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वाम मोर्चा और कांग्रेस के गठबंधन की प्रासंगिकता बनी रहेगी : माकपा

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छत्तीसगढ़ की थर्ड जेंडर अमेरिका में चलाएंगी मुहिम

रायपुर, 8 मई (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ की थर्ड जेंडर (किन्नर) अमेरिका जाकर विश्वभर के एचआईवी मरीजों को जागरूक करेंगी। स्वास्थ्य विभाग ने नोडल अधिकारी के पद का कार्यरत अमृता अल्पेश सोनी अगले महीने सम्मेलन में शामिल होने अमेरिका जा रही हैं। थर्ड जेंडर होने के कारण हालांकि उन्हें वीजा बनवाने में काफी मुश्किलें भी आईं।

पहली बार अमेरिका में होने वाले विश्व एचआईवी मरीजों के सम्मेलन में राज्य से एक थर्ड जेंडर प्रतिनिधित्व करेंगी। वह वहां एचआईवी के 14वें सम्मेलन में लोगों को जागरूक भी करेंगी।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार, यहां ट्रांस जेंडर मुहिम चलाने के लिए अधिकृत हैं, लेकिन अन्य देशों में थर्ड जेंडर इसके लिए अधिकृत नहीं हैं। इस कारण कोलकाता स्थित अमेरिकी दूतावास ने अमृता का वीजा आवेदन रोक दिया था। इनके भारतीय पासपोर्ट में जेंडर के कॉलम में थर्ड जेंडर होने के कारण 'टी' लिखा हुआ था।

गौरतलब है कि अमेरिकी वीजा आवेदन पत्रक में सिर्फ पुरुष या महिला का ही विकल्प है। छत्तीसगढ़ मितवा समिति की अध्यक्ष विद्या राजपूत के अनुसार, थर्ड जेंडर के साथ हमेशा यह परेशानी आती है कि सरकारी दस्तावेजों में थर्ड जेंडर के लिए कोई विकल्प नहीं होता।

उन्होंने कहा कि अमृता सोनी को भी वीजा बनाने में परेशानी आई, पर उनके हौसले और कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार उन्हें वीजा मिल ही गया।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • वाम मोर्चा और कांग्रेस के गठबंधन की प्रासंगिकता बनी रहेगी : माकपा
    कोलकाता, 19 मई (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन की प्रासंगिकता बनी रहेगी। इस बात से सहमत नहीं हैं कि बड़ा जनमत इसके खिलाफ है। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्र ने गुरुवार को यह बात कही।

    सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की जबर्दस्त ढंग से सत्ता में वापसी पर मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए मिश्र ने यह स्वीकार किया कि इस गठबंधन को बहुतों ने स्वीकार नहीं किया।

    उन्होंने कहा, "हम लोगों को उम्मीद थी कि जनता हमें वोट देगी, लेकिन परिणाम दिखाते हैं कि अधिकता उन लोगों की है जो चुप बने रहे, तृणमूल के लिए मतदान किया। इस गठबंधन की अपनी गलतियां थीं।"

    इस गठबंधन को मुख्य शिल्पकारों में एक मिश्र को खुद शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा है। वह नारायण गढ़ सीट से तृणमूल कांग्रेस के प्रद्युत कुमार घोष से 13 हजार से भी अधिक मतों से हार गए हैं।

    उन्होंने कहा कि 'हार एक हार है।' उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी की इस जीत का श्रेय तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच अनकही सहमति को दिया।

    उन्होंने जोर देकर कहा कि मार्क्‍सवादियों पर इस हार से कोई खरोंच नहीं आई है। मिश्र ने कहा, "वामदल और कांग्रेस के बीच गठबंधन अब भी प्रासंगिक है।"

    उन्होंने कहा, "हमलोग तृणमूल की भ्रष्ट कार्य प्रणाली का विरोध जारी रखेंगे। हम भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे। लोकतंत्र के लिए, जनता के अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रहेगा। किसान और बेरोजगारी हमारे मुख्य मुद्दे होंगे।

    --आईएएनएस
  • ममता, जयललिता की सत्ता में वापसी, असम में भाजपा व केरल में वाम मोर्चा जीता (राउंडअप)
    नई दिल्ली, 19 मई (आईएएनएस)। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के गुरुवार को आए नतीजों में पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी और तमिलनाडु में सत्तारूढ़ ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) की महासचिव जे. जयललिता सत्ता में वापसी कर चुकी हैं। वहीं असम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया, जबकि वाम मोर्चा ने केरल में जीत दर्ज की है।

    पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए निराशाजनक रहा। असम में 15 वर्षो से सत्ता में रहे कांग्रेस को भाजपा के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। केरल में भी जीत के प्रति आश्वस्त दिख रही कांग्रेस को वाम मोर्चा के हाथों करारा झटका लगा। पुदुच्चेरी में हालांकि कांग्रेस-द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) गठबंधन ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस को पुदुच्चेरी में जीत मिली है।

    भाजपा ने इस बार केरल में अपना खाता खोला है। पार्टी के दिग्गज नेता ओ.राजगोपाल (86) ने तिरुवनंतपुरम की नेमोम सीट से जीत दर्ज की। केरल विधानसभा में वह भाजपा के पहले और एकमात्र विधायक होंगे।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जीत की बधाई दी।

    उन्होंने ट्वीट किया, "पूरे देश में लोगों का भाजपा के प्रति भरोसा बढ़ रहा है और वे इसे एक ऐसी पार्टी के तौर पर देख रहे हैं, जो चहुंमुखी और समावेशी विकास कर सकती है।"

    वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि पार्टी अत्यंत विनम्रता के साथ असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पुदुच्चेरी तथा केरल की जनता के जनादेश को स्वीकार करती है।

    चुनाव में विकास को मुद्दा बनाते हुए ममता की तृणमूल पार्टी ने 214 सीटों पर जीत दर्ज की। कुल 294 सीटों वाले विधानसभा में उसे दो तिहाई बहुमत मिला है।

    ममता बनर्जी को सत्ता से हटाने का ख्वाब देख रहे कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन चारों खाने चित्त हो गया। कांग्रेस ने जहां 44 सीटें जीतीं, वहीं मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट (माकपा) को मात्र 30 सीटों से संतोष करना पड़ा।

    ममता बनर्जी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "बीते 49 वर्षो में यह पहली बार है, जब किसी एक पार्टी को इतना बड़ा बहुमत मिला है।"

    तमिलनाडु के भी नतीजे शानदार रहे। एआईएडीएमके ने कुल 234 सीटों में से 126 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं डीएमके-कांग्रेस गठबंधन को 102 सीटें मिलीं।

    जयललिता ने कहा, "तमिलनाडु के लोगों के प्रति आभार जताने के लिए मेरे शब्दकोश में पर्याप्त शब्द नहीं हैं।"

    इन चुनावों में सबसे बड़ा करिश्मा भाजपा ने असम में किया, जहां कुल 126 सीटों में से उसने 85 सीटों पर जीत दर्ज की।

    भाजपा की इस शानदार विजय से कांग्रेस की मिट्टी पलीद हो गई। 15 वर्षो से सत्तारूढ़ इस पार्टी को मात्र 24 सीटों में से संतोष करना पड़ा। किंगमेकर बनने का सपना देख रहे ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) को करारा झटका लगा। उसे विश्वास था कि चुनाव परिणाम त्रिशंकु होने पर वह किंगमेकर के तौर पर उभरेगा।

    असम के भावी मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ बंद कराने के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा को पूरी तरह सील करना उनकी सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।

    प्रत्येक चुनाव में सरकार को विपक्ष में लाने की केरल की परंपरा इस बार भी जारी रही। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ सत्ता से बाहर हो गई। मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कहा कि उन्होंने कभी इसकी कल्पना भी नहीं की थी।

    लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) को कुल 140 में से 92 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि यूडीएफ ने 46 सीटों पर जीत दर्ज की है।

    माकपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस.अच्युतानंदन ने कहा, "यह जनादेश भ्रष्टाचारियों व उनके खिलाफ है, जो महिलाओं की गरिमा बनाए रखने में नाकाम रहे।"

    एक निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव जीतने में कामयाब रहा।

    असम व केरल में सत्ता गंवाने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि लोगों का भरोसा जीतने के लिए पार्टी कठिन मेहनत करेगी। उन्होंने ट्वीट किया, "लोगों का भरोसा जीतने तक हम कठिन मेहनत करेंगे।"

    असम के तीन बार मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि कांग्रेस एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका अदा करेगी।

