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शरद पवार लखनऊ में फूंकेंगे चुनावी बिगुल

जितेंद्र त्रिपाठी
लखनऊ, 19 जनवरी (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश में पिछले कई वर्षो से क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का बोलबाला है। इस बीच राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने भी सूबे की सत्ता पर काबिज होने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया, बावजूद इसके सत्ता यह दल सत्ता के करीब नहीं पहुंच सके।

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और वर्तमान में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकारों का शासन देख चुकी यहां की जनता को ईमानदार, जनभावनाओं से जुड़़े, किसान हित एवं विश्वसनीय राजनीतिक दल की तलाश है। ऐसा कहने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार अपने दल को उप्र की सत्ता के लिए बिल्कुल फिट पाते हैं।

अपनी नीतियां स्पष्ट करते हुए पवार ने आईपीएन से कहा, "यदि यूपी की जनता हमें सत्ता की चाभी सौंपती है तो हम महाराष्ट्र मॉडल पर यूपी को भी विकसित करेंगे। महाराष्ट्र में हमारे द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार किसानों, महिलाओं का ध्यान रखते हुए स्थानीय निकायों का विकास करेंगे।"

बकौल पवार, उप्र में काम करने के लिए उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के.के. शर्मा पूरी निष्ठा के साथ काम में जुटे हैं।

शर्मा ने आईपीएन से विशेष बातचीत में कहा, "हमारी पार्टी का संगठन प्रदेश के सभी 75 जिलों में बन चुका है और सभी लोग सक्रिय हैं। पार्टी से जुड़े सभी लोगों के अंदर पवार जी की नीतियों को लेकर काफी उत्साह है, और यही कारण है कि यूपी में विकास करने की हमारी मंशा को हिम्मत मिली है।"

उन्होंने बताया कि अंदरखाने पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पूरी मुस्तैदी के साथ जुटी है। उन्होंने बताया कि उप्र में वर्ष-2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में राकांपा सभी सीटों पर पूरी गर्मजोशी के साथ उतरेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी प्रमुख शरद पवार का उन्हें पूरा सहयोग मिल रहा है।

शर्मा ने बताया, "पांच मार्च को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार लखनऊ में उप्र विधानसभा चुनाव का चुनावी बिगुल फूंकेंगे। लखनऊ में उनका भव्य स्वागत किया जाएगा। इस दौरान प्रदेश भर के पार्टीजनों को पवार संबोधित करेंगे और उन्हें दिशा-निर्देश देंगे।"

बतौर शर्मा, राकांपा जल्द ही पूर्वाचल के बलिया से 7, रेसकोर्स रोड (नई दिल्ली) तक रथयात्रा निकालेगी। यह यात्रा सभी जिलों से होते हुए दिल्ली पहुंचेगी और वहां अपने वायदों को पूरा न करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस्तीफा मांगेगी।

उन्हांेने बताया कि रथयात्रा में करीब तीन महीने लगेंगे। जनहित के मुद्दों को लेकर जल्द ही उनकी पार्टी बसपा प्रमुख मायावती समेत अन्य नेताओं पर हमला बोलेगी।

पवार को वर्तमान में सभी राजनेताओं से अलग और विश्वसनीय नेता मान रहे शर्मा ने कहा, "वह उप्र को महाराष्ट्र मॉडल पर विकसित करना चाहते हैं। जनहित से जुड़े तमाम विषयों को लेकर शरद पवार काम करना चाहते थे, लेकिन उनके उन विषयों को कांग्रेस ने दबा दिया।"

शर्मा ने कहा कि शरद के पास उप्र के विकास का पैमाना काफी सुंदर है और वह जनता के लिए ही शासन करने की मंशा रखते हैं। यही कारण है कि वह राकांपा की नीतियों से प्रभावित होकर उप्र में काम कर रहे हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • भारत अब हर महीने करेगा एक प्रक्षेपण
    फकीर बालाजी
    श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 20 जनवरी (आईएएनएस)। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अंतरिक्ष विज्ञान में अपना दबदबा बढ़ाते हुए बुधवार को कहा कि अब वह हर महीने एक उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा।

