JS NewsPlus - шаблон joomla Продвижение
BREAKING NEWS
गन्ना समर्थन मूल्य 350 से 400 रुपये हो : ओंकार
राजस्थान : स्वाइन फ्लू से 11 मौतें
पाकिस्तान : विश्वविद्यालय पर आतंकवादी हमला, 21 मरे (राउंडअप)
80 सदस्यीय परिवार ने शरीर, अंग दान का संकल्प लिया
सौर परियोजना स्थापना पर सब्सिडी को मंजूरी
पूर्वी चीन में पटाखा फैक्टरी में विस्फोट, 3 मरे
भारत, ब्रिटेन अवसंरचना, वित्तीय क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे
आस्ट्रेलियन ओपन : तीसरे दौर में पहुंचे जोकोविच, सेरेना
लेइको भारतीय बाजार में लेकर आई दो 'सुपरफोन'
हैदराबाद विश्वविद्यालय मामला दलित बनाम गैर दलित नहीं : स्मृति (राउंडअप)

LIVE News

गन्ना समर्थन मूल्य 350 से 400 रुपये हो : ओंकार

राजस्थान : स्वाइन फ्लू से 11 मौतें

पाकिस्तान : विश्वविद्यालय पर आतंकवादी हमला, 21 मरे (राउंडअप)

80 सदस्यीय परिवार ने शरीर, अंग दान का संकल्प लिया

सौर परियोजना स्थापना पर सब्सिडी को मंजूरी

हरी सब्जियों से घटता है मोतियाबिंद का खतरा

न्यूयॉर्क, 17 जनवरी (आईएएनएस)। हरी सब्जियां प्रचुर मात्रा में लेने से प्राथमिक ओपन-एंगल ग्लूकोमा (पीओएजी) यानी मोतियाबिंद का खतरा 20 से 30 प्रतिशत कम हो जाता है।

शोध के मुताबिक, बोस्टन के ब्रिघम एंड वूमेन्स हॉस्पिटल एंड हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के जे एच. कांग और उनके सहकर्मियों ने मुख्यरूप से हरे पत्ते वाली सब्जियों से निकाली गई नाइट्रेट की खुराक और पीओएजी के बीच संबंधों का मूल्यांकन किया।

उन्होंने 35 वर्षो से अधिक अवधि के दौरान 41,094 पुरुषों और 63,893 महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन पर नजर डाली।

इसमें पीओएजी के 1,483 मामलों की पहचान की गई।

शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक नाइट्रेट की खुराक और हरी पत्तेदार सब्जियां भोजन में लेने से पीओएजी का खतरा 20-30 प्रतिशत कम हो जाता है।

पीओएजी ऑप्टिक नर्व के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण होती है और यह धीरे-धीरे बढ़ती है तथा लंबी अवधि में सामने आती है।

यह शोध जामा आप्थैल्मोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

Related items

  • राजस्थान : स्वाइन फ्लू से 11 मौतें
    जयपुर, 20 जनवरी (आईएएनएस)। राजस्थान में एक बार फिर एच1एन1 वायरस (स्वाइन फ्लू) ने लोगों को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है। राज्य में इस साल 19 जनवरी तक स्वाइन फ्लू से करीब 11 लोगों की मौत हो चुकी है और 54 लोगों में इस वायरस की पुष्टि हुई है।

    चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया, "राज्य में 11 लोगों की एच1एन1 वायरस से मृत्यु हो चुकी है और 54 लोग इस वायरस की चपेट में हैं।"

    अधिकारियों के अनुसार, इस वायरस से जयपुर में पांच, बीकानेर में दो, अजमेर में एक, सीकर में एक, झुंझुनू में एक और कोटा में एक व्यक्ति की मौत हुई है।

    साल 2015 में इस वायरस ने राज्य के 6,800 लोगों को अपनी चपेट में लिया था, और इससे करीब 468 लोगों की मौत हुई थी।

