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नेपाल और चीन के बीच पहली पारगमन संधि

काठमांडू, 21 मार्च (आईएएनएस)।नेपाल और चीन ने पारगमन और परिवहन संधि एवं विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए पत्रों के आदान-प्रदान के साथ दस समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। ये समझौते नेपाली प्रधानमंत्री के.पी शर्मा ओली की चीन यात्रा के दौरान हुए हैं।

ओली नेपाल के प्रधानमंत्री बनने के बाद चीनी के प्रधानमंत्री ली केकियांग के आमंत्रण पर पहली बार चीन की यात्रा पर हैं।

चीन-नेपाल के समझौतों में सबसे अहम पारगमन और परिवहन संधि है। इससे तीसरे देश के साथ व्यापार के लिए नेपाल की भारतीय बंदरगाह पर पूर्ण निर्भरता खत्म हो जाएगी।

ओली और ली की सोमवार को हुई बैठक के बाद दोनों देशों के बीच संधियों और समझौता ज्ञापनों पर दस्तखत किए गए।

नेपाल में नए संविधान पर आपत्तियों को लेकर दक्षिणी नेपाल के तराई क्षेत्र में मधेसी आंदोलन के पांच महीने बाद नेपाल का तीसरे देशों के साथ व्यापार एक तरह से ठप हो गया था, इसलिए नेपाली नेतृत्व को भारत के कोलकाता स्थित हाल्दिया बंदरगाह का विकल्प चुनने को बाध्य होना पड़ा।

चीन और नेपाल के बीच हाल में हुए समझौतों के बाद नेपाल तीसरे देश के साथ व्यापार के लिए चीन का तियानजिन बंदरगाह का इस्तेमाल कर सकेगा। यह बंदरगाह नेपाल की सीमा से करीब 3000 किलोमीटर दूर स्थित है, जबकि भारत की हल्दिया बंदरगाह नेपाल सीमा से सिर्फ 1000 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

लेकिन चिंता का विषय यह है कि नेपाल चीन के तियानजिन बंदरगाह का तुरंत इस्तेमाल नहीं कर सकता। चीनी बंदरगाह अधिक ऊंचाई पर है और उसका इस्तेमाल के लिए नेपाल में आधारभूत ढांचा भी उन्नत नहीं है।

एक अन्य समझौते के तहत चीन काठमांडू से करीब 200 किलोमीटर दूर पोखरा में क्षेत्रीय हवाईअड्डा के निर्माण के लिए नेपाल को 21.6 करोड़ डॉलर का सस्ता ऋण देगा।

नेपाली पक्षों से मिली जानकारी के अनुसार, द्विपक्षीय व्यापार को बढ़वा देने के लिए नेपाल और चीन ने मुक्त व्यापार समझौता पर भी हस्ताक्षर किए हैं।

नेपाल में तेल और गैस की खोज करने पर भी चीन सहमत हुआ है और इसके लिए वह नेपाल को आर्थिक और तकनीकी सहयोग देने पर भी राजी हुआ है।

एक अन्य समझौते के तहत चीन के व्यावसायिक बैंक अपनी शाखाएं नेपाल में और नेपाली बैंक अपनी शाखाएं चीन में खोलेंगे।

नेपाली प्रधानमंत्री ओली के विदेश मामले के सलाहकार गोपाल खनाल ने कहा कि चीन नेपाल के 32 हजार घरों में सोलर पैनल लगाएगा। इसके अलावा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच समझौता हुआ है।

एक और समझौते के तहत नेपाल और चीन के अनुषंगी शहरों के बीच संबंध स्थापित किए जाएंगे। चीन के चेंगदू शहर में नेपाल वाणिज्य दूतावास खोलेगा।

चीन सुदूर पश्चिमी नेपाल स्थित हिलसा में पुल का निर्माण करेगा। इस पुल के निर्माण से तिब्बत और नेपाल के बीच संपर्क बहाल हो जाएगा। हिलसा नेपाल और तिब्बत के पारंपरिक व्यापार मार्ग पर स्थित है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • नाभिकीय व नवीकरणीय ऊर्जा के बीच तुलना की जरूरत नहीं : रोसेटम प्रमुख
    अंजलि ओझा
    मॉस्को, 1 जून (आईएएनएस)। रूस के परमाणु ऊर्जा निगम रोसेटम के प्रमुख सर्गेई किरियेंको ने कहा है कि नाभिकीय ऊर्जा तथा नवीकरणीय ऊर्जा के बीच तुलना करने की कोई जरूरत नहीं है।