    --आईएएनएस
  • विपक्ष भ्रष्टाचार साबित करे या अवमानना मुकदमे का सामना करे : केसीआर
    हैदराबाद, 19 मई (आईएएनएस)। विपक्षी नेताओं को तेलंगाना सरकार के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को साबित करना होगा या उन्हें अवमानना के मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने गुरुवार को यह बात कही।

    मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से यहां कहा, "अब से हमलोग यह नहीं बर्दाश्त करेंगे। या तो आप आरोपों को साबित करें या परिणाम भुगतें।"

    उन्होंने दावा किया कि तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने देश को सबसे स्वच्छ एवं बगैर भ्रष्टाचार वाली सरकार दी है। विपक्षी दल सरकार को बदनाम करने के लिए आधारहीन आरोप लगा रहे हैं और उसकी राह में रोड़े अटका रहे हैं।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्षी दल विभिन्न परियोजनाओं के बारे में झूठे आरोप लगा रहे हैं। यहां तक कि वे 'मिशन काकातिया' को 'कमीशन काकातिया' बता रहे हैं।

    टीआरएस प्रमुख ने कांग्रेस और भाजपा के नेताओं के यह कहने पर सवाल हुआ है कि वे सरकार से लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि आप सरकार से कैसे लड़ सकते हैं? आप यह कह सकते हैं कि जनता के मुद्दों को लेकर लड़ेंगे।

    पालैर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में टीआरएस पार्टी की जीत के संदर्भ में उन्होंने कहा चुनाव परिणामों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि तेलंगाना की जनता सत्तारूढ़ दल के साथ है। उन्होंने कहा कि जनता विपक्षी दलों को हर चुनाव में खारिज करती है क्योंकि उनका एकमात्र एजेंडा सरकार को निशाना बनाना है।

    उन्होंने विपक्षी दलों को सलाह दी कि तेलंगाना को समृद्ध बनाने के लिए रचनात्मक सुझाव दें।

    सूखे को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के लक्ष्मण के आरोप राज्य सरकार केंद्र के पैसे का उपयोग नहीं कर रही पर उन्होंने कहा कि बोलने से पहले वह तथ्यों की जांच कर लें।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र से तत्काल सहायता के रूप में तीन हजार करोड़ रुपये की मांग की गई थी, लेकिन केंद्र ने केवल 700 करोड़ रुपये जारी किए।

    --आईएएनएस
  • जयललिता ने विपक्ष और एक्जिट पोल दोनों को दी मात (राउंडअप)
    चेन्नई, 19 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता के नेतृत्व में उनकी पार्टी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) ने एक्जिट पोल को गलत साबित करते हुए गुरुवार को बहुमत हासिल करने में सफलता पाई।

    विधानसभा की 232 में से 134 सीटों पर एआईएडीएमके की जीत के बाद भावविभोर जयललिता ने कहा, "मैं लोगों द्वारा दी गई इस जीत से अभिभूत हूं। मैं और मेरी पार्टी तमिलनाडु के लोगों के ऋणी हैं।"

    उन्होंने कहा, "1984 के बाद से ही कोई भी सत्ताधारी पार्टी राज्य में दोबारा सरकार बनाने में कामयाब नहीं रही है।"

    जयललिता ने कहा कि उनकी भावनाओं का वर्णन करने के लिए शब्दकोष में कोई शब्द नहीं है। उन्होंने इस जीत को सचमुच 'ऐतिहासिक' बताया।

    निर्वाचन आयोग ने राज्य में दो निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान को स्थगित किया हुआ है।

    डीएमके-कांग्रेस गठजोड़ 97 सीटों पर सिमट कर रह गया। कांग्रेस को केवल 8 सीटों पर जीत हासिल हुई है। वहीं, एक सीट डीएमके की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को मिली है। डीएमके ने 89 सीट जीती हैं।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस जीत के लिए जयललिता को बधाई दी है। हालांकि, उनकी पार्टी चुनावों के दौरान जयललिता पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाती रही थी।

    डीएमके-कांग्रेस की हार के अलावा इस चुनाव में छह दलों के उस गठजोड़ का भी सूपड़ा साफ हो गया जो अभिनेता से नेता बने ए. विजयकांत के नेतृत्व में बना था और वह खुद मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे थे। लेकिन, हाल यह रहा कि विजयकांत खुद अपनी सीेट बचा नहीं पाए और उलुनदुरपेट्टई विधानसभा क्षेत्र में तीसरे नंबर पर रहे।

