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उप्र विधानसभा चुनाव के लिए शरद-नीतीश सक्रिय


जितेंद्र त्रिपाठी
लखनऊ, 5 जनवरी (आईएएनएस/आईपीएन)। बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल-युनाइटेड (जदयू) महागठबंधन को मिली सफलता के बाद पार्टी अब उत्तर प्रदेश में धाक जमाने के लिए काफी उत्साहित है। मिशन-2017 पार्टी के राष्ट्रीय एजेंडे में है और अंदरखाने जबरदस्त तैयारी चल रही है।

खास बात यह कि उप्र चुनाव की तैयारियों में बतौर पार्टी प्रदेश नेतृत्व नीतीश कुमार और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने काम भी शुरू कर दिया है। जदयू का दावा है कि उप्र के विधानसभा चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि का पार्टी को पूरा लाभ मिलेगा।

मगर विडंबना यह है कि उप्र के सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव को बिहार चुनाव में अपना मुखिया बनाने और फिर उससे अलग होने के बाद जदयू यूपी में किस तरह सपा के ही सामने बतौर प्रतिद्वंदी खड़ा होगा।

इन सब चिंताओं से कोसों दूर जदयू ने चुनाव की अपनी तैयारियों के लिए अहम रणनीतियां बनाई हैं। पार्टी ने यह तय किया है कि वह यूपी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके ही जनता के सामने चुनावी मैदान में जाएगी।

इसके अलावा एक अहम बात यह भी है कि पार्टी ने मूल जनता दल के सदस्यांे को सक्रिय करना भी शुरू कर दिया है। पार्टी ने आइपीएन से अपने चुनावी मुद्दांे, गठबंधन की रणनीति समेत तमाम अहम बातें साझा की हैं।

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश निरंजन भइया ने आईपीएन से विशेष बातचीत में कहा, "वर्ष-2017 के यूपी विधान सभा चुनाव जदयू मजबूती के साथ लड़ेगी। बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने यूपी को समय देने का पूर्ण आश्वासन दिया है। हम चाहते हैं कि बिहार जीत के बाद उप्र प्रथम आगमन पर पहले नितीश जी का भव्य स्वागत करें।"

उन्होंने बताया कि नीतीश और शरद यादव ने कहा है कि पार्टी के लोगों को जागरूक और उन्हें सक्रिय किया जाए। उनका हौसला बढ़ाते हुए पार्टी नेतृत्व का संदेश सभी तक पहुंचाया जाए। गठबंधन के लिए पार्टी ने नीतीश और शरद को अधिकृत किया है।

उन्होंने बताया कि पार्टी यूपी चुनाव में कांग्रेस, रालोद और बसपा के साथ चुनावी गठबंधन करने के प्रयास में है।

क्या सपा से भी गठबंधन हो सकता है? इस सवाल पर भइया ने कहा कि जदयू कोई ऐसी पहल नहीं करेगा। यदि सपा गठबंधन का प्रस्ताव लाती है तो पार्टी उस पर विचार करेगी।

सुरेश निरंजन ने कहा, 'नीतीश जी के उप्र आगमन से यहां हमारे पक्ष में माहौल बनना शुरू हो जाएगा। शरद जी ने यूपी विधानसभा चुनाव को अपने राष्ट्रीय एजेंडे में रखा है।"

जदयू प्रदेश अध्यक्ष संगठन की मजबूती के बारे में बताया, "प्रदेश के 65 जिलों में उनका संगठन का गठन हो गया है, लेकिन अभी सिर्फ 30 जिलों में ही सक्रिय है।"

उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड, पूर्वाचल और पश्चिमी क्षेत्र समेत पूरे सूबे में मूल जनता दल के लोग जदयू से जुड़े हैं। हम उनमें जोश भरेंगे और अपनी पुरानी स्थिति में लौटेंगे।"

चुनावी मुद्दों के बारे में भइया ने कहा, "प्रदेश में खनन के तहत नदियों, पहाड़ों समेत प्राकृतिक संसाधनों को जबरदस्त तरीके से लूटा जा रहा है। किसान वर्ष घोषित करने के बाद भी अखिलेश सरकार में किसानों को पानी, बिजली पर्याप्त उपलब्ध नहीं हो पा रही है। कानून-व्यवस्था का तो बहुत बुरा हाल है।

