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रात की अच्छी नींद से याददाश्त होगी मजबूत

लंदन, 21 फरवरी (आईएएनएस)। अगर आप भी अपनी याददाश्त को तेज बनाना चाहते हैं तो फिर सारी चिंताओं को छोड़ कर अच्छी और भरपूर नींद लें। अच्छी नींद आपकी स्मृति क्षमता को मजबूत बनाने में सहायक होती है, इसकी पुष्टि एक नए अध्ययन से भी हुई है।

अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि पूरे दिन व्यक्ति की मानसिक गतिविधियां रात को नींद में मस्तिष्क द्वारा तेजी से दोहराई जाती हैं, जिससे तंत्रिका कोशिकाओं के बीच सक्रिय माइक्रोस्कोपिक कनेक्शन को मजबूती मिलती है।

नींद के दौरान दोहराई जाने वाली गतिविधियां मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस हिस्से में होती हैं, जो यादों को सहेजने वाली केंद्रीय प्रणाली है।

यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के मुख्य शोधार्थी जैक मेलर ने बताया, "ये निष्कर्ष नींद के दौरान मस्तिष्क में स्मृतियों को सहेजने (एकत्रीकरण) वाली मौलिक प्रक्रियाओं के बारे में हैं।"

इस शोध ने अच्छी नींद के लाभ का एक और सबूत मिलता है। अच्छी नींद स्वस्थ व्यक्ति के साथ-साथ सिजोफ्रेनिया या अल्जाइमर से पीड़ित लोगों के लिए भी जरूरी है, क्योंकि रातों में अच्छी नींद नहीं ले पाने से मानसिक असंतुलन की स्थिति भी पैदा हो सकती है।

मेलर के अनुसार, "इस शोध से यह भी पता चला है कि मस्तिष्क में नींद के दौरान स्मृतियों को दोहराने वाली सफल गतिविधियां व्यक्ति की सीखने वाली भावात्मक स्थिति पर निर्भर करती हैं।"

यह शोध पत्रिका 'सेल रिपोर्ट्स' में प्रकाशित किया गया है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • गूगल ने खास अंदाज में कहा, हैप्पी मदर्स डे
    नई दिल्ली, 8 मई (आईएएनएस)। खास मौकों को डूडल पर उकेर उन्हें और खास बनाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन गूगल का होमपेज 'डूडल' रविवार को भी एक विशेष अवसर पर सजा-संवरा नजर आया। यह खास मौका है-मदर्स डे।

    दुनियाभर में मदर्स डे हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। आज वही खास दिन है और इसे और अलग बनाया है, गूगल ने। उसका होमपेज डूडल आज पूरी तरह मां को समर्पित नजर आ रहा है। इसमें बनाई गई बेली(जूती) मां और एक जोड़ी छोटी सी चप्पलें उसकी संतान का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

    गूगल के छह वर्ण मसलन जी, ओ, ओ, जी, एल, ई में ओ, ओ की जगह मां की बेली को दी गई है, जिनके अंदर दो छोटे-छोटे दिल भी धड़क रहे हैं। ये दिल जाहिर तौर पर अपने बच्चे से बेपनाह निश्छल प्यार करने वाली एक मां के प्रतीक हैं।

    --आईएएनएस
  • अमेरिका में ई-सिगरेट उद्योग के लिए सख्त नियमों की घोषणा
    बीजिंग, 8 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। अमेरिका में गुरुवार को ई-सिगरेट उद्योग के लिए नए व सख्त नियमों की घोषणा की गई, जिसके तहत पहली बार इसके उपकरणों तथा इसकी अन्य सामग्रियों को जांच के दायरे में लाया गया है।

    इस नियम को खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा जारी किया गया है। इसके मुताबिक, ई-सिगरेट को बाजार में उतारने से पहले नियामकों के लिए इसकी डिजाइन, सामग्री और स्वाद की जांच जरूरी है।

