बिहार की लीची इस बार होगी ज्यादा रसीली
मुजफ्फरपुर, 8 मई (आईएएनएस)। लीची के लिए मशहूर बिहार में इस साल न केवल लीची का उत्पादन बढ़ने की संभावना है, बल्कि इस बार लीची ज्यादा रसीली भी होगी।
पिछले एक सप्ताह में बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में हुई बारिश और चल रही पुरवा हवा ने न केवल लीची के फलों में लाली ला दी है, बल्कि उसकी मिठास की उम्मीदों को भी बढ़ा दिया है। लीची के जानकार कहते हैं कि इस वर्ष लीची की पैदावार अच्छी होगी।
राष्ट्रीय लीची शोध संस्थान के निदेशक विशालनाथ ने आईएएनएस को बताया कि राज्य में इस वर्ष लीची की उत्पादन में वृद्धि की संभावना नजर आ रही है। वैसे तो राज्य में शाही, चाइना, लौंगिया, बेखना सहित कई प्रकार की लीची का उत्पादन किया जाता है, लेकिन यहां शाही और चाइना लीची का उत्पादन सर्वाधिक होता है।
वे कहते हैं कि ये दोनों प्रकार की लीची, लीची की सर्वश्रेष्ठ क्वालिटी मानी जाती है। शाही और चाइना लीची में जितना रस होता है वह अन्य लीची में नहीं होता।
विशालनाथ कहते हैं कि इस वर्ष मई में हुई बारिश लीची के लिए काफी फायदेमंद साबित हुई है। बारिश के कारण न केवल लीची के रंग और आकर में वृद्धि हुई, बल्कि लीची के रसों में भी वृद्धि तय है।
उन्होंने कहा, पिछले एक सप्ताह के दौरान तापमान में कमी होने से लीची में लाली आ रही है। कई बागों में लीची अभी भी हरी है, लेकिन आकार और मिठास बेहतर होने की उम्मीद है।
विशालनाथ ने बताया, "लीची पकने में अब 10 से 12 दिन का समय लगेगा। उसका बीज पूरी तरह विकसित हो गया है। पुरवा हवाओं के बीच मिठास धीरे-धीरे आती है।"
राज्य में लीची की उत्पादकता को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) ने वर्ष 2001 में मुजफ्फरपुर में लीची के लिए एक राष्ट्रीय शोध संस्थान (एनआरसी) की स्थापना की। राज्य में वैसे तो कई जिलों में लीची की खेती की जाती है, मगर मुजफ्फरपुर लीची उत्पादन का मुख्य केंद्र है।
लीची के बाग मालिकों का कहना है कि फलों का आकार भी पिछले वर्ष की तुलना में ठीक है। मार्च और अप्रैल में पछुआ हवा चली थी तथा तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। तापमान के अधिक होने के कारण लीची की पैदावार कमजोर होने की आशंका थी, लेकिन पिछले दिनों हुई बारिश से जमीन में नमी आ गई है।
देश में लीची का उत्पादन मुख्य तौर पर बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और हिमाचल प्रदेश में लगभग 76,000 हेक्टेयर भूमि पर होता है। इसके अलावा पंजाब, त्रिपुरा, असम, ओड़िशा और झारखंड में भी इसका उत्पादन होता है, मगर देश के कुल लीची उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी 65 प्रतिशत से ज्यादा है। बिहार में कुल 30,600 हेक्टेयर भूमि में लीची की खेती की जाती है।
निदेशक कहते हैं कि इस वर्ष बिहार में लीची का उत्पादन तीन लाख टन से ज्यादा होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि 20 मई से लीची की तुड़ाई का काम शुरू होने वाला है। वे कहते हैं कि लीची की तुड़ाई का काम बीच जून तक चलेगा।
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक एस़ डी़ पांडेय ने बताया कि पिछले साल दिसंबर से इस वर्ष मई के पिछले सप्ताह तक बारिश नहीं होने से प्रदेश की 15 से 20 प्रतिशत लीची की फसल बर्बाद हो गई।
उन्होंने बताया कि लीची के फल का वजन जो कि आमतौर पर 23 से 25 ग्राम होता है, घटकर 17 से 18 ग्राम हो गया, लेकिन हाल में हुई बारिश से इस फसल को बहुत लाभ पहुंचा है। साथ ही बर्बाद हो रही इस फसल में नई जान आ गई है।
