सियाचिन हिमस्खलन : जिंदा मिला जवान कोमा में (राउंडअप)
नई दिल्ली/जम्मू, 9 फरवरी (आईएएनएस)। लद्दाख क्षेत्र के सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन की घटना के छह दिन बाद 35 फीट बर्फ के अंदर जीवित मिला कर्नाटक निवासी सेना का जवान दक्षिणी दिल्ली के सैन्य अस्पताल में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहा है। शरीर में रक्त संचार सामान्य होने में 24 से 48 घंटे लगेंगे।
मंगलवार को जारी बयान में कहा गया कि उसकी हालत नाजुक है,वह कोमा में चला गया है।
अस्पताल द्वारा शाम चार बजे जारी मेडिकल बुलेटिन में बताया गया है कि लांस नायक हनुमानथप्पा कोप्पड़ को आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया है और हालत अभी भी नाजुक है। शरीर के अंदर रक्त का बहाव थमा हुआ है। रक्त संचार सामान्य होने में अभी 24 से 48 घंटे लगेंगे।
बताया गया कि जवान को निमोनिया है तथा लीवर व किडनी में संक्रमण फैल चुका है। सौभाग्य से बर्फ के अंदर होने के कारण कोई अंग बेकार नहीं हुआ है और न ही हड्डियों को कोई नुकसान हुआ है।
हनुमानथप्पा का इलाज कई तरह के विशेषज्ञ मिलकर कर रहे हैं, जिनमें न्यूरोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट, एंड्रोक्राइनोलॉजिस्ट, इंटेंसिविस्ट और सर्जन शामिल हैं। उसके रक्तचाप को सामान्य स्तर पर लाने के लिए कई दवाइयां दी जा रही हैं।
तीन फरवरी को सियाचिन ग्लेशियर में जबर्दस्त हिमस्खलन हुआ था। इसके बाद से ही लांस नायक हनुमानथप्पा कोप्पड़ सहित 19 मद्रास रेजीमेंट के 10 जवान लापता थे।
दिल्ली में अधिकारियों ने कहा कि हनुमानथप्पा की हालत नाजुक है।
उन्होंने बताया कि लांस नायक को दक्षिणी दिल्ली के आर्मी रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। यह लांस नायक बचावकर्मियों को सोमवार को मिला था।
जीओसी उत्तरी कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल डी.एस. हुड्डा ने मंगलवार को एक आधिकारिक बयान में कहा, "अफसोस कि बाकी सैनिक अब हमारे बीच नहीं रहे।"
उन्होंने कहा, "हमें चमत्कार की उम्मीद है। दुआएं हमारे साथ हैं।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सैन्य प्रमुख जनरल दलबीर सिंह यहां मंगलवार को आर्मी हॉस्पिटल में लांस नायक हनुमानथप्पा कोप्पड़ की कुशलक्षेम लेने पहुंचे।
प्रधानमंत्री एवं सैन्य प्रमुख ने आईसीयू के चिकित्सकों से लांस नायक का हाल पूछा।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सेना प्रमुख को संदेश भेजकर बर्फ में दबे हनुमानथप्पा कोप्पड़ को जीवित निकाल लिए जाने पर खुशी जताई और जिंदगी के लिए संघर्ष करने की शक्ति कायम रहने की कामना की।
उधर जम्मू में सेना ने मंगलवार को जानकारी दी कि सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन में जिंदा दफन हुए 9 सैनिकों के शव बरामद कर लिए गए हैं, इनमें एक जूनियर कमीशन अधिकारी भी शामिल हैं।
जम्मू एवं कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में 20,500 फीट की ऊंचाई पर सियाचिन ग्लेशियर के दक्षिणी हिस्से में 3 फरवरी को हुए हिमस्खलन में 10 सैन्यकर्मी बर्फ में जिंदा दफन हो गए थे।
सेना के उत्तरी कमांड, जिसका मुख्यालय ऊधमपुर है, के प्रवक्ता कर्नल एस.डी. गोस्वामी ने आईएएनएस को बताया, "सियाचिन में लापता जवानों की तलाश पूरी हो गई है। इसका श्रेय बचाव दल के दृढ़ संकल्प को जाता है, जिन्होंने बेहद चरम स्थितियों में भी लांस नायक हनुमानथप्पा कोप्पड़ को बर्फ के 30 फीट अंदर से जिंदा निकालने में सफलता प्राप्त की।"
