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चॉकलेट है खांसी का इलाज

बीजिंग, 8 जनवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। अगली बार जब आपको खांसी हो, तो बजाए शहद और नींबू का इस्तेमाल करने के कुछ चॉकलेट खाइए। समाचार पत्र डेली मेल के मुताबिक यह खांसी के लिए एक कारगर नुस्खा है।

हुल विश्वविद्यालय में हृदय और श्वसन अध्ययन के प्रमुख प्रोफेसर एलिन मोरिस ने कहा, "चॉकलेट खांसी को रोक सकता है।"

प्रोफेसर ने कहा कि अध्ययनों में पाया गया है कि खांसी के मरीज जब चॉकलेट आधारित दवा लेते हैं, तो दो दिन में ही काफी राहत मिलती है।

इससे पहले भी दूसरे अध्ययनों में ऐसी बात कही जा चुकी है। लंदन के इंपीरियल कॉलेज के शोधार्थियों ने पाया कि कोकोआ में पाया जाने वाला एक अल्केलॉइड थियोब्रोमिन खांसी को कोडीन से बेहतर तरीके से रोक सकता है। कोडीन खांसी की दवा में पाया जाने वाला एक आम यौगिक है।

आखिर खांसी में चॉकलेट से आराम क्यों मिलता है? शोधार्थियों का दावा है कि कोकोआ का गुण शांति देने वाला या स्निग्धकारी होता है। इसका मतलब यह है कि यह सूजन और खरास में आराम पहुंचाता है।

खास तौर से इसका कारण यह है कि यह कफ सीरप की तुलना में अधिक अच्छी तरह से चिपकता है और बेहतर लेप का काम करता है, जिससे कंठ में नस की सिरा को सुरक्षा मिलती है। यह सिरा ही हमें खांसने के लिए मजबूर करता है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • स्मार्ट रहने के लिए मानसिक चुनौतियों का करें सामना

    न्यूयार्क, 17 जनवरी (आईएएनएस)। आप लंबी उम्र तक स्वस्थ, ऊर्जावान और सक्रिय रहना चाहते हैं तो मानसिक चुनौती वाले कार्यो का दिल खोल कर सामना करें। मानसिक चुनौतियां आपके मस्तिष्क को लंबे समय तक सक्रिय रखती हैं। एक नए शोध में यह बात सामने आई है।

    मानसिक चुनौतियों में फोटोग्राफी, बागवानी, कंप्यूटर पर कार्य, पाक कला, पजल्स, लेखन और चित्रकारी जैसी तमाम चीजें आती हैं जिससे अक्सर लोग जी चुराते हैं लेकिन यही कार्य आपको लंबे समय तक सक्रिय रहने में मदद करते हैं। यह एक तरह का व्यायाम है जो मस्तिष्क की सेहत के लिए जरूरी है।

    अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से इस अध्ययन के लेखक डेनीस पार्क के अनुसार, "वर्तमान के निष्कर्षो ने कुछ ऐसे सबूत पेश किए हैं जो यह बताते हैं कि मानसिक चुनौती वाली गतिविधियां जैसे फोटोग्राफी मानसिक क्षमता में परिवर्तन करती हैं। इसके अलावा संभव है कि इस तरह की गतिविधियां युवा अवस्था में अधिक प्रभावी होती हैं।"

    इस अध्ययन में 39 वृद्ध लोगों को शामिल कर उनकी मस्तिष्क गतिविधियों का तुलानात्मक अध्ययन किया गया। प्रतिभागियों के अलग-अलग समूहों को उच्च चुनौतियां और निम्न चुनौतियां सौंपी गई।

    इस दौरान प्रतिभागियों की एफएमआरआई और एमआरआई तकनीक से मस्तिष्क की गतिविधियों और उनके द्वारा रक्त संचार में होने वाले बदलावों की भी जांच की गई।

    14 सप्ताह तक चले इस परीक्षण में जिन प्रतिभागियों ने अधिक और उच्च चुनौतियों वाले कार्यो का सामना किया था उनकी मानसिक क्षमता निम्न चुनौतियों का सामना करने वाले प्रतिभागियों से बेहतर रही।

    यह निष्कर्ष 'रिस्टोरेटिव न्यूरोलॉजी एंड न्यूरोसाइंस' पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • गले में हो अधिक समस्याएं तो टॉन्सिल का ऑपरेशन करवाएं


    लंदन, 17 जनवरी (आईएएनएस)। वयस्कों के गले में लगातार रहने वाला दर्द, खुजली, और जकड़न जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए टॉन्सिल का ऑपरेशन एक कारगर उपाय है।

    इस शोध के मुख्य लेखक गोट्ज सेंसका और उनके साथियों ने टॉन्सिल का ऑपरेशन करवाने वाले लोगों पर लंबे समय तक अध्ययन किया। इस दौरान ऑपरेशन के पहले और बाद की स्थितियों का जायजा लिया गया।

