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अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन में चीनी पर्यटकों की संख्या सर्वाधिक

बीजिंग, 26 दिसम्बर (आईएएनएस/सिन्हुआ)। साल 2015 में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन में चीनी पर्यटकों की संख्या सर्वाधिक रही है।

चीन राष्ट्रीय पर्यटन प्रशासन (सीएनटीए) के मुताबिक, 2015 में लगभग 12 करोड़ चीनी पर्यटकों ने विदेश यात्राएं की, जबकि पिछले साल यह संख्या 10.9 करोड़ थी।

सीएनटीए के आंकड़ों के मुताबिक, सालाना आधार पर इसमें 19.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई और 1998 के स्तर के मुकाबले इसमें लगभग 13 गुनी वृद्धि हुई है।

सीएनटीए के मुताबिक, वीजा नीतियों में अधिक ढील और आय बढ़ने से विदेश जाने वाले चीनी पर्यटकों की संख्या बढ़ी है।

चीन के घरेलू पर्यटन बाजार में 2015 में चार अरब से अधिक विदेशी यात्राएं हुई हैं, जिससे 400 अरब युआन से अधिक (620 अरब डॉलर) का राजस्व प्राप्त हुआ है।

सीएनटीए के मुताबिक, गरीब क्षेत्रों में लोगों को गरीबी से निजात में मदद के लिए अगले साल ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • इस बार आम फलेगा कम, बिकेगा महंगा

    अजीत कुमार शर्मा
    रायपुर, 19 जनवरी (आईएएनएस)। इस वर्ष जनवरी का महीना बीतने को है, लेकिन आम के पेड़ में अब तक बौर नहीं लगे हैं। इस कारण इस वर्ष आम के कम उत्पादन की संभावना है। आम फलेगा कम, तो लाजिमी है, काफी महंगा बिकेगा।

    नर्सरी विशेषज्ञों की मानें तो आम के पेड़ पर फल का उत्पाद सीएन (कार्बोहाइड्रेट और नाइट्रोजन) अनुपात से तय होता है। इस वर्ष 'एन' अनुपात सक्रिय होने से आम उत्पादन की संभावना कम है और 'सी' अनुपात सुसुप्तावस्था में है, ऐसे में पेड़ पर फल व फूल के लिए अनुकूल प्रक्रिया नहीं चल रही है।

    रायपुर के सहायक उद्यानिकी अधिकारी वी.के. गौतम और उद्यान अधीक्षक डी.एस. कुशवाहा ने बताया कि आम के वृक्ष में फलों का लगना और पेड़ का विकास सीएन अनुपात से तय होती है। पिछले वर्ष 'सी' अनुपात सक्रिय होने से आम का उत्पादन अच्छा हुआ था, लेकिन इस वर्ष 'एन' अनुपात सक्रिय है, जिससे पेड़ों पर बौर नहीं दिख रहा है।

    उन्होंने बताया कि कार्बोहाइड्रेट जिस वर्ष सक्रिय होते हैं, उस वर्ष फूल और फल के लिए प्रक्रिया तेजी से होता है। यह प्रक्रिया इस वर्ष पेड़ पर दिखाई नहीं दे रही है। 'सी' अनुपात सुसुप्तावस्था में है, जबकि 'एन' अनुपात सक्रिय है, जिससे पेड़ में वनस्पति विकास तो हो रहा है, लेकिन फूल नहीं फूट रहे हैं। यही वजह है कि इस साल आम के पेड़ों में फल के उत्पादन कम होने की संभावना है।

    छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के बेंद्रानवा गांव में उद्यानिकी विभाग में आम की नर्सरी है। यहां आम के 24 तरह के पेड़ हैं। अधिकांश पेड़ों में इस वर्ष अब तक बौर नहीं लगा है। इस वजह से नर्सरी विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि इस वर्ष आम का उत्पादन कम होगा।

    वहीं आम की नर्सरी लगाने वाले सलीम रोकड़िया, अशोक पवार व इंदल सिंह ने बताया कि इस वर्ष उनके भी आम के पेड़ों में अब तक बौर नहीं लगा है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • केंद्र से सूखाग्रस्त 12 राज्यों में चलीं योजनाओं का ब्योरा तलब
    नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से 12 सूखा प्रभावित राज्यों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए), मनरेगा, मध्याह्न् भोजन योजनाओं पर अमल और वर्षा से संबंधित आंकड़ा पेश करने को कहा।

