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यौन-उत्पीड़क सुरक्षाकर्मियों को बर्ख़ास्त करो- माकपा

रायपुर: 18 जनवरी/ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने बीजापुर जिले के पेंदागेलुर क्षेत्र में सुरक्षा बलों द्वारा आदिवासी महिलाओं को यौन-हिंसा और उत्पीड़न का शिकार बनाए जाने की तीखी निंदा करते हुए इस घटना की न्यायिक जांच की मांग की है.

आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि यह हिंसा इतनी आक्रामक थी कि न केवल महिलाओं को नग्न करके मारपीट की गई, बल्कि नव-प्रसूताओं को अपना मातृत्व साबित करने के लिए स्तनों से दूध निकालकर भी दिखाना पड़ा है. इस उत्पीड़न के बाद 35 महिला-पुरूषों को भी सुरक्षा बल पकड़कर ले गए हैं, जिनमें से अभी भी तीन पुलिस हिरासत में है. माकपा ने मांग की है कि उन तीन सुरक्षाकर्मियों सहित, जिनकी पहचान प्रताड़ित लोगों ने की है, सभी यौन-उत्पीड़क सुरक्षाकर्मियों को तुरंत बर्ख़ास्त किया जाएं.

पराते ने कहा है कि नक्सलियों से निपटने के नाम पर सरकार निर्दोष आदिवासियों को निशाना बनाना बंद करें. तमाम सरकारी दावों के बावजूद सच्चाई यही है कि सशस्त्र बलों की ताकत के सहारे नक्सलियों से निपटने में सरकार नाकाम रही है. लेकिन इस नीति से पूरे बस्तर में जनतांत्रिक प्रक्रिया कमजोर हुई है और प्रशासन में भी गैर-जनतांत्रिक रूझानों को बढ़ावा मिल रहा है. इस नीति का नतीजा यही हुआ है कि निर्दोष आदिवासी न केवल नक्सलियों के, बल्कि प्रशासन की हिंसा के भी निशाने पर है.

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    प्रदेश के किसानो की भयानक दुर्दशा, सूखा और प्राकृतिक आपदा के समय उनके साथ 30 और 35 रुपयों के मुआवजे के मखौल को सामने रखते हुए वक्ताओं ने सवाल किया कि कारपोरेट को लाखों करोड़ रुपयों की सौगात लुटाने वाली सरकारों के पास किसानो तथा जनता को राहत देने के नाम पर खजाने में पैसा क्यों नहीं रहता।

    डब्लू टी ओ में जारी मोदी सरकार के बारम्बार समर्पण की भी सभा में निंदा की गयी ।

    इस खुले सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित किया गया । जिसे किसान नेता कुञ्ज बिहारी पटेल ने रखा तथा एडवोकेट सुश्री आराधना भार्गव ने अनुमोदित किया ।

    सम्मेलन ने अपनी लड़ाई को देशव्यापी संघर्ष का हिस्सा बताया और 24 फरवरी को दिल्ली में होने वाली विराट रैली में बढ़चढ़कर भाग लेने की घोषणा की ।

    सभा सम्मेलन को श्री चन्द जैन दिल्ली, अफसर जाफरी फोकस, शाहिद कमाल बिहार, रवींद्र सिंह उप्र, राघवेंद्र कुमार बलिया, भारत शर्मा देशबन्धु दिल्ली, तौसीफ सब्जवारी माकपा छिंदवाड़ा, महेश सोनी सचिव माकपा छिंदवाड़ा, अशोक कुमार भारती कार्य. अध्यक्ष लालझण्डा कोल माइंस मजदूर युनियन (सीटू), टी आर आठ्या इन्साफ, राजेश तामेश्वरी विदिशा, प्रो सत्तर बीड महाराष्ट्र, रोशन लाल अग्रवाल नयी दिल्ली , रामाश्रय याफव वाराणसी, राजेश बैरागी झाबुआ, रामबाबू अग्रवाल इंदौर, रामस्वरूप मंत्री इंदौर, रामेश्वर गुप्ता रीवा, पी एस जी जनता दल सेक्यूलर, श्री गोपाल गांगुदा, पिपरिया, बाबा मायाराम, अन्ना साहब खंडारे औरंगाबाद, जगदीश दौंडके मुलताई बैतूल, दीपक चौधरी कोयला श्रमिक सभा, अविक कोलकता, रजनी कान्त मुद्गल सोशलिस्ट फ्रंट, आरती पाण्डेय भोपाल, रणधीर सिंह राजपूत इत्यादि ने प्रस्ताव के समर्थन में विचार रखे ।

