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होली : कन्फ्यूजन ने याद दिलाया 'शोले' का डायलॉग

लखनऊ, 21 मार्च (आईएएनएस/आईपीएन)। रंगों का त्योहार होली करीब आ चुका है। हर किसी पर रंगों की खुमारी छाने लगी है, लेकिन इस बार होली को लेकर सभी कन्फ्यूज है और इस कन्फ्यूजन को देखकर 'शोले' फिल्म का वह डायलॉग याद आता है, जब गब्बर पूछता है, "अरे ओ सांभा, होली कब है रे?"

दरअसल, होली की छुट्टी 24 मार्च को है और लोग 23 मार्च को होली खेलने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे लोग कन्फ्यूज हो रहे हैं कि आखिर वह किस दिन होली खेलें?

क्या कहता है पंचांग?

अगर बात करें पंचांग की, तो उसमें होली खेलने की तारीख 24 मार्च है और यही तारीख सरकारी कैलेंडर में भी है। इसीलिए सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में होली की छुट्टी 24 मार्च को ही है। प्रशासन की शराब बंदी भी 24 मार्च को ही है।

घर नहीं जा पा रहे लोग :

होली की छुट्टी 24 मार्च को होने के कारण सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में काम करने वाले उन लोगों का घर जाना मुश्किल हो गया है, जो अपने शहर को छोड़कर लखनऊ में नौकरी कर रहे हैं।

हजरतगंज में एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे तुषार शर्मा ने कहा कि उनका घर शाहजहांपुर में है। हर बार वह होली अपने घर पर ही मनाते हैं। इस बार छुट्टी 24 को होने के कारण वो होली पर घर नहीं जा पाएंगे, क्योंकि उनके यहां होली 23 को खेली जाएगी।

ऐसा ही कुछ नम्रता का भी कहना है जो एक छात्रा हैं। उनके कॉलेज में भी 24 से छुट्टियां शुरू हैं और उनके घर में 23 को होली खेली जाएगी।

धर्माचार्यो के अनुसार, 22 और 23 मार्च की रात 2.30 बजे से पूर्णिमा तिथि लगेगी। इसके बाद ही होलिका दहन शुभ है। इसीलिए 23 मार्च को ही होलिका दहन होगा और होली खेली जाएगी।

237 साल बाद आया ऐसा योग :

22 मार्च को दोपहर 2.29 बजे तक चतुर्दशी तिथि रहेगी। 22 और 23 मार्च की रात 2.30 बजे से पूर्णिमा तिथि लगेगी। हिन्दू पंचांग के हिसाब से ऐसा योग 237 साल बाद आया है। 24 मार्च से लेकर 27 मार्च तक सभी बैंक बंद रहेंगे।

होली के बाद 25 को गुड फ्राइडे है और 26 को महीने का चौथा शनिवार पड़ रहा है। इसके बाद 27 मार्च को रविवार है, इसलिए इस दिन भी आधिकारिक छुट्टी है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • फिलीपींस में 18 लाख बच्चे गोद लेने से हुए महरूम
    मनीला, 30 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। फिलीपींस में लगभग 18 लाख बच्चों को उनके माता-पिता ने छोड़ दिया है, जिनमें से अधिकांश बच्चों को सरकार की अक्षमता व कर्मचारियों की कमी के कारण चाहकर भी लोग गोद नहीं ले पाएंगे।

    यूनाइटेड नेशन इंटरनेशनल चिल्ड्रेंस इमरजेंसी फंड के मुताबिक, घोर गरीबी, प्राकृतिक आपदा या कूटनीतिक संघर्ष के कारण इन बच्चों को उनके माता-पिता ने छोड़ दिया है, जो पूरी आबादी के एक फीसदी से भी अधिक हैं।

    गोद लेने के लिए देश तथा विदेशों से जमा किए गए कई फॉर्मो को समय पर न निपटाने को लेकर डिपार्टमेंट ऑफ सोशल वेलफेयर एंड डेवलपमेंट इंचार्ज ऑफ फिलीपीन चिल्ड्रन्स एडॉप्शन अफेयर की कड़ी आलोचना की गई है।

