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खुले में शौच से मुक्त हुआ 'निनवा'

एकान्त प्रिय चौहान
रायपुर, 10 फरवरी (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले का ग्राम पंचायत निनवा ने ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास से खुले में शौचमुक्त गांव होने की उपलब्धि तीन महीने में ही पा ली है।

निनवा के सरपंच गिरेंद्र साहू ने बताया कि निनवा ग्राम पंचायत रायपुर जिले की खुले में शौच से मुक्त होने वाली पहली ग्राम पंचायत है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत निनवा में पिछले वर्ष 11 मार्च से अभियान की शुरुआत हुई, लोगों को स्वच्छता और स्वास्थ्य के महत्व को बताने के लिए वे स्वयं, पंचों और ग्रामीणों के दल के साथ घर-घर गए और ग्रामीणों को घरों में शौचालय के निर्माण कराने के लिए प्रोत्साहित किया।

सरपंच ने ग्रामीणों को यह भी बताया गया कि खुले में शौच से पर्यावरण प्रदूषण तो होता ही है, संक्रामक बीमारियों का खतरा भी बना रहता है। स्वस्थ्य पर्यावरण के लिए यह जरूरी है कि सभी लोग अपने घरों में शौचालय का निर्माण कराएं और उसका उपयोग भी करें।

ग्रामीणों को यह भी बताया गया कि वे अपने घरों कोए कुओं, हैंडपम्पों और अन्य जलस्रोतों के आस-पास भी साफ-सफाई रखें।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने रायपुर जिले की निनवा ग्राम पंचायत को खुले में शौच से मुक्त होने पर ग्रामवासियों को बधाई दी है। मुख्यमंत्री से निनवा के सरपंच गिरेंद्र साहू ने यहां उनके निवास पर उनसे सौजन्य मुलाकात की।

सरपंच साहू ने बताया कि लगभग 21 सौ की आबादी वाली इस ग्राम पंचायतों में 350 घर हैं। इनमें से 77 घरों में पहले से शौचालय बने थे। ग्रामीणों को प्रोत्साहित कर 234 घरों में शौचालयों का निर्माण कराया गया। ग्रामीणों को शासकीय योजना के अंतर्गत शौचालय निर्माण के लिए बारह हजार रुपये मिले।

कई ग्रामीणों ने अपने घरों में 40 से 45 हजार रुपये खर्च कर बड़े शौचालय बनवाए। लगातार समझाए जाने के बाद ग्रामीण अब घर में बने शौचालयों का उपयोग करने लगे हैं। सभी घरों में शौचालय बनाने का काम पिछले वर्ष 29 मई को पूरा हुआ और निनवा रायपुर जिले की पहली खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायत बनी।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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    नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने देश के आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के बीच पारम्परिक औषधि के क्षेत्र में सहयोगात्मक गतिविधियों के लिए होने वाले समझौते पर बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी।

    मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी एक बयान के मुताबिक, विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ लंबी अवधि के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता बढ़ाने और आयुष प्रणाली को ब्रांड बनाने में मदद मिलेगी।

    साथ ही इसके लिए आयुष और डब्ल्यूएचओ के बीच शिक्षा, कौशल विकास, कार्यशालाओं, प्रकाशनों और कार्यक्रमों के आदान-प्रदान के जरिए सदस्य देशों के बीच आयुष औषधि प्रणाली के बारे में जागरूकता बढ़ाने की सुविधा होगी।

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    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • फास्ट फूड खाने के बाद अधिक व्यायाम आवश्यक
    कुनमिंग, 17 फरवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। अगर आप लंच में फास्ट फूड खाते हैं तो इससे निर्मित कैलोरी घटाने के लिए आपको अधिक मशक्कत करनी पड़ेगी, क्योंकि एक शोध के मुताबिक इससे बनने वाली कैलोरी को घटाने के लिए अधिक ऊर्जा, व्यायाम और समय की आवश्यकता होती है।

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    इस शोध में लगभग एक-चौथाई व्यंजनों की जांच की गई थी, जिसमें बर्गर, सलाद, सैंडविच, पिज्जा आदि व्यंजन शामिल थे। औसत ऑस्ट्रेलियाई लोग एक दिन में सिर्फ 8,700 किलोजूल कैलोरी का उपभोग करते हैं। उनके भोजन में दो हजार किलोजूल से अधिक कैलोरी की जरूरत नहीं है, जिसे घटाने के लिए 90 मिनट तक पैदल चलना पड़ता है।