  • व्यापमं घोटाला: सीबीआई ने निराश किया- सुभाषिणी अली

    भोपाल: 10 जनवरी/ व्यापमं घोटाले की जांच में सीबीआई ने निराश किया है। जनता का विश्वास टूटा है। इतने बड़े महाघोटाले के दोषियों को कभी कोई सजा मिल भी सकेगी, इसकी आशा कमजोर हुई है। यह बात मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की पोलित ब्यूरो सदस्या पूर्व सांसद श्रीमति सुभाषिणी अली ने कहीं।

    आज माकपा के राज्य सचिव मंडल की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सीबीआई के हाथ में जांच पहुंचने के बाद अब तक कोई नयी पहल नहीं हुई है। पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत  शर्मा सहित मुख्य अभियुक्तों की धड़ाधड़ जमानतों पर रिहाई और भाजपा व आरएसएस द्वारा उनका भव्य स्वागत सत्कार किए जाने ने आगे आने वाले दिनों के स्पष्ट संकेत दे दिए है।

    उन्होंने कहा कि घोटालों को उजागर करने वाले व्हिसल ब्लोअर्स की हिफाजत के बारे में भी काफी चिंताजनक खबरे है। उन्हें आश्वस्तिजनक सुरक्षा प्रदान करने में सरकार पूरी तरह विफल रही है।

    सुभाषिणी ने बताया कि श्यामला हिल से लेकर राजभवन तक सुरक्षित स्थानों पर बैठे जाहिर उजागर मुजरिमों पर तो कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। छुटभैये संभावितों के लिए सम्मन जारी करके दिखावा ज्यादा किया जा रहा है। इस संबंध में उन्होंने कानपुर के अस्पताल के सामने चाय का ठेला लगाने वाले एक व्यक्ति का उदाहरण दिया, जिसे व्यापमं जांच में हाजिर होने का नोटिस सीबीआई द्वारा जारी कर दिया गया है।

    उन्होंने सीबीआई से अनुरोध किया कि वह अपनी साख एवं प्रामाणिकता बचाये रखने के लिए निष्पक्षता से जांच करें।

    माकपा की बैठक में इस सहित अनेक मुद्दों पर आंदोलनात्मक कार्यवाहियों की योजना पर विचार जारी है।

  • पठानकोट की विफलता को स्वीकार करे सरकार : माकपा


    नई दिल्ली, 7 जनवरी (आईएएनएस)। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा है कि सरकार को पठानकोट वायुसेना अड्डे पर आतंकी हमले का जवाब देने में हुई विफलताओं को स्वीकार करना चाहिए और मामले की 'यथोचित जांच' करानी चाहिए।

    माकपा ने साथ ही सरकार से आग्रह किया है कि सरकार को पाकिस्तान के साथ अपनी प्रस्तावित वार्ता पर टिके रहना चाहिए। पार्टी ने कहा कि इसके उलट कोई भी कार्रवाई 'केवल देश के रणनीतिक विकल्पों को ही संकुचित करेगी।'

    माकपा के मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी के संपादकीय में लिखा गया है, "मोदी सरकार को यह मानना ही चाहिए कि विफलताएं हुई हैं जिन्होंने कई परेशान करने वाले सवाल खड़े किए हैं। सरकार को इसे प्रतिष्ठा से नहीं जोड़ना चाहिए। कमियों को स्वीकार करना चाहिए और यथोचित जांच करानी चाहिए ताकि आगे से ऐसी गलतियां न हों।"

    संपादकीय में लिखा गया है कि जिस बात की तुरंत जरूरत है वह आतंकी कार्रवाई को दिए गए अव्यवस्थित और अस्थिर जवाब की समीक्षा है।

    यह बताते हुए कि कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों ने पठानकोट की घटना को असफलता बताया है, संपादकीय में लिखा गया है, "पूरे आपरेशन से कई सवाल खड़े हुए हैं।"

    संपादकीय में पूछा गया है कि हमले की पर्याप्त चेतावनी मिलने के बावजूद आतंकी वायुसेना अड्डे में घुसने में कैसे कामयाब हो गए। इसमें पूछा गया है कि सेना को तलाशी अभियान के लिए क्यों नहीं बुलाया गया जबकि पठानकोट में ही एक बड़ा सैन्य अड्डा मौजूद है।