    ट्रांसपोंडर्स तथा वैज्ञानिक उपकरणों सहित अपने अंतरिक्ष आधारित परिसंपत्तियों से बढ़ रही जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत हर महीने एक उपग्रह के प्रक्षेपण की तैयारी कर रहा है।

    अमेरिका की जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) जैसी क्षमता हासिल करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए बुधवार को भारत ने अपने पांचवें नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस-1ई का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर दिया।

    भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली भारत तथा इसके आस-पास के 1500 किमी के क्षेत्र में परिशुद्ध वास्तविक-काल स्थिति तथा समय सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए भारत की अपनी क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली है।

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष ए.एस.कृष्ण कुमार ने यहां कहा, "इस साल की शुरुआत हमने पांचवें नौवहन उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ की है, जो एक महत्वपूर्ण सफलता है। क्योंकि इसे सटीक तौर पर इच्छित कक्षा में स्थापित किया गया। मांग पूरी करने के लिए हम हर महीने एक उपग्रह के प्रक्षेपण की तैयारी कर रहे हैं।"

    इसरो फरवरी तथा मार्च में दो और नौवहन उपग्रहों के प्रक्षेपण की तैयारी कर रहा है। जिसके बाद, स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ एक से चार टन के रॉकेट के साथ पृथ्वी अवलोकन, रिमोट सेंसिंग व संचार आधारित अंतरिक्षयान का प्रक्षेपण किया जाएगा।

    पांचवें नौवहन उपग्रह के सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किए जाने के बाद कुमार ने मिशन नियंत्रण केंद्र में वैज्ञानिकों से कहा, "हमें लंबा फासला तय करना है, क्योंकि अगले दो महीनों में हमें नौवहन के सातों उपग्रहों (आईआरएनएसएस) में से बाकी बचे उपग्रहों का प्रक्षेपण करना है, जिसके बाद विभिन्न प्रकार के बहुद्देश्यी उपग्रहों के प्रक्षेपण को लेकर हम अन्य मिशनों पर काम करेंगे।"

    अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि बाद में उपग्रह (आईआरएनएसएस-1ई) को पृथ्वी से 20,655 किलोमीटर की दूरी पर एक अंडाकार कक्षा में भूमध्य रेखा से 19.21 डिग्री के कोण पर स्थापित किया गया है।

    संगठन का मास्टर नियंत्रण केंद्र हासन में है, जो कर्नाटक से लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां अगले दो सप्ताह के दौरान भूसमकालिक कक्षा में स्थापित करने के लिए 1,425 किलोग्राम वजनी उपग्रह के पोजीशन में चार बार परिवर्तन किया जाएगा।

    कुमार ने कहा, "इस प्रक्षेपण के साथ ही हमने यह साबित कर दिखाया है कि पीएसएलवी (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) एक विश्वसनीय रॉकेट है और देश की जरूरतों के लिए यह विभिन्न कार्यो वाले उपग्रहों को अंतरिक्ष तक ले जाने में पूरी तरह सक्षम है।"

    स्ट्रैप-ऑन बुस्टर के साथ पीएसएलवी-सी31का यह 33वां प्रक्षेपण मिशन था, जिसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया। सितंबर 1993 में पहली बार पहले प्रक्षेपण के साथ इसकी सहायता से अब तक 32 सफल परीक्षण किए जा चुके हैं।

    उपग्रह केंद्र के निदेशक एम.अन्नादुरई ने आईएएनएस से कहा, "हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ रहा है। हमने साल 2015 में चार पीएसएलवी तथा एक जीएसएलवी (भू-समकालिक प्रक्षेपण यान) रॉकेट सहित पांच मिशन लॉन्च किए। जुलाई से लेकर अब तक हम चार मिशन लॉन्च कर चुके हैं, जिसमें पहला जुलाई, दूसरा अगस्त (जीएसएलवी), तीसरा सितंबर तथा चौथा दिसंबर में किया गया।"

