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औषधीय गांजा माइग्रेन में सहायक

न्यूयॉर्क, 16 जनवरी (आईएएनएस)। औषधीय गांजा का सेवन माइग्रेन संबंधित सिरदर्द से पीड़ित व्यक्ति के लिए लाभदायक हो सकता है। यह बात एक नए शोध में सामने आई है।

शोध के मुताबिक, माइग्रेन सिरदर्द से पीड़ित लोगों को जब औषधीय गांजा की खुराक दी जाती है तो उनमें उल्लेखनीय लाभ देखा जाता है।

यह अध्ययन फार्मेकोथैरेपी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन के तहत 2010-2014 के बीच माइग्रेन पीड़ितों का परीक्षण किया गया और उन्हें औषधीय गांजा की खुराक दी गई।

अध्ययन में पाया गया कि प्रत्येक महीने माइग्रेन का दौरा 10.4 से घटकर 4.6 रह गया। इसे सांख्यिकीय और चिकित्सा के लिहाज से महत्वपूर्ण माना गया है।

यह शोध 121 मरीजों पर किया गया, जिसमें 103 में में लाभ दिखाई दिया, जबकि 15 में कोई बदलाव नहीं हुआ और तीन की समस्या और बढ़ गई।

अमेरिका में युनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो अंचुत्ज मेडिकल कैम्पस के वरिष्ठ लेखक लौरा बॉगेल्ट ने कहा, "पीड़ितों ने बेहतर महसूस किया और काम करने की उनकी क्षमता पर्याप्त रूप से सुधरी।"

बॉर्गेल्ट ने कहा, "किसी भी अन्य दवा की तरह गांजा में भी लाभ और हानि की संभावनाएं हैं। यह जरूरी है कि लोगों को गांजा के सेवन के बारे में पता होना चाहिए, क्योंकि इसके उपयोग का प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है।"

बॉर्गेल्ट ने कहा, "हमारा मानना है कि सेरोटोनिन माइग्रेन के सिरदर्द में प्रमुख भूमिका निभाता है, लेकिन इस हालत में केनाबिनॉइड्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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  • जीका वायरस से ब्राजील में 5 और बच्चों की मौत
    रियो डी जेनेरियो, 21 जनवरी (आईएएनएस)। ब्राजील में जीका वायरस से पांच और बच्चों की मौत हो गई। वहां की सरकार ने बुधवार को इसकी घोषणा की।

    सिन्हुआ में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वोत्तर ब्राजील में ये पांच मौतें हुई हैं, जिनका कारण जीका वायरस है।

    अब तक ब्राजील में माइक्रोसेफाले के कुल 3,893 मामले सामने आए हैं, जिन्हें जीका वायरस की वजह से होने की संभावना है। इनमें से 224 मामलों में जीका वायरस की पुष्टि हो चुकी है जबकि अन्य मामलों की जांच की जा रही है।

    मार्च 2014 में अफ्रीका से लेकर लैटिन अमेरिका तक जीका वायरस फैल गया था। यह वायरस एडीस मच्छर से फैलता है और इससे नवजात में माइक्रोसेफाले नाम का मष्तिष्क संबंधी विकार पैदा हो जाता है। इससे बच्चों की जान को भी खतरा होता है।

    इंडो-एशियन न्यूज चैनल।
  • नाइजीरिया में लासा बुखार से 63 मरे
    लागोस, 21 जनवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। नाइजीरिया में लासा बुखार से 63 लोगों की मौत हो चुकी है। 212 लोगों को इस वायरल बुखार से पीड़ित पाया गया।

    नाइजीरिया के स्वास्थ्य मंत्री इसाक अडेवोल ने देश की राजधानी अबुजा में मंगलवार को नेशनल काउंसिल ऑफ हेल्थ की आपात बैठक में इस महामारी का खुलासा किया।

    उन्होंने कहा कि बीमारी 17 राज्यों में फैल गई है। मंत्री ने यह भी कहा कि कुछ राज्य इसे छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। सभी राज्यों को इसे एक खतरे के रूप में लेना चाहिए और इसकी रोकथाम के लिए उपाय करने चाहिए।

