रहे थे तब दोस्त का कॉल आया, की उसको कटनी भेज दिया गया ?

रातो रात ऐसा क्या हुआ जो उसे  कटनी भेजा गया ? सवालो  के साथ  और उम्मीद लिए कुछ कपडे और जरूरी सामान साथ लिए जब गयी तो पता चला रात को माँ और उसके भाई आ गए थे कटनी से, जो उसको शाम ४ बजे ले गए ?

घर आते ही दोबारा इसी तरह की घटना की जानकारी मिली ? अब सवाल ये है की ये महिला  सशक्तिकरण विभाग, बाल कल्याण समिति और नाम मात्र के अनाथ आश्रम चलाने  वालो के पास दिल नहीं है या इनकी आत्मा मर चुकी है। इस तरह के पीडितो के लिए सरकार के पास कोई विकल्प है ही नहीं ?
जबलपुर में उसको पनाह नहीं मिली इससे शर्मनाक बात क्या होगी ?

दिखावटी लोगो की सोसाइटी जो चंदा देके सोचते है बहुत पुण्य मिलेगा। आज बद्दुआ निकलती है ऐसे लोगो के लिए जो एक अबोध लड़की की सहायता नहीं कर सके ? कमजोरी और कुपोषण की शिकार यह बिटिया जिसकी माँ भी छोड़  के चली गयी, उसके नाम पर झूठ बोला प्रशासन ने। कि माँ कटनी से आ गयी  थी।

चमचागिरी और रुतबे की हद तब हुयी जब एक संपादक ने मुझे  इस मैटर को लेके ये कहा की हमने तो एक कॉलम में निपटा दिया। वाकई  कितना बड़ा अहसान किया, खुद की कलम पे और उस बच्ची पे ?

कितने सवाल है उसका प्रसव कैसे होगा ? किसकी निगरानी में होगा ? प्रसव के बाद उसकी और उस नवजात  देखभाल कौन करेगा ? लड़की का आगे का भविष्य क्या ?

मप्र की लाडली लक्ष्मी योजना देश में यश कमा रही है और लड़कियों के मामा बने शिवराज  के कारिंदे इस तरह से लड़कियों की समस्याओ से हाथ झटक रहे है ? भविष्य क्या है इस प्रदेश में किसी भी तबके का ?

लोगो पर गुस्सा है मेरा, खासकर वो महिलाये जो लिपस्टिक लगा के अनाथ आश्रम की लड़कियों की शादी में जाती है, ये बताने की इतना चंदा दिया है, इनकी घर की सच्चाई बहार न आ सके शायद इसलिए ?

दुनिया भर के अभियान करने को कह दो, ये वही  समाज है जो अब नौ दिन देवी पूजा का दिखावा करेगा ? कन्या पूजन होगा ? शहर आई एक बच्ची की जिम्मेदारी न ले सका।
जबलपुर ने शर्मसार कर दिया, कलेक्टर साहब आपसे ये उम्मीद नहीं थी ? अफ़सोस !!!!!!!

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स्नेहा चौहान

स्नेहा चौहान सामाजिक सरोकारों को लेकर सक्रिय स्वतंत्र पत्रकार हैं.

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