उन्होंने कहा कि जनता का भरोसा रखते हुए जनता का शासन होगा। लेखपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी जनता के प्रति गंभीर और जिम्मेदार होंगे। जदयू की प्राथमिकताओं में सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य होगा। महिलाओं की सुरक्षा और उनकी भागेदारी बढ़ाई जाएगी। युवाओं को वरीयता दी जाएगी। जितने में काम चलेगा, उतनी बिजली मुहैया कराई जाएगी।

सुरेश निरंजन ने कहा, "जदयू मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके ही विधानसभा का चुनाव लड़ेगा। जदयू का मुख्यमंत्री उम्मीदवार पिछड़ी या दलित या मुस्लिम समुदाय से ही होगा।"

गौरतलब है कि पिछले महीने जदयू ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यूपी विधानसभा चुनाव के लिए अहम रणनीति बनाई है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • इस बार आम फलेगा कम, बिकेगा महंगा

    अजीत कुमार शर्मा
    रायपुर, 19 जनवरी (आईएएनएस)। इस वर्ष जनवरी का महीना बीतने को है, लेकिन आम के पेड़ में अब तक बौर नहीं लगे हैं। इस कारण इस वर्ष आम के कम उत्पादन की संभावना है। आम फलेगा कम, तो लाजिमी है, काफी महंगा बिकेगा।

    नर्सरी विशेषज्ञों की मानें तो आम के पेड़ पर फल का उत्पाद सीएन (कार्बोहाइड्रेट और नाइट्रोजन) अनुपात से तय होता है। इस वर्ष 'एन' अनुपात सक्रिय होने से आम उत्पादन की संभावना कम है और 'सी' अनुपात सुसुप्तावस्था में है, ऐसे में पेड़ पर फल व फूल के लिए अनुकूल प्रक्रिया नहीं चल रही है।

    रायपुर के सहायक उद्यानिकी अधिकारी वी.के. गौतम और उद्यान अधीक्षक डी.एस. कुशवाहा ने बताया कि आम के वृक्ष में फलों का लगना और पेड़ का विकास सीएन अनुपात से तय होती है। पिछले वर्ष 'सी' अनुपात सक्रिय होने से आम का उत्पादन अच्छा हुआ था, लेकिन इस वर्ष 'एन' अनुपात सक्रिय है, जिससे पेड़ों पर बौर नहीं दिख रहा है।

    उन्होंने बताया कि कार्बोहाइड्रेट जिस वर्ष सक्रिय होते हैं, उस वर्ष फूल और फल के लिए प्रक्रिया तेजी से होता है। यह प्रक्रिया इस वर्ष पेड़ पर दिखाई नहीं दे रही है। 'सी' अनुपात सुसुप्तावस्था में है, जबकि 'एन' अनुपात सक्रिय है, जिससे पेड़ में वनस्पति विकास तो हो रहा है, लेकिन फूल नहीं फूट रहे हैं। यही वजह है कि इस साल आम के पेड़ों में फल के उत्पादन कम होने की संभावना है।

    छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के बेंद्रानवा गांव में उद्यानिकी विभाग में आम की नर्सरी है। यहां आम के 24 तरह के पेड़ हैं। अधिकांश पेड़ों में इस वर्ष अब तक बौर नहीं लगा है। इस वजह से नर्सरी विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि इस वर्ष आम का उत्पादन कम होगा।

    वहीं आम की नर्सरी लगाने वाले सलीम रोकड़िया, अशोक पवार व इंदल सिंह ने बताया कि इस वर्ष उनके भी आम के पेड़ों में अब तक बौर नहीं लगा है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • मणिपुर के अस्पतालों में पहुंचते हैं म्यांमार के भी मरीज
    इबोयैमा लैथंगबम
    इंफाल, 19 जनवरी (आईएएनएस)। मणिपुर के सीमावर्ती जिलों चंदेल, चूड़ाचंद्रपुर और उखरुल के अस्पतालों में सुधार का फायदा न सिर्फ उत्तरपूर्वी भारत के निवासियों को मिल रहा है, बल्कि सीमावर्ती म्यांमार के निवासी भी इसका लाभ उठा रहे हैं।

    मणिपुर के स्वास्थ्य विभाग के निदेशक ओकरम इबोमचा सीमावर्ती अस्पतालों की हालत सुधारने और वहां डॉक्टर और अन्य सहायक कर्मियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।