    स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ अगस्त 2015 में जीएसएलवी, दिसंबर 2014 में जीएसएलवी-मार्क-3 तथा जनवरी 2014 में जीएसएलवी-मार्क-2 के सफल प्रक्षेपण के साथ ही अंतरिक्ष एजेंसी की योजना इस साल अपने सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क-3 के प्रक्षेपण की है, जो पृथ्वी से 36 हजार किलोमीटर दूर चार टन वजनी उपग्रह को अपने साथ ले जाएगा।

    अन्नादुरई ने कहा, "विभिन्न जरूरतों की पूर्ति के लिए देश, देश भर में अन्य उपयोगकर्ताओं तथा विदेशों में विभिन्न उपग्रहों की मांग बढ़ती ही जा रही है। संचार, प्रसारण, नौवहन, पृथ्वी अवलोकन तथा रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन प्रदान करने के अलावा हमें 10-12 साल पुराने अंतरिक्ष यान को भी बदलना है, जिसका जीवनकाल अब खत्म होने को है।"

    एक अनुमान के मुताबिक, अंतरिक्ष एजेंसी अगले पांच से छह वर्षो के दौरान ध्रुवीय व भूसमकालिक कक्षाओं में लगभग 80 उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगी। इसके अलावा इसकी वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स अगले दो वर्षो में लगभग 40 विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगी।

    अंतरिक्ष एजेंसी अगले दो वर्षो में द्वितीय चंद्र मिशन अभियान तथा सौर अवलोकन (आदित्य-1) की भी तैयारी कर रही है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • इतिहास बन गया डोली का अस्तित्व

    घनश्याम भारतीय

    'चलो रे डोली उठाओ कहार..पिया मिलन की ऋतु आई..।' यह गीत जब भी बजता है, कानों में भावपूर्ण मिसरी सी घोल देता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसमें छिपी है किसी बहन या बेटी के उसके परिजनों से जुदा होने की पीड़ा के साथ-साथ नव दाम्पत्य जीवन की शुरुआत की अपार खुशी!

    जुदाई की इसी पीड़ा और मिलन की खुशी के बीच की कभी अहम कड़ी रही 'डोली' आज आधुनिकता की चकाचांैध में विलुप्त सी हो गई है जो अब ढूढ़ने पर भी नहीं मिलती।

    एक समय था, जब यह डोली बादशाहों और उनकी बेगमों या राजाओं और उनकी रानियों के लिए यात्रा का प्रमुख साधन हुआ करती थी। तब जब आज की भांति न चिकनी सड़कें थीं और न ही आधुनिक साधन। तब घोड़े के अलावा डोली प्रमुख साधनों मंे शुमार थी। इसे ढोने वालों को कहार कहा जाता था।

    दो कहार आगे और दो ही कहार पीछे अपने कंधो पर रखकर डोली में बैठने वाले को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाते थे। थक जाने की स्थिति में सहयोगी कहार उनकी मदद भी करते थे। इसके लिए मिलने वाले मेहनताने व इनाम इकराम से कहारांे की जिंदगी की गाड़ी चलती थी। यह डोली आम तौर पर दो और नामों से जानी जाती रही है।

    आम लोग इसे 'डोली' और खास लोग इसे 'पालकी' कहते थे, जबकि विद्वतजनों में इसे 'शिविका' नाम प्राप्त था। राजतंत्र में राजे रजवाड़े व जमींदार इसी पालकी से अपने इलाके के भ्रमण पर निकला करते थे। आगे आगे राजा की डोली और पीछे-पीछे उनके सैनिक व अन्य कर्मी पैदल चला करते थे।

    कालांतर मंे इसी 'डोली' का प्रयोग शादी विवाद के अवसर पर दूल्हा-दूल्हन को ढोने की प्रमुख सवारी के रूप में होने लगा। उस समय आज की भांति न तो अच्छी सड़कें थीं और न ही यातायात के संसाधन। शादी विवाह में सामान ढोने के लिए बैलगाड़ी और दूल्हा-दूल्हन के लिए 'डोली' का चलन था। शेष बाराती पैदल चला करते थे।