    राजस्थान के चिकित्सा और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ वायरस के पीड़ित मरीजों के लिए सभी सरकारी अस्पतालों में अलग वार्ड बनाने का निर्देश दिया है। इसके अलावा अस्पतालों को इस रोग से जुड़ी सभी दवाओं का भंडार रखने के लिए भी कहा है।

    उन्होंने अस्पतालों से कहा है कि वह वेंटिलेटर का इंतजाम दुरुस्त रखें और ओपीडी में प्रत्येक व्यक्ति को तीन स्तरीय मास्क प्रदान करें।

    चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है, "हम स्वाइन फ्लू की चपेट में आने वाले व्यक्तियों के आसपास के 50 घरों का सर्वेक्षण कर रहे हैं।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • 80 सदस्यीय परिवार ने शरीर, अंग दान का संकल्प लिया
    पालघर (महाराष्ट्र), 20 जनवरी (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के विरार के पास अगाशे गांव का एक 80 सदस्यीय संयुक्त परिवार अचानक सुर्खियों में आ गया है। परिवार के हर सदस्य ने स्वेच्छा से अपने शरीर, अंगों और ऊतकों के दान का फैसला किया है।

    इस ईसाई परिवार के मुखिया बपतिस्ता लोपेस (82) हैं। कभी किसानी करते थे। उन्हें स्वयंसेवी संस्था देशमुखी मिशन चलाने वाले बापूसाहेब पाटील-पवार चैरिटेबल ट्रस्ट के मुख्य न्यासी पुरषोत्तम पाटील-पवार की बातों से प्रेरणा मिली। देशमुखी मिशन नेत्रदान और शवदान के लिए जागरूकता फैलाने का काम कर रहा है।

    बपतिस्ता और परिवार के चार अन्य सदस्य अपने पूरे शरीर के दान के बारे में लिख कर दे चुके हैं। बाकी 76 सदस्य शरीर के अंगों और ऊतकों को दान में देंगे।

    बपतिस्ता के बेटे 60 वर्षीय एलविस लोपेस ने कहा, "परिवार के करीब 20 सदस्य या तो कहीं और रहते हैं या काम करते हैं। वे भी यहां आएंगे और अंगदान के संकल्प पत्र पर दस्तखत करेंगे।"

    तटीय कोंकण क्षेत्र के अगाशे गांव में लोपेस परिवार अपनी तरह के अनूठे और बेहद कम पाए जाने वाले संयुक्त परिवार की मिसाल है, जिसमें 100 सदस्य एक साथ शांतिपूर्ण तरीके से एक ही जगह पर रह रहे हैं।

    लोपेस ने आईएएनएस से कहा, "हमने शरीर और अंगदान के फायदों के बारे में पाटील-पवार की सहज और वैज्ञानिक व्याख्याओं को सुना। हम इससे प्रभावित हुए और तय किया कि हमें भी कुछ करना चाहिए। 10 जनवरी को जब मेरे परिवार के अधिकांश सदस्य मौजूद थे, तो लगभग सभी ने प्रेक्षागृह में सहमति में हाथ उठाए थे।"

    पाटील-पवार ने आईएएनएस से कहा, "लोपेस परिवार ने उस मुद्दे पर मुझसे बात रखने को कहा जिसे लेकर हम जागरूकता फैला रहे हैं। यह 10 जनवरी की बात है। परिवार अपने पूर्व मुखिया बास्काओ दिन्या लोपेस की 25वीं पुण्यतिथि मना रहा था।"

    पाटील-पवार की बात सुनने के बाद लोपेस परिवार के 60 सदस्यों ने अपने शरीर के अंगों और ऊतकों को दान देने के फार्म भरे। बपतिस्ता समेत चार ने समूचे शरीर को दान में देने का फार्म भरा।

    अन्य परिजनों में बच्चे शामिल हैं। इनके बारे में परिवार ने तय किया कि बालिग होने पर ये भी फार्म पर दस्तखत करेंगे।