    चूड़ाचंद्रपुर जिले में पारबंग सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में तीन जूनियर डॉक्टरों की तैनाती की गई है।

    जब आईएएनएस संवाददाता ने इस उपेक्षित सीमावर्ती गांव का दौरा किया तो वहां केवल एक डॉक्टर ही मिला। उसका कहना था कि यहां के स्वस्थ पहाड़ी आदिवासियों को इलाज की जरूरत काफी कम पड़ती है। इसलिए यहां हर 15 दिन के लिए बारी-बारी से डॉक्टर आते हैं।

    सीमावर्ती ख्वाथा गांव के लिए गर्व करने लायक बात यह है कि यहां के सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में कुछ दिन पहले मोमबत्ती के उजाले में एक महिला का सफल प्रसव कराया गया। वहीं, उखरुल जिले के दूसरे सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में भी सामान्य ढंग से कामकाज शुरू हो चुका है।

    पहले इन इलाकों में रहने वाले आदिवासी असम राइफल्स के मिलिट्री अस्पतालों के भरोसे थे। उखरुल जिले के पोई गांव में अस्पताल न होने के कारण ग्रामीणों को असम राइफल्स के छोटे से अस्पताल की मदद लेनी पड़ती थी।

    असम राइफल्स समय-समय पर इस क्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में मेडिकल कैंप लगाकर सांप काटने के शिकार लोगों की जान बचाने का प्रेस विज्ञप्ति जारी करती रहती है।

    मणिपुर के परिवार कल्याण विभाग के निदेशक के. राव बताते हैं, "हमने रविवार के पोलियो कार्यक्रम में 3.50 लाख बच्चों को पोलियो डॉप पिलाने की योजना बनाई है। इसके लिए दूरदराज के पहाड़ी गांवों में दोपहिया वाहनों से चिकित्साकर्मियों को भेजा गया है।"

    उनका कहना है कि ये स्वास्थ्यकर्मी बस स्टैंड या बाजार में अपना कैंप लगाते हैं जहां बड़ी संख्या में पड़ोसी देश म्यांमार के लोग भी अपने बच्चों को लेकर आते हैं।

    वहीं, इबोमचा सीमावर्ती ग्रामीण अस्पतालों में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की मौजूदगी सुनिश्चित करने में जुटे हैं। उनका कहना है कि वहां डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए क्वार्टर नहीं है, इसलिए उन्हें अस्पताल के कमरों में ही रहना पड़ता है। इसके अलावा वहां पानी-बिजली के अलावा अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव भी एक समस्या है। साफ पानी की कमी के कारण वहां पहाड़ी नदी के पानी का प्रयोग करना पड़ता है जो खतरनाक है।

    डॉक्टरों का कहना है कि गंभीर रूप से घायल मरीजों को जिला मुख्यालय या इंफाल के बड़े अस्पतालों में इलाज के लिए भेजा जाता है। लेकिन मरीजों को वहां ले जाने के लिए बस या एंबुलेस की सुविधा नहीं है। इसलिए तीमारदार किसी ट्रक या ट्रॉली में लादकर मरीजों को वहां तक पहुंचाते हैं।

    ऐसी जानकारी भी मिली है कि ज्यादातर डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी दूरदराज के गांवों में जाना नहीं चाहते हैं। डॉक्टर खुद इंफाल या उसके आसपास स्थित अपने घरों पर रहते हैं और उनकी जगह फार्मासिस्ट और नर्सो के भरोसे स्वास्थ्य केंद्र चलता है।

    यही कारण है कि म्यांमार के एक विस्थापित डॉक्टर विन ओ ने मोरेह बाजार में अपना एक चार बिस्तरों वाला निजी अस्पताल खोला है, जहां म्यांमार के ग्रामीणों का इलाज किया जाता है। विन ओ लोकतंत्र समर्थक हैं और 1988 में पलायन कर मणिपुर आ गए थे।

    मोरेह में तैनात एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि पुलिस अब म्यांमार के नागरिकों को यहां के अस्पतालों में इलाज कराने के लिए आने से नहीं रोकती। हालांकि बहुत पहले उन्हें रोका जाता था और कुछ को तो गिरफ्तार भी किया गया था।