    नया कानून ई-सिगरेट, हुक्का, पाइप तंबाकू तथा निकोटिन जेल्स सहित परंपरागत सिगरेट पर प्रतिबंध लगाता है। इसके तहत नाबालिग अब इन उत्पादों को नहीं खरीद पाएंगे।

    नए कानून का उद्देश्य उपभोक्ताओं को कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान करना है, लेकिन इससे अरबों डॉलर के उद्योग पर काफी असर पड़ने का अनुमान जताया जा रहा है।

    --आईएएनएस
  • धड़कनों की माप के लिए स्मार्टफोन एप
    न्यूर्याक, 8 मई (आईएएनएस)। हृदय रोगियों के लिए एक अच्छी खबर है। हदय रोग के मरीजों की अनियमित दिल की धड़कन की निगरानी के लिए अब एक स्मार्टफोन एप आ गया है।

    इस एप का नाम 'एलाइवकोर हार्ट मॉनिटर स्मार्टफोन एप' है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में इस एप की क्षमता का आकलन भी किया है।

    न्यूयॉर्क के बुफैलो विश्ववद्यिालय के प्रोफेसर एनी क रटिस ने अपने अध्ययन रिपोर्ट में लिखा है कि यह एप हार्ट बीट की काफी बेहतर तरीके से निगरानी करने में सक्षम है।

    मरीजों के लिए इस एप का प्रयोग करना काफी सरल है और ये उन्हें काफी पसंद भी आ रहा है।

    वर्तमान में मरीजों को अपनी स्थिति की निगरानी के लिए इलेक्ट्रो काíडयोग्राफिक इलेक्ट्रोड्स को अपनी त्वचा से चिपकाए रखना होता है, और यह करीब दो से चार हफ्ते के लिए करना होता है। इससे मरीजों को थोड़ी उलझन होती है।

    करटिस ने बताया कि इस इवेंट मॉनिटर की सबसे बड़ी खामी यह है कि मरीज इसे सबके सामने नहीं प्रयोग कर सकता है और यह काफी तकलीफदेह भी है।

    सन फ्रांसिस्को में हार्ट रिदम सोसायटी की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत इस नए अध्ययन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि परंपरागत इवेंट मॉनिटरिंग प्रणाली के स्थान पर इस स्मार्ट फोन एप का प्रयोग बखूबी किया जा सकता है ।

    शोधकर्ताओं ने दो सप्ताह तक करीब 32 हृदय रोग के मरीजों पर इस एप का प्रयोग किया और उनकी धड़कनों की जांच की।

    अध्ययन में पता लगा कि एलाइवकोर हार्ट मॉनिटर स्मार्टफोन एप ने मरीजों की धड़कनों को 91 फीसदी तक सही रिकॉर्ड किया, जबकि परंपरागत इलेक्ट्रोड्स डिवाइस ने 87.5 फीसदी सही रिकॉर्ड किया।

    --आईएएनएस
  • मदर्स डे पर मां को दीजिए सेहतमंद जीवन
    नई दिल्ली, 8 मई (आईएएनएस)। महिलाएं अपने जीवन में अनेक भूमिकाएं अदा करती हैं, जैसे कामकाजी महिला, मां, पत्नी, बेटी और बहन। ये सभी भूमिकाएं निभाते हुए वे अपनी सेहत नजरअंदाज कर देती हैं। 18 साल की उम्र के बाद प्रत्येक महिला को सेहतमंद और रोगमुक्त रहने के लिए नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए।

    मदर्स डे पर हर बेटी को अपनी मां को स्वस्थ्य जांच उपहार में देनी चाहिए और उन्हें अपनी सेहत का ध्यान रखने के बारे में जानकारी देनी चाहिए और जो ख्याल व संभाल उन्हें मिलनी चाहिए वह देनी चाहिए।

    हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि नियमित स्वास्थ्य जांच महिलाओं और मांओं के लिए बेहद जरूरी है, जो अक्सर अपना ख्याल रखना भूल जाती हैं।

