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गैर संक्रामक रोगों से निपटने को ब्लूप्रिंट तैयार

रीतू तोमर
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। गैर संक्रामक रोगों (एनसीडीज) की वजह से विश्व की एक-तिहाई आबादी की जिंदगी समय से पहले ही खत्म हो जाती है। कैंसर, मधुमेह, हृदय, श्वास रोग, मानसिक रोगों जैसे गैर संक्रामक रोगों से बेहतर तरीके से निपटने के लिए अभी तक कारगर कदम नहीं उठाए गए हैं। इसी दिशा में पार्टनरशिप टु फाइट क्रॉनिक डिजीज (पीएफसीडी) ने हाल ही में संकल्प-दिशा स्वस्थ भारत की नाम से एक राष्ट्रीय रूपरेखा (ब्लूप्रिंट) पेश की है।

इस ब्लूप्रिंट का उद्देश्य देश में 2025 तक स्वस्थ भारत के विजन को हासिल करने में सहयोग देना है, ताकि कैंसर, हृदयरोग, मधुमेह, श्वास संबंधी बीमारियों जैसे गैर संक्रामक रोगों के बढ़ते मामलों पर नियंत्रण रखा जा सके।

भारत के महापंजीयक (रजिस्ट्रार जनरल) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश में गैर संचारी रोग मृत्यु का प्रमुक कारण बनते जा रहे हैं और देश में कुल मौतों में से एनसीडीज से मरने वालों का अनुपात 42 प्रतिशत से अधिक है। इन रोगों से मरने वाले सर्वाधिक लोग 35 से 64 वर्ष की आयु समूह के हैं।

पीएफसीडी के अध्यक्ष डॉ. केनेथ ई.थोर्पे का कहना है कि यह राष्ट्रीय ब्लूप्रिंट देश में एनसीडीज के बढ़ रहे प्रकोप को रोकने में मददगार होगा, क्योंकि देश में इन रोगों के प्रबंधकीय ढांचे का अभाव है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जनवरी 2015 में गैर संक्रामक रोगों पर एक वैश्विक रिपोर्ट भी जारी की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 1.6 करोड़ लोगों की कैंसर, मधुमेह और ह्दयघात जैसे गैर संक्रामक रोगों की वजह से समय से पूर्व ही मृत्यु हो जाती है। डब्ल्यूएचओ ने इस रिपोर्ट में साफतौर पर कहा है कि इन मामलों में अधिकतर लोगों की जान बचाई जा सकती थी।

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) के उपाध्यक्ष एवं सेंटर फॉर कंट्रोल क्रॉनिक कंडीशंस के निदेशक डॉ. प्रभाकरन दोरइराज ने आईएएनएस को बताया कि हमारे देश में गैर संक्रामक रोगों से निपटने की नीति असंगठित है। इस ब्लूप्रिंट से राज्यों को स्वास्थ्य संबंधी मामलों को प्राथमिकता देने में मदद मिलेगी।

संयुक्त राष्ट्र ने भी हाल ही में सितंबर में सतत विकास लक्ष्यों को अपनाते हुए आगामी 15 वर्षो के लिए वैश्विक विकास एजेंडे को पेश किया था, जिसमें गैर संक्रामक रोगों की वजह से होने वाली मृत्यु दर को कम करने के लिए भी प्रतिबद्धता जताई गई थी।

गैर संक्रामक रोगों के बढ़ते मामलों के बड़ी आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। जरूरत है जागरूकता और सही इलाज की, क्योंकि ये देश के सामाजिक एवं आर्थिक दोनों तरह के विकास के समक्ष गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • कोलकाता, पुणे के फूलों से महकेगी दिवाली
    एकान्त प्रिय चौहान
    रायपुर, 10 नवंबर (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ में धनतेरस के साथ ही दिवाली की शुरुआत हो गई है। पांच दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के लिए बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक, गिफ्ट, मिठाइयों की दुकानें सजी हुई हैं, साथ ही दिवाली पर अपनी-अपनी महक बिखेरने दूसरे राज्यों से भी फूलों का राजा गुलाब सहित गेंदा, सेवंती, रजनीगंधा सहित अन्य प्रजातियों के फूल राजधानी में उपलब्ध हैं।