    लेकिन सरकार की 'पूर्व की ओर देखो' नीति के मद्देनजर अब म्यांमार सरकार भी भारतीय पर्यटकों और व्यापरियों को सीमा से 5 किलोमीटर अंदर स्थित तमू तक जाने से नहीं रोकती। वहां भारतीय नागरिकों को किसी किस्म का वीजा कागजात नहीं दिखाना पड़ता। केवल 10 रुपये का इमीग्रेशन शुल्क अदाकर वे शाम तक म्यांमार में रह सकते हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • शरद पवार लखनऊ में फूंकेंगे चुनावी बिगुल

    जितेंद्र त्रिपाठी
    लखनऊ, 19 जनवरी (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश में पिछले कई वर्षो से क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का बोलबाला है। इस बीच राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने भी सूबे की सत्ता पर काबिज होने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया, बावजूद इसके सत्ता यह दल सत्ता के करीब नहीं पहुंच सके।

    उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और वर्तमान में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकारों का शासन देख चुकी यहां की जनता को ईमानदार, जनभावनाओं से जुड़़े, किसान हित एवं विश्वसनीय राजनीतिक दल की तलाश है। ऐसा कहने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार अपने दल को उप्र की सत्ता के लिए बिल्कुल फिट पाते हैं।

    अपनी नीतियां स्पष्ट करते हुए पवार ने आईपीएन से कहा, "यदि यूपी की जनता हमें सत्ता की चाभी सौंपती है तो हम महाराष्ट्र मॉडल पर यूपी को भी विकसित करेंगे। महाराष्ट्र में हमारे द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार किसानों, महिलाओं का ध्यान रखते हुए स्थानीय निकायों का विकास करेंगे।"

    बकौल पवार, उप्र में काम करने के लिए उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के.के. शर्मा पूरी निष्ठा के साथ काम में जुटे हैं।

    शर्मा ने आईपीएन से विशेष बातचीत में कहा, "हमारी पार्टी का संगठन प्रदेश के सभी 75 जिलों में बन चुका है और सभी लोग सक्रिय हैं। पार्टी से जुड़े सभी लोगों के अंदर पवार जी की नीतियों को लेकर काफी उत्साह है, और यही कारण है कि यूपी में विकास करने की हमारी मंशा को हिम्मत मिली है।"

    उन्होंने बताया कि अंदरखाने पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पूरी मुस्तैदी के साथ जुटी है। उन्होंने बताया कि उप्र में वर्ष-2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में राकांपा सभी सीटों पर पूरी गर्मजोशी के साथ उतरेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी प्रमुख शरद पवार का उन्हें पूरा सहयोग मिल रहा है।

    शर्मा ने बताया, "पांच मार्च को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार लखनऊ में उप्र विधानसभा चुनाव का चुनावी बिगुल फूंकेंगे। लखनऊ में उनका भव्य स्वागत किया जाएगा। इस दौरान प्रदेश भर के पार्टीजनों को पवार संबोधित करेंगे और उन्हें दिशा-निर्देश देंगे।"

    बतौर शर्मा, राकांपा जल्द ही पूर्वाचल के बलिया से 7, रेसकोर्स रोड (नई दिल्ली) तक रथयात्रा निकालेगी। यह यात्रा सभी जिलों से होते हुए दिल्ली पहुंचेगी और वहां अपने वायदों को पूरा न करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस्तीफा मांगेगी।

    उन्हांेने बताया कि रथयात्रा में करीब तीन महीने लगेंगे। जनहित के मुद्दों को लेकर जल्द ही उनकी पार्टी बसपा प्रमुख मायावती समेत अन्य नेताओं पर हमला बोलेगी।

    पवार को वर्तमान में सभी राजनेताओं से अलग और विश्वसनीय नेता मान रहे शर्मा ने कहा, "वह उप्र को महाराष्ट्र मॉडल पर विकसित करना चाहते हैं। जनहित से जुड़े तमाम विषयों को लेकर शरद पवार काम करना चाहते थे, लेकिन उनके उन विषयों को कांग्रेस ने दबा दिया।"

    शर्मा ने कहा कि शरद के पास उप्र के विकास का पैमाना काफी सुंदर है और वह जनता के लिए ही शासन करने की मंशा रखते हैं। यही कारण है कि वह राकांपा की नीतियों से प्रभावित होकर उप्र में काम कर रहे हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • उप्र में हल्की बारिश, गलन बढ़ी