    कई-कई गांवों में किसी एक व्यक्ति के पास डोली हुआ करती थी, जो शान की प्रतीक भी थी। शादी विवाह के मौकों पर लोगों को पहले से बुकिंग के आधार पर डोली बगैर किसी शुल्क के मुहैया होती थी। बस ढोने वाले कहारों को ही उनका मेहनताना देना पड़ता था।

    यह 'डोली' कम वजनी लकड़ी के पटरों, पायों और लोहे के कीले के सहारे एक छोटे से कमरे के रूप में बनाई जाती थी। इसके दोनों तरफ के हिस्से खिड़की की तरह खुले होते थे। अंदर आराम के लिए गद्दे बिछाए जाते थे। ऊपर खोखले मजबूत बांस के हत्थे लगाए जाते थे, जिसे कंधों पर रखकर कहार ढोते थे।

    प्रचलित परंपरा और रश्म के अनुसार शादी के लिए बारात निकलने से पूर्व दूल्हे की सगी संबंधी महिलाएं डोल चढ़ाई रश्म के तहत बारी-बारी दूल्हे के साथ डोली में बैठती थी। इसके बदले कहारांे को यथाशक्ति दान देते हुए शादी करने जाते दूल्हे को आशीर्वाद देकर भेजती थी। दूल्हे को लेकर कहार उसकी ससुराल तक जाते थे।

    इस बीच कई जगह रुक-रुक थकान मिटाते और जलपान करते कराते थे। इसी डोली से दूल्हे की परछन रस्म के साथ अन्य रस्में निभाई जाती थी। अगले दिन बरहार के रूप में रुकी बारात जब तीसरे दिन वापस लौटती थी, तब इस डोली में मायके वालों के बिछुड़ने से दुखी होकर रोती हुई दुल्हन बैठती थी और रोते हुए काफी दूर तक चली जाती थी। उसे हंसाने व अपनी थकान मिटाने के लिए कहार तमाम तरह की चुटकी लेते हुए गीत भी गाते चलते थे।

    विदा हुई दुल्हन की डोली जब गांवों से होकर गुजरती थी, तो महिलाएं व बच्चे कौतूहलवश डोली रुकवा देते थे। घूंघट हटवाकर दुल्हन देखने और उसे पानी पिलाकर ही जाने देते थे, जिसमें अपनेपन के साथ मानवता और प्रेम भरी भारतीय संस्कृति के दर्शन होते थे। समाज में एक-दूसरे के लिए अपार प्रेम झलकता था जो अब उसी डोली के साथ समाज से विदा हो चुका है।

    डोली ढोते समय मजाक करते कहारों को राह चलती ग्रामीण महिलाएं जबाव भी खूब देती थीं, जिसे सुनकर रोती दुल्हन हंस देती थी। दुल्हन की डोली जब उसके पीहर पहुंच जाती थी, तब एक रस्म निभाने के लिए कुछ दूर पहले डोली में दुल्हन के साथ दूल्हे को भी बैठा दिया जाता था। फिर उन्हें उतारने की भी रस्म निभाई जाती थी। इस अवसर पर कहारों को फिर पुरस्कार मिलता था।

    यह भी उल्लेखनीय है कि ससुराल से जब यही दूल्हन मायके के लिए विदा होती थी, तब बड़ी डोली के बजाय खटोली (छोटी डोली) का प्रयोग होता था। खटोली के रूप में छोटी चारपाई को रस्सी के सहारे बांस में लटकाकर परदे से ढंक दिया जाता था। दुल्हन उसी मंे बैठाई जाती थी। इसी से दुल्हन मायके जाती थी। ऐसा करके लोग अपनी शान बढ़ाते थे। जिस शादी में डोली नहीं होती थी, उसे बहुत ही हल्के में लिया जाता था।

    तेजी से बदलकर आधुनिक हुए मौजूदा परिवेश में तमाम रीति-रिवाजांे के साथ डोली का चलन भी अब पूरी तरह समाप्त हो गया। करीब तीन दशक से कहीं भी डोली देखने को नहीं मिली है। अत्याधुनिक लक्जरी गाड़ियों के आगे अब जहां एक ओर दूल्हा व दूल्हन डोली में बैठना नहीं चाहते, वहीं अब उसे ढोने वाले कहार भी नहीं मिलते।