    उन्होंने कहा कि महिलाओं का शरीर हमेशा विकसित होता रहता है और खास कर बच्चे को जन्म देने के बाद हर्मोनल बदलाव की वजह से उन्हें बीमारी होने की संभावना होती है।

    डॉ. अग्रवाल ने कहा कि देश में गर्भधारण के दौरान मौतों की संख्या काफी बढ़ गई है और गर्भधारण के बाद तनाव भी बढ़ रहा है। इसलिए 30 साल की उम्र के बाद हर महिला को बचाव के लिए स्वास्थ्य जांच और उनकी सेहत की संभाल के लिए परिवार कैसे मदद कर सकता है, इस बारे में जागरूक करना चाहिए।

    गायनी जांच : 30 साल की उम्र के बाद महिलाओं को अपना सम्पूर्ण गायनी चेकअप, जिसमें मेन्युल पेल्विक चेकअप और स्तन जांच के साथ पैप स्मियर की जांच करवानी चाहिए। यह हर साल करवानी चाहिए।

    हार्ट चेकअप : महिलाओं को तीसवें के बाद संपूर्ण हार्ट चेकअप जिसमें ब्लड प्रेशर, एलडीएल और एचडीएली कोलेस्ट्रॉल की जांच शामिल है, करवानी चाहिए। जिनके परिवार में पहले से दिल के रोग रहे हैं उन्हें अतिरिक्त जांच करवाने के लिए कहा जा सकता है। जिनका ब्लड प्रेशर सामान्य है, उन्हें इसकी जांच हर दो साल बाद करवानी चाहिए। कोलेस्ट्रॉल सामान्य हो तो हर पांच साल बाद जांच करवानी चाहिए।

    थायरॉयड : अनडायरेक्टिक थॉयरायड, जिसकी जांच ब्लड टेस्ट से होती है, वजन बढ़ने की वजह बन सकता है। जबकि ओवरएक्टिव थॉयरायड ऑटोएम्यून रोग का संकेत दे सकता है। सभी महिलाओं को 35 साल की उम्र में थायरॉड की जांच करवानी चाहिए। अगर मूड, वजन, सोने की आदत और कोलेस्ट्रॉल में छोटी उम्र में अवांछित बदलाव आने लगे तो यह टेस्ट जल्दी करवाना चाहिए।

    डायबिटीज टेस्ट : 40 साल उम्र के बाद महिलाओं को डायबिटीज का टेस्ट करवाना चाहिए। 45 साल की उम्र के बाद यह हर तीन साल बाद करवाना चाहिए। अगर महिलाओं का वजन ज्यादा हो या ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्रॉल ज्यादा हो या धूम्रपान करती हों या पहले परिवार में किसी को डायबिटीज रहा हो तो उन्हें इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अगर प्री-डायबिटिक हो तो हर साल या दो साल के बाद जांच करवानी चाहिए।

    विटामिन डी टेस्ट : विटामिन डी हड्डियों की सुरक्षा करता है। यह डायबिटीज, दिल के रोगों और कुछ कैंसर से बचाता है और शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। यह पोषण आम तौर पर धूप सेंकने और फोर्टिफाइड डेयरी उत्पादों से मिलता है।

    आजकल महिलाएं धूप से दूर रहती हैं, क्योंकि वह सूर्य की हानिकारक किरणों और रंग काला होने से बचती हैं। 80 से 90 प्रतिशत भारतीय विटामिन डी की कमी से पीड़ित हैं, क्योंकि जेनेटिक तौर पर और मूल रूप से शाकाहारी होने की वजह से भी वह इस कमी से पीड़ित होते हैं। ऐसे हालत में सप्लीमेनटेशन आवश्यक है।

    बोन डेनसिटी टेस्ट : 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को बोन डेनसिटी टेस्ट करवा कर हड्डियों में कैल्शियम और मिनरल की जांच करवानी चाहिए। मीनोपॉज की वजह से होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण औरतें ओस्टिोपोरोसिस और ओस्टियो आर्थराइटिस की शिकार हो जाती हैं।