पांडेय ने बताया कि मनसून के पूर्व हुई बारिश ने बिहार की विशिष्ट 'शाही लीची' जो स्वाद में सबसे बेहतर मानी जाती है, की करीब 70 फीसदी फसल को बर्बाद होने से बचा लिया है।
--आईएएनएस
अमेरिका के लोग भी चखेंगे बिहार की लीची
मुजफ्फरपुर, 7 मई (आईएएनएस)। लीची के लिए मशहूर बिहार के मुजफ्फरपुर की लीची का स्वाद अब सात समंदर पार अमेरिका के लोग भी चखेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह की पहल पर बिहार की लीची को अमेरिका भेजने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
राष्ट्रीय शोध संस्थान के निदेशक डॉ. विशालनाथ ने आईएएनएस को बताया, "केंद्रीय कृषि मंत्री की निगरानी में बिहार की लीची के विकास के लिए लगातार पहल चल रही है। एनआरसी, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, कृषि मंत्रालय और कृषि एंव प्रसंस्करण खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) लीची को बाजार देने के लिए एक साथ किसानों और व्यापारियों को प्रात्साहित कर रहे हैं।"
उन्होंने बताया कि बाग से लीची तोड़कर सीधे अमेरिका के बाजार में भेजने की योजना बनाई गई है। विशालनाथ के मुताबिक, इस योजना में पहले प्रशिक्षण और उसके बाद संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। मुजफ्फरपुर से लीची कोलकता के बंदरगाह पहुंचेगा, जहां से यह अमेरिका भेजा जाएगा।
राज्य में लीची की उत्पादकता को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) ने वर्ष 2001 में मुजफ्फरपुर में लीची के लिए एक राष्ट्रीय शोध संस्थान (एनआरसी) की स्थापना की राज्य में वैसे तो कई जिलों में लीची की खेती की जाती है, लेकिन मुजफ्फरपुर लीची उत्पादन का मुख्य केंद्र है।
लीची के किसान रामाशंकर ने कहा कि बिहार की लीची खासकर मुजफ्फरपुर की लीची की अपनी खास पहचान है। देशभर में सर्वाधिक लीची की उपज बिहार में होती है, लेकिन आज तक सही बाजार उपलब्ध कराने के लिए कोई खास पहल नहीं की गई।
उन्होंने कहा कि पहली बार बिहार की लीची को बाजार उपलब्ध कराने की पहल से निर्यात करने के रास्ते भी खुलेंगे।
बिहार में वैसे तो शाही, चाइना, लौंगिया, बेखना सहित कई प्रकार की लीची का उत्पादन किया जाता है, लेकिन मुजफ्फरपुर में शाही और चाइना लीची का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है।
--आईएएनएस
सौर ऊर्जा क्षेत्र में 40 लाख रोजगार पैदा कर सकता है ब्राजील
अगर सरकार सौर ऊर्जा की कच्ची सामग्रियों पर कर कम करे और उन परियोजनाओं तक मजदूरों की पहुंच को आसान बनाए, तो साल 2030 तक अपनी छतों पर सौर पैनल लगाकर ब्राजील के लगभग 88 लाख घर व दुकान अपने लिए ऊर्जा का उत्पादन खुद कर सकते हैं।
ग्रीनपीस अभियान की नेता बारबरा रूदीम ने कहा, "सभी उपायों का अध्ययन किया गया, जो दर्शाता है कि यह हासिल योग्य है और यह नगरपालिका, क्षेत्रीय व संघीय सरकार की जिम्मेदारी पर आधारित है। सार्वजनिक अधिकारियों के हाथ में यह शक्ति है कि आबादी के लिए सौर ऊर्जा प्रणाली को मंजूरी प्रदान करे, जो उनके लिए लाभदायक साबित होगा।"
अध्ययन के मुताबिक, अगर कच्ची सामग्रियों पर करों को कम किया जाता है, तो तत्काल सरकार को भले ही थोड़ा नुकसान होगा, लेकिन दीर्घकालिक तौर पर देखा जाए तो यह रोजगारों का सृजन, आर्थिक विकास करेगा, जिससे स्वाभाविक तौर पर कर में वृद्धि होगी।
--आईएएनएस
सूखे से निपटने के लिए संयुक्त प्रयास की जरूरत : मोदी