    न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति आर.के.अग्रवाल की पीठ ने उन मानदंडों के बारे में भी जानकारी मांगी, जिसके तहत किसी क्षेत्र को सूखा प्रभावित घोषित किया जाता है जिसके आधार पर वर्षा का आंकड़ा निर्धारित किया जाता है।

    शीर्ष अदालत ने सूखा प्रभावित 12 राज्यों में लोगों के लिए एक किलो दाल, एक किलो खाद्य तेल, अंडे और दूध की उपलब्धता के बारे में भी जानकारी मांगी।

    अदालत ने सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार से ये सभी आंकड़े मामले की अगली सुनवाई की तारीख, 22 जनवरी को देने के लिए कहा।

    अदालत ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे संबंधित आंकड़े केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को दें।

    शीर्ष अदालत ने ये निर्देश स्वयंसेवी संस्था स्वराज अभियान द्वारा सूखा प्रभावित राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, ओडिशा, झारखंड और हरियाणा के बारे में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।

    रंजीत कुमार ने अदालत को केंद्र द्वारा सूखा प्रभावित लोगों की दशा में सुधार के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा राहत कोष और कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के राज्य आपदा राहत कोष से 1500 करोड़, 2032 करोड़, 3044 करोड़ और 1276 करोड़ की वित्तीय सहायता दी गई है।

    स्वराज अभियान की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत से आग्रह किया कि वह सरकार को निर्देश दे कि सूखा प्रभावित इलाकों के सभी लोगों को राहत उपलब्ध कराई जाए। इसमें यह न देखा जाए कि कौन गरीबी रेखा से नीचे है और कौन ऊपर।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • शिनजियांग 10 हजार से अधिक कपड़ा कामगारों को प्रशिक्षित करेगा
    उरुमकी, 18 जनवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। पश्चिमोत्तर चीन का शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र इस वर्ष 500 प्रबंधन कर्मचारियों और 10-20 हजार कामगारों को कपड़ा और वस्त्र कंपनियों में प्रशिक्षण के लिए भेजेगा।

    प्रशिक्षण के बाद वे शिनजियांग वापस लौट जाएंगे और इस क्षेत्र में कपड़ा तथा वस्त्र उद्योग के विकास में मदद करेंगे, जो चीन में उत्तम गुणवत्ता वाली कपास का प्रमुख उत्पादक है।

    शिनजियांग आर्थिक और सूचना आयोग के मुताबिक, शिनजियांग ने अक्टूबर 2015 से अब तक 300 उद्यमियों और प्रबंधन कर्मचारियों को 21 बड़ी कंपनियों में प्रशिक्षण लेने के लिए भेजा है।

    आयोग ने कहा कि प्रशिक्षुओं का पहला बैच आधुनिक प्रबंधन शैली, उत्पादन प्रक्रिया और विपणन में प्रशिक्षण लेगा। उनका प्रशिक्षण जनवरी के अंत में समाप्त होगा।

    शिनजियांग में चीन के 60 फीसदी कपास का उत्पादन होता है, लेकिन अधिकतर कपड़ा कंपनियां शिनजियांग से दूर पूर्वी तटवर्ती क्षेत्र में स्थित हैं।

    स्टेट काउंसिल ने जून 2015 में रोजगार और निर्यात बढ़ाने के उद्देश्य से शिनजियांग में कपड़ा और वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने का दिशानिर्देश जारी किया था।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • न्यूजीलैंड ने चीन की सराहना की
    वेलिंगटन, 18 जनवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। न्यूजीलैंड के वित्तमंत्री ने सोमवार को एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (एआईआईबी) के गठन में भूमिका के लिए चीन की सराहना की है।

    वित्तमंत्री गैब्रिएल मखलूफ ने कहा कि अवसंरचना का विकास न्यूजीलैंड के हित में हैं। मखलूफ एआईआईबी में न्यूजीलैंड की ओर से निदेशक भी हैं।

    मखलूफ एआईआईबी की पहली बैठक में शामिल होने के लिए चीन गए थे। यहां उनके कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि न्यूजीलैंड आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) का पहला देश है, जिसने बैंक की स्थापना संबंधी वार्ता में शिरकत की थी।