    भारतीय पत्रकारों के एक चयनित समूह से यहां किरियेंको ने जोर देते हुए कहा कि कार्बन मुक्त अर्थव्यवस्था पाने के लिए नवीकरणीय व नाभिकीय ऊर्जा को मिश्रित करने की जरूरत है।

    रूस के पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके किरियेंको ने कहा, "हमें नवीकरणीय ऊर्जा और नाभिकीय ऊर्जा के बीच तुलना करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर ऊर्जा के एक ही स्रोत पर निर्भर रहा जाए, तो इससे अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा।"

    उन्होंने कहा, "उद्योगों के लिए बेहद अधिक ऊर्जा आपूर्ति की जरूरत है। हमें ऊर्जा की कुछ बुनियादी जरूरतें भी हैं। ये बुनियादी जरूरतें ऊर्जा नाभिकीय ऊर्जा से सुनिश्चित की जा सकेंगी।"

    उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा पूरक हो सकता है।

    किरियेंको ने कहा, "सऊदी अरब, ब्राजील, मिस्र तथा जॉर्डन जैसे देश, जिनके पास सूरज की रोशनी (सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए) की कमी नहीं है, वैसे देश भी नाभिकीय ऊर्जा की ओर रुख कर रहे हैं।"

    --आईएएनएस
  • अमेरिका में जीका वायरस से संक्रमित बच्चे का जन्म

    वाशिंगटन, 1 जून (आईएएनएस)। अमेरिका के न्यूजर्सी राज्य में जीका वायरस से संक्रमित एक बच्चे का जन्म हुआ है जो इस वायरस के कारण माइक्रोसेफेली रोग से पीड़ित है। अस्पताल के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

    हैकेनसेक यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के मैटरनल और फोइटल मेडिसिन के निदेशक अब्दुल्ला अल कहान ने मंगलवार को बताया कि सिजेरियन डिलीवरी से इस बच्चे का जन्म हुआ है और जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं और उनकी हालत स्थिर है।

    सीएनएन की रिपोर्ट से जानकारी मिली है कि बच्चे की मांग इलाज के लिए होंडोरास से अमेरिका आई थी और डॉक्टरों ने पहली बार उसकी जांच 27 मई को की थी।

    अल कहान के मुताबिक अल्ट्रासाउंड स्क्रीनिंग से बच्चे के माइक्रोसेफेलिस से पीड़ित होने का पता चला। इस बीमारी के कारण हड्डियां कड़ी हो जाती हैं और मस्तिष्क की नसों को नुकसान पहुंचता है।

    डॉक्टरों का मानना है कि महिला की गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान वह जीका वायरस से संक्रमित हुई होगी। उन्हें बुखार हुआ था और त्वचा पर दाने निकले थे, जो कि मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है।

    अल कहान ने बताया कि जब महिला में जीका के संक्रमण के लक्षणों का पता चला तो पाया गया कि बच्चे का विकास भी प्रभावित हो रहा है।

    अल कहान ने बताया कि अमेरिका में जीका संक्रमित बच्चे के पैदा होने का यह तीसरा मामला है।

    --आईएएनएस
  • कारपेट एरिया में न्यूनतम 9 वर्गमीटर की वृद्धि आवश्यक
    नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 'निर्माण नीत लाभार्थी' योजना के तहत केन्द्रीय सहायता प्राप्त करने के लिए मौजूदा आवास के कारपेट क्षेत्र में कम से कम 9 वर्गमीटर की वृद्धि आवश्यक होगी।

    आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को रियायती आवास का प्रस्ताव भेजते वक्त 'निर्माण नीत लाभार्थी'(बीएलसी) के तहत मकानों की वृद्धि करने के लिए इसे लागू करने हेतु संशोधित गाइडलाइन जारी की है।

    बीएलसी के तहत लाभार्थियों को नए घर बनाने और वर्तमान घर के आकार को बड़ा करने के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। प्रति लाभार्थी को 1.5 लाख रुपये की सहायता के लिए पक्के और अर्ध पक्के भवनों के कारपेट क्षेत्र में कम से कम 9 वर्गमीटर की वृद्धि जरूरी होगी। राष्ट्रीय भवन निर्माण के मानदंडों के अनुसार यह वृद्धि कम से कम रहने लायक एक कमरे या रसोईघर के रूप में हो सकती है।

