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राजस्थान से मध्यप्रदेश तक फार्मासिस्टों ने जताया असंतोष

भोपाल: 16 फरवरी/ फार्मासिस्ट के  आक्रोश की आग पुरे देश में फेल रही है, मध्यप्रदेश हो या राजस्थान फार्मासिस्ट अपने असंतोष को रोक नहीं पाये।
राजस्थान के फार्मासिस्ट जागृति संस्थान ने आज अलवर में जोरदार रैली और प्रदर्शन किया।  फार्मासिस्ट जागृति संस्थान  के अध्यक्ष सर्वेश्वर शर्मा के नेतृत्व में आज सुबह से ही अलवर में फार्मासिस्ट जुटना शुरू हो गए थे, फार्मासिस्टों  ने राजस्थान स्टेट फार्मासिस्ट एसोसिएशन रजि.(PJSR से संबद्ध) की अलवर जिला इकाई के बैनर तले संस्थान के प्रदेशाध्यक्ष सर्वेश्वर शर्मा की अगुवाई में जोरदार रैली निकालकर फार्मेसी एक्ट और ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के लगातार हो रहे उल्लंघन एवं औषधि नियंत्रण विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन किया और सहायक औषधि नियंत्रक को ज्ञापन दिया।

संस्थान के जिलाध्यक्ष हीरा सिंह चौधरी ने बताया कि प्रदर्शन में अलवर व आसपास के सैकड़ों फार्मासिस्टों ने भाग लिया और प्रोफेशन के उत्थान के लिए करो या मरो का संकल्प लिया ! रैली को संस्थान के प्रदेश महासचिव नवीन शर्मा, सचिव वीरेन्द्र सैनी, जयपुर शहर अध्यक्ष अरविंद गौड़ एवं देहात अध्यक्ष घनश्याम शर्मा ने भी संबोधित किया !सभी फार्मासिस्ट ने संकल्प लिया की किसी को भी प्रोफेसन में गंदगी नहीं फ़ैलाने देंगे साथ ही औषधि विभाग को दी चेतावनी दी गई जिससे औषधि विभाग भी हुआ कार्यवाई करने को मजबूर , फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में दवा वितरण कर रहे 5 मेडिकल स्टोर्स पर कार्यवाई करवाई।

वही मध्यप्रदेश में प्रांतीय फार्मासिस्ट असोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात कर फार्मासिस्टों के आक्रोश से स्वास्थ्य मंत्री को अवगत कराया। PPA  के अध्यक्ष अम्बर चौहान ने स्वास्थ्यमंत्री को फार्मासिस्ट की समस्याओ का ज्ञापन दे के उन्हें उनकी वो घोषनाये याद दिलाई जो उन्होंने फार्मासिस्ट के सम्मेलन में उनसे की थी।

प्रवक्ता विवेक मौर्य ने मंत्री को फार्मेसी छात्रों और शिक्षकों की समस्या से अवगत कराया।

उधर उत्तर प्रदेश के फार्मासिस्ट भी १ मार्च को लखनऊ में बड़े आंदोलन की रुपरेखा तैयार कर रहे है।

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  • मध्यप्रदेश में फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला, दवा वितरण ठप्प

    भोपाल: 23 फरवरी/ मध्यप्रदेश के भोपाल में 3 फार्मासिस्ट के विरुद्ध शासन द्वारा निरर्थक कार्यवाही की जाने के विरोध में प्रांतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। जिसका नजारा आज प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में देखने को मिला।  भोपाल के जे पी अस्पताल, काटजू हो या बैरागढ़ का सिविल अस्पताल, सभी जगह मरीजो की लम्बी कतारे देखने को मिली। प्रदेश भर में  हड़ताल का जबरदस्त असर देखने को मिला है.