    लासा बुखार घातक बीमारी है, जो मुख्य रूप से पश्चिम अफ्रीका में फैलती है। यह घरों और खाद्य स्टोरों तक पहुंच जाने वाले चूहों के लार या मल से लोगों में फैलता है।

    इस बीमारी का सबसे पहले पता 1969 में नाइजीरिया के लासा शहर में चला था। कुछ इलाकों में लासा बुखार के लक्षण मलेरिया जैसे ही होते हैं।

    नाइजीरिया के प्रशासन ने बीमारी के रोकथाम को लेकर खुद को सक्षम बताया है। प्रशासन का कहना है कि जिन लोगों में इस बीमारी का पहले पता चल जाता है, उनके बचने की संभावना अधिक होती है।

    नाइजीरिया के 12 राज्यों में 2012 में इस बुखार से 40 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद सरकार ने बीमारी की रोकथाम के लिए लासा फीवर रैपिड रेस्पांस कमेटी का गठन किया था।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • पिता का अवसाद भी आने वाली संतान के लिए खतरा
    लंदन, 21 जनवरी (आईएएनएस)। मां के अवसाद और बच्चे के स्वास्थ्य में संबंध की बात लंबे समय से की जाती रही है। अब एक नए अध्ययन में पाया गया है कि पिता के अवसाद का भी होने वाली संतान के स्वास्थ्य पर असर होता है।

    अध्ययन के मुताबिक, पिता के अवसाद के कारण गर्भ में पल रहे शिशु का जन्म कई बार समय से पहले हो जाता है। यानी पिता के अवसादग्रस्त रहने से भी समय पूर्व प्रसव का जोखिम बना रहता है।

    स्वीडन की 'सेंटर फॉर हेल्थ इक्विटी स्टडीज' की डॉक्टर एंडर्स जर्न ने बताया, "हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि अवसाद से पीड़ित माता-पिता दोनों को ही संतान के अपरिपक्व जन्म के लिए जिम्मेदार माना जाना चाहिए और उनकी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की जांच होनी चाहिए।"

    पिता के द्वारा पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जर्न ने बताया, "साथी का अवसाद गर्भवती महिला के लिए अवसादग्रस्त होने की सबसे बड़ी वजह होती है, जिसके द्वारा संतान में समय से पहले जन्म लेने का खतरा बढ़ता है।"

    जर्न कहती हैं, "पिता के अवसादग्रस्त रहने से शुक्राणु की गुणवत्ता प्रभावित होती है। अवसादग्रस्त पिता के द्वारा संतान के डीएनए पर एपिजेनेटिक प्रभाव पड़ता है और उसका गर्भनाल का क्रियान्वयन भी बाधित होता है। हालांकि इलाज के द्वारा इस समस्या से निदान पाया जा सकता है।"

    अध्ययन के नतीजे पत्रिका 'बीजेओजी' में प्रकाशित हुए हैं।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • पुरुषों का नहीं, महिलाओं का रक्षक है एस्ट्रोजेन हार्मोन

    न्यूयार्क, 21 जनवरी (आईएएनएस)। महिलाओं के सेक्स हार्मोन नाम से प्रचलित एस्ट्रोजन हार्मोन केवल महिलाओं में फ्लू वायरस को घटाता है पुरुषों में नहीं। एक नए शोध में इसकी पुष्टि हुई है।

    अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसार, यह सुरक्षात्मक हार्मोन महिलाओं के लिए बेहद अच्छा है यह प्राकृतिक तौर पर उनके अंदर होता है।

    हाल ही में हुआ यह शोध बताता है कि एस्ट्रोजन एचआईवी, इबोला और हेपेटाइटिस जैसे वायरस की प्रकृति को प्रभावित करते हैं जिससे संक्रमण की गंभीरता कम होती है।