    छह पार्टियों के गठबंधन में शामिल सीपीआई और एमडीएमके ने इस हार के लिए एआईएडीएमके और डीएमके के 'धन बल' को जिम्मेदार ठहराया।

    एमडीएमके नेता वाइको ने कहा, "एआईएडीएमके और डीएमके ने मतदाताओं को बड़े पैमाने पर रिश्वत दिया। 2016 के विधानसभा चुनावों में केवल धन बल की जीत हुई है।"

    कम्युनिस्ट नेता आर. मुथारासन ने कहा, "हमने तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश की थी, लेकिन धन बल के आगे हम जीत नहीं सके।"

    भारतीय जनता पार्टी ने भी कुछ छोटे दलों के साथ मिलकर सभी सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन इनमें से किसी का खाता नहीं खुला।

    एआईएडीएमके के हजारों समर्थक पार्टी की जीत के बाद जयललिता के घर के बाहर पूरे राज्य से आकर एकत्रित हुए और उन्होंने जमकर जश्न मनाया। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं।

    डीएमके का प्रदर्शन अच्छा रहा लेकिन यह अन्य विपक्षी दलों की कीमत पर हुआ। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि जयललिता को विभाजित विपक्ष का लाभ मिला।

    एआईएडीएमके के लिए बुरी खबर चेन्नई से आई है, जहां दिसंबर में आई बाढ़ के बाद से ही लोग सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ दिख रहे थे और नतीजों ने भी उनकी नाराजगी को साबित किया। लेकिन, राजधानी की राधाकृष्णनगर सीट से जयललिता को जीत मिली। उन्होंने डीएमके उम्मीदवार को 39,545 मतों से हराया।

    डीएमके अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री 91 वर्षीय करुणानिधि 13वीं बार थिरुवरुर सीट से चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने 1957 में पहली बार चुनाव लड़ा और उसके बाद उन्हें कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा।

    --आईएएनएस
  • भाजपा-बसपा की काठ की हांडी दोबारा नहीं चढ़ने वाली : सपा
    लखनऊ, 19 मई (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) ने भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के लिए साफतौर पर अपनी भविष्यवाणी कर दी है। पार्टी का कहना है कि उप्र की जागरूक जनता अब यहां भाजपा-बसपा की काठ की हांडी दोबारा नहीं चढ़ने देगी।

    पार्टी ने कहा है कि भाजपा को यह भ्रम हो गया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार उत्तर प्रदेश में बनने वाली है।

    सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बातचीत में कहा कि उत्तर प्रदेश से भाजपा के 73 लोकसभा सांसद निर्वाचित हैं, केंद्र में दर्जनभर मंत्री हैं, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश की समाजवादी सरकार के प्रति सौतेला व्यवहार हो रहा है।

    उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लगातार केंद्र सरकार से किसानों की मदद के लिए राहत पैकेज की मांग की, लेकिन ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश के मारे किसानों को केंद्र की मदद नहीं मिली। प्रदेश सरकार अपने सीमित साधनों से किसानांे की मदद करती रही है।

    चौधरी ने कहा कि बुंदेलखंड में लोग सूखा और पेयजल जलसंकट से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। प्रदेश सरकार उनको खाद्य सामग्री के पैकेट बांट रही है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव स्वयं दो बार वहां जाकर मदद की समीक्षा कर आए हैं। वहीं इन परिस्थितियों में केंद्र सरकार ने पानी के खाली टैकरों वाली ट्रेन भेजकर लोगों के साथ भद्दा मजाक किया है।

    पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा को पता नहीं, कहां से यह भ्रम हो गया कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार उत्तर प्रदेश में बनने वाली है।

    उन्होंने कहा कि भाजपा तो यहां हुए पंचायत चुनावों या उपचुनावों में अपना कोई उल्लेखनीय प्रदर्शन कर नहीं पाई है और तो और प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में भी भाजपा की हालत पतली हो रही है। खुद भाजपा कार्यकर्ताओं में अंसतोष है।

    चौधरी ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने दो साल में देश की जनता को घोर निराशा में पहुंचा दिया है।

    --आईएएनएस
  • बंगाल में ममता की सुनामी में सभी विपक्षी पार्टियां किनारे (राउंडअप)
    कोलकाता, 19 मई (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में सत्ता विरोधी लहर और विपक्ष द्वारा सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर अभियान को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल पार्टी ने प्रदेश में विधानसभा चुनाव में जोरदार जीत दर्ज की, वहीं वाममोर्चा और कांग्रेस को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी है।