कर्नल गोस्वामी ने कहा, "लांस नायक हनुमानथप्पा कोप्पड़ ने बर्फ के नीचे छह दिनों तक दबे रहने के बाद भी जिंदा बचकर अपनी अलौकिक क्षमता का प्रदर्शन किया है। उसे वायु मार्ग से दिल्ली स्थित रिसर्च एंड रेफरेल अस्पताल ले जाया गया है।"
उन्होंने आगे कहा, "गहरे अफसोस के साथ हम बाकी के 9 शहीदों के शव मिलने की पुष्टि करते हैं, जिनमें एक जेसीओ भी शामिल है। कानूनी औपचारिकताओं के बाद इन सभी के पार्थिव शरीर को जल्द से जल्द उनके गृहनगर ले जाया जाएगा।"
सेना ने 5 फरवरी को उन 10 सैनिकों के नामों की सूची जारी की जो बुधवार को सियाचिन ग्लेशियर में आए हिमस्खलन की वजह से मारे गए थे।
जिन सैनिकों की मौत हुई है, उनके नाम हैं : सूबेदार नागेश टीटी (तेजूर, जिला हासन, कर्नाटक), हवलदार इलम अलाई एम. (दुक्कम पाराई, जिला वेल्लोर, तमिलनाडु), लांस हवलदार एस. कुमार (कुमानन थोजू, जिला तेनी, तमिलनाडु), लांस नायक सुधीश बी(मोनोरोएथुरुत जिला कोल्लम, केरल), सिपाही महेश पीएन (एचडी कोटे, जिला मैसूर, कर्नाटक), सिपाही गणेशन जी (चोक्काथेवन पट्टी, जिला मदुरै, तमिलनाडु), सिपाही राम मूर्ति एन (गुडिसा टाना पल्ली, जिला कृष्णागिरी, तमिलनाडु), सिपाही मुश्ताक अहमद एस (पारनापल्लै, जिला कुर्नूल, आंध्र प्रदेश) और सिपाही नर्सिग असिस्टेंट सूर्यवंशी एसवी (मस्कारवाडी, जिला सतारा, महाराष्ट्र)।
वहीं, लांस नायक हनुमानथप्पा कोप्पड़, (बेटाडुर, जिला धारवाड़, कर्नाटक) की हालत गंभीर बनी हुई है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
सुषमा नेपाल के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति से मिलीं
काठमांडू, 9 फरवरी (आईएएनएस)। नेपाल की यात्रा पर आईं विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और भारत के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली से शिष्टाचार मुलाकात की।
प्रतिनिधिमंडल ने नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री सुशील कोईराला को श्रद्धांजलि देने के बाद दोनों नेताओं से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी और जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव शामिल थे।
इन सभी ने भंडारी से राष्ट्रपति कार्यालय में और ओली से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की।
भंडारी ने भारतीय नेताओं से कहा कि भारत और नेपाल के रिश्ते बहुत गहरे, अभिन्न और राजनीति की सीमा से परे हैं।
प्रधानमंत्री ओली से मुलाकात में सुषमा स्वराज ने उन्हें बताया कि सुशील कोईराला के निधन की सूचना मिलते ही एक आपात बैठक बुलाई गई। इसमें नेपाली कांग्रेस के प्रमुख सुशील कोईराला को श्रद्धांजलि देने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल नेपाल भेजने का फैसला लिया गया।
ओली ने कहा, "भारत हमेशा ही दुख की घड़ी में नेपाल के साथ खड़ा होता है।"
प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार गोपाल खनल के अनुसार, ओली ने कहा, "आपकी दुख के इस वक्त में यहां मौजूदगी यह बताती है कि भारत मुश्किल समय में नेपाल का दोस्त है।"
ओली और सुषमा की मुलाकात में ओली की इसी महीने प्रस्तावित भारत यात्रा पर भी चर्चा हुई। सुषमा ने कहा, "हम भारत में आपके स्वागत की प्रतीक्षा कर रहे हैं। आपकी यात्रा की तैयारियां जारी हैं।"
ओली ने विश्वास जताया कि नेपाल के नए संविधान पर मतभेदों को मधेसियों से वार्ता में सुलझा लिया जाएगा। सरकार आंदोलनरत दलों से सलाह-मशविरा जारी रखेगी।
सुषमा शाम को नई दिल्ली लौट गईं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
चीनी युवा शादी के दबाव से ऐसे निपटें!