    संपादकीय में कहा गया है कि अड्डे की परिधि की रक्षा की जिम्मेदारी सेना से अवकाश प्राप्त डिफेन्स सिक्योरिटी कार्प्स के जवानों पर छोड़ दी गई। सबसे ज्यादा मौतें इन्हीं की हुईं।

    संपादकीय में कहा गया है, "ऐसा लगता है कि विभिन्न एजेंसियों और सुरक्षा बलों में तालमेल नहीं था। गृह मंत्री ने पहले ही दिन आपरेशन को सफल बताते हुए इसके खत्म होने का ऐलान कर दिया और फिर उन्हें अपने इस ट्वीट को हटाना पड़ा। यही बताता है कि आपरेशन को कितने अकुशल तरीके से अंजाम दिया गया। "

    माकपा ने कहा है कि मोदी सरकार पाकिस्तान से बात जारी रखे और चरमपंथी-जेहादी समूहों को अपना मनचाहा न करने दे। इसमें कहा गया है कि पठानकोट के मामले ने वार्ता में आतंकवाद के मुद्दे को उठाने पर सरकार का हाथ मजबूत ही किया है।

    संपादकीय में लिखा गया है कि इस हमले से साबित हुआ है कि पाकिस्तानी राज्य जेहादी समूहों से निपटने में लगातार नाकाम रहा है और इन समूहों को वहां के खुफिया और सुरक्षा प्रतिष्ठानों का संरक्षण भी मिला हुआ है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • अंतागढ़ फिक्सिंग प्रकरण की सीबीआई जांच कराये सरकार - माकपा

    रायपुर: 4 जनवरी/ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अंतागढ़ जांच प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा है कि इस प्रकरण से कांग्रेस-भाजपा दोनों बुर्जुआ पार्टियों का यह दावा तार-तार हो गया है कि वे जनतंत्र में यकीन करती है. वास्तव में उन्हें जनतंत्र से ज्यादा धनतंत्र पर ही यकीन है और पूरे प्रदेश में चुनाव प्रक्रिया दोनों पार्टियों के बीच महज नूरा-कुश्ती बनकर रह गई है.

    आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि अंतागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार तथा अन्य निर्दलीयों द्वारा नाम वापसी के साथ ही लेन-देन के आरोप लगे थे, लेकिन चुनाव आयोग ने इसकी जांच करवाना उचित नहीं समझा. टेप धमाका सामने आने के बाद इन आरोपों की विश्वसनीयता को ही बल मिला है. पार्टी ने कहा है कि रमन-जोगी का पूरा इतिहास जहां राजनैतिक खरीद-फरोख्त का रहा है, वहीँ कांग्रेस उम्मीदवार पवार का इतिहास भी हमेशा बिकने के लिए तैयार नेता का रहा है. पार्टी ने कहा है कि इस प्रकरण से साफ़ है कि किस तरह पूरे प्रदेश में जनतंत्र का मखौल उड़ाने में दोनों पार्टियों की मिलीभगत है.  

    पराते ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग राज्य सरकार के मातहत अंग की तरह कार्य कर रहा है. इससे चुनाव आयोग की साख को ही धक्का लगा है. उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव के जांच के निष्कर्ष सबको पहले से मालूम है.

    माकपा ने पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जांच की मांग की है तथा चुनाव आयोग से मांग की है कि पैसों के बल पर जनतांत्रिक प्रक्रिया के हनन के अपराध में मंतूराम  पवार व भोजलाल नाग दोनों पर चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाएं.

  • बर्धन के निधन पर माकपा ने शोक जताया

    नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने रविवार को भाकपा नेता ए.बी. बर्धन के निधन पर गहरा दुख जताया और उन्हें कम्युनिस्ट और भारत के श्रमिक आंदोलन का एक दिग्गज नेता करार दिया।

    माकपा ने एक बयान जारी कर कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के रूप में बर्धन ने वामपंथी एकता बनाने में काफी मदद की।

    बयान में कहा गया है, "उन्होंने माकपा के साथ संबंधों को मजबूत करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई। बर्धन का जीवन और कार्य एक समर्पित कम्युनिस्ट नेता की तरह था। उनके निधन से भाकपा और वामपंथी आन्दोलन ने एक अमूल्य नेता खो दिया है।"

    बर्धन यहां स्थित भाकपा कार्यालय में ही रहते थे और यहीं शनिवार को उनका निधन हो गया।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

खरी बात

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