महाराष्ट्र के कई इलाकों में सूखा और पानी की समस्या पर राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मोदी ने कहा कि सूखे से निपटने के लिए अधिकारियों को मध्यकालिक और दीर्घकालिक उपायों पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने जोर दिया कि ड्रिप सिंचाई तकनीक का खेती में प्रयोग शुरू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गन्ने की खेती में इस तकनीक के प्रयोग से चीनी की गुणवत्ता बेहतर होती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां जल संचय व भंडारण के आधुनिक और पारंपरिक दोनों तकनीकों को अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा छत्रपति शिवाजी के द्वारा अपनाए गए जल प्रबंधन की तकनीकों से काफी कुछ सीखा जा सकता है।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार महाराष्ट्र के समूचे गन्ना उत्पादन पट्टी को अगले तीन सालों में ड्रिप सिंचाई तकनीक के दायरे में लाने की एक योजना पर काम कर रही है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह प्रदेश के जल जलसंरचनाओं को फिर से जीवंत करने पर काम कर रहे हैं।
--आईएएनएस
अखिलेश ने सूखे पर प्रधानमंत्री से मांगे 10600 करोड़
नई दिल्ली/लखनऊ, 7 मई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी द्वारा केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी के बगैर खाली ट्रेन भेजने का आरोप लगाए जाने के एक दिन बाद उप्र के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पानी संकट पर चर्चा के लिए शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और बुंदेलखंड में सूखे से निपटने के लिए 10600 करोड़ रुपये की मांग रखी।
मुख्यमंत्री यादव ने उनकी सरकार द्वारा किसानों और सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए किए गए कार्यो से प्रधानमंत्री को अवगत कराया। उत्तर प्रदेश के करीब 50 जिले सूखे की चपेट में हैं जो गंभीर जलसंकट से जूझ रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर बताया, "उत्तर प्रदेश के विभिन्न भागों में सूखे की स्थिति पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ प्रधानमंत्री की फलदायक चर्चा हुई। राज्य में सूखे से निपटने के लिए उठाए गए कई कदमों के बारे में बैठक में विस्तृत चर्चा हुई।"
एक अन्य ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा, "जलपुनर्भरन और संरक्षण के लिए मानसून शुरू होने से पहले की अवधि का प्रभावी इस्तेमाल करने के बारे में भी अखिलेश और मैंने चर्चा की। नवीन प्रौद्योगिकी और समुदायिक भागीदारी खास तौर से नारी शक्ति सूखा प्रबंधन में प्रभावी भूमिका निभा सकती है।"
यादव की समाजवादी पार्टी ने गत शुक्रवार को राज्यसभा में बुंदेलखंड में खाली ट्रेन पहुंचने का मुद्दा उठाया था। बाद में सपा के सदस्योंे ने विरोध में सदन से बाहर चले गए थे।
पार्टी ने केंद्र पर सूखे पर राजनीति करने आरोप भी लगाया था।
हालांकि संसदीय कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा था कि केंद्र हर सहायता करने को तैयार है और इस मुद्दे का राजनीतिककरण नहीं होना चाहिए।
बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने कहा था कि केंद्र और राज्य को समन्वय स्थापित करना चाहिए और बुंदेलखंड के लोगों की सहायता करनी चाहिए।
उप्र सरकार की ओर से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड को कैसे राहत दी जाए, इस संबंध में मुख्यमंत्री अखिलेश ने शनिवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री के साथ विचार-विमर्श किया।
अखिलेश ने बुंदेलखंड के सूखे के बारे में प्रधानमंत्री को विस्तार से जानकारी दी साथ ही राज्य सरकार की तरफ से किए जा रहे राहत के प्रयासों की भी जानकारी दी।