    नई गाइडलाइन में कह गया है कि कारपेट क्षेत्र में जरूरी 9 वर्गमीटर क्षेत्र के बाद कारपेट क्षेत्र का कुल वृद्धि 21 वर्गमीटर से कम और 30 वर्गमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। पीएमएवाई (शहरी) के बीएलसी घटक के तहत पहले से पक्का या अर्ध पक्का मकान का लाभ उठाने वाले पात्र अपने मकानों को रहने लायक बनाने के लिए इसके आकार में वृद्धि कर सकेंगे।

    आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने शहरी क्षेत्र में आवास की कमी का पता लगाने के लिए तकनीक समूह का गठन किया है। इसकी रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्र में 1.49 करोड़ घरों को अति सघनता, 22.7 लाख मकान जर्जर और 9.9 लाख कच्चे मकानों को रहने लायक नहीं पाया है। इस रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्र में कुल 1.87 करोड़ मकानों की कमी है। इस अनुमान के आधार पर सरकार ने 2022 तक शहरी क्षेत्रों में 2 करोड़ घरों की जरूरत का अनुमान लगाया है।

    इसके अलावा पीएमएवाई के अन्य घटकों में झुग्गी पुनर्विकास ,साझा रियायती आवास और कर्ज आधारित रियायती योजना का विकल्प लाभार्थी अपनी जरूरतों और आय के अनुसार चुन सकता है। केन्द्रीय सहायता प्रत्येक लाभार्थी को एक लाख से 2.30 लाख रुपये तक प्रदान की जाएगी। आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को लिए 43,922 करोड़ रुपये का 6.84 लाख रियायती मकानों के निर्माण की मंजूरी दी है। इसमें 10,050 करोड़ रुपये केन्द्रीय सहायता के रूप में शामिल है।

    -- आईएएनएस
  • विकास के साथ समानता पर भी हो जोर : रविशंकर प्रसाद
    नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को यहां आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि विकास बिना समानता के भी संभव है, लेकिन फिर वह सामंतवादी, संभ्रात लोगों के लिए और अमीर समर्थक होगा। इसलिए हमें विकास के साथ समानता को भी सुनिश्चित करना होगा। अगर आपके पास अच्छी विकास दर है तो आप गरीबों को ज्यादा दे पाएंगे। इसलिए हमारी सरकार ऐसी योजनाएं बना रही है जिससे सभी तबके का विकास हो।

    इस वैश्विक सम्मेलन का आयोजन मानव विकास संस्थान (आईएचडी) और विश्व बैंक ने मिलकर किया जिसका नाम 'समृद्धि, समानता, स्थिरता : एक बेहतर दुनिया के परिपेक्ष्य और नीतियां' है। सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान मंत्री ने कहा, "रोटी और सियासत बहुत हुई, पर रोटी की संख्या बढ़ाने पर नहीं। इसलिए हमारी सरकार ने पेंशन योजना, जन धन योजना, गरीबों का बीमा, मुद्रा योजना, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, ई-कॉमर्स जैसी योजनाएं शुरू कीं जिनका लक्ष्य गरीबों का उत्थान है।"

    पहली जून से शुरू हुआ यह सम्मेलन 3 जून तक चलेगा, जिसमें विभिन्न विशेषज्ञ गरीबी हटाने के उपायों, कार्यक्रमों और योजनाओं पर चर्चा करेंगे।

    --आईएएनएस
  • कैलाश यात्रा के लिए नेपाल के रास्ते से बचने को कहा
    काठमांडू, 1 जून (आईएएनएस)। नेपाल स्थित भारतीय दूतावास ने बुधवार को भारतीय नागरिकों के लिए एक एडवाइजरी जारी की। इसमें कहा गया है कि जो श्रद्धालु कैलाश-मानसरोवर की यात्रा नेपाल के रास्ते करना चाहते हैं, वे इससे परहेज करें क्योंकि मौसम के बहुत खराब रहने की भविष्यवाणी की गई है।

    दूतावास ने एक बयान में कहा, "चूंकि आने वाले हफ्तों में मौसम की स्थिति और खराब होने वाली है, इसलिए भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे कैलाश पर्वत और पवित्र मानसरोवर झील तक जाने के लिए नेपालगंज-सिमिकोट-हिलसा मार्ग से परहेज करें।"

    नेपालगंज-सिमिकोट-हिलसा मार्ग को कठिन माना जाता है, लेकिन बहुत सारे भारतीय चीन की सीमा के करीब इसी खतरनाक मार्ग को प्राथमिकता देते हैं।

    बड़ी संख्या में भारतीय नेपालगंज-सिमिकोट-हिलसा मार्ग से होकर कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लिए अपने स्तर से व्यवस्था करते हैं।

    दूतावास ने कहा कि खराब मौसम की वजह से काफी लोग हिलसा और सिमिकोट में ठहरने और खाने की समस्या का सामना करते हैं।