    ऑपरेशन से गुजरने के दौरान बहुत कम लोगों को इन समस्याओं का सामना करना पड़ा। कुछ दिनों तक आराम करने के बाद उनके स्वास्थ्य की गुणवत्ता भी बेहतर हुई।

    अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों का कहना था कि ऑपरेशन के बाद उन्हें दर्द का बहुत कम अनुभव हुआ।

    शोधार्थियों ने देखा कि ऑपरेशन से पहले उन्हें साल में 10 से अधिक बार दर्द से गुजरना पड़ता था जबकि ऑपरेशन के बाद उन्हें इस दर्द का केवल 2 बार ही सामना करना पड़ा।

    इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण बात यह रही कि इन लोगों का सामाजिक जीवन और शारीरिक स्वास्थ्य पहले की तुलना में अधिक बेहतर हुआ।

    निष्कर्षो के आधार पर लेखक कहते हैं कि वर्तमान में जो लोग गले की समस्याओं से अधिक परेशान हैं उन्हें टॉन्सिल के ऑपरेशन का लाभ पहुंचा सकता है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • यह स्प्रे महिलाओं को आर्कषित करने में करेगा मदद

    लंदन, 17 जनवरी (आईएएनएस)। वशीकरण और जादू-टोना जैसे टोटके भूल जाइए, क्योंकि अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसे स्प्रे की खोज कर ली है जिसे सुंघाते ही महिलाएं पुरुषों की तरफ आर्कषित होने लगेंगी। इस स्प्रे में तथाकथित 'लव हार्मोन' ऑक्सीटोसीन को सिंथेटिक रूप में डाला गया है।

    जर्मनी के बॉन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने प्रयोग में यह दिखाया कि इस स्प्रे को सूंघते ही महिलाएं अपने साथियों को 15 फीसदी अधिक आर्कषक मानने लगीं। डेली मेल ने यह जानकारी दी है।

    इस स्प्रे में सिंटोसिनन नाम का सिंथेटिक तत्व डाला गया है जो ऑक्टीटोसीन हार्मोन से बनाया गया है। यह हार्मोन प्राकृतिक रूप से हमारे मस्तिष्क में तब बनता है जब लोग प्यार में पड़े होते हैं।

    आक्सीटोसीन हार्मोन ही बच्चा पैदा करने में, मां के स्तनों में बच्चे के लिए दूध पैदा करने में और अपने बच्चे के प्रति लगाव पैदा करने में मदद करता है।

    इस शोध में 46 महिला प्रतिभागियों को शामिल किया गया जिनकी उम्र 20 से 29 साल के बीच थी। उन सबका कहना था कि वे अपने साथी के प्रति 'गहरे प्यार' के खुमार में हैं।

    इन महिलाओं को जब स्प्रे सुंघाया गया तो उनका कहना था कि उनके साथी उन्हें 15 फीसदी ज्यादा आर्कषक लगने लगे।

    हालांकि इस शोध के दौरान जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां ले रही थी, उन पर आश्चर्यजनक रूप से इस स्प्रे का कोई असर नहीं देखा गया।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • हेल्थकेयर स्टार्ट अप बीमारियों के बारे में जागरूक करें : आईएमए
    नई दिल्ली, 16 जनवरी (आईएएनएस)। पिछले कुछ सालों में हेल्थ केयर क्षेत्र में कई नए स्टार्ट अप आए हैं, जो स्वास्थ्य सेवाओं को लोगों तक ज्यादा आसानी, जिम्मेदारी और कुशलता से लोगों तक पहुंचाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। नैतिक हेल्थ केयर स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार, मेडिकल संगठनों और प्रभावशाली व्यक्तियों को मिल कर काम करना चाहिए क्योंकि वह मेडिकल क्षेत्र को पेश आ रही कई समस्याओं का समाधान प्रदान कर रहे हैं।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्टार्ट अप इंडिया कैंपेन का आईएमए स्वागत करता है और इससे युवा डॉक्टरों और उद्यमियों को अपनी सोच और विचारों को व्यवहारिक रूप में प्रयोग करने का काफी प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे वह देश को स्वस्थ एवं रोग मुक्त बना सकेंगे।

    इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) मानद महासचिव डॉ के के अग्रवाल ने कहा कि हम स्टार्ट अप इंडिया कैंपेन का समर्थन करते हैं और हमारा मानना है कि भारत की जो युवा कंपनियां नैतिक स्वास्थय सेवाएं प्रदान कर रही हैं वो इस क्षेत्र का भविष्य हैं। वह देश में मौजूद मूलभूत समस्याएं जिनमें स्वास्थ्य सेवाओं की लोगों तक पहुंच, गुणवत्ता पूर्ण इलाज और किफायत प्रमुख हैं, को हल करने में मदद करेंगे।