उन्होंने पेयजल सहित दूसरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए केंद्र से सहायता मांगी। साथ ही महोबा में जल संकट से निपटने के लिए 10 हजार टैंकर के लिए केंद्र से धनराशि अवमुक्त करने का आग्रह किया।
अखिलेश ने प्रधानमंत्री मोदी को बताया कि 2015 में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को काफी नुकसान हुआ था। इसके बाद सूखे ने उनकी स्थिति और बिगाड़ दी है।
मुख्यमंत्री ने मोदी से कहा कि राज्य सरकार अपनी ओर किसानों की पूरी मदद कर रही है, लेकिन वित्तीय संसाधन सीमित होने के चलते केंद्र से सहयोग और मदद की दरकार है।
उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2015 में 7543.14 करोड़ रुपये की धनराशि मांगी थी, जिसमें 2801.59 करोड़ रुपये राज्य सरकार को मिले थे। उन्होंने किसानों कृषि निवेश अनुदान देने के लिये बाकी 4741.55 करोड़ रुपये स्वीकृत करने का अनुरोध किया।
अखिलेश ने 2015 में पड़े सूखे के लिए मांगी गई 2057.79 करोड़ रुपये की मदद का भी जिक्र किया, जिसमें उप्र को केंद्र से सिर्फ 934.32 करोड़ रुपये मिले थे। उन्होंने किसानों की मदद के लिए बची हुई धनराशि देने की बात भी रखी।
--आईएएनएस
नकारात्मक वैश्विक संकेतों के कारण गिर रहा है शेयर बाजार (साप्ताहिक समीक्षा)
मुंबई, 7 मई (आईएएनएस)। नकारात्मक वैश्विक संकेतों, कंपनियों की चौथी तिमाही में निराशाजनक नतीजों और मुनाफा कमा कर निकलने वाले निवेशकों के कारण भारतीय शेयर बाजार में पिछले हफ्ते गिरावट का दौर रहा।
इसके कारण पिछले हफ्ते भारतीय शेयर बाजार का रुख सपाट से लेकर नकारात्मक रहा, क्योंकि प्रमुख शेयरों में गिरावट देखी गई।
समीक्षाधीन हफ्ते में निफ्टी के प्रमुख 51 शेयरों का सूचकांक 116.35 अंक या 1.48 फीसदी की गिरावट के साथ 7,733.45 अंक पर बंद हुआ।
वहीं, सेंसेक्स के प्रमुख 30 शेयरों का सूचकांक 378.12 अंकों या 1.47 फीसदी गिरावट के साथ 25,228.50 अंक पर बंद हुआ।
बीएसई के सेक्टरों में मेटल सूचकांक में 3.6 फीसदी और आईटी सूचकांकमें 2.7 फीसदी की गिरावट देखी गई।
एंजल ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष और शोध प्रमुख वैभव अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया, "नकारात्मक वैश्विक संकेतों के कारण भारतीय बाजारों में अस्थिरता बनी रही और प्रमुख शेयरों में थोड़ी गिरावट देखी गई है।"
जियोजित बीएनपी पारिबास फाइनेंसियल सर्विसेज के मुख्य बाजार विश्लेषक आनंद जेम्स ने बताया कि पिछले हफ्ते एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों) द्वारा लगातार शेयरों की बिक्री करने के कारण भारतीय बाजार गिरे हैं।
शेयर एक्सचेंज से मिले आंकड़ों के पता चलता है कि एफपीआई ने समीक्षाधीन हफ्ते में 747.60 करोड़ के शेयरों की बिकवाली की है।
नेशनल सिक्युरिटी डिपॉजिटरी लि. (एनएसडीएल) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2 से 6 मई के बीच एफपीआई ने 773.62 करोड़ रुपये या 116.58 करोड़ डॉलर की निकासी की।
वैश्विक बाजारों में एशियाई बाजारों में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की चीन और जापान में मंदी की संभावना की चेतावनी के कारण मंदी देखी गई।
वहीं, अन्य अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में वैश्विक बाजार में कमोडिटी की कीमतें गिरने और आगे इसमें गिरावट जारी रहने के अनुमानों के कारण गिरावट देखी गई।
जेम्स ने बताया, "दुनिया भर से मिले आर्थिक आंकड़ों से यह पता चलता है कि उत्पादन गतिविधियां कमजोर पड़ रही हैं और इसी के कारण इस हफ्ते हर जगह गिरावट का रूख रहा।"