    राजधानी रायपुर के कई व्यापारी हालांकि कमजोर ग्राहकी से कुछ परेशान लगे, लेकिन त्योहारी शुरुआत के चलते दो दिन देर शाम-रात तक ग्राहकी बढ़ने की उम्मीद जताई गई है।

    राजधानी के बाजार में पिछले वर्ष तो कई विदेशी किस्म के फूलों की बहार थी। इसमें प्रमुख रूप से डचगुलाब, जरवेरा, निलियम, एंथोरियम जैसे फूलों की खासी मांग रही। दिवाली की खूबसूरती में इजाफा करने के लिए इस बार लखनऊ, दिल्ली, नासिक, कोलकाता, बेंगलुरू, मोहाली, नैनीताल, नगालैंड के साथ ही कई पहाड़ी क्षेत्रों से भी फूल मंगवाए जा रहे हैं।

    राजधानी के फूल चौक स्थित दुर्गा फ्लावर के सनत तिवारी ने बताया कि मुख्यत: फूल कोलकाता, पुणे, बेंगलुरू, लखनऊ सहित अन्य राज्यों से मंगाए जाते हैं। इनमें दिवाली पर्व को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग किस्मों का समावेश किया जाता है।

    सूरज फ्लावर के संचालक मनोज सिंह ठाकुर व एक अन्य फूल व्यवसायी विजय कुमार ने बताया कि उनके यहां गुलाब पुणे, बेंगलुरू, हैदराबाद, नागपुर, कोलकाता आदि राज्यों से मंगवाया जाता है।

    विदेशों से फूल मंगवाने की बात पर उनका कहना था, "हमारे देश में ही कई ऐसी प्रजातियों के फूल होते हैं, जिनका उत्पादन विदेशों में भी किया जाता है। फिलहाल तो देश के अन्य राज्यों से फूल मंगवाते हैं।"

    फूलों के थोक व्यापारी कटोरातालाब के देवराम साहू ने बताया कि लक्ष्मी पूजा तक ग्राहकी बढ़ने की संभावना है। उनका कहना है कि फूलों से बाजार तो सज गया है, वह ग्राहकी थोड़ी कमजोर है। अभी त्योहार में दो-तीन दिन और है, तो हो सकता है कारोबार भी अच्छा हो।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • आई दिवाली, 'भगवान' भी हुए महंगे
    कासगंज (उप्र), 10 नवंबर (आईएएनएस/आईपीएन)। महंगाई की मार आम जन मानस पर ही नहीं, देव प्रतिमाओं पर भी देखने को मिल रही है। दिवाली पर्व में पूजन के लिए गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां बाजारों में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार ज्यादा दामों में मिल रही हैं।

    आगरा से खरीदकर कासगंज में मूर्ति बेच रहे नरेंद्र ने बताया कि वह प्लास्टर ऑफ पेरिस के जरिए देव प्रतिमाएं बनाता है। प्लास्टर ऑफ पेरिस की कीमत बाजार में 90 रुपये प्रति बोरी है। वहीं दिवाली को लेकर ये देव प्रतिमाएं शहर से लेकर कस्बों तक भेजी जाती है। पिछली बार की अपेक्षा इस बार महंगाई को देखते हुए इन मूर्तियों के दाम भी बढ़ गए हैं।

    इस बार बाजार में गणेश लक्ष्मी की छोटी-छोटी मूर्तियां जो पिछली बार 10 से लेकर 15 रुपये जोड़ी तक मिल रही थी, वह अब 15 से लेकर 25 रुपये तक की बिक रही है। वहीं बड़ी-बड़ी मूर्तियां भी महंगी मिल रही हैं। 80 से लेकर 90 रुपये तक की मूर्ति अब 130 से लेकर 150 रुपये में बिक रही हैं।

