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‘अकेलेपन’ का अहसास

अरुण कान्त शुक्ला

टूट रही थी सांस 'मेरी' और जुबां सूखी थी,
तुझे नहीं पुकारा था, 'चंद बूँद' पानी की जरुरत थी,

तू इश्क को समझने में बड़ा कच्चा निकला,
मेरे लबों को नहीं, मेरे सर को तेरी गोदी की जरुरत थी,

इश्क में तू करता रहा वादे पे वादे ,
मुझे तेरे वादों की नहीं, तेरी वफ़ा की जरूरत थी,

तेरे नाले मुझसे थे तेरा माशूक था कोई और,
तुझसे इश्क मेरी गलती थी, तुझसे नफ़रत ‘उस वक्त’ की जरुरत थी,

क़यामत के रोज पूछियेगा अख़लाक़ से ‘अकेलेपन’ का अहसास,
हम प्यालों, हम निवालों के बीच अकेला, जब किसी 'अपने' की उसे शिद्दत से जरुरत थी.

About Author

अरुण कान्त शुक्ल

लेखक सामाजिक सरोकारों पर सक्रिय स्वतंत्र पत्रकार एवं साहित्यकार हैं.

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  • काव्य संग्रह ’बिखरने से बचाया जाए’ का लोकार्पण

    दिल्ली: 9 मई/ दिल्ली के कन्सटीट्यूशन क्लब (डिप्टी चेयरमैन हॉल) में 7 मई शनिवार  शाम लेखिका श्रीमती अलका सिंह के काव्य संग्रह ’बिखरने से बचाया जाए’ का लोकार्पण प्रख्यात साहित्यकार एवं आलोचक डॊ. नामवर सिंह ने किया. इस मौक़े पर उन्होंने कहा कि हिंदी में ग़ज़ल लिखना मुश्किल काम है. बहुत कम लोग ही लिखते हैं, लेकिन अलका सिंह की किताब एक उम्मीद जगाती है कि कविता, ग़ज़लें और मुक्तक को आने वाली पीढ़ी ज़िंदा रखेंगी. यह अनूठा काव्य संग्रह है.

    उन्होंने कहा कि लोकार्पण कार्यक्रम में इतने लोगों का जुटना अपने आप में मायने रखता है. राजनीति करने वालों ने दिल्ली को उजाड़ दिया है, यह केवल राजधानी बन कर न रहे, बिखरने से बचे. इसके लिए कविताएं ज़रूरी हैं. ’ज़रूरी तो नहीं खुशियां ही मिलें दामन में, कुछ ग़मो को भी तो सीने से लगाया जा’ बेहतरीन शेअर है.

    समीक्षक अनंत विजय ने कहा कि यह संग्रह कॉकटेल है, जिसमे ग़ज़लें, कविताएं और मुक्तक हैं. हिंदी साहित्य में प्रेम का भाव है, लेकिन इस संग्रह ने नई उम्मीद जगाई है. रिश्तों को लेकर लेखिका की बेचैनी साफ़ झलकती है.

    ’दाग़ अच्छे है’ में अंग्रेज़ी के शब्दो का प्रयोग धूप में मोती की तरह है. आधुनिक युग की त्रासदी ’सुख बेच दिए, सुविधाओं की ख़ातिर’ में साफ़ झलकती है. शब्दों के साथ ठिठोली क़ाबिले-तारीफ़ है.

    कवयित्री अनामिका ने कहा कि लेखिका की सोच व्यापक है, समावेशी है समेटने की कोशिश है. स्पष्ट और मुखर होकर बेबाकी से हर बात कही गई है. कई आयामों को छूती ये रचनाएं सीधे मन को छूती हैं.

    अमरनाथ अमर ने कहा की कविता कई सवाल उठाती है और समाधान देती है. "अपना कफ़न ओढ़ कर सोने लगे हैं लोग" विश्व स्थिति को व्यक्त करती है. मंच संचालन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में सहायक प्राध्यापक डॊ. सौरभ मालवीय ने किया. सार्थक पहल का यह आयोजन प्रवक्ता डॉट कॉम तथा नया मीडिया मंच के संयुक्त तत्वावधान में हुआ. इस अवसर पर साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र की जानी मानी हस्तियां मौजूद थीं.