    लखनऊ, 19 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में राजधानी लखनऊ व आसपास के इलाकों में मंगलवार सुबह हल्की बारिश हुई, जिससे तापमान में गिरावट आई है। बारिश ने गलन और बढ़ा दी है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के दौरान मौसम ऐसा ही रहने की संभावना जताई है।

    उत्तर प्रदेश मौसम विभाग के निदेशक जे.पी. गुप्ता के अनुसार, दिन में बादल छाए रहेंगे। रुक-रुक कर हल्की बारिश होगी। वातावरण में नमी बढ़ने से तापमान में तीन से चार डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज की गई। अगले 24 घंटों के दौरान कुछ इलाकों में हल्की बारिश होने का अनुमान है।

    राजधानी लखनऊ में मंगलवार को न्यूनतम तापमान चार डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। दिन का अधिकतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस के आसपास दर्ज किए जाने की संभावना है।

    लखनऊ के अलावा मंगलवार को वाराणसी में न्यूनतम तापमान 4.3 डिग्री, कानपुर में 5 डिग्री, गोरखपुर में 4.6 डिग्री, इलाहाबाद में छह डिग्री और झांसी में 6.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • प्रदूषण का आंखों पर भी होता है असर
    नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। प्रदूषित पर्यावरण, बढ़ते वायु प्रदूषण और अल्ट्रा वॉयलेट किरणों के बढ़ते प्रभाव की वजह से आंखों पर भी प्रभाव पड़ रहा है। कॉर्निया, पलकों, सिलेरिया और यहां तक कि लेंस पर भी पर्यावरण का असर होता है।

    बढ़ते तापमान और पर्यावरण के चक्र में आते बदलाव के चलते क्षेत्र में हवा खुश्क हो रही है। इस वजह से आंखें में ज्यादा खुश्की आ रही है, जिसके चलते आंसू नहीं बनते या बहुत जल्दी सूख जाते हैं।

    वायु प्रदूषण लंबे समय से सांस प्रणाली की समस्याओं का कारण बन रहा है। हाल ही में इसका असर आंखों पर भी नजर आने लगा है।

    लकड़ी या कोयले जलते समय उसके संपर्क में आने से विकासशील देशों में ट्रोचमा की वजह से आंखों में जख्म हो जाते हैं। उम्रभर संक्रमण होने से पलकों के अंदर जख्म हो सकते हैं, जिससे पलकें अंदर की ओर मुड़ जाती हैं और कोर्निया से रगड़ खाने लगती हैं और क्षति पहुंचा देती हैं, जिससे नजर भी चली जाती है।

    इस बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मानद महासचिव डॉ. के.के. अग्रवाल कहते हैं कि ओजोन की क्षति होने से अल्ट्रावायलेट किरणों का असर बढ़ रहा है, जिससे कोर्टिकल कैटेरेक्ट का खतरा बढ़ जाता है। सूर्य की खतरनाक किरणों के लगातार संपर्क में आने से आंखों के लेंस के प्रोटीन की व्यवस्था बिगड़ सकती है और लेन्ज एपिथीलियम को क्षति पहुंच सकता है, जिससे लेंस धुंधला हो जाता है।

    वह कहते हैं कि हैट पहनने से यूवी का असर 30 प्रतिशत तक कम हो सकता है। यूवी प्रोटेक्शन वाला साधारण धूप का चश्मा लगाने से 100 प्रतिशत तक सुरक्षा हो सकती है।

    डॉ. अग्रवाल ने कहा कि पूरे समाज को आंखों को होने वाले गंभीर नुकसान के बारे में जागरूक होना चाहिए। भारतीय लोगों में पहले ही विटामिन-डी की कमी है, इसलिए इन सावधानियों पर गौर करना बेहद जरूरी है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • भारतीय नृत्यों में विदेशियों का रुझान बढ़ा है : बिरजू महाराज


    किशोरी सूद
    नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। 77 वर्ष की उम्र में भी बेजोड़ कथक नृत्य करते और अन्य नर्तकों का मार्गदर्शन करते भारत के प्रख्यात कथक नर्तक बिरजू महाराज का कहना है कि उन्हें सरकार की 60 साल की उम्र में सेवानिवृत्ति की नीति समझ नहीं आती।