    इसके कारण कई बच्चों की आयु अधिक हो चुकी है, जिसके कारण उन्हें अब गोद नहीं दिया जा सकता है।

    --आईएएनएस

  • मौत के नजदीक लाता है सिगरेट का हर कश
    डॉ. रजत अरोड़ा
    नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)। तंबाकू उत्पादों के डिब्बों पर इसके सेवन से होने वाले नुकसान के संदेश चाहे कितने ही डरावने क्यों न हों, इसके बावजूद महिलाओं में धूम्रपान की लत बढ़ती ही जा रही है। 21वीं सदी में सार्वजनिक स्वास्थ्य की एक सबसे बड़ी जिम्मेदारी महिलाओं को धूम्रपान की लत से बचाना होगा।

    खतरे वाली बात तो यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, तंबाकू के सेवन से वर्तमान में दुनिया भर में प्रत्येक साल 50 लाख लोगों की मौत होती है और अनुमान के मुताबिक, धूम्रपान से साल 2016 से 2030 के बीच की अवधि में 80 लाख लोग तथा 21वीं सदी में कुल एक अरब लोगों की मौत होगी।

    दुनिया भर में साल 2010 में महिलाओं को सिगरेट के विपणन के साथ लिंग तथा तंबाकू के बीच संबंध स्थापित करने के इरादे से वर्ल्ड नो टोबैको डे शुरू किया गया। यह विषय तंबाकू से महिलाओं व लड़कियों को होने वाले नुकसान से लोगों को जागरूक करने के लिए शुरू किया गया और इसे हर साल मनाया जा रहा है।

    महिलाएं/लड़कियां धूम्रपान को अभिव्यक्ति की आजादी समझने लगी हैं। यह आवश्यक है कि महिलाओं का सशक्तीकरण जारी रखना चाहिए, महिलाओं के बीच धूम्रपान की बढ़ती लत के संभावित खतरों तथा जिस प्रकार सिगरेट उद्योग कथित सामाजिक परिवर्तन के लिए महिलाओं को लक्षित कर रहा है, उस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

    किशोरावस्था में लड़कियां धूम्रपान की शुरुआत करती हैं और साल दर साल इनकी संख्या बढ़ती ही जाती है। इस बात के हालांकि सबूत हैं कि लड़कियों द्वारा धूम्रपान शुरू करने के कारण लड़कों द्वारा धूम्रपान करने के वजहों से अलग है।

    बच्चों का मात-पिता से संबंध भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किशोरों की चाहत माता-पिता, स्कूल व समुदाय से अधिक से अधिक जुड़ाव की होती है। दुर्भाग्यवश, आज के दौर में माता-पिता अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते, जिसके कारण उनके बच्चे की उनकी गलत संगति में पड़ने की संभावना अधिक हो जाती है।

    आधी सदी पहले फेफड़े के कैंसर से महिलाओं की तुलना में पांच गुना ज्यादा पुरुष मरते थे। लेकिन इस सदी के पहले दशक में यह खतरा पुरुष व महिला दोनों के लिए ही बराबर हो गया। धूम्रपान करने वाले पुरुषों व महिलाओं के फेफड़े के कैंसर से मरने का खतरा धूम्रपान न करने वालों की तुलना में 25 गुना अधिक होता है।

    धूम्रपान करने वाली महिलाओं के बांझपन से जूझने की भी संभावना होती है। सिगरेट का एक कश लगाने पर सात हजार से अधिक रसायन संपूर्ण शरीर व अंगों में फैल जाते हैं। इससे अंडोत्सर्ग की समस्या, जनन अंगों का क्षतिग्रस्त होना, अंडों को क्षति पहुंचना, समय से पहले रजोनिवृत्ति व गर्भपात की समस्या पैदा होती है।

    अब भी वक्त है, धूम्रपान छोड़ दीजिए। धूम्रपान छोड़ने से लंबे समय तक स्वस्थ रहने व जीने का संभावना बढ़ जाती है।