    इंस्टीट्यूट फूड पॉलिसी डिवीजन की डॉक्टर क्रिस्टिना पीटरसन ने एक बयान में कहा, "औसतन ऑस्ट्रेलिया के लोग दिन में केवल 30 मिनट ही शारीरिक श्रम करते हैं, जो इस तरह के भोजन से प्राप्त कैलोरी को जलाने के लिए पर्याप्त नहीं है।"

    पीटरसन ने कहा, "कार्यालय कर्मचारियों और अन्य लोगों को बाहर खाने के बजाए घर से खाना ले जाना चाहिए। इससे आप अधिक बेहतर ढंग से देख पाएंगे कि आप क्या और कितना खा रहे हैं।"

    उन्होंने बताया, "अगर आप फिर भी बाहर से खाना मंगवा रहे हैं तो जागरूक रहें कि आप क्या खा रहे हैं। भोजन सूची में छोटे बदलाव वजन को नियंत्रित करने में बड़े मददगार साबित होते हैं।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • 34 देशों में जीका वायरस के मामले : डब्ल्यूएचओ
    संयुक्त राष्ट्र, 17 फरवरी (आईएएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से कहा गया है कि 34 देशों में जीका वायरस के मामले सामने आए हैं। इनमें से अधिकांश पीड़ित अमेरिकी और कैरिबियाई हैं।

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    नतेला ने कहा, "इसका बढ़ता आंकड़ा हमारे लिए यकीनन चिंता का विषय है।"

    उन्होंने कहा कि जीका वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने एक वैश्विक रणनीति शुरू की है।

    इस रणनीति को 'स्ट्रैटजिक रिस्पांस फ्रेमवर्क एंड जॉइंट ऑपरेशन्स प्लान' के नाम से भी जाना जाता है, जिसका लक्ष्य जीका वायरस की निगरानी बढ़ाने में देशों की मदद करने के लिए भागीदारों, विशेषज्ञों और संसाधनों को जुटाना एवं उनके साथ समन्वय करना है।

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    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • चीन में नमक का सेवन कम हुआ
    वाशिंगटन, 17 फरवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। चीन में वर्ष 2000 के बाद से नमक के सेवन में कमी देखी गई, लेकिन इसके बावजूद उपयोग किया जा रहा नमक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा सिफारिश की गई मात्रा से दोगुना है। एक नए शोध में यह जानकारी मिली।

    इस शोध में वर्ष 2000 और वर्ष 2009-2011 के बीच चीन के 31 प्रांतों में से 12 प्रांतों की कुल 46 प्रतिशत जनसंख्या के आहार का सर्वेक्षण किया गया था।

    शोधकर्ताओं ने पाया कि चीन के निवासियों के औसत आहार में नमक की खपत 22.2 प्रतिशत घट गई है। वर्ष 2000 से यह 11.8 ग्राम प्रति दिन से घटकर वर्ष 2009 तक 9.2 ग्राम दर्ज की गई।

    चाइना नेशनल सेंटर फॉर फूड सेफ्टी रिस्क एसेस्मेंट से इस अध्ययन के मुख्य लेखक योंगनिंग वू का कहना है, "अगर हम वर्तमान गति के साथ आगे बढ़ते रहेंगे, तो संभव है कि चीन विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रस्तावित वर्ष 2025 तक नमक की दैनिक औसत खपत को 30 प्रतिशत तक कम करने वाले लक्ष्य को हासिल कर सकता है।"

    वू बताते हैं कि नमक की तुलना में सोडियम की खपत के मामले में चीनी आबादी लापरवाही कर रही है।

    उन्होंने बताया, "चीन में सोडियम की खपत में केवल 12.3 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है। अध्ययनों में सोडियम की खपत प्रतिदिन के हिसाब से 6.4 ग्राम से घटकर 5.6 ग्राम दर्ज की गई। यह दर हालांकि आशावादी नहीं है।"

    डब्ल्यूएचओ ने सिफारिश की है किलोगों को प्रतिदिन पांच ग्राम से कम नमक और दो ग्राम से कम सोडियम का सेवन करना चाहिए।

    वू कहते हैं, "हालांकि चीनी निवासियों की नमक की औसत खपत 10 वर्षो के दौरान काफी घटी है, लेकिन अभी भी यह आदर्श सोडियम सेवन से दूर है।"

