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गर्भावस्था में मछली खाने से बच्चों का दिमाग तेज होता है

लंदन, 8 फरवरी (आईएएनएस)। गर्भवती महिलाओं के लिए मछली बेहद फायदेमंद है, क्योंकि एक नए अध्ययन के मुताबिक, वैसी महिलाएं जो सप्ताह में तीन से चार दिन मछली खाती हैं, उनके बच्चों का दिमाग बेहद तेज होता है।

शोध में यह बात भी सामने आई है कि गर्भावस्था के दौरान मछली का सेवन करने वाली महिलाओं के बच्चों में ऑटिज्म (अविकसित मस्तिष्क) का खतरा भी कम होता है।

अध्ययन के मुताबिक, "गर्भवस्था के दौरान बड़ी वसायुक्त मछलियां खाने वाली महिलाओं के बच्चे के मस्तिष्क का विकास न केवल बेहतर होता है, बल्कि उनमें ऑटिज्म का खतरा भी कम हो जाता है।"

शोधकर्ताओं के सामने चौंकानेवाली यह बात सामने आई है कि टुना या टाइलफिश जैसी कुछ विशेष मछलियां जिनमें मर्करी का स्तर ज्यादा होता है, उसे गर्भवती महिलाएं खाना पसंद नहीं करतीं, इनका संबंध कुछ सबसे बड़े विकासात्मक फायदों से है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, वैसी मछलियां जिनमें डोकोसाहेक्सानोइक एसिड (डीएचए) यौगिक का स्तर उच्च होता है, वे मर्करी के किसी भी नकारात्मक प्रभाव को दूर करती हैं।

स्पेन के बार्सिलोना में सेंटर फॉर रिसर्च इन एनवयारमेंटल एपिडेमियोलॉजी के मुख्य शोधकर्ता जॉर्डी जुल्वेज ने कहा कि टुना जैसी मछलियों में मर्करी होता है, लेकिन उनमें डीएचए की मात्रा बेहद अधिक होती है, जो मस्तिष्क के विकास में बेहद मदद करता है।

पत्रिका 'लाइव साइंस' के अनुसार, जुल्वेज ने कहा, "हो सकता है कि मर्करी के नकारात्मक प्रभावों को यह दूर करता है।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • सियाचिन हिमस्खलन में जीवित बचे सैनिक की हालात नाजुक (लीड़-1)
    नई दिल्ली, 10 फरवरी (आईएएनएस)। 35 फुट बर्फ के नीचे से छह दिन बाद जिंदा निकले लांस नायक हनमनथप्पा कोप्पड़ की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। आर्मी रिसर्च और रेफरल अस्पताल में उनका इलाज कर रहे चिकित्सक ने बुधवार को यह बात कही।

    एक चिकित्सक ने आईएएनएस से कहा, "सैनिक की हालत अभी भी नाजुक है। हम उनकी देखभाल अच्छे तरीके से कर रहे हैं।"

    अस्पताल से जारी एक बयान में कहा गया है, "सैनिक अभी भी परेशानी से जूझ रहे हैं। उनकी हालत अभी भी नाजुक है। वह अस्पताल आने के बाद से ही वेंटिलेटर पर हैं।"

    बयान में कहा गया है, "स्वास्थय दल उनकी पूरी देखभाल कर रहा है और उनकी स्थिति पर नजर रखे हुए है। उनका इलाज सवश्रेष्ठ तरीके से किया जा रहा है।"

    चिकित्सक ने हालांकि उनके चमत्कारिक रूप से बचने पर टिप्पणी करने पर यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उन्हें नहीं पता कि वहां वास्तव में क्या हुआ था।

    उन्होंने आईएएनएस से कहा, "जब लांस नायक होश में आ जाएंगे तभी पता चलेगा की वह कैसे बचने में कामयाब रहे।"

    तीन फरवरी को कोप्पड़ और नौ अन्य सैनिक करीब 19,500 फुट की ऊंचाई पर सियाचिन ग्लेशियर में हुए हिमस्खलन में दब गए थे। सोमवार को कोप्पड़ चमत्कारिक रूप से जिदा निकाले गए थे।

    लांस नायक की हालात उस समय काफी नाजुक थी। उनमें अत्यधिक निर्जलीकरण, हाइपोथर्मिया की समस्या पैदा हो गई थी।

    कोप्पड़ का रक्तचाप काफी घट गया था और उन्हें इस समय आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया है।

    उन्हें निमोनिया की शिकायत भी बताई गई है साथ ही उनका किडनी और लीवर भी खराब हो गया है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • जीका वायरस का फैलाव रोकने की कोशिश में संयुक्त राष्ट्र
    रोम, 10 फरवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने मंगलवार को कहा कि वह जीका से प्रभावित देशों में इसका प्रभाव कम करने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे फैलने से रोकने के उपाय कर रहा है।