    कुल 294 सीटों वाली विधानसभा में तृणमूल ने 211 सीटों पर जीत दर्ज की, जो दो तिहाई बहुमत (196 सीट) से कहीं अधिक है, जबकि साल 2011 में हुए चुनाव में उसे 184 सीटें मिली थीं।

    कांग्रेस ने 44, माकपा ने 26, भाजपा को तीन, फारवर्ड ब्लाक को दो, भाकपा को एक, आरएसपी को तीन, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा को तीन और एक सीट निर्दलीय को हासिल हुई।

    साल 1998 में कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी का गठन करने वाली ममता बनर्जी ने बंगाल की सत्ता में वर्षो से काबिज मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका था। उस वक्त उन्होंने भवानीपुर से न केवल 25 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी, बल्कि सन् 1962 के बाद पहली बार राज्य में किसी दूसरी पार्टी की सरकार बनी।

    पश्चिम बंगाल चुनाव में भारी जीत पर ममता बनर्जी ने कहा कि विपक्षी दलों के झूठ व निंदा पर आधारित अभियान को लोगों ने नकार दिया।

    उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "लोगों ने ऐसे अभियान को पसंद नहीं किया। हमारे खिलाफ हर प्रकार का गठबंधन था। लेकिन लोगों ने आखिरकार अपनी इच्छा जताई।"

    अंतिम परिणाम के मुताबिक, वाम मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन तीन अंकों का आंकड़ा नहीं छू सका। गठबंधन दल केवल 77 सीटों पर निपट गया। सबसे बड़ी बात तो यह है कि प्रदेश में वाम मोर्चा से बेहतर कांग्रेस का प्रदर्शन रहा। उसने 44 सीटें जीतीं, जबकि वाम मोर्चा केवल 32 सीटें ही पा सका। गठबंधन समर्थित एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी जीत दर्ज की।

    वाम मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन की हार का असर मुख्यमंत्री के अनौपचारिक उम्मीदवार सूज्र्य कांत मिश्रा पर भी पड़ा, जो नारायणगढ़ सीट से 13 हजार मतों से चुनाव हार गए। वे साल 1991 से ही जीतते आ रहे थे।

    पार्थ चटर्जी, अमित मित्रा तथा ज्योतिप्रियो मल्लिक सहित तृणमूल के अधिकांश मंत्रियों ने जीत दर्ज की। उपेन विश्वास सहित पांच मंत्रियों को चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा। ये वही उपेन विश्वास हैं, जिन्होंने चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव पर शिकंजा कसा था। उपेन उस वक्त केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी थे।

    हाल में नारद स्टिंग ऑपरेशन के एक वीडियो फुटेज में कथित तौर पर पैसे लेते दिखाए गए तृणमूल के छह में से पांच विधायक जीत दर्ज करने में सफल रहे।

    शारदा चिट फंड कांड में जेल में बंद मदन मित्रा चुनाव हार गए। वे कमरहटी सीट पर माकपा के मानस मुखर्जी से चुनाव हारे।

    कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस ने सभी 11 सीटों पर जीत दर्ज की। इसने दक्षिण 24 परगना, हावड़ा, हुगली, कूच बेहर तथा जलपाईगुड़ी जिलों में विरोधियों को धूल चटा दी।

    गठबंधन के लिए मुर्शिदाबाद व मालदा जिला मुफीद साबित हुआ। मुर्शिदाबाद में गठबंधन ने 18 सीटें जीतीं जबकि तृणमूल को मात्र चार सीटें मिलीं। मालदा जिले में तृणमूल का खाता नहीं खुला, जबकि गठबंधन ने 11 सीट व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक सीट जीती।

    तृणमूल दार्जिलिंग में भी खाता खोलने में नाकामयाब रहा, जहां गठबंधन तथा जीजेएम ने तीन-तीन सीटें जीतीं।

    भाजपा के लिए यह चुनाव मुफीद साबित हुआ। प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने खड़गपुर सदर सीट पर कांग्रेस के ज्ञान सिंह सोहनपाल को हरा दिया। वे सन् 1982 से लगातार जीत दर्ज आ रहे थे।

    --आईएएनएस

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