    मूर्तियां खरीदने आईं सविता भारती ने कहा, "अब आम आदमी के लिए भगवान भी महंगे हो गए हैं।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • गिफ्ट कार्ड : उपहार वही जो सबके मन भाए
    ममता अग्रवाल
    नई दिल्ली, 10 नवंबर (आईएएनएस)। उपहार तब बेहद खास बन जाता है, जब वह देने वाले के साथ ही लेने वाले की पसंद भी बन जाए। आपने सबसे अच्छा उपहार चुनने में अपना कितना भी समय और पैसा क्यों न खर्च किया हो, वह लेने वाले की जरूरत और पसंद का न हो तो आपके बेहद प्यार से दिए कीमती उपहार की कोई कीमत नहीं रह जाती।

    'जर्नल ऑफ एक्सेपेरिमेंटल साइकोलॉजी' में प्रकाशित एक शोध भी इसी ओर इशारा करता है। शोध के मुताबिक, बेहद सोच-समझ कर दिया गया उपहार भी लेने वाले का पसंदीदा निकले यह कोई जरूरी नहीं।

    इसी तरह जर्नल ऑफ एक्सेपेरिमेंटल सोशल साइकोलोजी में प्रकाशित एक अन्य शोध भी यही कहता है। इस शोध के मुताबिक, उपहार के पीछे की सोच उतनी मायने नहीं रखती, बल्कि खुद उपहार ज्यादा मायने रखता है।

    आप भी अपना कीमती समय और पैसा खर्च करके कोई ऐसा उपहार हरगिज नहीं देना चाहेंगे, जो पसंद न आने पर रीपैक करके आगे बढ़ा दिया जाए तो आखिर उपहार में क्या दें?

    परेशान न हों, क्योंकि आज के स्मार्ट दौर में गिफ्टिंग भी स्मार्ट हो गई है। आपकी इस दुविधा का बेहतरीन उपाय है, गिफ्ट कार्ड। ये प्री-पेड कार्ड होते हैं, जो डेबिट कार्ड की तरह काम करते हैं।

    आप अगर उपहार में गिफ्ट कार्ड देते हैं तो लेने वाला इसके जरिए अपने मन मुताबिक किसी भी पसंदीदा चीज की खरीदारी कर सकता है। गिफ्ट कार्ड के कई फायदे हैं। स्टोर वाउचर्स की तुलना में ये ज्यादा फायदेमंद हैं।

    वाउचर को केवल एक बार में ही इस्तेमाल करना जरूरी होता है, जिसमें आपको पूरी राशि खर्च करनी होती है, लेकिन अगर आप गिफ्ट कार्ड उपहार में देते हैं तो इससे मनचाही चीज तो खरीदी जा ही सकती है, साथ ही इसे एक बार में इस्तेमाल न करके चाहें तो कई बार में इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि अधिकांश गिफ्ट कार्ड की अवधि एक साल की होती है।

    गिफ्ट कार्ड खरीदने के लिए आपके पास दो विकल्प हैं। आप चाहें तो ओपन लूप कार्ड खरीद सकते हैं जो बैंक द्वारा जारी किए जाते हैं। बैंक करीब सौ रुपये का शुल्क लेकर ये कार्ड जारी करते हैं, जिसे आप ऑनलाइन या सीधे बैंक से खरीद सकते हैं।

    बैंक गिफ्ट कार्ड में आप 500 रुपये से लेकर 50,000 तक जितनी चाहे उतनी राशि डलवा सकते हैं। एचडीएफसी बैंक रोहिणी ब्रांच की मैनेजर पायल अग्रवाल बताती हैं, "बैंक गिफ्ट कार्ड का फायदा यह है कि इन्हें इस्तेमाल करने के लिए किसी खास स्टोर से खरीदारी की बाध्यता नहीं होती। इनसे किसी भी स्टोर पर खरीदारी की जा सकती है।"

    बैंक गिफ्ट कार्ड में पिन नंबर होता है, जिसका इस्तेमाल करके विभिन्न आउटलेट से या ऑनलाइन सुरक्षित खरीदारी की जा सकती है। इस पिन नंबर के जरिए कार्ड का बैलेंस और ट्रांसेक्शन विवरण भी पता किया जा सकता है।