    --आईएएनएस
  • कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहा कश्मीर का सोनमर्ग
    शेख कयूम
    सोनमर्ग, 30 मई (आईएएनएस)। "कहां है सोनमर्ग? मुझे तो यहां सिर्फ ईंट-पत्थरों और लोहे से बने कंक्रीट के जंगल नजर आ रहे हैं।" एक स्थानीय पर्यटक की बातों में छिपा यह रोष इंसानी लालच के कारण 'मीडो ऑफ गोल्ड' के नाम से विख्यात कश्मीर के मशहूर पर्यटन स्थल सोनमर्ग की नैसर्गिकता के ध्वंस को बयां करने के लिए काफी है।

    जम्मू एवं कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर से 85 किलोमीटर उत्तर श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर स्थित सोनमर्ग में थाजिवास ग्लेशियर भी है, जो पर्यटन के मुख्य आकर्षणों में से एक है। लेकिन यह ग्लेशियर भी सिकुड़ रहा है और कश्मीरी भू-वैज्ञानिक शकील रोमशू के शब्दों में कहें तो वास्तव में यह 'तेजी से विलुप्त' होने की कगार पर है।

    बकौल शकील, "आपको जानकर हैरानी होगी कि यह दुनिया का एकमात्र ग्लेशियर है, जहां आगंतुकों को आधार तक वाहन से जाने की अनुमति है। लोगों की भीड़ के कारण यहां होने वाली गर्माहट और प्रदूषण दूसरे अन्य कारण हैं, जो इसे नुकसान पहुंचा रहे हैं।"

    इससे नीचे सोनमर्ग में कश्मीर के कुछ बड़े व्यावसायी होटल बना रहे हैं और विकास के नाम पर विध्वंस का अंतहीन सिलसिला जारी है।

    सिंध नदी के तट पर स्थित सोनमर्ग में पर्यावरण को जिस तेजी के साथ नुकसान हो रहा है, उसे देखते हुए लगता नहीं कि यह इसे लंबे समय तक झेल पाएगा।

    यहां पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने एक विकास प्राधिकरण बनाया है, जिसे सोनमर्ग में निर्माण कार्यो की निगरानी और यहां के पारिस्थितिकी-तंत्र को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

    प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि किसी भी तरह के गैर-कानूनी निर्माण को अनुमति नहीं दी जा रही है। यहां तक कि स्वीकृत मास्टर प्लान से संबंधित नियमों के छोटे से उल्लंघन पर भी दोषियों को बख्शा नहीं जा रहा है।

    लेकिन सवाल यह है कि क्या अपेक्षाकृत एक छोटे से हिल स्टेशन पर बहुतायत में निर्माण कार्यो को मंजूरी दी जानी चाहिए, भले ही वे कानूनी रूप से मान्य हों।

    इस बारे में श्रीनगर के एक कॉलेज में पर्यावरण विज्ञान पढ़ाने वाले मंशा निसार का कहना है, "बिल्कुल नहीं। हमें पर्यटकों को बड़ी संख्या में सोनमर्ग जैसे स्थानों पर जाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, जो वहां रोजाना जाना चाहते हैं। यह खतरनाक होगा। हमें रोजाना वहां जाने वाले पर्यटकों की संख्या सीमित करनी चाहिए और होटलों में दी जाने वाली जगह को भी सीमित किए जाने की जरूरत है।"

    सोनमर्ग में स्थानीय और बाहरी पर्यटकों की बड़ी संख्या इस मौसम में पहुंच रही है और यदि घाटी में सुरक्षा हालात सामान्य तथा स्थिति शांतिपूर्ण रही तो यहां और भी पर्यटकों के पहुंचने की उम्मीद है।

    इसके अतिरिक्त 3,00,000 उन श्रद्धालुओं की संख्या भी है, जो अमरनाथ यात्रा के दौरान पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिए पास के बालताल आधार शिवर का इस्तेमाल करते हैं।

    अमरनाथ यात्रा का कुछ भार भी सोनमर्ग पर पड़ता है, क्योंकि कुछ श्रद्धालु रिजॉर्ट से गुजरते हैं और यात्रा समाप्त करने के बाद उनमें से अधिकांश यहां एक या दो दिन गुजारना चाहते हैं।