    पाटील-पवार ने कहा कि खुद दान देने का संकल्प लेने वाला यह परिवार अब दूसरों को इसके बारे में बता रहा है और उनसे भी ऐसा करने की अपील कर रहा है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • घर में वायु प्रदूषण नवजात के लिए खतरनाक
    नई दिल्ली, 20 जनवरी (आईएएनएस)। भारत के ग्रामीण इलाकों में नवजात बच्चों के जन्म के समय उनका वजन कम होने का कारण घर के भीतर मौजूद प्रदूषण है। एक नए शोध में इसकी पुष्टि हुई है।

    डॉक्टरों का कहना है कि चूल्हा, लकड़ी, कोयला आदि जलाने से घर में वायु प्रदूषण फैलता है। इससे श्वसन तंत्र से जुड़ी तमाम बीमारियां फैलती हैं जिसकी सबसे अधिक शिकार महिलाएं होती हैं।

    गर्भवती महिलाओं का लगातार वायु प्रदूषण के संपर्क में रहना संतान में मस्तिष्क विकृति, अस्थमा और अनुचित वृद्धि से संबंधित है।

    अपोलो हॉस्पिटल की गाइनोकोलॉजिस्ट बंदिता सिन्हा कहती हैं, "किसी भी महिला के लिए गर्भाधान और प्रसव के बीच का समय सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में महिला का वायु प्रदूषण के संपर्क में रहना संतान की मृत्यु का कारण भी हो सकता है। हालांकि गैस पर खाना बनाने वाली महिलाओं की संतान को भी न्यूमोनिया और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता का सामना करना पड़ता है।"

    अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, हर साल लगभग 5 लाख लोग घर के भीतरी वायु प्रदूषण की वजह से अपनी जान गंवा देते हैं। जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे होते हैं।

    भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का कहना है कि साल 2016-17 के बीच हमारा लक्ष्य ग्रामीण महिलाओं में एलपीजी और स्टोव का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करना है। इस तरह से वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण, विभाग चल रहा 'दीपक' के भरोसे

    संदीप पौराणिक

    मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में निजीकरण की शुरुआत हो गई है, और इसका पहला पड़ाव बना है, आदिवासी बहुल जिला अलिराजपुर। यहां की स्वास्थ्य सेवाओं और खासकर शिशु मृत्युदर तथा मातृ मृत्युदर कम करने के लिए गुजरात के गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'दीपक फाउंडेशन' के साथ स्वास्थ्य विभाग ने करार किया है।

    लेकिन अब इस करार पर ही सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि बीते वर्षो में राज्य की शिशु मृत्युदर और मातृ मृत्युदर में कोई कमी नहीं आ रही है।

    राज्य की सरकार लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होने का दावा किए जाने के साथ अपनी कोशिशों को लेकर पीठ भी थपथपाती रही है, मगर जमीनी हकीकत इससे अलग है।

    कई अस्पतालों में चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी नहीं है। नतीजतन मरीजों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। सरकारी अस्पतालों की बदहाली और लापरवाही केा हाल ही में बड़वानी और श्योपुर की घटनाआंे ने सामने ला दिया है। जहां मोतियाबिंद के ऑपरेशन आंखों को रोशनी पाने की चाहत में 65 लोग अंधेरा लेकर लौटे हैं।

    स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों हालत में सुधार लाने की बजाय निजीकरण की दिशा में बढ़ने लगा है और इसकी शुरुआत हुई है अलिराजपुर से। नवंबर 2015 में राज्य स्वास्थ्य समिति और दीपक फाउंडेशन, बड़ोदरा (गुजरात) के बीच करार हुआ है। इस करार के मुताबिक दीपक फाउंडेशन जिला चिकित्सालय और जोबट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्य करते हुए शिशु व मातृ मृत्युदर में कमी लाने के लिए काम करेगा।