    हेल्थकेयर स्टार्ट अप लोगों को जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बारे में जागरूक करने, उनसे बचने और इलाज के बारे में भी शिक्षित करने में अहम भूमिका निभाएंगे। भारत में अभी लोग मधुमेह और दिल के रोगों के गंभीर संकट से गुजर रहे हैं। इसलिए आवश्यक है कि ज्यादा लोग इसके समाधान लेकर सामने आएं। जो लोग हेल्थकेयर सेगमेंट में काम नहीं भी कर रहे हैं उन्हें भी प्रदूषण से फैलने वाली बीमारियों, स्वच्छता की कमी और पर्यावरण से जुड़ी अन्य समस्याओं के बारे में समाधान ढूंढने के रास्ते ढूंढने चाहिए।

    युवा भारत का भविष्य हैं और आईएमए सरकार का समर्थन करता है और मेंटरशिप व एग्जीक्यूशन के मामले में अपना पूरा सहयोग देता है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • बर्ड फ्लू : त्रिपुरा में 8000 से ज्यादा मुर्गियां मारी जा रहीं
    अगरतला, 16 जनवरी (आईएएनएस)। त्रिपुरा में बर्ड फ्लू के ताजा प्रकोप को देखते हुए राज्य के पश्चिमी हिस्से में शनिवार को 8,000 से ज्यादा मुर्गियों और बतखों को मारने की कार्रवाई शुरू हो गई।

    त्रिपुरा सरकार के पशु संसाधन विकास विभाग (एआरडीडी) के निदेशक मनोरंजन सरकार ने आईएएनएस को बताया, "हमने पश्चिमी त्रिपुरा के गांधीग्राम स्थित सरकारी पशु फार्म में आज (शनिवार) मुर्गियों, बतखों और अन्य पक्षियों को मारना शुरू कर दिया है। हमने अधिकारियों को आर. के. नगर सरकारी पशु फार्म में इस काम को यथासंभव जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिया है।"

    उन्होंने कहा, "कुछ बतखों, मुर्गियों और अन्य पक्षियों के मरने के बाद हमने विभिन्न स्थानीय और बाहरी प्रयोगशालाओं में नमूने भेजे हैं।"

    भोपाल की 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्युरिटी एनिमल डिजीज लैबोरेटरी' ने पुष्टि की है कि सरकारी फार्म्स से भेजे गए नमूने 'एवियन एन्फ्लूएंजा' की पुष्टि करते हैं।

    पक्षियों को मारने की कार्रवाई की निगरानी कर रहे सरकार ने कहा, "रोग को फैलने से रोकने के लिए बिना समय गंवाए तत्काल पक्षियों को मारने, उनके अंडों, आहार और अन्य चीजों को नष्ट करने का फैसला किया गया है।"

    संक्रमण के एक किमी के दायरे में आने वाली मुर्गियों को मारा जाएगा, जिसमें नजदीकी गांव की मुर्गियां भी शामिल होंगी।

    त्रिपुरा में पहली बार अप्रैल और मई 2008 में बर्ड फ्लू फैला था, जिसके कारण कई लाख मुर्गियों को मारना पड़ा था।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • फ्रांस में दवा परीक्षण के दौरान एक व्यक्ति ब्रेन डेड, 5 की हालत गंभीर
    पेरिस, 16 जनवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। पश्चिमोत्तर फ्रांस के रेनेस में दवा के परीक्षण के दौरान एक व्यक्ति ब्रेन डेड हो गया, जबकि पांच अन्य लोगों की हालत गंभीर है। फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

    मंत्री ने एक बयान में कहा कि पश्चिमोत्तर फ्रांस के रेनेस में यूरोपीयन लेबोरेटरी द्वारा विकसित एक दवा के परीक्षण के दौरान यह गंभीर दुर्घटना हुई।

    मंत्री ने कहा कि यह परीक्षण एक निजी लेबोरेटरी में किया जा रहा था, जो परीक्षण के दौरान अपने सुरक्षा मानकों को लेकर विशेषीकृत है।

    बयान के मुताबिक, दवाओं के सभी परीक्षणों को रद्द कर दिया गया है और परीक्षण में भाग ले चुके सभी लोगों को बुलाया जा चुका है।

    फ्रांस की स्वास्थ्य मंत्री मेरिसोल तुरेन ने कहा कि इस दुर्घटना को अप्रत्याशित बताया है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

आधी दुनिया

सावित्रीबाई फुले जिन्होंने भारतीय स्त्रियों को शिक्षा की राह दिखाई

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उपासना बेहार “.....ज्ञान बिना सब कुछ खो जावे,बुद्धि बिना हम पशु हो जावें, अपना वक्त न करो बर्बाद,जाओ, जाकर शिक्षा पाओ......” सावित्रीबाई फुले की कविता का अंश अगर सावित्रीबाई फुले...