  • माँ

    नैना शर्मा

    ख़ुद कर्म की रेत में तपकर,
    हमे कुंदन सा निखारती है माँ,
    ख़ुद भूखी रहकर,
    हमारा पेट भरती है माँ।

    ख़ुद काँटों पर चलकर,
    हमारी राहों में फ़ूल बिखेरती है माँ,
    कभी अंधियारों में रहकर,
    तमाम रंज सहकर,
    हमारे जीवन में,
    आशा,ज्ञान,की लौ,
    प्रज्वलित करती है माँ।

    ख़ुद वीराने में अकेले रहकर,
    दुनिया से लड़कर,
    हमे संस्कारों से पोषित करती है माँ,
    ख़ुद सब कुछ सह के,
    हमे हमारे लिए बोलना सिखाती है माँ।

    माँ के रूप में ईश का वरदान है माँ,
    तुलसी,सूर,कबीरा, की लेखनी से परे है माँ,
    मेरी माँ,तेरी माँ,
    हम सबकी माँ,
    माँ,प्यारी माँ।।

  • राग की कविताएं अब उत्कर्ष की कविताएं हैं : संतोष चौबे

    भोपाल: 29 अप्रैल/ राग तेलंग समकालीन हिंदी कविता के उन विरले कवियों में से हैं जो अछूते विषयों को छूने का जोखिम उठाते हुए बेहद सरलता से चीज़ों और उनके जटिल समुच्चयों को हल करने का हुनर पाठक में प्रवेश कराते हैं. ये विचार सुपरिचित कथाकार, कवि और आलोचक संतोष चौबे ने राग तेलंग के नए कविता संग्रह " मैं पानी बचाता हूं" के लोकार्पण अवसर पर कही.

    वरिष्ठ आलोचक रामप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि राग तेलंग की रचनाएं दृश्य के पीछे के तमाम अदृश्य प्रतिबिंबों और अदृश्य के स्पष्ट दृश्यों का प्रभावी और विश्वसनीय खाका तैयार करती हैं,वे हमारे समय के ऐसे कवि हैं जिनके सरोकार सीधे तौर पर समाजोन्मुख हैं.

    राज्य संसाधन केन्द्र के सभागार में वनमाली सृजन पीठ और मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मलेन के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में इस अवसर पर राग की कविताओं की दो ई बुक्स का भी लोकार्पण किया गया.आमंत्रित अतिथियों में बीएसएनएल के महाप्रबंधक संदीप सावरकर, पलाश सुरजन, स्मिता नागदेव, अनघा राग, कला समीक्षक विनय उपाध्याय सहित अनेक वरिष्ठ साहित्यकार उपस्थित थे. इस कार्यक्रम का सफल संचालन युवा आलोचक आनंद कृष्ण ने किया.

    कार्यक्रम में राज्य संसाधन केन्द्र के निदेशक संजय सिंह राठौर,संदीप श्रीवास्तव,अनुराग सीठा,इम्तियाज़ खान,अशोक सिंह,रितु वर्गीस,राजू वानखेड़े सहित कई साहित्य प्रेमी उपस्थित थे.

  • जहीर कुरैशी के संस्मरणों के हवाले से साहित्य और व्यक्तित्वों की चर्चा

    भोपाल: 21 अप्रैल/ राजधानी स्थित मायाराम सुर्जन भवन में गुरुवार की शाम साहित्यकारों के नाम रही। जहां जनवादी लेखक संघ द्वारा रचना-पाठ और चर्चा का आयोजन किया गया।

    इस रचना-पाठ और चर्चा में गजलकार जहीर कुरैशी की हाल ही में प्रकाशित संस्मरणों की पुस्तक ‘कुछ भूला कुछ याद रहा’ का पाठ हुआ। वरिष्ठ साहित्यकारों ने जहीर कुरैशी के द्वारा लिखे गए संस्मरणों के हवाले से हमारे समय और उसके साहित्य और व्यक्तित्वों की चर्चा की।

    इस मौके पर वरिष्ठ कवि राजेश जोशी, कहानीकार रमाकांत श्रीवास्तव, मुकेश वर्मा, आलोचक व समीक्षक राम प्रकाश तथा उर्दू के रचनाकार इकबाल मसूद ने हिस्सेदारी की। शुरुआत में जहीर कुरैशी द्वारा अपने कुछ संस्मरणों का पाठ किया गया। जिसके उपरांत साहित्यकारों ने उस पर चर्चा की।

  • उत्सव के अलहदा रंग समेटे होगा वनमाली कथा सम्मान समारोह

    कहानियों का मंचन, रंग संगीत, रचना पाठ  और कथा विमर्श के अनूठे सत्र

    भोपाल: 1 अप्रैल/ आगामी 5 और 6 अप्रैल को  भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय वनमाली कथा सम्मान समारोह साहित्य, संस्कृति और कलाओं के उत्सवी रंगों से सराबोर होगा। चित्रा मुदगल, प्रभु जोशी, मोहम्मद आरिफ, विनोद तिवारी और हरि भटनागर ( सम्पादक -रचना समय) जैसे ख्यातनाम हस्ताक्षर  अपने उल्लेखनीय रचनात्मक योगदान के लिए सम्मान अलंकरण ग्रहण करेंगे। प्रसिद्ध रंगकर्मी देवेन्द्र राज अंकुर के निर्देशन में वनमाली जी की कहानियों का मंचन और विहान कला समूह का रंग संगीत समारोह को नयी गमक प्रदान करेगा। "बिम्ब-प्रतिबिम्ब" फोटो प्रदर्शनी और विभिन्न साहित्यिक पुस्तिकाओं का लोकार्पण आयोजन को दस्तावेज़ी स्वरुप प्रदान करेगा। इस अवसर पर अनेक प्रबुद्ध लेखक, आलोचक और संस्कृतिकर्मी आमंत्रित किये जा रहे हैं.
       