    ऐसा शायद इसलिए, क्योंकि अब मानसिक ताकत के आगे शारीरिक तकत हार सी गई है। दिनभर के रास्ते को विज्ञान ने कुछ ही मिनटों में सुलभ कर दिया है। वह भी अत्यधिक आरामदायक ढंग से। ऐसे में डोली से कौन हिचकोले खाना चाहेगा। ..और कौन चंद इनाम व इकराम के लिए दिनभर बोझ से दबकर पसीना बहाते हुए हाफना चाहेगा।

    कभी डोली ढोने का काम करते रहे सत्तर वर्षीय सोहन, साठ वर्षीय राम आसरे, व बासठ वर्षीय मुन्नर तथा साठ वर्षीय बरखू का कहना है कि अच्छा हुआ जो डोली बंद हो गई, वरना आज ढोने वाले ही नहीं मिलते। अब के लोगों को जितनी सुख सुविधाएं मिली हैं, उतने ही वे नाजुक भी हो गए हैं।

    ऐसे में डोली ही नहीं, तमाम अन्य साधनों व परंपराओं का अस्तित्व इतिहास बनना ही है।

  • मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण, विभाग चल रहा 'दीपक' के भरोसे

    संदीप पौराणिक

    मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में निजीकरण की शुरुआत हो गई है, और इसका पहला पड़ाव बना है, आदिवासी बहुल जिला अलिराजपुर। यहां की स्वास्थ्य सेवाओं और खासकर शिशु मृत्युदर तथा मातृ मृत्युदर कम करने के लिए गुजरात के गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'दीपक फाउंडेशन' के साथ स्वास्थ्य विभाग ने करार किया है।

    लेकिन अब इस करार पर ही सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि बीते वर्षो में राज्य की शिशु मृत्युदर और मातृ मृत्युदर में कोई कमी नहीं आ रही है।

    राज्य की सरकार लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होने का दावा किए जाने के साथ अपनी कोशिशों को लेकर पीठ भी थपथपाती रही है, मगर जमीनी हकीकत इससे अलग है।

    कई अस्पतालों में चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी नहीं है। नतीजतन मरीजों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। सरकारी अस्पतालों की बदहाली और लापरवाही केा हाल ही में बड़वानी और श्योपुर की घटनाआंे ने सामने ला दिया है। जहां मोतियाबिंद के ऑपरेशन आंखों को रोशनी पाने की चाहत में 65 लोग अंधेरा लेकर लौटे हैं।

    स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों हालत में सुधार लाने की बजाय निजीकरण की दिशा में बढ़ने लगा है और इसकी शुरुआत हुई है अलिराजपुर से। नवंबर 2015 में राज्य स्वास्थ्य समिति और दीपक फाउंडेशन, बड़ोदरा (गुजरात) के बीच करार हुआ है। इस करार के मुताबिक दीपक फाउंडेशन जिला चिकित्सालय और जोबट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्य करते हुए शिशु व मातृ मृत्युदर में कमी लाने के लिए काम करेगा।

    राज्य स्वास्थ्य समिति और दीपक फाउंडेशन के करार की प्रति आईएएनएस को मिली है, उसके अनुसार फाउंडेशन जिला अस्पताल में निश्चेतन (एनेस्थेटिएस्ट) विशेषज्ञ और जोबट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में निश्चेतन (एनेस्थेटिएस्ट), स्त्रीरोग और बाल रोग विशेषज्ञों की पदस्थापना में सहयोग करेगा।

    वैसे इन चिकित्सकों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन वेतन देता है, मगर तय वेतन से ज्यादा देने की स्थिति में शेष राशि की पूर्ति दीपक फाउंडेशन करेगा। इसके अलावा अल्टा सोनोग्राम (यूएसजी) और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम में भी यह फाउंडेशन जरूरत पड़ने पर आर्थिक मदद करेगा।