    फार्मासिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश प्रवक्ता विवेक मौर्य ने प्रेस को बताया कि ऐसी घटना किसी फार्मासिस्ट के साथ भी हो सकती है।

    मौर्य के अनुसार सरकार द्वारा फार्मासिस्ट पर इस करवाई के विरोध में दबाव बनाने के लिये PPA द्वारा आज से दवा वितरण ठप्प करने का फैसला किया है। चूँकि फार्मासिस्ट जनता के लिये भी संवेदनशील है और नही चाहते की इससे जनता को तकलीफ हो। इसलिये सुबह 12 बजे के बाद तीन दिन दवा बाँटेंगे। तीन दिन तक यदि प्रशासन नही चेतता तो सभी प्रकार का दवा वितरण पूरी तरह से ठप्प किया जायेगा।

    ज्ञात हो कि जे पी अस्पताल में कफ सिरप में तथाकथित कीड़े निकलने के आरोपो के बाद कोंग्रेस ने इसे राजनितिक मुद्दा बनाने पर सरकार ने आनन फानन में फार्मासिस्ट को दोषी बता के 3 फार्मासिस्ट को निलम्बित कर दिया था।

    इस निलम्बन का फार्मासिस्ट के साथ अन्य कर्मचारी संघो ने भी विरोध किया है।

    प्रदेश अध्यक्ष अम्बर चौहान व् सचिव जितेंद्र ने सभी कर्मचारियो से संगठित हो कर इस हड़ताल को कामयाब बनाने का आवाहन किया।

  • मध्यप्रदेश का श्रमायुक्त सरकार का अफसर है या उद्योगपतियों का चाकर- तपन सेन

    भोपाल: 23 फरवरी / सांसद एवं श्रमिक संगठन सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन ने केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय को चिट्ठी लिखकर पूछा है कि मध्यप्रदेश का श्रमायुक्त प्रदेश सरकार का अधिकारी है या उद्योगपतियों का निजी चाकर ?

    उन्होंने यह भी पूछा है कि क्या राज्य सरकार का कोई अधिकारी केंद्रीय सरकार के क़ानून पर अमल रोके जाने का आदेश जारी कर सकता है ?

    हुआ यह था कि श्रमिकों की लम्बी लड़ाई के बाद केंद्र सरकार ने 1 जनवरी को एक आदेश निकाल कर केंद्रीय बोनस क़ानून में आय की सीमा को बढ़ाने का प्रावधान किया।  इसे 2014-15 के वित्तीय वर्ष से  प्रभावशील किया जाना है ।  बिना किसी संवैधानिक या कानूनी अधिकार के मध्यप्रदेश के श्रमायुक्त ने इस आदेश पर अमल करने से रोक लगाने का हुकुम जारी कर दिया।  उसने इसके लिए केरल हाई कोर्ट के किसी आदेश का हवाला दिया।  जबकि मध्यप्रदेश का कोई भी उद्योगपति इस आदेश को रुकवाने के लिए मप्र हाई कोर्ट में नहीं गया था।  

    सांसद तपन सेन ने केंद्रीय श्रम मंत्री से अपेक्षा की है कि वे मप्र के श्रमायुक्त के इस सरासर अवैधानिक हस्तक्षेप की गंभीरता को समझेंगे और मानेंगे कि इस अधिकारी ने बिना किसी अधिकार के केंद्रीय क़ानून का प्रवर्तन  है ताकि कुछ उद्योग घरानो का भला किया।

    उन्होंने मप्र श्रमायुक्त द्वारा जारी इस अवैधानिक आदेश को निरस्त किये जाने की दिशा में कड़ाई से कदम उठाने की मांग की है।

  • इंदौर में संघ कार्यालय पर कांग्रेस ने तिरंगा फहराया

    इंदौर, 22 फरवरी (आईएएनएस)। भारतीय राजनीति के इतिहास में सोमवार को पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक कार्यालय पर तिरंगा लहराया। मध्यप्रदेश के इंदौर में यह पुनीत कार्य कांग्रेस के नेताओं ने किया।

    प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव की अगुवाई में यहां तिरंगा फहराकर इतिहास रचा गया। खुद को सबसे बड़ा राष्ट्रभक्त बताने वाले संघ के दफ्तरों पर अब तक भगवा ध्वज ही लहराता रहा है, लेकिन सोमवार को इंदौर स्थित संघ के दफ्तर में तिरंगा लेकर पहुंचे कांग्रेस कार्यकर्ताओं का स्वयंसेवकों ने न केवल तिलक लगाकर स्वागत किया, बल्कि उन्हें सबसे ऊपरी मंजिल की छत पर जाकर तिरंगा लगाने का मौका दिया और सहयोग भी किया।