    कश्मीर में पर्यटन स्थलों के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि राज्य सरकार का पूरा ध्यान यहां पर्यटकों की आमद बढ़ाने पर है, जिसके जरिये वह 1980 के आखिरी दशक में यहां पनपे आतंकवाद से हुई क्षति की भरपाई करना चाहती है।

    एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ इंजीनियर नासिर हुसैन (64) के अनुसार, "आगंतुकों की संख्या को नियमित करना किसी की प्राथमिकता में नहीं है। इसके बजाय राज्य सरकार यहां अधिक पर्यटकों को लाने वाले पर्यटन एवं यात्रा संचालकों के लिए प्रोत्साहनों एवं सुविधाओं की घोषणा करती है। बॉलीवुड की शूटिंग इकाइयों को वीवीआईपी व्यवस्था मिलती है, उन्हें नि:शुल्क सुरक्षा कवर प्राप्त होता है। यहां सामान्य स्थिति दर्शाने के लिए आधिकारिक संरक्षण के साथ-साथ दोपहर तथा रात के भोजन की भी व्यवस्था की जाती है।"

    हुसैन के अनुसार, "हो सकता है कि यह पूर्व में सही रहा हो, पर आज हमें पूरे हालात पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है। हमें आने वाली पीढ़ी के लिए इसे बचाने की जरूरत है, ताकि वे सोनमर्ग, गुलमर्ग तथा पहलगाम को सच में देख सकें, न कि फोटो पोस्टकार्ड या बॉलीवुड सिनेमा के जरिए ही इसकी छवि का एहसास कर पाएं।"

    कश्मीर के पर्यटन एवं विरासत स्थलों को सुरक्षित रखने का मंत्र वास्तव में पारिस्थितिकी एवं व्यवसाय के बीच संतुलन में निहित है। पारिस्थितिकी को ध्यान में रखकर नियम-कानून बनाने की जरूरत है, वरना सोनमर्ग जैसे स्थान आने वाले दिनों में धनाढ्यों के ड्राइंग रूप में केवल फोटोफ्रेम में नजर आएंगे।

    --आईएएनएस
  • पोप फ्रांसिस युवा यूट्यूबर्स से मिले, माराडोना पर लगाया ठहाका
    रोम, 30 मई (आईएएनएस)। पोप फ्रांसिस ने छह महाद्वीपों के युवा यूट्यूबर्स के एक समूह से मुलाकात की और उन्हें अपने वीडियो के जरिये दुनिया को बेहतर जगह बनाने को प्रेरित किया। इस दौरान उन्होंने महान फुटबॉल खिलाड़ी डिएगो माराडोना से संबंधित एक सवाल पर ठहाका भी लगाया।

    समाचार एजेंसी 'एफे' की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को रोम में पोप फ्रांसिस के शैक्षणिक संस्थान स्कॉलस ऑकरेंट्ेस के सिक्थ वर्ल्ड कांग्रेस के समापन पर पोप ने वीडियो शेयरिग प्लेटफॉर्म के दो सितारों संग लोगों से बातचीत की। सिक्थ वर्ल्ड कांग्रेस में 190 देशों के युवा लोगों ने भाग लिया।

    यूट्यूब के उन सभी सितारों को बैठक में आमंत्रित किया गया था, जिनके हजारों व लाखों फॉलोअर्स हैं।

    पोप फ्रांसिस ने इन युवा यूट्यूब स्टार से अकेले में मुलाकात की। यह मुलाकात भावनाओं से ओतप्रोत थी, लेकिन इसमें गुदगुदाने वाले पल भी आए।

    पोप ने फुटबॉल के बारे में भी बात की। इस दौरान एक यूट्यूब सितारे ने उनसे पूछा कि 1986 के फुटबॉल वर्ल्ड कप के दौरान दिग्गज खिलाड़ी डिएगो माराडोना के चर्चित गोल 'हैंड ऑफ गॉड' में वास्तव में दैवीय शक्ति का हाथ था? इस पर पोप फ्रांसिस ने ठहाका लगाया, हालांकि उन्होंने सवाल का जवाब नहीं दिया।