"जापान जहां हफ्ते के दौरान ज्यादातर बंद रहा, वहीं अन्य एशियाई बाजारों जैसे चीन में कारोबार लाल निशान में देखे गए और शुक्रवार को चीन में 3 फीसदी की गिरावट देखी गई।"
जेम्स आगे कहते हैं कि अमेरिका और यूरोपीय बाजारों में कंपनियों के तिमाही नतीजे जारी होने के कारण आगे भी उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहेगा।
इसके अलावा निवेशकों द्वारा मुनाफा निकालने और कंपनियों के चौथी तिमाही के नतीजों के निराशाजनक रहने के कारण भी घरेलू बाजार में निवेशकों की भावनाएं प्रभावित हुई।
इसके अलावा अप्रैल में सेवा क्षेत्र में हल्की कमी का आंकड़ा सामने आने से भी निवेशकों को निराशा हुई है।
इस साल हालांकि अच्छे मॉनसून की भविष्यवाणी और निचले स्तर पर खरीदारी के कारण गिरावट को थामने में सफलता मिली। साथ ही लोकसभा में वित्त विधेयक 2016 को 55 संशोधनों के साथ मंजूरी मिलने से और संसद द्वारा अन्य प्रमुख आर्थिक विधेयकों को हरी झंडी देने के कारण भी निवेशकों को मनोबल मजबूत रहा।
--आईएएनएस
रूसी पर्यटन विभाग को खल रही अंग्रेजी में अकुशलता
मास्को, 7 मई (आईएएनएस)। रूसी पर्यटन प्राधिकरण का मानना है कि भाषा की समुचित जानकारी के अभाव में विशेष रूप से भारत से आने वाले अंग्रेजी भाषी पर्यटकों की संख्या बढ़ाने में परेशानी आ रही है। ऐसे में विभाग ने अपने कस्टम और इमीग्रेशन (आव्रजन) अधिकारियों से अंग्रेजी बोलने की शैली में सुधार लाने को कहा है।
आव्रजन काउंटर पर अक्सर होने वाली देर और अंग्रेजी की जानकारी न होना रूसी अधिकारियों के लिए खतरे की घंटी बनी हुई है, जबकि रूसी पर्यटन विभाग को उम्मीद है कि 2020 तक भारतीय पर्यटकों से करीब 40 अरब डॉलर का व्यापार होगा।
मॉस्को के डोमोडेडोवा हवाईअड्डे पर ट्रेवल एजेंटों के एक दल को करीब तीन घंटे तक रोके रखने की घटना के मद्देनजर पर्यटन विकास के लिए सेंट पीटर्सबर्ग समिति की उपाध्यक्ष रीमा सखुनोवा ने आईएएनएस को बताया कि कस्टम अधिकारियों की अंग्रेजी की जानकारी की कमी से ऐसी घटना घटी है।
उन्होंने कहा, "हमें इसका खेद है कि पर्यटकों को काफी परेशानी हुई है। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि रूसी कस्टम अधिकारियों को अपनी अंग्रेजी में सुधार लानी चाहिए।"
रीमा ने कहा कि हम कस्टम सेवा को अधिकारिक रूप से पत्र लिखेंगे, क्योंकि हमें भारतीय पर्यटन बाजार से काफी उम्मीदें हैं।
पर्यटन विशेषज्ञों को विश्वास है कि रूस पर्यटन के लिए सही मायने में अपने द्वार खोलेगा और यह बेहद जरूरी भी है। हालांकि रूस के लिए यह आसान काम नहीं है, क्योंकि एक ऐसा देश जो हमेशा लोहे की चारदीवारी में बंद रहा हो और अब लोकतंत्र की ओर अग्रसर होते हुए पर्यटन नियमों को सरल बनाने जा रहा है।
भारतीय पर्यटकों को रूस यात्रा में अग्रणी भूमिका निभाने वाली इंडिगो टूर की मरीना सोकोलोव ने कहा कि हमें खुद को बदलने में थोड़ा समय जरूर लगेगा।
मॉस्को पर्यटन कार्यालय से जुड़ी कैटेरीना बोरीसोवा ने आशा जताई कि संघीय सरकार मुख्य पारगमन केंद्रों पर एक पर्यटन कार्यालय स्थापित करने की योजना बना रही है। इससे रूसी कस्टम और आव्रजन काउंटर पर होने वाली अतिरिक्त देर को कम किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा, "हम कस्टम और आव्रजन को और खुला बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इसमें थोड़ा वक्त लग रहा है। आशा है कि जल्द ही हवाईअड्डा, रेलवे स्टेशन के अलावा जहां कहीं भी पर्यटकों की अधिक आवाजाही होगी, वहां पर एक पर्यटन कार्यालय खुल जाएगा।"
सुखोनोवा ने बताया कि शहर की सड़कों और मेट्रो में अंग्रेजी में साइनबोर्ड लगाने का काम चल रहा है।