    राज्य स्वास्थ्य समिति और दीपक फाउंडेशन के करार की प्रति आईएएनएस को मिली है, उसके अनुसार फाउंडेशन जिला अस्पताल में निश्चेतन (एनेस्थेटिएस्ट) विशेषज्ञ और जोबट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में निश्चेतन (एनेस्थेटिएस्ट), स्त्रीरोग और बाल रोग विशेषज्ञों की पदस्थापना में सहयोग करेगा।

    वैसे इन चिकित्सकों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन वेतन देता है, मगर तय वेतन से ज्यादा देने की स्थिति में शेष राशि की पूर्ति दीपक फाउंडेशन करेगा। इसके अलावा अल्टा सोनोग्राम (यूएसजी) और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम में भी यह फाउंडेशन जरूरत पड़ने पर आर्थिक मदद करेगा।

    करारनामे के अनुसार, अलिराजपुर के अलावा झाबुआ और बड़वानी में दीपक फाउंडेशन हेल्प डेस्क भी शुरू करेगा। इसके अलावा अलिराजपुर में आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देगा। यह फाउंडेशन ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य, पोषण तथा स्वच्छता समितियों को भी प्रशिक्षण देगा। इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन बजट के मुताबिक, राशि मुहैया कराएगा। यह करार तीन वर्ष के लिए है।

    सरकार और दीपक फाउंडेशन के बीच हुए करार पर ही सवाल उठ रहे हैं। जन स्वास्थ्य अभियान के डॉ. एस.आर. आजाद ने बताया है कि इस करार में सरकार ने उन सभी दिशा निर्देशों की अवहेलना की है, जो किसी गैर सरकारी संगठन के साथ करार करने के लिए आवश्यक है।

    करार से पहले न तो कोई विज्ञापन जारी किया और न ही निविदाएं आमंत्रित की गईं। स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह से शिकायत की तो वे जांच कराने की बात कह रही है।

    जन स्वास्थ्य अभियान के अमूल्य निधि ने बताया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश को भी प्रति वर्ष बजट स्वीकृत होता है, मगर इस करार में विभाग ने 60 प्रतिशत राशि शुरुआत में ही देने पर सहमति जता दी है। इतना ही नहीं किसी अन्य संस्था को अवसर दिए बिना दीपक फाउंडेशन से करार किया।

    आदिवासी क्षेत्र में समाजसेवा कर रही शमारुख मेहरा धारा का कहना है राज्य में आशा कार्यकर्ता को प्रशिक्षण देने वाली संस्था से करार हुआ तो विभाग ने सुरक्षा निधि जमा कराई थी, मगर दीपक फाउंडेशन से सुरक्षा निधि जमा कराना तो दूर इसके उलट उसे साठ फीसदी राशि अग्रिम दी जा रही है। इसके साथ करार में यह भी खुलासा नहीं किया गया है कि फाउंडेशन को कितनी राशि दी जाएगी और फाउंडेशन कितनी राशि खर्च करेगा।

    इस करार में नियमों की अवहेलना और एक खास संस्था के प्रति लगाव को लेकर लगाए गए आरोपों को लेकर स्वास्थ्य विभाग का पक्ष जानने के लिए विभाग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह से संपर्क किया गया, मगर वे उपलब्ध नहीं हुईं।

    सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बीते चार वर्षों के आंकड़ों के आधार पर बताया है कि राज्य की मातृ मृत्युदर 310 प्रति लाख से घटकर 227 प्रति लाख रह गई है और शिशु मृत्युदर 68 से 62 प्रति लाख है।

    वहीं राज्य के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को बेहतर कार्य के लिए वर्ष 2014-15 मंे केंद्र सरकार की ओर से पुरस्कृत किया गया है। ऐसे में शिशु और मातृ मृत्युदर कम करने के लिए किसी संस्था से समझौता करने पर सवाल उठना लाजिमी है।

  • भारत ने 5वें नौवहन उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया

    श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 20 जनवरी (आईएएनएस)। भारत ने बुधवार को श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से अपने पांचवें नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस-1ई का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया।