    इन दिनों देश में राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रद्रोह को लेकर बहस छिड़ी हुई है। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में कथित तौर पर राष्ट्रविरोधी नारे लगाए जाने के आरोप में गिरफ्तार किए गए बिहार के कन्हैया कुमार ने देश में नई बहस को जन्म दिया है। इसी क्रम में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने तिरंगा फहराने के लिए रामबाग स्थित संघ कार्यालय की ओर कूच किया।

    कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने आईएएनएस को बताया कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जुलूस राजबाड़ा से शुरू हुआ, जिसे पुलिस ने बीच में रोक दिया। बाद में कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के साथ संघ कार्यालय की ओर जाने की अनुमति दी गई।

    यादव ने कहा, "संघ और भाजपा मिलकर कांग्रेस को बदनाम करने का कुचक्र चलाए हुए हैं। जिन लोगों ने (संघ व भाजपा) देश की आजादी में कोई योगदान नहीं दिया, बल्कि अंग्रेजों का साथ दिया, वे आज हमें देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं। कांग्रेस का इतिहास इस बात का गवाह है कि आजादी की लड़ाई में इसका क्या योगदान रहा है और आजादी के बाद देश की अखंडता के लिए कितना बलिदान दिया है।"

    कांग्रेस की ओर से जानकारी दी गई कि अरुण यादव ने संघ कार्यालय पर तिरंगा फहराने का संकल्प लिया था, जिसे सोमवार को पूरा किया गया। यादव ने संघ के प्रचारक को सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा पंडित जवाहरलाल नेहरू को लिखे गए एक पत्र की प्रति भी सौंपी।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • जेनएयू बहाना है, लोकतंत्र निशाना है- 23 से 25 देशव्यापी विरोध कार्यवाहियां

    भोपाल: 22 फरवरी/ जेएनयू के वीडियो में  छेड़छाड़ की गयी थी यह प्रमाणित हो जाने के बावजूद भाजपा और संघ का झूठ पर आधारित उन्मादी अभियान जारी रहने से स्पष्ट है कि इनका असल निशाना संवैधानिक लोकतांत्रिक अधिकारों की खत्म करने और अपनी सरकार की हर स्तर की असफलताओं को छुपाने और शिक्षा के क्षेत्र से दलितों-आदिवासियों को बाहर खदेड़ कर, बाकी छात्रों पर जकड़न थोप कर मनुस्मृति लागू करने के सिवाय और कुछ नहीं है। उक्त बात मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव बादल सरोज ने एक प्रेस बयान में कही.

    माकपा नेता ने कहा की ग्वालियर में आंबेडकर विचार मंच के सेमीनार पर हमला हैदराबाद का रोहित वेमुला काण्ड दोहराने की ही कायराना कोशिश था । हमलावर महापौर के सरकारी निवास/कार्यालय में इकट्ठा हुए, वहीँ हथियार जमा किये । इस महापौर को भी अभियुक्त बनाया जाना चाहिए ।

    बादल सरोज ने बताया की 23 से 25 फरवरी के बीच वामपंथी दल, लोकतंत्र हिमायती लोग और संगठन देशव्यापी अभियान के तहत मध्यपदेश में जनता के बीच अभियान चलाएंगे तथा विरोध कार्यवाहियां आयोजित करेंगे । इनमे सरासर गैरकानूनी आचरण तथा पत्रकारों पर हमला करवाने वाले दिल्ली के पुलिस कमिश्नर भीमसेन बस्सी की बर्खास्तगी, जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई, देशद्रोह के फर्जी मुकदमे को हटाये जाने की मांग की जायेगी ।

    विदित हो की भोपाल में अनेक संगठन 23 फरवरी को शाम 4 बजे यादगार ए शाहजहानी पार्क में एकत्रित होंगे ।

  • भोपाल त्रासदी : 3800 मौतों की अलग-अलग सजा दिलाने की तैयारी

    भोपाल, 19 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 31 वर्ष पूर्व हुए यूनियन कार्बाइड गैस हादसे के आरोपियों को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अधिकतम सजा दिलाने की तैयारी कर रहा है। यह बात भोपाल की जिला अदालत में गुरुवार से चल रही मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान शुक्रवार को सामने आई है।

    सीबीआई सूत्रों ने कहा कि जांच एजेंसी की कोशिश है कि आरोपियों को 3,800 मौतों के मामले में एक सजा न मिले, बल्कि 3,800 प्रकरणों की अलग-अलग सजा हो।