    दूसरा विकल्प हैं ऐसे कार्ड जो आप किसी विशिष्ट आउटलेट से खरीद सकते हैं। इनसे किसी खास ब्रांड या रिटेल चेन से ही खरीदारी की जा सकती है। जैसे कि टाइटन, तनिश्क, लाइफस्टाइल, कैफे कॉफी डे, क्रोमा, वेस्टसाइड या फास्ट ट्रैक जैसी कंपनियों द्वारा जारी किया गया कार्ड। यह गिफ्ट कार्ड आपको इन्हीं स्टोर से ही खरीदारी का विकल्प देगा।

    इस तरह के गिफ्ट कार्ड से खरीदारी करने पर कई आउटलेट सामान पर पांच से 10 प्रतिशत की छूट भी देते हैं। साथ ही इनसे खरीदारी करने पर उपभोक्ता को रिवॉर्ड प्वॉइंट भी मिलते हैं। निश्चित संख्या में इन प्वॉइटं्स को इकटठा करने पर आपको खरीदारी में रिटेल कंपनी की तरफ से छूट भी मिलती है।

    गिफ्ट कार्ड की बढ़ती लेकप्रियता को देखते हुए अब कई वेबसाइट भी इस मैदान में उतर आई हैं। इनसे कई तरह के गिफ्ट कार्ड खरीदे जा सकते हैं। इनसे आप होम डेकोर, कपड़े, घड़ियां व अन्य एक्सेसरीज आदि के गिफ्ट कार्ड भी खरीद सकते हैं। ऐसी कुछ बेवसाइट हैं : गिफ्टकार्डसइंडिया डॉट इन, गिफ्टकार्डबिग डॉट कॉम और इंडियाप्लाजा डॉट कॉम।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • ज्यादा बोलने और कम काम करने वाले हार रहे : केजरीवाल

    नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर चुटकी लेते हुए कहा कि ज्यादा बोलने लेकिन कम काम करने वाली पार्टियां चुनाव हार रही हैं।

    आम आदमी पार्टी नेता केजरीवाल ने कहा, "हमारे मंत्री बोलते कम और काम अधिक करते हैं। कुछ पार्टियां अधिक बोलती और काम कम करती हैं। उन्हें बिहार जैसा जनादेश मिलता है।"

    केजरीवाल ने पूर्वी दिल्ली के गांधीनगर इलाके में आम आदमी पॉलीक्लीनिक के उद्घाटन के अवसर पर ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार दिल्ली के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं देने के मामले में गंभीर है।

    केजरीवाल ने कहा, "हमारा लक्ष्य हर वार्ड में चार क्लीनिक खोलना है। इसके लिए हम कल (मंगलवार) 1000 मोहल्ला क्लीनिक के लिए बजट पारित करने जा रहे हैं।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • उत्सवी मौज-मस्ती में न लगे सेहत को नजर
    ममता अग्रवाल
    नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। हर संस्कृति में त्योहारों का संबंध खाने-पीने से जुड़ा है और भारतीय त्योहार तो खासतौर पर स्वादिष्ट पकवानों के बिना अधूरे हैं। दिवाली की बात हो तो हम सभी के जहन में तुरंत स्वादिष्ट मिठाइयांे और इस मौके के लिए बनने वाले खास पकवानों का ख्याल आ जाता है।

    त्योहारों के मस्ती भरे माहौल और दोस्तों और रिश्तेदारों के मान-मनुहारों के बीच हम अपने आप को जरूरत से ज्यादा और हाई कैलोरी वाला खाना खाने से रोक नहीं पाते। लेकिन कहीं न कहीं वजन बढ़ने और सेहत चौपट होने की फिक्र भी साथ ही होती है, लेकिन कुछ बातों का ख्याल रखकर आप भी त्योहारों का मजा बेफिक्र उठा सकते हैं।

    दिल्ली के डाइट एंड क्योर क्लीनिक की प्रमुख डाइटिशयन और न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. दिव्या गांधी और एससीआई इंटरनेशनल अस्पताल की न्यूट्रिशनिस्ट डॉ पारुल खन्ना के मुताबिक, कुछ खास बातों का ख्याल रखकर हम त्योहारों के उत्सवी माहौल का मजा बिना किसी फिक्र उठा सकते हैं।

