रायपुर, 9 फरवरी (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ राज्य कंबल उद्योग में भी तेजी से अपनी पहचान बना रही है। राज्य सरकार के ग्रामोद्योग विभाग द्वारा बुनकरों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए अनेक योजनाएं शुरू की गई हैं। शासकीय वस्त्र प्रदाय योजना के तहत यहां के बुनकारों को नियमित रूप से रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।
राजनांदगांव जिले की ग्यारह बुनकर सहकारी समितियों में चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 में जनवरी तक लगभग तीन करोड़ 67 लाख रुपये की 83 हजार 211 नग कंबलों का उत्पादन किया गया। इसके लिए बुनकरों को सहकारी समितियों के माध्यम से 41 लाख 19 हजार रुपये की पारिश्रमिक भुगतान किया जा चुका है।
एक विज्ञप्ति के अनुसार, कंबल उत्पादन में जिले के सभी बुनकर सहकारी समितियों से संबद्ध 21 परिवारों के 657 लोगों को रोजगार मिल रहा है। बुनकारों को प्रति कंबल 49 रुपये 50 पैसे की दर से पारिश्रमिक भुगतान किया जा रहा है। कंबल का मूल्य 441 रुपये प्रति नग निर्धारित किया गया है।
राजनांदगांव जिले के बुनकरों द्वारा निर्मित कंबलों की मांग पूरे प्रदेश में है। प्रदेश के सभी आश्रमों-छात्रावासों, सरकारी अस्पतालों, पुलिस एवं होमगार्ड प्रशिक्षण संस्थाओं सहित मांग के अनुसार, सभी शासकीय विभागों में कंबल की आपूर्ति की जा रही है।
चालू वित्तवर्ष 2015-16 में जनवरी माह तक आशा बुनकर सहकारी समिति राजनांदगांव में चार हजार 445 नग कंबल, आदिशक्ति बुनकर सहकारी समिति कन्हारपुरी विकासखंड छुरिया में सात हजार 759 नग, जय मां दुर्गा बुनकर सहकारी समिति (ढाढूटोला, अंबागढ़ चौकी) में दो हजार 739 नग, बघेराभांठा की मां दुर्गा बुनकार सहकारी समिति में सात हजार 616 नग और कुर्मदा की ज्योति आदिवासी बुनकर सहकारी में चार हजार 52 नग कंबल का उत्पादन किया गया।
इसी तरह डोंगरगढ़ जिले के रामटोला की बंलेश्वरी बुनकर सहकारी समिति में आठ हजार 954 नग, छुरिया की आदिशक्ति बुनकर सहकारी समिति में 20 हजार 434 नग, सोमाझिटिया की आदर्श बुनकर सहकारी समिति में 24 हजार 105 नग, मेढ़ा की लक्ष्मी बुनकर सहकारी समिति में 692 नग और खुर्सीटिकुल की शक्ति आदिवासी बुनकर सहकारी समिति में दो हजार 415 नग कंबल का उत्पादन किया गया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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