    मौसम बहुत खराब रहने की वजह से हिलसा से सिमिकोट हेलीकॉप्टर से और सिमिकोट से नेपालगंज विमान से लोगों को निकालकर ले जाना संभव नहीं हो पाता।

    केवल इसी हफ्ते 500 से अधिक भारतीय हिलसा और सिमिकोट में फंस गए थे और अधिकारियों को उन्हें वहां से निकालने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

    इन सभी तीर्थ यात्रियों को निजी भारतीय टूर आपरेटर लाए थे और उन्हीं ने उनकी यात्रा एवं रहने खाने का इंतजाम किया था।

    इनमें से अधिकतर को हिलसा-सिमिकोट इलाके से नेपाली सुरक्षा अधिकारियों की मदद से हवाई मार्ग से निकाला गया।

    भारतीय दूतावास ने कहा है कि नेपाल सरकार और यात्रा संचालकों की सहायता से तीर्थयात्रियों को हिलसा से सिमिकोट और सिमिकोट से नेपालगंज से समय से बाहर निकालने की हर संभव व्यवस्था की जा रही है।

    हालांकि, खराब मौसम नियमित हवाई सेवा में बाधा डाल रहा है, इस वजह से हिलसा और सिमिकोट में जो लोग फंसे हैं उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

    हर साल कैलाश-मानसरोवर यात्रा जून से सितंबर तक होती है।

    भारतीय विदेश मंत्रालय तीर्थयात्रियों को दो मार्गो से कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर भेजता है। ये हैं उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से होकर जो 25 दिन की यात्रा है और सिक्किम के नाथु ला से होकर जो यात्रा 23 दिन में पूरी होती है।

    --आईएएनएस
  • सड़क नेटवर्क में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर : राष्ट्रपति
    नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि आजादी के बाद देश ने बहुत कुछ हासिल किया है, और यह गर्व की बात है कि भारत के पास तकनीकी रूप से सक्षम इंजीनियर उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि आज सड़क नेटवर्क के मामले में देश दुनिया में दूसरे स्थान पर है। भारत में 47 लाख किलोमीटर लंबी सड़कें हैं।

    भारतीय इंजीनियरिंग सेवा (2013 एवं 2014 बैच) के अधिकारियों तथा 2015 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भेंट की।

    इस अवसर पर राष्ट्रपति कहा, "इंजीनियर प्रमुख ढांचागत क्षेत्रों में कार्यरत हैं। आज भारत के पास तकनीकी रूप से सक्षम इंजीनियर उपलब्ध हैं। हमें इस बात पर गर्व है कि आजादी के बाद हमने बहुत कुछ उपलब्ध किया है। आजादी के समय देश में 10 लाख टन इस्पात का उत्पादन होता था, आज हम प्रति वर्ष नौ करोड़ टन से अधिक इस्पात का उत्पादन कर रहे हैं। वर्ष 1947 में प्रति वर्ष एक लाख से भी कम वाहनों का उत्पादन होता था, आज हम विश्व में सबसे अधिक वाहनों का उत्पादन करने वाले देशों में छठे स्थान पर हैं।"

    मुखर्जी ने कहा, "हमारे यहां प्रति वर्ष 64.4 करोड़ टन कोयला पैदा होता है और इस तरह हम विश्व में तीसरे नम्बर के सबसे बड़े कोयला उत्पादक देश हो गए हैं। भारत में आज 46.2 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा एक अरब लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। भारत में 47 लाख किलोमीटर लम्बी सड़कें हैं। इस तरह हमारे यहां का सड़क नेटवर्क विश्व में दूसरे स्थान पर है।"

    राष्ट्रपति ने आगे कहा, "इंजीनियरिंग सेवा से अधिकारियों को समाज की सेवा करने का अवसर मिलता है। सभी अधिकारियों को महात्मा गांधी की यह बात याद रखनी चाहिए कि सही निर्णय तक पहुंचने के लिए यह देखना आवश्यक है कि उस निर्णय से निर्धनतम व्यक्ति का कल्याण होगा या नहीं।"

    भारतीय इंजीनियरिंग सेवा के 2013 और 2014 बैच के ये अधिकारी इस समय सहायक कर्यकारी अभियंता के रूप में सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय में नियुक्त हैं, जबकि 2015 बैच के प्रशिक्षु अधिकारी गाजियाबाद स्थित सीपीडब्ल्यूडी प्रशिक्षण संस्थान में 35 सप्ताहों का बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

    --आईएएनएस

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