फार्मा क्लीनिक के कांसेप्ट पर खरी न्यूज ने अपनी पड़ताल जारी रखी है। वास्तव में मेडिकल आतंकवाद के दौर में फार्मा क्लीनिक जनता के लिये वरदान से कम नही।
इसे यूँ समझे
एक आम आदमी जब चिकित्सक के पास इलाज कराने जाता है तो अक्सर चिकित्सक एक निश्चित पैटर्न पर इलाज कर देता है। कई बार अनावश्यक रूप से एंटीबायोटिक देना अथवा अन्य दवा देना सामान्य बात है। दूसरी गलती की गुंजाईश केमिस्ट से होती है। विशेषकर ऐसे केमिस्ट से जो अप्रशिक्षित होते है, एक जैसी दवा के मिलते जुलते नामो के कारण गलत दवा मरीज को चली जाती है जिसका उसे इल्म तक नही होता। बड़े नामी चिकित्सकों के पास भी इसको क्रॉस चेक करने कोई तन्त्र नही है इनको क्रॉस चेक करने की जिम्मेदारी एक रिसेप्शनिष्ट या अप्रशिक्षित स्टाफ को दे दी जाती है।
दूसरा बड़ा नुकसान उन बडे या छोटे अस्पतालो में जहाँ चिकित्सक अपने स्वयम् के केमिस्ट स्टोर संचालित करते है। ऐसे में दवाये मरीज को महंगे दर पर बेचीं जाती है । मरीज जानकारी के आभाव में लूटता जाता है, जबकि वही जेनेरिक दवा कई बार तो ब्रांडेड भी उस दर से कई गुना सस्ती पड़ती है।
यहाँ जरूरत होती है फार्मेसी प्रेक्टिशनर से सलाह लेने की। ठीक वैसे जिस प्रकार टैक्स कन्सलटेंट आपका टेक्स कम करवाने में मदद करते है।
फार्मेसी क्लीनिक ही वो जगह होगी जहाँ रोगी को समुचित उपचार वाजिव दर पे उपलब्धता की गारन्टी देता है। विशेषकर गम्भीर तथा ऐसी बीमारियो के इलाज में जहां बहुत लम्बे समय तक दवा लेनी होती है और दवा महँगी होती है मसलन कैंसर, थायरोइड , मधुमेह आदि।
यहाँ फार्मा प्रेक्टिशनर न सिर्फ चिकित्सक द्वारा प्रस्तावित दवाई के तत्व की प्रकृति जानकर उसके सस्ते प्रकार सुझा कर खर्च को अपनी मामूली शुल्क के बदले कई गुना कम कर मरीज को बड़ा फायदा आर्थिक रूप से तो पहुंचाता ही है बल्कि दवा की आपके शरीर को कितनी मात्रा में किस रूप में जरूरत है इसकी भी जाँच कर लेता है।
फार्मा एक्सपर्ट विवेक मौर्य इस बारे में बताते है कि फार्मेसी प्रेक्टिस के फायदों की जानकारी जैसे जनमानस तक पहुँचेगी तो आने वाले कुछ सालों में ये नया प्रोफेशन विकसित रूप से देश के स्वास्थ्य को नई दिशा देगा। क्योंकि गरीब हो या अमीर बेहतर ईलाज सबकी चाहत और प्राथमिकता होती है।
मेडिकल आतंकवाद के दौर में फार्मा क्लीनिक जनता के लिये वरदान Featured
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