    एफएओ के प्रमुख जो ग्रेजियानो डी सिल्वा ने एक बयान में कहा, "एफएओ अपने संसाधनों और विशेषज्ञता के साथ जीका वायरस का समाधान ढूढ़ने में प्रभावित देशों की मदद कर रहा है। जीका वायरस मनुष्यों में मुख्य रूप से एडीज मच्छरों से फैलता है। इसलिए इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए इस मच्छर के प्रजनन को रोकना होगा।"

    उनका कहना है कि इन मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए जिन रसायनों का छिड़काव किया जा रहा है, उससे मनुष्यों को भी खतरा हो सकता है। यहां तक कि वे खाद्य पदार्थो को भी प्रदूषित कर सकते हैं। इसलिए इनका इस्तेमाल बेहद सावधानी से करने की जरूरत है। हम प्रभावित देशों को मदद करने की मजबूत स्थिति में हैं।

    एफएओ ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर कीटनाशकों के प्रबंधन के बारे में कई दिशा निर्देश जारी किए हैं। डी सिल्वा ने बताया कि इस बीमारी को रोकने का दीर्घकालिक समाधान यह होगा कि हम मच्छरों के बंध्याकरण की तकनीक विकसित करें। एफएओ-आईएईए साथ मिलकर खाद्य और कृषि क्षेत्र के लिए परमाणु तकनीक विकसित करने में जुटा है। ऐसी कई तकनीकों का कृषि क्षेत्र में कीटों को मारने के लिए दुनिया के कई देशों में पिछले 50 सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • हिमस्खलन में जीवित बचे जवान को किडनी दान करेगी महिला
    लखनऊ, 10 फरवरी (आईएएनएस)। सियाचिन ग्लेशियर में हुए हिमस्खलन में पांच दिन तक दबे होने के बाद भी जीवित निकले जवान के जज्बे से प्रभावित उत्तर प्रदेश की एक महिला ने उसकी जान बचाने के लिए किडनी दान करने का फैसला किया है।

    राजधानी लखनऊ से 167 किलोमीटर दूर लखीमपुर खीरी की गृहणी निधि पांडे ने एक स्थानीय न्यूज चैनल के हेल्पलाईन नंबर पर फोन कर जिन्दगी और मौत से जूझ रहे जवान के लिए किडनी दान करने की ख्वाहिश जाहिर की।

    पांडे लखीमपुर के पदारिया तुला इलाके में रहती हैं और उनके पति भी पहले अंग दान पहल में शामिल होते रहे हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • चीन में इंटरनेट यूजर्स स्थूलकाय योगी की फोटो देख हैरान
    बीजिंग, 10 फरवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। चीन के इंटरनेट यूजर्स इंटरनेट पर एक स्थूलकाय महिला योगी की वायरल हुई तस्वीरें देख दंग हैं।

    पेन्सिलवेनिया के न्यू होप में रहने वाली स्थूलकाय डाना फाल्सेत्ती ने योग के जरिए 36 किलोग्राम वजन घटाया है और वह इससे खुश हैं। डाना का वजन 106 किलोग्राम था।

    डाना को शारीरिक व्यायाम से स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने में मदद मिली है।

    चीन में लोगों के बीच योग लोकप्रिय होता जा रहा है और ऐसे में डाना की मुश्किल योग मुद्राओं वाली फोटो, उन्हें काफी हैरान कर रही हैं।

    एक इंटरनेट यूजर्स ने डाना की इन तस्वीरों को देख प्रतिक्रिया स्वरूप लिखा, "मुझे यकीन नहीं होता। उनमें कितनी लचक है।"

    वहीं, एक अन्य यूजर्स ने लिखा, "वह बहुत आकर्षक दिखती हैं।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • खुले में शौच से मुक्त हुआ 'निनवा'
    एकान्त प्रिय चौहान
    रायपुर, 10 फरवरी (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले का ग्राम पंचायत निनवा ने ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास से खुले में शौचमुक्त गांव होने की उपलब्धि तीन महीने में ही पा ली है।

    निनवा के सरपंच गिरेंद्र साहू ने बताया कि निनवा ग्राम पंचायत रायपुर जिले की खुले में शौच से मुक्त होने वाली पहली ग्राम पंचायत है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत निनवा में पिछले वर्ष 11 मार्च से अभियान की शुरुआत हुई, लोगों को स्वच्छता और स्वास्थ्य के महत्व को बताने के लिए वे स्वयं, पंचों और ग्रामीणों के दल के साथ घर-घर गए और ग्रामीणों को घरों में शौचालय के निर्माण कराने के लिए प्रोत्साहित किया।