    प्रक्षेपण ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) से सुबह 9.31 बजे किया गया। यह 2016 का पहला सफल उपग्रह लांच है। इस प्रक्षेपण के साथ भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास अपनी खुद की उपग्रह नौवहन प्रणाली है।

    भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) सात उपग्रहों का एक समूह है, जिनमें से पांच-आईआरएनएसएस1ए, आईआरएनएसएस1बी, आईआरएनएसएस1सी और आईआरएनएसएस-1डी) को कक्षा में प्रक्षेपित किया जा चुका है।

    सुबह करीब 9.31 बजे 44.4 मीटर ऊंचे और 320 टन वजनी पीएसएलवी रॉकेट ने लांच होने के महज 19 मिनट बाद खुद को आईआरएनएसएस-1ई से अलग कर लिया और इसे कक्षा में स्थापित किया।

    वैज्ञानिक इस दौरान हर सेकंड रॉकेट की गति पर टकटकी लगाए दिखे। प्रक्षेपण का गवाह बनने के लिए मीडिया टीमें भी पहुंची हुई थीं।

    भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अधिकारियों ने सुबह में आईएएनएस को बताया कि पहले चार परिक्रमा नौवहन उपग्रहों से मिले संकेतों से आईआरएनएसस की संकल्पना या अवधारणा सफल साबित हुई है।

    अधिकारियों के अनुसार, सात उपग्रहों के लांच को पूरा करने के क्रम में जल्द ही दो और नौवहन उपग्रहों को लांच किया जाएगा। आईआरएनएसस प्रणाली में भूतल पर स्थापित दो उपग्रह भी शामिल हैं।

    इसके लांच की 48 घंटे की उल्टी गिनती सोमवार सुबह 9.31 बजे शुरू हुई थी।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • पाकिस्तान विश्वविद्यालय में हुए आतंकवादी हमले में 5 घायल

    पेशावर, 20 जनवरी (आईएएनएस)। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में स्थित एक विश्वविद्यालय में बुधवार को हुए आतंकवादी हमले में पांच लोग घायल हो गए हैं।

    समाचार पत्र 'डॉन' की रिपोर्ट के अनुसार, खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र के चरसद्दा शहर के बच्चा खां विश्वविद्यालय परिसर के भीतर भारी गोलीबारी हुई। कई लोगों ने विस्फोटों की आवाज भी सुनी।

    सरकारी टेलीविजन चैनल पीटीवी ने एक पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया कि तीन बंदूकधारियों ने विश्वविद्यालय परिसर में घुस कर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी।

    रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा बलों के जवान बड़ी संख्या में घटनास्थल पर पहुंच चुके हैं।

    विश्वविद्यालय परिसर के भीतर फंसी एक महिला ने समाचार-पत्र 'डॉन' के संवाददाता को बताया कि गोलीबारी जारी है। उन्होंने मदद की अपील की।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

खरी बात

सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) होने का स्वांग और भारतीय मीडिया

एन के सिंह अपने को धर्म-निरपेक्ष होने अर्थात बौद्धिक ईमानदारी का ठप्पा लगवाने के लिए ज्यादा मेहनत करने की ज़रुरत नहीं होती. अगर आपके नाम के अंत में सिंह, शुक्ला,...

आधी दुनिया

सावित्रीबाई फुले जिन्होंने भारतीय स्त्रियों को शिक्षा की राह दिखाई

सावित्रीबाई फुले जिन्होंने भारतीय स्त्रियों को शिक्षा की राह दिखाई

उपासना बेहार “.....ज्ञान बिना सब कुछ खो जावे,बुद्धि बिना हम पशु हो जावें, अपना वक्त न करो बर्बाद,जाओ, जाकर शिक्षा पाओ......” सावित्रीबाई फुले की कविता का अंश अगर सावित्रीबाई फुले...