    डॉ. अग्रवाल के अनुसार, हड्डियों को मजबूत रखने के लिए, नियमित एरोबिक व्यायाम, सेहतमंद व संतुलित आहार और आवश्यक धूप सेंकना बेहद जरूरी होता है।

    --आईएएनएस
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    मदर्स डे पर हर बेटी को अपनी मां को स्वस्थ्य जांच उपहार में देनी चाहिए और उन्हें अपनी सेहत का ध्यान रखने के बारे में जानकारी देनी चाहिए और जो ख्याल व संभाल उन्हें मिलनी चाहिए वह देनी चाहिए।

    हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि नियमित स्वास्थ्य जांच महिलाओं और मांओं के लिए बेहद जरूरी है, जो अक्सर अपना ख्याल रखना भूल जाती हैं।

    उन्होंने कहा कि महिलाओं का शरीर हमेशा विकसित होता रहता है और खास कर बच्चे को जन्म देने के बाद हर्मोनल बदलाव की वजह से उन्हें बीमारी होने की संभावना होती है।

    डॉ. अग्रवाल ने कहा कि देश में गर्भधारण के दौरान मौतों की संख्या काफी बढ़ गई है और गर्भधारण के बाद तनाव भी बढ़ रहा है। इसलिए 30 साल की उम्र के बाद हर महिला को बचाव के लिए स्वास्थ्य जांच और उनकी सेहत की संभाल के लिए परिवार कैसे मदद कर सकता है, इस बारे में जागरूक करना चाहिए।

    गायनी जांच : 30 साल की उम्र के बाद महिलाओं को अपना सम्पूर्ण गायनी चेकअप, जिसमें मेन्युल पेल्विक चेकअप और स्तन जांच के साथ पैप स्मियर की जांच करवानी चाहिए। यह हर साल करवानी चाहिए।

    हार्ट चेकअप : महिलाओं को तीसवें के बाद संपूर्ण हार्ट चेकअप जिसमें ब्लड प्रेशर, एलडीएल और एचडीएली कोलेस्ट्रॉल की जांच शामिल है, करवानी चाहिए। जिनके परिवार में पहले से दिल के रोग रहे हैं उन्हें अतिरिक्त जांच करवाने के लिए कहा जा सकता है। जिनका ब्लड प्रेशर सामान्य है, उन्हें इसकी जांच हर दो साल बाद करवानी चाहिए। कोलेस्ट्रॉल सामान्य हो तो हर पांच साल बाद जांच करवानी चाहिए।

    थायरॉयड : अनडायरेक्टिक थॉयरायड, जिसकी जांच ब्लड टेस्ट से होती है, वजन बढ़ने की वजह बन सकता है। जबकि ओवरएक्टिव थॉयरायड ऑटोएम्यून रोग का संकेत दे सकता है। सभी महिलाओं को 35 साल की उम्र में थायरॉड की जांच करवानी चाहिए। अगर मूड, वजन, सोने की आदत और कोलेस्ट्रॉल में छोटी उम्र में अवांछित बदलाव आने लगे तो यह टेस्ट जल्दी करवाना चाहिए।

    डायबिटीज टेस्ट : 40 साल उम्र के बाद महिलाओं को डायबिटीज का टेस्ट करवाना चाहिए। 45 साल की उम्र के बाद यह हर तीन साल बाद करवाना चाहिए। अगर महिलाओं का वजन ज्यादा हो या ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्रॉल ज्यादा हो या धूम्रपान करती हों या पहले परिवार में किसी को डायबिटीज रहा हो तो उन्हें इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अगर प्री-डायबिटिक हो तो हर साल या दो साल के बाद जांच करवानी चाहिए।

    विटामिन डी टेस्ट : विटामिन डी हड्डियों की सुरक्षा करता है। यह डायबिटीज, दिल के रोगों और कुछ कैंसर से बचाता है और शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। यह पोषण आम तौर पर धूप सेंकने और फोर्टिफाइड डेयरी उत्पादों से मिलता है।