    करारनामे के अनुसार, अलिराजपुर के अलावा झाबुआ और बड़वानी में दीपक फाउंडेशन हेल्प डेस्क भी शुरू करेगा। इसके अलावा अलिराजपुर में आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देगा। यह फाउंडेशन ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य, पोषण तथा स्वच्छता समितियों को भी प्रशिक्षण देगा। इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन बजट के मुताबिक, राशि मुहैया कराएगा। यह करार तीन वर्ष के लिए है।

    सरकार और दीपक फाउंडेशन के बीच हुए करार पर ही सवाल उठ रहे हैं। जन स्वास्थ्य अभियान के डॉ. एस.आर. आजाद ने बताया है कि इस करार में सरकार ने उन सभी दिशा निर्देशों की अवहेलना की है, जो किसी गैर सरकारी संगठन के साथ करार करने के लिए आवश्यक है।

    करार से पहले न तो कोई विज्ञापन जारी किया और न ही निविदाएं आमंत्रित की गईं। स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह से शिकायत की तो वे जांच कराने की बात कह रही है।

    जन स्वास्थ्य अभियान के अमूल्य निधि ने बताया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश को भी प्रति वर्ष बजट स्वीकृत होता है, मगर इस करार में विभाग ने 60 प्रतिशत राशि शुरुआत में ही देने पर सहमति जता दी है। इतना ही नहीं किसी अन्य संस्था को अवसर दिए बिना दीपक फाउंडेशन से करार किया।

    आदिवासी क्षेत्र में समाजसेवा कर रही शमारुख मेहरा धारा का कहना है राज्य में आशा कार्यकर्ता को प्रशिक्षण देने वाली संस्था से करार हुआ तो विभाग ने सुरक्षा निधि जमा कराई थी, मगर दीपक फाउंडेशन से सुरक्षा निधि जमा कराना तो दूर इसके उलट उसे साठ फीसदी राशि अग्रिम दी जा रही है। इसके साथ करार में यह भी खुलासा नहीं किया गया है कि फाउंडेशन को कितनी राशि दी जाएगी और फाउंडेशन कितनी राशि खर्च करेगा।

    इस करार में नियमों की अवहेलना और एक खास संस्था के प्रति लगाव को लेकर लगाए गए आरोपों को लेकर स्वास्थ्य विभाग का पक्ष जानने के लिए विभाग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह से संपर्क किया गया, मगर वे उपलब्ध नहीं हुईं।

    सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बीते चार वर्षों के आंकड़ों के आधार पर बताया है कि राज्य की मातृ मृत्युदर 310 प्रति लाख से घटकर 227 प्रति लाख रह गई है और शिशु मृत्युदर 68 से 62 प्रति लाख है।

    वहीं राज्य के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को बेहतर कार्य के लिए वर्ष 2014-15 मंे केंद्र सरकार की ओर से पुरस्कृत किया गया है। ऐसे में शिशु और मातृ मृत्युदर कम करने के लिए किसी संस्था से समझौता करने पर सवाल उठना लाजिमी है।

  • बिहार : पुलिस हिरासत से फरार जद (यू) विधायक के पति गिरफ्तार

    पूर्णिया, 20 जनवरी (आईएएनएस)। बिहार में पूर्णिया जिले के एक पुलिस थाने से फरार जनता दल (युनाइटेड) के विधायक बीमा भारती के पति अवधेश मंडल को पुलिस ने मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया।

    पूर्णिया के पुलिस अधीक्षक निशांत कुमार तिवारी ने बुधवार को बताया कि मंडल को भागलपुर जिले के परबता थाना क्षेत्र में एक मुखिया के घर से गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि मंडल के अलावा तीन अन्य लोगों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

    हत्या के एक मामले में गवाह सोनिया देवी को धमकी देने के आरोप में मंडल को उनके समर्थकों सहित रविवार को गिरफ्तार किया गया था। मंडल की गिरफ्तारी की सूचना के बाद उनके समर्थक मरंगा थाना पहुंच कर हंगामा करने लगे और उसे थाने से छुड़ा कर ले गए थे।

    मंडल को मरंगा थाने से भगाने का आरोप जद (यू) की विधायक बीमा भारती और पूर्णिया सांसद संतोष कुशवाहा पर लगाया गया।