    उन्होंने कहा, "एशिया में बेशुमार आर्थिक संभावना है और एआईआईबी के सहयोग से इस संभावना को साकार करने से न्यूजीलैंड का भी आर्थिक प्रदर्शन बेहतर होगा।"

    एआईआईबी इस क्षेत्र में अवसंरचना की कमी दूर करने में मदद करेगा और दूसरे विकास बैंक भी इसके चुस्त, पारदर्शी और पर्यावरण अनुकूलता के सिद्धांत को अपनाएंगे।

    मखलूफ ने वैश्विक वित्तीय संरचना में एक महत्वपूर्ण कड़ी जोड़ने में भूमिका निभाने के लिए चीन की सराहना की।

    न्यूजीलैंड गत महीने ही एआईआईबी का औपचारिक सदस्य बना है और यह संस्थान का औपचारिक सदस्य बनने वाला नौवां देश है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • ईरानी बैंक सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध सूची से बाहर
    संयुक्त राष्ट्र, 18 जनवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ईरान के बैंक सिपाह और उसकी अंतर्राष्ट्रीय सहायक इकाइयों को प्रतिबंध सूची से हटा दिया है। परिषद ने रविवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी।

    संयुक्त राष्ट्र की शनिवार को जारी घोषणा के बाद यह कदम उठाया गया है। घोषणा में यह पुष्टि की गई थी कि ईरान ने परमाणु मुद्दे के समाधान के लिए कार्ययोजना का कार्यान्वयन शुरू करने के लिए जरूरी तैयारी संबंधी उपाय पूरे कर लिए हैं।

    परिषद ने बयान में कहा कि ईरान और छह देशों -चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका- के बीच हुए समझौते के तहत अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी को ईरान की प्रतिबद्धताओं की निगरानी करने का अधिकार दिया गया है।

    परिषद ने 2007 से ही बैंक सिपाह की संपत्ति पर जब्त कर रखी थी। संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट के मुताबिक, बैंक सिपाह से एरोस्पेस इंडस्ट्रीज ऑर्गनाइजेशन और उसकी सहायक कंपनियों जैसे शाहिद हेम्मत इंडस्ट्रीज ग्रुप और शाहिद बेघारी इंडस्ट्रियल ग्रुप को मदद मिलती है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • ईरान को 1.7 अरब डॉलर का भुगतान करेगा अमेरिका : केरी
    वाशिंगटन, 18 जनवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने रविवार को कहा कि उनका देश ईरान को 1.7 अरब डॉलर का भुगतान करेगा। यह भुगतान दोनों देशों के बीच 35 साल पुराने एक वित्तीय मामले के निपटान के तौर पर किया जाएगा।

    केरी ने एक बयान में कहा कि ईरान ट्रस्ट फंड के तौर पर 40 करोड़ डॉलर हासिल करेगा और करीब 1.3 अरब डॉलर ब्याज के निपटान के तौर पर हासिल करेगा।

    1981 में दोनों देशों के बीच देनदारियों के निपटारा के लिए हेग में ईरान-अमेरिका दावा न्यायाधिकरण स्थापित किया गया था। तेहरान ने अमेरिका पर एक मुकदमा करते हुए हथियारों के लिए किए गए भुगतान को वापस किए जाने की मांग की थी।

    बयान में बताया गया है कि ईरान ने अमेरिका से कूटनीतिक संबंध समाप्त होने से पहले उससे हथियार खरीदने के लिए 40 करोड़ डॉलर के ट्रस्ट फंड का इस्तेमाल किया था।

    केरी ने कहा, "ईरान को भुगतान की जाने वाली राशि एक वाजिब ब्याज दर के आधार पर तय की गई है।"

    केरी ने साथ ही बताया कि न्यायाधिकरण में ईरान के विरुद्ध अमेरिका के सभी दावे बहुत पहले निपटा दिए गए हैं। जिसके तहत ईरान ने अमेरिका को 2.5 अरब डॉलर से अधिक का भुगतान किया है।

    केरी ने बताया कि ईरान के और भी दावे हैं, जिस पर फैसला नहीं हुआ है और अमेरिका इन दावों पर फैसले की प्रक्रिया जारी रखेगा।

    उल्लेखनीय है कि यह भुगतान उन अरबों डॉलर की अमेरिका में फ्रीज किए हुए खातों से अलग है, जिसका उपयोग अब ईरान परमाणु प्रतिबंध की समाप्ति के बाद कर सकता है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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