न्यूयार्क, 21 मार्च (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों का मानना है कि मनुष्यों में यह विशिष्ट क्षमता होती है कि वह किसी विचार या वस्तु को पहले से देखे बिना उसके बारे में कल्पना कर सकता है। लेकिन इसके पीछे के तंत्रिका तंत्र के बारे में हम काफी कम जानते हैं।
बोस्टन विश्वविद्यालय के एंड्रे वेशेडस्की को अपने प्रयोग से यह जानकारी मिली है कि कल्पनाशीलता की प्रक्रिया जिसे मेंटल सिंथेसिस भी कहा जा सकता है, पहले से दिमाग में प्राप्त तस्वीरों, दृश्यों और संपकल्पनाओं को मानसिक रूप से मिलाने का नतीजा है।
प्रयोग के दौरान उन्होंने पाया कल्पनाशीलता की क्रिया के दौरान दो विविध प्रकार की अनुभूतियों या दृश्यों से जुड़े न्यूरॉन एक साथ क्रियाशील हो जाते हैं।
यह शोध रिसर्च आइडिया एंड आउटकम जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
एंड्रे वेशेडस्की का कहना है, "चूंकि शोधकर्ता किसी एक मरीज में प्राय: विभिन्न वस्तुओं से जुड़े न्यूरॉन की पहचान कर लेते हैं। तो विभिन्न वस्तुओं से जुड़े न्यूरॉनों को अलग-अलग समूहों में मिलाकर अध्ययन किया जा सकता है। इसके अलावा एक मानसिक स्थिति में दो या दो से ज्यादा वस्तुओं के आकार बदलने की जांच की जा सकती है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
कहां से आती है मनुष्यों में कल्पनाशीलता?
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