    शोधार्थियों के अनुसार, पुरुषों की कोशिकाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन के लिए रिसेप्टर्स काफी कम होते हैं इसलिए यह हार्मोन पुरुषों में वायरस के प्रति लड़ने के लिए उतना प्रभावी नहीं होता है।

    यह शोध ऑनलाइन पत्रिका 'अमेरिकन जर्नल ऑफ साइकोलॉजी' में प्रकाशित हुआ है।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
  • रास्ते भुला देती हैं चिंताएं

    लंदन, 21 जनवरी (आईएएनएस)। चिंताओं से घिरे होने पर क्या आप चलते-चलते गलत दिशा में मुड़ते हैं अगर हां तो इसके लिए कसूरवार आपका मस्तिष्क है क्योंकि तनाव के दौरान लोगों में मस्तिष्क का दायां भाग व्यक्ति को बाईं दिशा में चलने के लिए उन्मुख करता है।

    यूनिवर्सिटी ऑफ केंट की डॉक्टर मारियो वीक ने पहली बार मस्तिष्क के दो भागों (गोलार्धो) की सक्रियता को व्यक्ति की प्रक्षेप पथ के बदलावों के साथ जोड़ा है।

    इस शोध के लिए शोधार्थियों ने कुछ लोगों से आंखों पर पट्टी बांधकर एक कमरे में सीधे चलने के लिए कहा। वह पहले से ही उस कमरे से वाकिफ थे।

    शोधार्थियों को इस संबंध में सबूत मिला है कि इनमें जो प्रतिभागी असामान्य और चिंताग्रस्त स्थिति से गुजर रहे थे वह बाई दिशा में चलने के लिए उन्मुख दिखाई दिए जिसकी वजह उनके मस्तिष्क के दाएं हिस्से में अधिक सक्रियता का होना है।

    यह शोध बताता है कि मस्तिष्क के यह दो हिस्से आपस में अलग-अलग प्रेरक तंत्रों के साथ जुड़े हैं।

    इस शोध के जरिए पहली बार मानसिक अवरोध और मस्तिष्क की दाईं हिस्से की सक्रियता के बीच स्पष्ट संबंध का पता चल पाया है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्तियों का अब पहले से अधिक कारगर इलाज किया जा सकेगा।

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

  • राजस्थान : स्वाइन फ्लू से 11 मौतें
    जयपुर, 20 जनवरी (आईएएनएस)। राजस्थान में एक बार फिर एच1एन1 वायरस (स्वाइन फ्लू) ने लोगों को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है। राज्य में इस साल 19 जनवरी तक स्वाइन फ्लू से करीब 11 लोगों की मौत हो चुकी है और 54 लोगों में इस वायरस की पुष्टि हुई है।

    चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया, "राज्य में 11 लोगों की एच1एन1 वायरस से मृत्यु हो चुकी है और 54 लोग इस वायरस की चपेट में हैं।"

    अधिकारियों के अनुसार, इस वायरस से जयपुर में पांच, बीकानेर में दो, अजमेर में एक, सीकर में एक, झुंझुनू में एक और कोटा में एक व्यक्ति की मौत हुई है।

    साल 2015 में इस वायरस ने राज्य के 6,800 लोगों को अपनी चपेट में लिया था, और इससे करीब 468 लोगों की मौत हुई थी।

    राजस्थान के चिकित्सा और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ वायरस के पीड़ित मरीजों के लिए सभी सरकारी अस्पतालों में अलग वार्ड बनाने का निर्देश दिया है। इसके अलावा अस्पतालों को इस रोग से जुड़ी सभी दवाओं का भंडार रखने के लिए भी कहा है।

    उन्होंने अस्पतालों से कहा है कि वह वेंटिलेटर का इंतजाम दुरुस्त रखें और ओपीडी में प्रत्येक व्यक्ति को तीन स्तरीय मास्क प्रदान करें।

    चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है, "हम स्वाइन फ्लू की चपेट में आने वाले व्यक्तियों के आसपास के 50 घरों का सर्वेक्षण कर रहे हैं।"

    इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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