    सीबीआई सूत्रों ने कहा कि "आरोपियों को एक प्रकरण में सजा मिली है। कोशिश होगी कि आरोपियों को अधिकतम सजा मिले। इसके लिए सबसे पहले दर्ज प्रकरण अर्थात 304-ए भाग दो के मुताबिक सजा मिले, वह भी अलग-अलग 3800 प्रकरणों में।"

    मामले से जुड़े एक वकील ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव दुबे की अदालत में आरोपियों द्वारा दायर याचिका पर शनिवार तक सुनवाई चलनी थी, लेकिन बचाव पक्ष की मांग पर अदालत ने सुनवाई मार्च-अप्रैल में किसी समय करने के लिए टाल दी, जिसकी तिथि बाद में तय की जाएगी।

    वकील ने बताया कि अगली सुनवाई के दौरान आरोपियों के बयान दर्ज किए जाएंगे, और उसके बाद ही अदालत सजा सुनाएगी।

    उल्लेखनीय है कि इस मामले में सबसे पहला मामला हनुमानगंज थाने ने 304-ए भाग दो के तहत दर्ज किया गया था। इस पर हुई सुनवाई में निचली अदालत ने 304-ए के तहत आरोप तय किए।

    विधिक सूत्रों के अनुसार, 304-ए भाग दो में गैर इरादतन हत्या का प्रकरण बनता है, जिसमें 10 वर्ष कैद की सजा हो सकती है। जबकि 304-ए में लापरवाही का प्रकरण बनता है और अधिकतम तीन वर्ष की सजा हो सकती है।

    मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एम. पी. तिवारी ने इस मामले में सात जून, 2010 को आठ आरोपियों के खिलाफ दो-दो वर्ष कैद की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ आरोपियों ने सत्र न्यायालय में अपील की। इस पर अंतिम चरण की सुनवाई चल रही है।

    इस मामले की जांच छह दिसंबर को सीबीआई को सौंप दी गई थी। उसके बाद एक दिसंबर, 1987 को सीबीआई ने आरोप-पत्र और जांच प्रतिवेदन न्यायालय में प्रस्तुत किया था।

    उल्लेखनीय है कि दो-तीन दिसंबर, 1984 की दरम्यानी रात यूनियन कार्बाइड संयंत्र से जहरीली गैस रिसी थी। इस हादसे में तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • मप्र : 30 वर्ष की सेवा बाद वीआरएस ले सकेंगे चिकित्सक

    भोपाल, 19 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के चिकित्सकों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) की अहर्तादायी सेवा 25 वर्ष से बढ़ाकर 30 वर्ष कर दी गई है। यह निर्णय शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया गया।

    मंत्रिपरिषद ने निर्णय लिया कि ऐसे चिकित्सक, जिनकी मूल नियुक्ति चिकित्सा अधिकारी के पद पर हुई थी, वे 30 वर्ष की नियमित सेवा पूरी होने के बाद अन्य शासकीय अधिकारी की तरह वरिष्ठ प्रवर श्रेणी वेतनमान के पात्र होंगे।

    मंत्रिपरिषद ने आयुष विभाग के शासकीय स्वशासी आयुर्वेद महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में अध्ययनरत विद्यार्थियों की शिष्यवृत्ति (मानधन) निर्धारित की है। प्रथम वर्ष में 21 हजार, द्वितीय वर्ष में 22 हजार और तृतीय वर्ष में 23 हजार रुपए की शिष्यवृत्ति को मंजूरी दी गई।

    मंत्रिपरिषद ने नौ एकलव्य आदर्श आवासीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के लिए कुल 412 पद सृजित करने को मंजूरी दी। अवसंरचना विकास के लिए भारत सरकार से प्राप्त राशि के अलावा खर्च होने वाली राशि राज्य सरकार वहन करेगी।

    मंत्रिपरिषद ने उद्यानिकी विभाग का नाम परिवर्तित करने का निर्णय लिया। अब विभाग का नाम उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग होगा।

    मंत्रिपरिषद ने राज्य सड़क सुरक्षा नीति 2015 का भी अनुमोदन किया। नीति में आगामी जरूरी बदलावों के लिए गृह विभाग को अधिकृत किया गया है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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