    सरपंच ने ग्रामीणों को यह भी बताया गया कि खुले में शौच से पर्यावरण प्रदूषण तो होता ही है, संक्रामक बीमारियों का खतरा भी बना रहता है। स्वस्थ्य पर्यावरण के लिए यह जरूरी है कि सभी लोग अपने घरों में शौचालय का निर्माण कराएं और उसका उपयोग भी करें।

    ग्रामीणों को यह भी बताया गया कि वे अपने घरों कोए कुओं, हैंडपम्पों और अन्य जलस्रोतों के आस-पास भी साफ-सफाई रखें।

    मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने रायपुर जिले की निनवा ग्राम पंचायत को खुले में शौच से मुक्त होने पर ग्रामवासियों को बधाई दी है। मुख्यमंत्री से निनवा के सरपंच गिरेंद्र साहू ने यहां उनके निवास पर उनसे सौजन्य मुलाकात की।

    सरपंच साहू ने बताया कि लगभग 21 सौ की आबादी वाली इस ग्राम पंचायतों में 350 घर हैं। इनमें से 77 घरों में पहले से शौचालय बने थे। ग्रामीणों को प्रोत्साहित कर 234 घरों में शौचालयों का निर्माण कराया गया। ग्रामीणों को शासकीय योजना के अंतर्गत शौचालय निर्माण के लिए बारह हजार रुपये मिले।

    कई ग्रामीणों ने अपने घरों में 40 से 45 हजार रुपये खर्च कर बड़े शौचालय बनवाए। लगातार समझाए जाने के बाद ग्रामीण अब घर में बने शौचालयों का उपयोग करने लगे हैं। सभी घरों में शौचालय बनाने का काम पिछले वर्ष 29 मई को पूरा हुआ और निनवा रायपुर जिले की पहली खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायत बनी।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • आईएमए भी मनाएगी नेशनल डी-वर्मिग डे
    नई दिल्ली, 9 फरवरी (आईएएनएस)। लोगों में डी-वर्मिग को बढ़ावा देने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन 30 राज्यों और 1700 स्थानीय शाखाओं से जुड़े अपने सभी 2.6 लाख सदस्यों से अपील की है कि वे 10 फरवरी को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (नेशनल डी-वर्मिग डे) के तौर पर मनाएं।

    सभी सदस्यों को 1 से 19 साल तक के बच्चों को चबाने वाली एल्बेनडाजोल देने के लिए कहा गया है, ताकि उनके पेट में पनपे कीड़े खत्म हो जाएं। डी-वर्मिग डे परजीवी कीट के संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए एक विलक्षण कदम है, क्योंकि यह समस्या केवल भारत में ही 24.1 लाख बच्चों को प्रभावित कर रही है।

    11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों जिनमें हरियाणा, असाम, बिहार, छत्तीसगढ़ और दादरा नगर हवेली शामिल हैं, में नेशनल डी-वर्मिग डे का आयोजन किया जा रहा है। इस साल यह पूरे देश में मनाया जाएगा।

    मिट्टी से फैलने वाले हेल्मिंथज परजीवी कीट के संक्रमण के मामले में भारत दुनिया मे सबसे आगे है। यह परजीवी बच्चे के पोषण में रुकावट पैदा करके उनमें अनीमिया, कूपोषण पैदा करने के साथ ही उनके मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा पैदा कर सकता है।

    भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्पलीटेशन की 2012 की एक रिपोर्ट चिल्ड्रन इन इंडिया 5 साल से कम उम्र के 19.8 प्रतिशत बच्चों को नुकसान पहुंचता है और उनमें से 48 प्रतिशत कुपोषित होते हैं, जो दर्शाता है कि देश के बच्चों की आधी आबादी कुपोषण की शिकार है।

    इस बारे में विचार देते हुए आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एसएस अग्रवाल और ऑनरेरी सेक्रेटरी जनरल डॉ. के.के. अग्रवाल कहते हैं कि यह देश के सभी डॉक्टरों की जिम्मेदारी है कि वह अपने मरीजों को डी-वर्मिग की गोलियां लेने के बारे में समझाएं और सभी मरीज नेशनल डी-वर्मिग डे के बाद दस दिन के अंदर-अंदर यह दवा ले लें।

    आईएमए और हार्ट केयर फाउंडेशन ने परजीवी कीटों के स्कूल जाने वाले बच्चों को उनकी सेहत पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जागरूक करने के लिए विशेष कीट-सीढ़ी वाला खेल बनाया है। बड़े स्तर पर इस मुहिम का मकसद कीट को बोझ को कम करना है।

    10 फरवरी को आईएमए अपने मुख्यालय, आईएमए हाउस, इंद्रप्रस्थ मार्ग (नई दिल्ली) में डी-वर्मिग कैंप का आयोजन कर रहा है, जहां पर चबाने वाली एल्बेनडाजोल गोलियां सभी बच्चों को मुफ्त बांटी जाएंगी।

    इंडो-एशियन न्यूज सíवस।

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