    उन्हें लगता है कि 1998 में राज्य सरकार द्वारा संचालित शास्त्रीय नृत्य के स्कूल 'कथक केंद्र' के प्रमुख के पद से सेवामुक्त होने के बाद उन्होंने ज्यादा काम किया है।

    सेवानिवृत्त होने के बाद अपने डांस स्कूल 'कलाश्रम' के माध्यम से वह अपना नृत्य कौशल नृत्य के शौकीनों को सिखा रहे हैं।

    बिरजू महाराज ने अपने आवास पर आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "जब गुरुओं को काफी अनुभव हो जाता है तो सरकार कहती है कि हम सेवानिवृत्त हो गए हैं, लेकिन मैने सेवानिवृत्त होने के बाद और ज्यादा काम किया है।"

    केवल 13 वर्ष की उम्र में एक नृत्य संस्थान में नृत्य सिखाने की शुरुआत करने वाले बिरजू महाराज का कहना है, "सरकारी कथक केंद्र से सेवानिवृत्त होने से पूर्व मैंने महसूस नहीं किया था कि वह मेरा स्कूल नहीं है।"

    वाराणासी के निकट एक छोटे से गांव के कथक घराने में जन्मे बिरजू महाराज की सात पीढ़ियां कथक से जुड़ी थीं।

    उन्होंने अपने चाचा शंभू महाराज के साथ भारतीय कला केंद्र में भी नृत्य सिखाया, जिसे बाद में कथक केंद्र के नाम से जाना जाने लगा।

    उनका कहना है, पिछले कुछ सालों में भारतीय फिल्म उद्योग में पश्चिमी नृत्य शैलियों की अचानक आई बाढ़ के कारण और जैज, हिपहॉप और अन्य पश्चिम नृत्यों के स्कूल खुलने के कारण भारतीय शास्त्रीय नृत्य थोड़ा पिछड़ गया था, लेकिन भारतीय शास्त्रीय नृत्य के प्रति रुझान फिर से पैदा हो रहा है।

    दिग्गज कथक नर्तक ने कहा, "मुझे खुशी है कि विदेशों में लोग अब अपनी नृत्य शैलियों से ऊब चुके हैं और ज्यादा से ज्यादा विदेशी कुचिपुड़ी, ओडिसी, कथक जैसे भारतीय शास्त्रीय नृत्य सीखने आ रहे हैं। फिर से हमारी नृत्य शैलियों का सम्मान किया जा रहा है।"

    गुरु-शिष्य परंपरा के प्रबल समर्थक बिरजू महराज ने बदलाव को स्वीकार करते हुए नृत्य के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण को भी सही ठहराया।

    यहां तक कि उन्होंने प्रशिक्षित कथक नृत्यांगना और बॉलीवुड अभिनेत्री माधुरी दीक्षित के साथ 2013 में उनके ऑनलाइन डांस स्कूल के लिए समन्वय भी किया था।

    पद्म विभूषण से सम्मानित बिरजू महाराज ने कहा, "ऑनलाइन सीखने के बाद जब भी आप और बारीकी से नृत्य सीखना चाहें तो आप लाइव कक्षाओं में सीख सकते हैं।"

    उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, कालीदास सम्मान और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद डिग्री जैसे कई अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।

    लाइव कक्षा में गुरु के महत्व की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा, "गुरु आपकी मुद्राओं को सुधारता है और आपको बेहतर ढंग से सिखाता है। आप ऑनलाइन और लाइव कक्षाओं की तुलना नहीं कर सकते। ऑनलाइन एक अच्छा तरीका है, लेकिन सही ढंग से सीखने के लिए कक्षा और गुरु का होना बेहद जरूरी है।"

    विश्वभर में विभिन्न मंचों पर प्रस्तुति दे चुके बिरजू महाराज ने सत्यजित रे की 'शतरंज के खिलाड़ी', माधुरी दीक्षित अभिनीत 'डेढ़ इश्किया' और संजय लीला भंसाली की 'देवदास' जैसी कई फिल्मों में भी नृत्य निर्देशन किया है।

    उन्होंने हाल ही में आई फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' में 'मोहे रंग दो लाल' में दीपिका पादुकोण का नृत्य भी निर्देशित किया है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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