    बनाएं दिन भर की योजना : त्योहारों के समय दोस्तों-रिश्तेदारों के घर आने-जाने के बीच काफी कैलोरीयुक्त व्यंजन खा लिए जाते हैं। इससे बचने के लिए बेहतर है कि पूरे दिन की योजना पहले ही बना लें। अगर रात को दिवाली की पार्टी में जाना हो तो अपने ब्रेकफास्ट और लंच को पहले से ही हल्का रखें और पार्टी में जाने से पहले कुछ हेल्दी स्नैक खा कर जाएं, ताकि पेट भरा रहे और हैवी, रिच खाने पर आप ज्यादा जोर न दें।

    घर में बनी मिठाइयां : बाजार में बनी मिठाइयों में काफी ज्यादा कैलोरी होती है। इसके अतिरिक्त इनमें कृत्रिम रंग और मेटानिल येलो, लेड नाइट्रेट, म्यूरिएरिक एसिड जैसे हानिकारक रसायन भी मिले हो सकते हैं जो कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। उत्सवी मौसम में आपूर्ति पूरी करने के लिए बाजार में दूध की जगह कॉर्न स्टार्च से भी पनीर बना लिया जाता है। बाजार की बनी मिठाइयों में आप सेहत के लिहाज से कुछ तब्दीली नहीं कर सकते। लेकिन घर में बनी मिठाइयों को आप स्वास्थ्य के अनुकूल बना सकते हैं।

    डॉ. दिव्या गांधी सलाह देती हैं कि घर में मिठाइयां बनाते समय सफेद चीनी या अप्राकृतिक मिठास डालने से बचें। इसमें आप खजूर, गुड़, शहद और अंजीर जैसी मिठास बढ़ाने वाली प्राकृतिक चीजों का प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही इन्हें बनाने के लिए स्किम्ड दूध का प्रयोग करें।

    स्वास्थ्यवर्धक स्नैकिंग : न्यूट्रिशनिस्ट पारुल कहती हैं, दिवाली जैसे त्योहारों के समय केवल मीठा ही ज्यादा नहीं खाया जाता बल्कि नमक और वसायुक्त चीजें भी काफी खायी जाती हैं। इन्हें एक स्वास्थ्यवर्धक ट्विस्ट देने के लिए पकाने के तरीके में बदलाव लाना भी एक अच्छा उपाय है। जैसे कि तलने कि जगह बेक करें। बेक की हुई चकली और पूड़ियां, कम वसा वाले खाखरा और भुना हुआ चिवड़ा जैसे विकल्प स्वादिष्ट होने के साथ ही स्वास्थ्यवर्धक भी हैं।

    भरपूर पानी : त्योहारों की भागदौड़ के बीच हम अकसर पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भूल जाते हैं। कम पानी के कारण थकान और कमजोरी महसूस होती है क्योंकि यह शरीर में अन्य पोषक तत्वों के अवशोषण को बाधित करता है। लेकिन पानी की भरपाई मीठे शर्बत और एरियेटिड ड्रिंक्स से न करें। ये तेजी से वजन बढ़ाते हैं और सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं। न्यूट्रिशनिस्ट सलाह देती हैं कि भागदौड़ के बीच प्यास लगने पर या उत्सवी पार्टी में शामिल होने पर इनकी जगह नींबू पानी, आइस्ड ग्रीन टी, टोमेटो जूस, जूस के साथ नारियल पानी या बिना क्रीम वाला सूप जैसे पेय लें।

    मात्रा पर नियंत्रण : खास व्यंजन खासतौर पर त्योहारों के मौके के लिए ही बनाए जाते हैं, इसलिए खुशियों के मौके पर आपको इनसे पूरा परहेज करना जरूरी नहीं है। आप इन स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठा सकते हैं, बस इतना ध्यान रखें कि इन्हें बहुत ज्यादा मात्रा में न खाएं। अगर डिनर बुफे शैली का हो तो सबसे छोटी प्लेट ही चुनें और अपनी प्लेट को ज्यादा न भरें। कैलोरी युक्त व्यंजनों को केवल चखने तक ही सीमित रखें और ताजे फलों या मेवों से बने खाद्य पदार्थो का चुनाव करें तथा डिप्स व सॉस का प्राथमिकता दें।