उन्होंने कहा कि सेंट पीटर्सबर्ग में अंग्रेजी में लिखे और भी साइनबोर्ड लगाए जा रहे हैं। दरअसल, पूरे रूस में एक मात्र सेंट पीटर्सबर्ग ही एक ऐसा शहर है, जहां सभी मेट्रो स्टेशनों पर अंग्रेजी में साइनबोर्ड लगे हैं।
हालांकि भारतीय पर्यटकों की संख्या के विकास में अधिकारियों और जनता में अंग्रेजी की जानकारी की कमी काफी खल रही है। भारतीय रूसी सूचना केंद्र के परेश नवानी का कहना है कि नियमों को यदि ठीक कर दिया जाए, तो भारतीय आसानी से रूस की यात्रा कर सकेंगे।
नवानी का कहना है कि रूसी सरकार पर्यटन को सरल बनाने के लिए अपनी सीमाओं और नीतियों में परिवर्तन कर रही है, जिससे अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में भारतीय पर्यटक आराम से और कम खर्च में रूस की यात्रा कर सकेंगे।
प्रतिवर्ष करीब 50 हजार भारतीय रूस की यात्रा करते हैं, जबकि करीब दो लाख रूसी यात्री भारत में मुख्य रूप से गोवा की यात्रा करते हैं।
--आईएएनएस
चीन का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार दूसरे महीने बढ़ा
केंद्रीय बैंक द्वारा शनिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, चीन का विदेशी मुद्रा भंडार मार्च से 7.1 अरब डॉलर बढ़कर अप्रैल में 3,21,970 करोड़ डॉलर हो गया।
पीपल्स बैंक ऑफ चायना के आंकड़ों के मुताबिक, लगातार दूसरे महीने विदेशी मुद्रा भंडार में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखी गई है। नवंबर से इसमें लगातार गिरावट हो रही है। इसके बाद अब मार्च से बढ़ोतरी हो रही है।
चीन के विदेशी मुद्रा भंडार में अक्टूबर में बढ़ोतरी की रफ्तार थम गई थी और उस वक्त यह 3,52,550 करोड़ डॉलर थी।
केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2016 तक चीन का स्वर्ण भंडार 74.75 अरब हो गया, जबकि मार्च में यह 71.48 अरब डॉलर था।
--आईएएनएस
2015 में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन 3.6 फीसदी बढ़ा
विश्व पर्यटन में 3.6 प्रतिशत की वृद्धि साल 2015 में लगभग 1.2 अरब लोगों द्वारा की गई यात्रा का परिणाम है। इसे मिलाकर अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन से कुल 1,40,000 करोड़ डॉलर का निर्यात हुआ है।
यूएनडब्ल्यूटीओ ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों ने आवास, भोजन, शॉपिंग, मनोरंजन और अन्य सेवाओं पर करीब 1,232 अरब डॉलर खर्च किए, जबकि 'अंतर्राष्ट्रीय अनिवासी यात्री परिवहन सेवाओं' के द्वारा पर्यटन निर्यात में 210 अरब डॉलर का मुनाफा हुआ।
यूएनडब्ल्यूटीओ के महासचिव तालेब रिफाई ने कहा कि इन आंकड़ों ने साबित किया है कि यह क्षेत्र निर्यात की वृद्धि और रोजगार पैदा करने के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर की आर्थिक व्यवस्था को बढ़ावा दे सकता है।
--आईएएनएस
आंध्र बैंक का मुनाफा घटा
बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) को भेजी रपट में कंपनी ने बताया कि 31 मार्च, 2016 को खत्म हुए वित्त वर्ष में कंपनी को 539.84 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ, जबकि 31 मार्च, 2015 को खत्म हुए वित्त वर्ष में कंपनी को कुल 638.44 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था।
बैंक ने बताया कि वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान उसे कुल 19,1999.16 करोड़ रुपये की कुल आय हुई, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2014-15 में उसे 17,868.45 करोड़ रुपये की कुल आय हुई थी।
बैंक के बोर्ड ने साल 2015-16 के लिए 50 पैसे प्रति शेयर लाभांश जारी करने का फैसला किया है।
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