    इस मामले में मरंगा थाना प्रभारी शिवशंकर कुमार को कर्तव्यहीनता के आरोप में निलंबित कर दिया गया।

    उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005 में अकबरपुर में चंचल पासवान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में बीमा भारती, अवधेश मंडल सहित कई अन्य को नामजद आरोपी बनाया गया था। इस हत्या मामले में चंचल पासवान के पुत्र विजय पासवान और सोनिया देवी चश्मदीद गवाह हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • हैदराबाद विश्वविद्यालय मामला दलित बनाम गैर दलित नहीं : स्मृति


    हैदराबाद/नई दिल्ली, 20 जनवरी (आईएएनएस)। हैदराबाद विश्वविद्यालय में दलित शोध छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले में छात्रों का आंदोलन चौथे दिन भी जारी रहा। मामले के तूल पकड़ने के बाद केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि यह दलित बनाम गैर दलित का मुद्दा नहीं है। जबकि, केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने सफाई दी कि उन्होंने रोहित को निलंबित करने के लिए विश्वविद्यालय पर दबाव नहीं डाला था।

    केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा, "इस मुद्दे को जातीयता का रंग देने का कुत्सित प्रयास किया गया है। सच्चाई यह है कि यह जातिगत मुद्दा नहीं है।"

    उन्होंने कहा कि मामले को गलत ढंग से पेश किया जा रहा है।

    ईरानी ने कहा, "मैं रोहित की आत्महत्या से जुड़े तथ्यों को स्पष्ट करना चाहती हूं, जिन्हें गलत ढंग से पेश किया जा रहा है। यह दलित बनाम गैर दलित विवाद का मामला नहीं है।"

    उन्होंने कहा कि मीडिया में इस बात की चर्चाएं हैं कि वेमुला ने उन व्यक्तियों और संगठनों के नाम जाहिर किए हैं, जिन्होंने उसे आत्महत्या के लिए मजबूर किया।

    उन्होंने मीडिया को एक पत्र दिखाते हुए कहा कि राज्य पुलिस को मामले की जांच के दौरान यही एकमात्र पत्र मिला है।

    उन्होंने पत्र में से कुछ पंक्तियां भी पढ़ीं और इसके आधार पर साबित करने का प्रयास किया कि यह ऐसा मामला नहीं है, जैसा पेश किया जा रहा है।

    रोहित के साथ निलंबित हुए अन्य छात्रों का परिसर में आंदोलन जारी है। उन्होंने स्मृति ईरानी के बयान की निंदा की और उन पर तथ्यों से खिलवाड़ का आरोप लगाया।

    छात्र संगठनों के संयुक्त मंच ज्वाइंट एक्शन कमेटी (जेएसी) फार सोशल जस्टिस ने विश्वविद्यालय में प्रदर्शन जारी रखा है। विश्वविद्यालय को बंद कर दिया गया है। छात्रों का कहना है कि कुलपति अप्पा राव के इस्तीफे और रोहित के घरवालों को इंसाफ मिलने के बाद ही कक्षाएं होने दी जाएंगी।

    मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से भेजी गई दो सदस्यीय जांच समिति ने दूसरे दिन भी अपनी जांच जारी रखी।

    इस बीच, केंद्रीय श्रम राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और सिकंदराबाद के सांसद बंडारू दत्तात्रेय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि उन्होंने हैदराबाद विश्वविद्यालय पर छात्र के निलंबन का दबाव नहीं बनाया था।

    उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की ओर से मिले दो ज्ञापनों को मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा था।

    दत्तात्रेय ने रोहित के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं।

    दत्तात्रेय ने एक बयान में कहा, "मैंने संबंधित मंत्रालय में इन दो पत्रों को भेजकर प्रत्यक्ष या परोक्ष किसी भी रूप में इस मामले में हैदराबाद विश्वविद्यालय के फैसले को प्रभावित नहीं किया। मेरी भूमिका केवल पत्र भेजने तक ही सीमित थी। अगर मुझे कोई अन्य छात्र संगठन भी यह आग्रह करता तो मैं उनके पत्र भी खुशी से भेजता।"

    विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न दलों के नेताओं का आना जारी है। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी बुधवार को विश्वविद्यालय पहुंचे और उन्होंने मामले में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से दखल देने की अपील की।

    येचुरी ने परिसर में छात्रों को संबोधित किया। इसके बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि वह इस मामले में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मिलेंगे जो कि विश्वविद्यालय के कुलाध्यक्ष हैं। वह राष्ट्रपति से मामले में दखल देने का आग्रह करेंगे।

    येचुरी ने कहा कि बीते कुछ सालों में हैदराबाद विश्वविद्यालय में 12 दलित छात्र खुदकुशी कर चुके हैं। उन्होंने कहा, "हम राष्ट्रपति से मिलेंगे और उनसे पूछेंगे कि किस आधार पर उन्होंने बीते साल हैदराबाद विश्वविद्यालय को सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय का पुरस्कार दिया था जबकि यहां ये सब हो रहा है।"

    इससे पहले विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए येचुरी ने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों बंडारू दत्तात्रेय और स्मृति ईरानी तथा कुलपति अप्पाराव को हटाया जाए क्योंकि ये तीनों आपराधिक साजिश का हिस्सा हैं।

    येचुरी ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जांच आंख में धूल झोंकने के समान है। इस मामले की निष्पक्ष जांच, या तो सीबीआई या न्यायिक जांच, होनी चाहिए।

    रिपब्लिकन पार्टी नेता रामदास अठावले को परिसर में छात्रों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। छात्रों ने उनसे कहा कि वह पहले भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार से समर्थन वापस लें। पुलिस अठावले को हटाकर ले गई।

    परिसर में बुधवार को छात्रों से मुलाकात करने वालों में वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगनमोहन रेड्डी, तृणमूल कांग्रेस सांसद प्रतिमा मंडल और डेरेक ओ ब्रायन भी शामिल थे।

    एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुरुवार को हैदराबाद जाएंगे और रोहित के घरवालों से मुलाकात करेंगे।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • मप्र : न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन पर संगोष्ठी फरवरी में

    भोपाल, 20 जनवरी (आईएएनएस)। देश के विभिन्न राज्यों में न्यूनतम सरकार एवं अधिकतम शासन के तहत किए गए उत्कृष्ट प्रयासों और नवाचारों पर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दो दिवसीय संगोष्ठी एक और दो फरवरी को आयोजन की गई है। संगोष्ठी में 14 राज्यों के अधिकारी हिस्सा लेंगे।

    आधिकारिक तौर पर बुधवार को दी गई जानकारी में कहा गया है, "भोपाल स्थित नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी में एक और दो फरवरी को आंचलिक संगोष्ठी आयोजित है। संगोष्ठी में 14 राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। यह संगोष्ठी केन्द्र सरकार के प्रशासनिक सुधार, पेंशन एवं जन-शिकायत निवारण विभाग की ओर से आयोजित है।"

    बयान में कहा गया है, "संगोष्ठी की तैयारी अकादमी की महानिदेशक कंचन जैन की देखरेख में चल रही है। संगोष्ठी में न्यूनतम सरकार एवं अधिकतम शासन के तहत विभिन्न राज्यों के उत्कृष्ट प्रयासों तथा नवाचारों से संबंधित प्रयासों का प्रस्तुतिकरण भी होगा।"

    बयान के अनुसार, आंचलिक संगोष्ठी में पूर्व भारत के चार, उत्तर भारत के छह, मध्य भारत और संघ शासित प्रदेश के दो-दो राज्य शामिल होंगे। संगोष्ठी में पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखण्ड, बिहार, जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली और चण्डीगढ़ के अधिकारी शामिल होंगे।

    संगोष्ठी में मध्य प्रदेश के प्रकाशनों और प्रमुख हाथकरघा एवं हस्तशिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी-सह-बिक्री भी होगी। संगोष्ठी में प्रदेश की 15 उत्कृष्ट सेवाओं का प्रदर्शन होगा और उसकी जानकारी भी दी जाएगी।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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