    चुनें सेहतमंद विकल्प : उन मिठाइयों को उठाएं जो आपका मुंह मीठा करने के साथ ही आपकी सेहत के लिहाज से भी मीठी हों। मावे की मिठाइयों की जगह थोड़ी मात्रा में सूजी, गाजर, लौकी या फिर मेवों की मिठाई चुनें। इन मिठाइयों में गुलाब जामुन या खोए की अन्य मिठाइयों की तुलना में कैलोरी कम होती है और पोषक तत्व ज्यादा होते हैं। साथ ही चांदी की बर्क लगी मिठाइयों से भी परहेज करें। अल्यूमिनियम की मिलावट के कारण ये आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

    मिठाइयों की अवधि का रखें ध्यान : त्योहारों के समय में खुशियां मनाते हुए खाने-पीने में थोड़ी सी छूट जायज है, लेकिन उसके बाद आपको खुद अपने लिए कुछ सख्त नियम बनाने जरूरी हैं। ज्यादातर मिठाइयां खोए, दूध और क्रीम से बनी होती हैं। एक या दो दिन तक ही इनका स्वाद उठाया जा सकता है। इसके बाद इन्हें खाना सेहत के लिए खतरे को न्योता देने के बराबर है, क्योंकि दूध के उत्पादों से बनी होने के कारण इनमें फफूंद पैदा हो जाती है। इसलिए समय रहते ही अतिरिक्त मिठाइयां बांट दें और अपनी खुशियां दूसरों के साथ बांट कर खुशियों का मजा दुगना करें।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • नेस्ले की मैगी ने री-लांच की घोषणा की
    नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। मैगी नूडल्स के चाहने वालों के लिए अच्छी खबर है। नेस्ले इंडिया ने सोमवार को कहा कि उसने अपना चर्चित उत्पाद मैगी नूडल्स बाजार में दोबारा उतार दिया है और जल्द से जल्द उपभोक्ताओं तक पहुंचना उसकी प्राथमिकता है।

    नेस्ले इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सुरेश नारायण ने एक बयान में कहा, "दीवाली की पूर्व संध्या और धनतेरन के पावन दिन पर मैगी की बाजार में वापसी हम सभी के लिए जश्न का एक मौका है।"

    नारायण ने यह भी कहा कि उन्होंने मैगी की ऑनलाइन बिक्री के लिए ऑनलाइन शॉपिंग प्लेस 'स्नैपडील' के साथ एक करार भी किया है। उन्होंने कहा, "मैगी का देशभर में मौजूद इसके उपभोक्ताओं के साथ एक बहुत ही खास और सुदृढ़ भावनात्मक रिश्ता है। मुझे पूरा यकीन है कि हमारा रिश्ता और मजबूत होगा।"

    उल्लेखनीय है कि पांच जून को भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं नियामक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने नेस्ले के नूडल्स की पूरे देश में बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिया था। प्राधिकरण ने यह कदम नूडल्स में हानिकारक लेड (सीसा) की तय मात्रा से अधिक मौजूदगी पाने जाने के बाद उठाया था। प्राधिकरण ने मैगी नूडल्स को मनुष्यों के लिए 'असुरक्षित व हानिकारक' बताया था।

    पांच माह की कानूनी लड़ाई के बाद पिछले बुधवार को नेस्ले ने कहा कि मैगी नूडल्स का 'मसाला' संस्करण या रूप इस माह बिक्री के लिए बाजार में फिर से वापसी करेगा, क्योंकि बंबई उच्च न्यायालय ने तीन मान्यताप्राप्त प्रयोगशालाओं में नूडल्स की फिर से जांच कराने के जो आदेश दिए थे, उनमें मैगी पास हो गई है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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