    पोप फ्रांसिस के साथ एक निजी मुलाकात के बाद युवा यूट्यूब स्टार स्कॉलस ऑकरेंटेस वर्ल्ड एजुकेशन कांफ्रेंस के समापन समारोह में शरीक हुए। इस समापन समारोह में हॉलीवुड अभिनेत्री सलमा हयाक, अभिनेता रिचर्ड गेरे व जॉर्ज क्लूनी भी शरीक हुए।

    पोप फ्रांसिस ने युवाओं व शिक्षा द्वारा दुनिया में बदलाव लाने की मंशा से 2013 में स्कॉलस ऑकरेंटेस नामक संस्थान की स्थापना की थी।

    --आईएएनएस
  • यूएन शांति अभियानों में सुधार की जरूरत : हेर्वे लदसौस
    संयुक्त राष्ट्र, 30 मई (आईएएनएस/सिन्हुआ)। संयुक्त राष्ट्र के अंडर-सेकेट्ररी-जनरल फॉर पीसकीपिंग ऑपरेशन्स हेर्वे लदसौस ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र(यूएन) शांति मिशन कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और उनमें सुधार की जरूरत है।

    लदसौस ने समाचार एजेंसी को एक साक्षात्कार में बताया कि चुनौतियों में से एक मुख्य चुनौती संयुक्त राष्ट्र शांतिदूतों विशेषकर यौन उत्पीड़न व शोषण मामले में संलिप्त शांतिदूतों में अनुशासनहीनता की समस्या का होना है।

    उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे अपराधों को अंजाम देने वाले शांतिदूतों को कानून के कठघरे में लाना होगा। उन्होंने कहा, "हमें इन सब मामलों को रोशनी में लाना होगा।"

    पिछले साल नागरिकों की हिफाजत के लिए भेजे गए कुछ शांतिदूतों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे। आरोप है कि उन शांतिदूतों ने नागरिकों की हिफाजत करने की बजाय किशोर-किशोरियों से पैसे के लिए धंधा कराया और उनका यौन उत्पीड़न किया।

    इस संबंध में यूएन के ताजा अपडेट के अनुसार, इस साल अब तक शांतिदूतों व विशेष राजनीति मिशनों के खिलाफ ऐसे 44 मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें से 39 मामले वे हैं, जिनमें कथित तौर पर वर्दीधारी अधिकारी संलिप्त हैं।

    --आईएएनएस
  • लापता जापानी पत्रकार की तस्वीर इंटरनेट पर
    टोक्यो, 30 मई (आईएएनएस)। जापान के एक लापता फ्रीलांस पत्रकार की तस्वीर इंटरनेट पर नजर आई है, जो सीरिया में लापता हो गए थे।

    जापान के राष्ट्रीय प्रसारक 'एनएचके' की रिपोर्ट के अनुसार, सीरिया के एक सरकार विरोधी कार्यकर्ता ने रविवार को तस्वीर अपलोड की है, जो जापान के लापता पत्रकार जुम्पी यासुदा की प्रतीत होती है। उनके हाथों में एक कागज का टुकड़ा है, जिस पर जापानी में लिख है, "मेरी मदद कीजिये। यह आखिरी मौका मौका है। जुम्पी यासुदा।"

    यासुदा जापान में टोक्यो के करीब सैतमा प्रांत से ताल्लुक रखते हैं। वह एक समाचार-पत्र में बतौर रिपोर्टर काम करने के बाद फ्रीलांस पत्रकार के तौर पर काम कर रहे थे। वह सीरिया और जापान सहित संघर्ष के अन्य क्षेत्रों को कवर कर रहे थे।

    यासुदा एक गाइड के साथ जून 2015 में दक्षिण तुर्की से सीरिया में दाखिल हुए थे।

    सूत्रों के अनुसार, यासुदा को अल-कायदा से संबद्ध नुसरा फ्रंट ने बंधक बना रखा है।

    नुसरा फ्रंट ने कथित तौर पर इस माह की शुरुआत में स्पेन के तीन पत्रकारों को मुक्त कर दिया।

    --आईएएनएस

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