बीजिंग, 9 फरवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। चीनी अविवाहित युवक-युवतियों, अगर आप पर माता-पिता शादी का दबाव बना रहे हों, तो कैसे निपटें? यह सबवे पर लगा एक विज्ञापन बता रहा है।
इस विज्ञापन में कहा गया है कि "प्रिय मॉम-डैड, दुनिया बड़ी है और जीवन जीने के कई तरीके हैं। आप भी अविवाहित रहते हुए प्रसन्न हो सकते हैं।" इस नारे के अलावा इस विज्ञापन में एक लड़की, कुछ लालटेन और पटाखों का कार्टून है और उसके पाश्र्व में चमकीले नारंगी रंगों का प्रयोग किया गया है।
बीजिंग शहर के एक सबवे में यह विज्ञापन फरवरी के प्रारंभ से ही लगा हुआ है। यह विज्ञापन युवा चीनियों के एक समूह ने अपने माता-पिता द्वारा शादी के दबाव बनाने के अनुभवों को साझा करने के लिए लगाया है। इस समूह ने इस विज्ञापन को लगाने के लिए 38,000 युआन (5,783 डॉलर) की रकम ऑनलाइन जुटाई।
युवा और एकल चीनियों पर विवाह के दवाब को चीनी भाषा में 'बिहुन' कहते हैं। खासतौर पर वसंत नव वर्ष के मौके पर जब वे अपने घर आते हैं तो माता-पिता से लेकर दादा-दादी तक और अन्य सगे-संबंधी उनपर शादी के लिए दबाव डालते हैं।
हाल में किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, 86 फीसदी युवा चीनी जिनकी उम्र 25 से 35 के बीच होती है वे अपने माता-पिता द्वारा दिए जानेवाले शादी के दबाव का सामना करते हैं। इस समूह को आयोजकों में से एक 33 वर्षीय कुंवारे हान डेकियान बताते हैं कि उनके मां-बाप ने उन पर 25 साल की उम्र से ही शादी के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया। "जब कि मैं उनसे अलग राय रखता हूं। जब मैं हाई स्कूल में था तो मेरे माता-पिता मुझे किसी लड़की से दोस्ती करने से मना करते थे। लेकिन जब मैं कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई कर रहा था तो वे चिंतिंत थे कि मैं किसी लड़की से दोस्ती क्यों नहीं कर रहा हूं।"
हान कहते हैं कि वे इस विज्ञापन के माध्यम से जनजागृति पैदा करना चाहते हैं, ताकि आनेवाली पीढ़ियों को इस तरह के दबाव का सामना न करना पड़े। पेकिंग विश्वविद्यालय के समाजशाी कियू जेकी का कहना है कि बड़े शहरों में रहने वाले चीनी युवा उन्मुक्त और विविध जीवन शैली में रहते हैं और वे अपने पारिवारिक मूल्यों से दूर जा रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।