    उच्च रक्तचाप और अन्य पुराने रोगों की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर चीन को सख्ती से नमक का सेवन कम करने की जरूरत है।

    वर्ष 2014 में अमेरिकी पत्रिका 'द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन' में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि दुनिया में प्रति वर्ष लगभग 16.5 लाख हृदय संबंधित रोग से होने वाली मौतों के लिए उच्च सोडियम की खपत को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

    यह शोध अमेरिकी पत्रिका 'जेएएमए' में प्रकाशित हुआ है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • सीरिया पहुंचेंगी 100 ट्रक सहायता सामग्री
    दमिश्क, 17 फरवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। सीरिया में घेरेबंदी वाले पांच क्षेत्रों में सहायता सामग्री से लदे 100 ट्रक बुधवार को पहुंचेंगे। एक मानवीय सहायता कार्यकर्ता ने बताया कि यह जरूरतमंद सीरियाई लोगों की मदद के लिए जारी प्रयासों का एक हिस्सा है।

    सीरियाई अरब रेड क्रीसेंट (एसएआरसी) के साथ जुड़े एक मानवीय सहायता कार्यकर्ता मुहान्नाद अल-असादी के अनुसार, दमिश्क के उत्तर पश्चिमी ग्रामीण इलाकों मदाया और जाब्दानी में करीब 50 ट्रक और पश्चिम में स्थित मुआदामियाह क्षेत्र में 35 ट्रक प्रवेश करेंगे।

    इसके अलावा, पश्चिमोत्तर प्रांत इदलिब में स्थित काफराया और फोआ में 15 ट्रक प्रवेश करेंगे। इन सभी इलाकों पर विद्रोहियों का कब्जा है।

    हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में आवधिक आधार पर और प्रत्येक इलाके की जरूरत के हिसाब से सहायता प्रदान की जाएगी।

    अल-असादी ने बताया कि संवाददाताओं का एक दल काफराया और फोआ इलाके में प्रवेश करेगा और एक मोबाइल क्लीनिक इकाई मदाया में प्रवेश करेगी।

    सीरिया के विदेश मंत्री ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र के शांति दूत की टिप्पणी की आलोचना की, जिसमें हिंसाग्रस्त इलाकों में मदद पहुंचाने के लिए सीरियाई सरकार की गंभीरता पर प्रश्न उठाया गया।

    सीरिया में घेरेबंदी वाले क्षेत्रों में मानवीय सहायता की पहुंच की निगरानी के लिए वर्तमान में सीरिया के दौैरे पर संयुक्त राष्ट्र के शांति दूत स्टैफन दे मिस्तुरा ने मंगलवार को कहा था कि इन इलाकों में जरूरतमंद लोगों को सहायता प्रदान करना सीरिया सरकार की जिम्मेदारी है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • चीन में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल में 30 फीसदी कमी
    बीजिंग, 17 फरवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। चीन के स्टोर्स व सुपर मार्केट्स में प्लास्टिक के थैलों का इस्तेमाल साल 2007 की तुलना में साल 2015 में एक तिहाई कमी दर्ज की गई है। एक साल पहले सरकार ने ऐसी चीजों पर पाबंदी लगाई थी। समाचार पत्र पीपुल्स डेली की बुधवार की रपट से यह जानकारी मिली।

    समाचार पत्र के अनुसार, व्यापार संगठनों ने कहा कि साल 2015 में सात लाख टन प्लास्टिक थैलों का इस्तेमाल किया गया, जबकि साल 2007 में यह आंकड़ा 10 लाख टन था। बीच की अवधि में सालाना आठ लाख टन से कम शॉपिंग प्लास्टिक थैलों का इस्तेमाल किया गया।

    रपट के मुताबिक, सात वर्षो में कुल मिलाकर यह कमी 84 लाख टन कच्चे तेल की खपत में कमी व 3 करोड़ टन कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी के समतुल्य है।

    ऊर्जा खपत को कम करने व पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार ने एक जून, 2008 को सुपरमार्केट व दुकानों को ग्राहकों को मुफ्त में प्लास्टिक बैग देने पर पाबंदी लगा दी थी, साथ ही 0.025 मिलीमीटर से पतले प्लास्टिक के थैले के उत्पादन व बिक्री पर भी पाबंदी है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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