    साहित्य और संस्कृति की मानक संस्था वनमाली सृजन पीठ का दो दिवसीय प्रतिष्ठा आयोजन विविध  रचनात्मक गतिविधियों के बीच आयोजित किया जा रहा है. पांच अप्रेल की शाम 6.30 बजे  भारत भवन में हिंदी के वरिष्ठ आलोचक डा.धनञ्जय वर्मा और भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई की विशिष्ट उपस्थिति में प्रसिद्ध कथाकार चित्रा मुदगल(नई दिल्ली), प्रभु जोशी (इंदौर), मोहम्मद आरिफ(पटना) और विनोद तिवारी(दिल्ली) के साथ ही सहित्यिक पत्रिका "रचना समय"(संपादक-हरि  भटनागर) को सम्मान अलंकरण भेेंट किया जाएगा। कथाकार संतोष चौबे और मुकेश वर्मा सम्मानित लेखकों के साहित्यिक योगदान पर वक्तव्य देंगे।समारोह का संचालन कला समीक्षक विनय उपाध्याय करेंगे। इस अवसर पर प्रख्यात नाट्यकर्मी डॉ.देवेन्द्र राज अंकुर के निर्देशन में रंग समूह "संभव" के कलाकार वनमाली जी की बहुचर्चित कहानियों - जिल्दसाज,शहर और माझी का मंचन करेंगे।

    समारोह के दूसरे दिन सुबह 10.30 बजे आईसेक्ट विश्वविद्यालय में "परंपरा, आधुनिकता और समकालीन हिंदी कहानी" विषय पर विचार सत्र होगा।अध्यक्षता संतोष चौबे करेंगे, आधार वक्तव्य आलोचक विनोद तिवारी का होगा। प्रभु जोशी, शशांक, शम्भू गुप्त, जयप्रकाश, पल्लव, अवधेश मिश्र, राजीव कुमार, राहुल सिंह विषय पर अपने विचार व्यक्त करेंगे। शाम 6.30 बजे स्वराज भवन में सम्मानित लेखकों का  रचना पाठ होगा । अध्यक्षता डा.ज्ञान चतुर्वेदी करेंगे। चर्चा में शशि भूषन,मुकेश वर्मा, वन्दना राग और बलराम गुमास्ता हिस्सा लेंगे।

  • संतोष चौबे का कहानी पाठ आज, कहानी संग्रह "नौ बिंदुओं का खेल" का भी होगा विमोचन

    भोपाल: 17 मार्च/ हिन्दी के बहुचर्चित कथाकार और उपन्यासकार लेखक संतोष चौबे 18 मार्च की शाम 6.30 बजे अपनी नई लंबी कहानी नौ बिंदुओं का खेल का पाठ भारत भवन में करेंगे। वनमाली सृजनपीठ और पहले पहल प्रकाशन द्वारा संयोजित इस रचना प्रसंग में उनके नवप्रकाशित कहानी संग्रह का विमोचन भी होगा।

    इस अवसर पर बतौर अध्यक्ष मूर्धन्य आलोचक-चिंतक नंदकिशोर आचार्य अपने मुख्य वक्तव्य में चैबे के कृति-व्यक्तित्व को रेखांकित करेंगे, जबकि युवा आलोचक वैभव सिंह लोकार्पित संग्रह पर अपना वक्तव्य देंगे। इस अवसर पर संतोष चौबे अपने संग्रह की शीर्षक कहानी नौ बिंदुओं का खेल का प्रयोगधर्मी पाठ करेंगे। कार्यक्रम के सूत्रधार कला समीक्षक विनय उपाध्याय होंगे।

    साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश शासन के दुष्यंत कुमार पुरस्कार सहित अनेक प्रादेशिक और राष्ट्रीय सम्मानों से विभूषित श्री चौबे के इससे पूर्व तीन कहानी संग्रह, दो उपन्यास, तीन कविता संग्रह और अनुवाद के अलावा समग्र साहित्य ग्रन्थ का प्रकाशन हो चुका है। वे आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलाधिपति है।

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