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    --आईएएनएस
  • हल्के भूकंप से भी आ सकती है सुनामी


    न्यूयॉर्क, 8 मई (आईएएनएस)। धीमी गति के भूकंप या धीमी रफ्तार से प्लेटों के खिसकने की घटना भी किसी बड़े भूकंप और सुनामी का कारण बन सकती हैं।

    धरती के नीचे प्लेटों की धीमी गति से खिसकने की घटना का परिणाम भी भूकंप के समान होता है, लेकिन धरती की दो प्लेटों के बीच तनाव पैदा करने की घटना कुछ सेकंड से लेकर दिन या सप्ताह तक चल सकती है, जिसके कारण प्लेटों के बीच एक सेंटीमीटर तक का खिसाव हो जाता है।

    समुद्र के नीचे की सतह के दबाव को रिकॉर्ड करने वाले उच्च संवेदनशील रिकॉर्डर का इस्तेमाल कर अमेरिका, जापान और न्यूजीलैंड के शोधकर्ताओं के एक अंतर्राष्ट्रीय दल ने न्यूजीलैंड के पूर्वी तट से दूर एक मामूली खिसाव का पता लगाया।

    जापान के क्योटो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और इस अध्ययन के सह लेखक योशिहिरो इतो ने कहा, "हमारे परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि जहां प्लेटें खिसकती हैं वहां यह घटना भूकंप लाने या सुनामी पैदा करने में सक्षम हैं।"

    इतो ने कहा, "इसने कम गहरे पानी और समुद्र तट से दूर समुद्र में चट्टानों के खिसकने की घटनाओं पर लगातार नजर रखने की हमारी जरूरत को बढ़ा दिया है। जैसा जापान के समुद्र तट से दूर निगरानी के लिए स्थाई नेटवर्क स्थापित किया गया है, उसी तरह जिन क्षेत्रों में धरती के नीचे की प्लेटें खिसक रही हैं, वहां नेटवर्क बनाने की जरूरी है।

    दो हफ्तों के अंदर न्यूजीलैंड और प्रशांत महासागर से लगी प्लेटें 15-20 सेंटीमीटर खिसकीं। यह दूरी प्लेटों के तीन से चार साल के अंदर तय गई दूरी के बराबर है।

    यदि यह खिसकाव धीरे-धीरे नहीं होकर अचानक हुआ, होता तो इसकी वजह से 6.8 की तीव्रता वाला भूकंप आ सकता था।

    इस दल ने धीमी खिसकाव की घटना का जहां अध्ययन किया है, वहां 1947 में 7.2 की तीव्रता वाला भूकंप आया था और उसकी वजह से एक बड़ी सुनामी आई थी।

    इस अध्ययन का निष्कर्ष धरती की प्लेटों के खिसकाव और सामान्य भूकंप के बीच संबंध की समझ को बढ़ाता है। यह दिखाता है कि दो तरह की भूकंपीय घटनाएं किसी एक ही प्लेट की सीमा क्षेत्र में हो सकती हैं।

    कुछ मामलों में तो इन हल्के खिसकावों का भी संबंध विनाशकारी भूकंप को उभारने से रहा है। जैसे वर्ष 2011 में जापान में आए 9 की तीव्रता वाले तोहोकु-ओकी भूकंप ने सुनामी पैदा की, जिसकी वजह से फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र में तबाही हुई।

    इस अध्ययन के सह लेखक कोलंबिया विश्वविद्यालय के लैमोंट-दोहटी अर्थ ऑबजर्वेटरी के स्पार वेब कहते हैं, "हमारे न्यूजीलैंड के प्रयोग का परिणाम दर्शाता है कि सुनामी और भूकंप की पहले चेतावनी देने के लिए प्रशांत महासागर के पश्चिमोत्तर में जहां समुद्र तट से दूर पृथ्वी के नीचे की प्लेटें टकराती हैं, वहां निगरानी प्रणाली के इस्तेमाल करने की बहुत संभावना है।"

    --आईएएनएस

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